Wednesday, December 9th, 2020

now browsing by day

 
Posted by: | Posted on: December 9, 2020

फैशन के बदलते दौर में लहंगा बना लड़कियो की पहली पसंद

फरीदाबाद (ख्याति वर्मा /ऋतू चौहान ) | यूँ तो हम सभी जानते है कि आए दिन लड़कियों के कपड़ो का फैशन बदलता रहता है, कभी बाजार में डांगरी का फैशन तो कभी जीन्स टॉप और प्लाज़ो सूट का फैशन देखने को मिलता है. बाजार में चाहे कितने ही तरह के फैशन क्यों न आ जाए परन्तु लहंगे का स्थान कोई भी फैशन नहीं ले सकता है क्योकि इसकी अपनी ही एक अलग पहचान है, इतना ही नहीं लड़कियां रोजमर्रा की जिंदगी में भी लहंगे को एक अलग तरह के कंट्रास्ट के साथ पहनना पसंद करती है जो वाकई में ही उनकी पर्सनॅलिटी को आकर्षित बनाता हैं.

पहले लड़कियों की विचारधारा थी की वह अपनी ही शादी में लहंगा पहन सकती है क्योंकी उन्हें लगता था की लहंगा सिर्फ दुल्हन के लिए ही बना है. लेकिन ऐसा नहीं है! बदलते समय के साथ-साथ लहंगे के डिज़ाइनस में काफी बदलाव आया है- अब हम लहंगे को किसी भी त्यौहार, जन्मदिन, फेयरवेल पार्टी, स्कूल व कॉलेज में होने वाले एनुअल फंक्शन आदि जगहों पर भी आसानी से पहन सकते है.
आइए जानते है की लहंगे के फैशन में क्या- क्या बदलाव आए अगर बात करे पहले के जमाने की तो उस समय पूरा ही लहंगा एक रंग का होता था जैसे लाल रंग का घाघरा, चुन्नी, चोली और यह सारे लेहंगे सितारे मोतियों से जड़े होते थे.अगर बात करे कढ़ाई वाले लहंगे की तो उस पुरे लहंगे में ही कढ़ाई होती थी जो दिखने में बहुत ही भारी भरकम सा लगता था लेकिन अब लहंगे के फैशन में इतना बदलाव आया है की लहंगे के रंग के साथ साथ उनके पहनने का तरीका ही बदल गया है, अब लड़कियां लहंगे के साथ चोली न पहनकर शर्ट पहनना पसंद करती है जो उन्हें एकदम परफेक्ट पार्टी होस्ट या गेस्ट वाला लुक देता है जो दिखने में काफी मॉडर्न लगता है और इसका क्रेज दिन प्रतिदिन इतना बढ़ता चला जा रहा है की बड़ी बड़ी बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका,आलिया और अनुष्का शर्मा भी इस लुक को अपना रही है। यह इतने साधारण वह सुन्दर होते है की इन्हे हर उम्र की लड़कियां एवं औरते पहनना पसंद करती है। इन लहंगो को बनाने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के कपड़ो का प्रयोग किया जाता है जैसे- बनारसी, रेशमी, जयपुरी, वेलवेट, जॉर्जेट, टाफ्ता और रॉ सिल्क आदि।
अगर आप भी किसी फंक्शन या पार्टी में परफेक्ट पार्टी होस्ट वाला लुक चाहती है तो आप इस प्रकार के लहंगे भी खरीद सकती है जैसे-
*जैकेट लहंगा
*पैनल लेंथ लहंगा
*कलीदार लहंगा
*स्ट्रैट कट लहंगा
*ए लाइन लहंगा

Posted by: | Posted on: December 9, 2020

हरियाणा की फरीबदाबाद जेल में शमशेर सिंह को तिनका तिनका इंडिया सम्माान जयकिशन छिल्लर और वर्तिका नन्दा ने दिया

हरियाणा की फरीबदाबाद जेल में शमशेर सिंह को तिनका तिनका इंडिया सम्माान जयकिशन छिल्लर और वर्तिका नन्दा ने दिया

मानवाधिकार दिवस: जेलों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार
जेल में तिनका तिनका उम्मीद का उत्सव- तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स- 6वां साल
हरियाणा की जिला जेल, फरीदाबाद से रिलीज हुए राष्ट्रीय पुरस्कार

• इस साल 17 बंदी औऱ जेल स्टाफ चयनित
• इनमें एक जेल का बंदी अमिताभ बच्चन, एक पुरस्कार मरणोपरांत
• इस वर्ष पेंटिग की थीम थी- ‘कोरोना के दौर में जेल’।
• पुरस्कारों को के सेल्वाराज, हरियाणा जेल पुलिस महानिदेशक और श्री अजय कश्यप, पूर्व पुलिस महानिदेशक, दिल्ली जेल और डॉ. वर्तिका नन्दा, संस्थापक, तिनका तिनका ने रिलीज किया।
• देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब पूरे देश में अलग-अलग जेलों से अधिकारी और बंदी लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए जुड़े और इस दौरान उन्होंने अपनी बात कहने का मौका मिला।
• इस बार की निर्णायक मण्डली में श्री अजय कश्यप (आईपीएस), पूर्व महानिदेशक दिल्ली जेल, श्री ओ.पी. सिंह (आईपीएस) पूर्व महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस और डॉ. वर्तिका नन्दा, संस्थापक, तिनका तिनका शामिल रहे।

मानवाधिकार दिवस पर दिए जाने वाले तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स आज हरियाणा की जिला जेल, फरीदाबाद से वीडिया के जरिए जारी किए गए। तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स जेलों में सृजन करने वाले बंदियों और विशेष काम कर रहे जेल अधिकारियों व कर्मचारियों का सम्मान करते हैं। भारत की जानी-मानी जेल सुधारक डॉ. वर्तिका नन्दा ने तिनका तिनका अवार्ड्स की परिकल्पना की है। हर वर्ष तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स चयनित बंदियों और जेल अधिकारियों व कर्मचारियों की उपस्थिति में देश की किसी जेल में जारी किए जाते हैं। यह पुरस्कारों का छठवां वर्ष है। इस वर्ष 3 श्रेणियां रहीं- पेंटिंग, विशेष प्रतिभा और जेल प्रशासकों के लिए पुरस्कार। पेंटिंग की श्रेणी में 7 बंदियों को पुरस्कार दिया गया है। जेल में विशेष काम के लिए 6 बंदियों जबकि जेल में विशेष सेवा के लिए 4 जेलकर्मियों को सम्मानित किया गया है।

दिल्ली की तिहाड़ (7&9) जेल में बंद नरेंद्र नाथ सरकार (42) ने इस वर्ष पेंटिंग श्रेणी में प्रथम पुरस्कार जीता है। नरेंद्र नाथ सरकार जेल में आने से पहले बी.एस.एफ में कार्यरत थे। द्वितीय पुरस्कार उत्तर प्रदेश की मिर्ज़ापुर जेल में बंद रज्जू कोल (74) को मिला है। वहीं इसी श्रेणी में तृतीये पुरस्कार पश्चिम बंगाल की दार्जलिंग डिस्ट्रिक्ट करेक्शनल होम में बंद फिरोज़ राय (41) को मिला है। फिरोज़ राय जेल में आने से पहले चाय के बगीचे में काम करते थे।

इस वर्ष पेंटिग श्रेणी में 2 सांत्वना पुरस्कार भी दिए गए हैं। दिल्ली की केंद्रीय जेल नंबर 16, मंडोली में बंद वैशाली कौशल (21) और केंद्रीय जेल कोयम्बटूर के बंदी माधवन (36) को संयुक्त रूप यह पुरस्कार दिया गया है।

पेंटिंग की ही श्रेणी में उत्तर प्रदेश की बिजनौर जिला जेल के 2 बंदियों को भी पुरस्कार दिया गया है। इसे जीतने वाले रफीक अहमद और परवेज़ नामक बंदी हैं।

इस वर्ष विशेष प्रतिभा की श्रेणी में 6 बंदियों को पुरस्कार दिए गए हैं।

  • 37 वर्षीय चिराग किशोरभाई राणा गुजरात की अहमदाबाद जेल में पिछले 11 साल से सजायाफ्ता बंदी हैं। जेल में रहते हुए राणा ने 35 से अधिक कोर्सों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। राणा, फिलहाल बंदियों को डिप्रेशन जैसी बीमारी से उबरने के लिए मदद कर रहे हैं। वह जेल की साइकोलॉजिकल सेल का संचालन कर रहे हैं।
  • चंडीगढ़ की मॉडल जेल के 36 वर्षीय बंदी अशोक कुमार ने महामारी कोविड-19 से निपटने के लिए इस वर्ष मास्क और ग्रॉउंस बनाने में जेल प्रशासन की मदद की। अशोक व्यावसायिक रूप से टेलर हैं।
  • उत्तर प्रदेश की मैनपुरी जेल में 53 वर्षीय अजय चौहान पिछले 4 वर्ष से बंद हैं। वह सजायाफ्ता बंदी हैं। अजय जेल में रेडियो का संचालन करते हैं। महामारी के दौर में भी अजय ने रेडियो संचालन बेहतर ढंग से किया है। इस बार ख़ास बात यह रही कि महामारी के चलते बंदियों से उनके परिजनों की होने वाले मुलाकातों को रद्द कर दिया गया था। लेकिन अजय ने रेडियो प्रोग्राम कर इस बात को सुनिश्चित किया कि कोई बंदी इस कठिन समय में अपने आप को अकेला महसूस न करे।
  • छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल में 33 वर्षीय माधवी दास सजायाफ्ता बंदी हैं। उन्हें अभी जेल में 20 वर्ष की सज़ा और पूरी करनी है। माधवी जेल के हेल्थ वॉरियर हैं। जेल में अस्पताल के संचालन में वह अपनी सेवाएं दे रही हैं।
  • उत्तर प्रदेश की फिरोज़ाबाद ज़िला जेल में 40 वर्षीय अमिताभ बच्चन नामक बंदी 2009 से बंद हैं। वह सजायाफ्ता बंदी हैं। महामारी कोविड-19 के दौर में बच्चन ने जेल के भीतर सैनिटाइज़िंग का कार्य करने में जेल प्रशासन सरहानीय मदद की है।
  • 24 वर्षीय रजत संजय उत्तर प्रदेश की आगरा जेल के बंदी हैं। जेल में रेडियो की शुरुरात से लेकर अब तक वह इसके सक्रिय सदस्य रहे हैं। इस वर्ष महामारी के कारण जेल में बंदियों की उनके परिजनों से होने वाली मुलाकातों के रद्द होने के चलते रजत ने इस बात का धायक दिया कि कोई भी बंदी डिप्रेशन में न जाए। रजत में इस समय बंदियों के लिए रेडियो पर मोटिवेशनल प्रोग्राम्स बनाए।

इस वर्ष 4 जेल अधिकारियों व कर्मचारियों को तिनका तिनका अवॉर्ड्स दिए गए हैं। इनमें, मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा जेल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट स्वर्गीय राजकुमार त्रिपाठी (56), महाराष्ट्र की यरवडा जेल, पुणे के डीआईजी (जेल) योगेश दत्तात्रेय देसाई (50), हरियाणा की फरीदाबाद ज़िला जेल के हेड वॉर्डर शमशेर सिंह (47) और दिल्ली की केंद्रीय जेल नंबर 16, मंडोली की गायत्री भास्कर मत्रों का नाम शामिल हैं। इस बार जेल अधिकारियों के सम्मान स्वर्गीय राजकुमार त्रिपाठी के नाम किए गए हैं।
57 वर्षीय राजकुमार त्रिपाठी, मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा जेल में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट के पद पर तैनात ड्यूटी के दौरान कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे लेकिन इसके बावजूद अंतिम समय तक वह जेल में अपनी सेवाएं देते रहे। आखिर में इलाज के दौरान त्रिपाठी का निधन हो गया। त्रिपाठी को मरणोपरांत अवॉर्ड दिया गया जिसे उनकी पत्नी और बेटे ने स्वीकार किया।
हरियाणा की फरीबदाबाद जेल में शमशेर सिंह को तिनका तिनका इंडिया सम्माान श्री जयकिशन छिल्लर और वर्तिका नन्दा ने दिया। इस बार समारोह का वीडियो आयोजन इसी जेल से किया गया।

इस वर्ष नामांकन की कुल संख्या करीब 300 रही, जिनमें 33 महिला शामिल रहे। कार्यक्रम में देशभर के कई जेल अधिकारी शामिल हुए जिनमें श्री आनंद कुमार पुलिस महानिदेशक/ महानिरीक्षक कारागार, उत्तर प्रदेश और श्री शरद कुलश्रेष्ठ.,अपर महानिरीक्षक, कारागार, उत्तर प्रदेश, श्री विराट, अपर महानिरीक्षक,, मॉडल जेल, चंडीगढ़ शामिल थे। इस साल पुरस्कारों में फरीदाबाद की जेल में बने लकड़ी के मोमेंटो खास तौर से दिए जा रहे हैं।

वर्तिका नन्दा जेल सुधारक हैं और तिनका तिनका भारतीय जेलों पर उनकी श्रृंखला है। वे 2014 में भारत के राष्ट्रपति से स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। जेलों पर उनके काम को दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी जगह मिली है। तिनका तिनका डासना औऱ तिनका तिनका मध्य प्रदेश- जेलों की जिंदगी का दस्तावेज देती उनकी लिखी किताबें हैं।