Tuesday, February 16th, 2021

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Posted by: | Posted on: February 16, 2021

अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने गुर्जर सम्राट भोज परमार की जयंती धूमधाम से मनाई

फरीदाबाद : अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा फरीदाबाद के द्वारा जिला कार्यालय नंगला एनक्लेव फरीदाबाद में गुर्जर सम्राट भोज परमार की जयंती को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के फरीदाबाद राष्ट्रीय महामंत्री गौरव तंवर व राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेश फागना, मामचंद प्रधान ने संयुक्त बयान में कहा कि गुर्जर जाति के चार प्रसिद्ध राज कुल प्रतिहार, परमार, चालुक्य और चौहान थे। गुर्जर प्रतिहार सम्राटों के अधीन सामन्तों में परमार गोत्र के गुर्जर भी थे। आबू चन्द्रावती अवन्ती उज्जैन धारानगरी (मालवा) आदि कई प्रमुख राज्यों की स्थापना परमार गुर्जरों ने की थी। आबू के परमार सामन्त और मालवा के परमार सामन्त गुर्जर प्रतिहार सम्राटों के बहुत वफादार रहे थे ,
गुर्जर परमार शासकों में महाराजा गुर्जर भोज परमार ने चारों तरफ दिग्विजय हासिल किया ।
गुर्जर भोज परमार मालवा का (1010-1055) शासक का पैंतालीस वर्ष रहा । उसकी राजधानी धारा नगरी थी और जनता उसे भोज महाराज के नाम से जानती थी, उसके राज दरबार में कवियों, विद्धानों तथा साहित्यकारों का बहुत आदर होता था और भारत भर के विद्वान आदर पूर्वक भोज महाराज से आर्थिक सहायता प्राप्त करते थे , इन विद्वानों ने अपना प्रसिद्ध ग्रन्थ रचनाओं में सम्राट भोज परमार की भूरि-भूरि प्रशंसा की है जिससे भोज परमार का नाम अमर हो गया है। सम्राट भोज परमार स्वयं भी विद्वान एवं विद्याव्यसनी तथा महान कवि था, उसने औषधि शास्त्र, ज्योतिष, कृषि, धर्म, वास्तु कला, श्रृंगार कला, कला, शब्दकोष, राजनीति, रणनीति, साहित्य, संगीत आदि विविध विषयों पर अनेक प्रामाणिक ग्रंथ लिखे। उसकी प्रसिद्ध रचनाएं आयुर्वेद सर्वस्व राज मृगांक व्यवहार समुच्चय ’शब्दानुशासन’ समरागण सूत्रधार सरस्वती कंठाभरण नाभ मालिक मुक्ति कल्पतरू आदि है। इनके अतिरिक्त भोज ने रामायण चप्पू व श्रृंगार प्रकाश नामक काव्य ग्रंथ लिखें । गुर्जर सम्राट भोज परमार जहां कुशल प्रशासक व सेनापति था वहां वह विद्या प्रेमी और कवि भी था। गुर्जर भोज परमार की जनता की भलाई और कल्याण के लिए रचनात्मक कार्यो में बहुत रूचि थी । प्रसिद्ध पुरातत्व वेता हरिभाऊ वाकण कर ने गुर्जर राजा भोज परमार के रचनात्मक सार्वजनिक कार्यो का एक नमूना इस प्रकार लिखा है विश्व का सबसे बड़ा बांध राजा भोज ने बनवाया था, जिसमें 340 पहाड़ी, नदियों का पानी जमा होता था और उसकी दीवारों में 27 लाख धन फुट पत्थर लगा था, इसकी दीवार तीन किलोमीटर लम्बी और 75 मीटर चौड़ी थी।
उज्जयिनी के शिला लेखों से पता चलता है कि भोज राजा का राज्य काशी, प्रयाग, अयोध्या, खजुराहो तक था और महमूद गजनबी उससे हार जाने के कारण फिर भारत नहीं आया था क्योंकि यह एक ही जाति की लड़ाई थी ।
श्री विद्याधर बी0डी0 महाजन ने अपने प्रसिद्ध इतिहास के पृष्ठ 566 पर लिखा है कि राजा भोज परमार ने एक सुन्दर ताल लेक जो भोजपुर लेक कहलाती है वह बनवाई थी। यह लेक भोपाल के दक्षिण पूर्व में है और इसका क्षेत्र 250 वर्ग मील है। राजा भोज ने धारा में एक संस्कृत कालिज भी बनाया था जहां अब मस्जिद बनी हुई है।
सम्राट भोज परमार की शारीरिक शक्ति क्षीण होने के साथ-साथ राजनैतिक शक्ति का भी हत्रास होने लगा था।
भोज परमार विद्वानों, कवियों, साहित्यकारों व कला का प्रेमी तथा आश्रयदाता था। गुर्जर भोज परमार ने बुद्धिजीवी वर्ग को बहुत मान सम्मान तथा सहायता दी तभी तो उसका नाम अन्य राजा महाराजाओं की अपेक्षा कहीं अधिक प्रसिद्ध हुआ, शंकर, बुद्धि सागर, तिलक मंजरी का लेखक धनपाल कवि, मन्त्र भाष्य का लेखक यूवत, मिताक्षरा का लेखक विजनानेश्वर,कालीदास नालोदय व चप्पू रामायण के लेखक भोज के समकालीन व उसके दरबारी कहें जाते हैं। 1300 ई0 में सुप्रसिद्ध साहित्यकार मेरूतुंग ने महाराजा भोज परमार पर बहुत लिखा था।
भोज की मृत्यु का सबसे अधिक दुख विद्वान व बुद्धि जीवी वर्ग को हुआ था जो निम्नलिखित पंक्तियों से झलकता है।
“अद्य धारा निराधारा निरालम्बा सरस्वती
पंडितः खंडिताः सर्वे भोजे राजे दिवंगतें ।”
अर्थात आज धारा नगरी और सरस्वती अनाथ हो गई है इसका सहारा और आश्रयदाता राजा भोज थे जो दिवंगत हो गये हैं इसलिए सारे राज्य के पंडित सरस्वती व धारा नगरी सब यतीम हो गये हैं।
इस अवसर पर यहां उत्तराखंड जिला अध्यक्ष महेश लोहमोड, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ऋषिराज चपराना गुर्जर, हरिंदर नंबरदार, मेहरचंद हरसाना, पप्पू गुर्जर जिला उपाध्यक्ष, आजाद मावी जिला प्रचारक, ओम प्रकाश भडाना, नीरज बैसला, तुषार फ़गना, रवि नागर सुभाष पवार, सुभाष प्रधान, प्रेम सिंह भड़ाना, ओम प्रकाश मावी, सुमित रावत उपस्थित थे।