Thursday, October 4th, 2018
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महिलाएं ठान ले तो परिवार के साथ-साथ सपनों को भी पंख दे सकती हैं : कोमल तेवतिया
फरीदाबाद( विनोद वैष्णव )| छुपी हुई प्रतिभाओं को उजागर किया जाना चाहिए ताकि उन प्रतिभाओं को तरीके से निखारा जा सके। विशेषकर महिलाओं में अनेक प्रकार की प्रतिभाएं छुपी हुई होती हैं लेकिन संकोचवश वे उजागर नहीं हो पाती। आज महिलाए पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, लेकिन रूढिवादिता के चलते महिलाओं को अभी भी पुरूषों के बराबर का दर्जा नहीं है। यह बात मिसजे इंडिया ग्लोब रनरअप मॉडल कोमल तेवतिया ने सैक्टर-16 मैगपाई टूरिजम रिसोर्ट में ऑसम प्रोडक्शन द्वारा आयोजित फैशन शो के अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आज का दौरा प्रतियोगिता का दौर है और हर व्यक्ति इस प्रतियोगिता की दौड़ में आगे निकलना चाहता है लेकिन सफलता उन लोगों को मिलती है जो अनुशासन, धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा से प्रतियोगिता के नियमों का पालन करते हैं। कोमल ने बताया कि यदि कोई भी महिला ठान ले तो वह अपने घर-परिवार की जि मेदारी के साथ-साथ अपने सपनों को भी पंख दे सकती है। जरूरत है तो बस मजबूत इच्छा शक्ति की। कार्यक्रम के संयोजक नितीज जोशी ने बताया कि प्रतियोगिता में मिस्टर, मिस और मिसेस ऑसम के लिए कुल 16 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर सावधान इंडिया फेम डायरेक्टर डेजी रजत, राइटर एवं डायरेक्टर चिरंजीवी बाजपई तथा मॉडल शुभी जज की भूमिका में नजर आये। मिसेज इंडिया ग्लोब रनरअप, मॉडल कोमल तेवतिया ने रैंप पर वॉक करके प्रतिभागियों को उत्साहित किया। प्रतियोगिता में मिस्टर ऑसम राहुल, मिस ऑसम स्वाति तथा मिसेस ऑसम ऋतु रही। मीनाक्षी मल्होत्रा को मिसेस आई-क्यू चुना गया। फैशन कंसलटेंट शिवांगी नरूला की स्टाइलिंग की सबने खूब प्रशंसा की। सिंगर वाणी बहल ने बेहतरीन गीत गाकर सबका मन मोह लिया।
बाल भवन फर्जीवाड़ा मामले में जिला परिषद् सीईओ ने सौंपी जिला उपायुक्त को जाँच रिपोर्ट
फरीदाबाद। जिला बाल कल्याण अधिकारी और लेखाकार गबन का मामला अब अपनी अंतिम जाँच की तरफ बढ़ रहा है। बशर्ते सरकार और प्रशाशन जाँच रिपोर्ट को गहनता से देख कर फैसला करें। गौरतलब है की आरटीआई कार्यकर्त्ता रशीद खान ने बाल कल्याण विभाग फरीदाबाद में आरटीआई के माध्यम से तत्कालीन जिला बाल कल्याण अधिकारी सज्जन सिंह और अकॉउंटेंट उदयचंद की नियुक्ति और उनके द्वारा किये गए खर्चे की रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही इस बात की जानकारी भी मांगी थी की ये दोनों के पास उक्त खर्चा करने और बिल पास अधिकार हैं भी या नहीं । राशिद खान ने ये सभी जानकारी सन 2011 में मांगी थी। लेकिन न जाने किस दबाव के चलते पहले तो जानकरी ही उपलब्ध नहीं करवाई गई, जब जानकरी सामने आई तो चंडीगढ़ तक के अधिकारीयों ने इस घोटाले पर आंखे बंद रखी।अंत में याचिकाकर्ता को कोर्ट की शरण में जाना पड़ा। कोर्ट ने 2014 में प्राथमिक जाँच करने के लिए तत्कालीन अतिरिक्त उपायुक्त जितेंद्र दहिया को आदेश दिए की सज्जन सिंह और उदयचंद की जाँच करके जाँच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाये। करीब पांच महीने बाद जाँच पूरी होने पर जब कोर्ट में पेश हुई तो, माननीय जज ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फरीदाबाद के तत्कालीन उपायुक्त समीरपाल सरों को विभागीय जाँच के लिए आदेश जारी किये। तत्कालीन उपायुक्त ने कोर्ट के आदेशों पर कार्यवाही करते हुए दोनों के खिलाफ विभगीय जाँच शुरू करा दी गई। जिसकी अंतिम रिपोर्ट में जाँच अधिकारी ने दोनों कर्मचरियों को दोषी मानते अपनी रिपोर्ट जिला उपायुक्त पेश कर दी है।इस रिपोर्ट के मुताबिक सज्जन सिंह ने तत्कालीन उपायुक्त प्रवीण कुमार को गुमराह कर अपने निजी लाभ के लिए उदयचंद को फरीदाबाद में मेवात जिले के डीसी रेट पर बतौर अक्काउंटेंट रखा जोकि नियमो की विरुद्ध था। साथ ही गलत तरीके से नियुक्ति पाने के बाद दोनों ने मिल कर बिल वाउचर के माध्यम से लगभग पांच लाख रूपए का घोटाला किया। और रिपोर्ट में जाँच अधिकारी ने साफ़ तौर पर लिखा है की सज्जन सिंह और उदयचंद ने मिल अपनी नियुक्ति और अधिकारों के बारे में गलत जानकरी देकर कर फर्जी यात्रा भत्ते और अन्य लाभ उठाते रहे व् विभाग को लाखो का नुकसान पहुंचते रहे।इस मसले में जब आरटीआई कार्यकर्त्ता राशिद खान से बात की गई तो उसने बताया की सज्जन सिंह के विरुद्ध आरटीआई से प्राप्त जानकरी केआधार पर ही आज से करीब तीन साल पहले 2014 में लगभग 13 लाख के गबन का मामला थाना सिविल लाइन्स में धोखधड़ी की धाराओं 420 व् 409 के तहत दर्ज है। ये मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। इस पुरे मसले में प्रशाशन नौ दिन चले अढ़ाई कोस की कहावत को चरित्रार्थ करते दिख रहा है। जबकि जब से मामला चल रहा है। पिछली सरकार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने रुख को सबसे से बेहतर बताती रही थी। और अब की मुजौदा सरकार भी भ्रष्टाचार को लेकर बहुत गंभीर होने का दावा कर रही है। लेकिन जब आरटीआई से प्राप्त जानकरी में अधिकारी दोषी पाया गया, तब से लेकर याचिकाकर्ता को कोर्ट मे जाना पड़ा हो तो कैसे सरकार भ्रष्टाचारके खिलाफ होने का दावा कर सकती है। इन छ सालो में दोनों आरोपी अधिकारी और कर्मचारी पर किसी भी सक्षम अधिकारी ने कोई कार्यवाही करना जरुरी नहीं समझा जबकि गुरुग्राम में इन ने से एक सज्जन सिंह पर भ्रष्टाचार और गबन का मामला भी दर्ज है। दोनों आरोपी अधिकारी और कर्मचारी मौज लेते रहे जिनमे से बाल कल्याण अधिकारी सज्जन सिंह सेवानिवृत ही हो गये है और उदयचंद को नियमित भी कर दिया गया , और इतने गंभीर आरोपों बाद भी अपनी सीट पर हैं।