Saturday, January 29th, 2022

now browsing by day

 
Posted by: | Posted on: January 29, 2022

एमवीएन विश्वविद्यालय पलवल में छठे दीक्षांत समारोह का आयोजन

पलवल (विनोद वैष्णव )| एमवीएन विश्वविद्यालय पलवल में छठे दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया जिस के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ के०के० अग्रवाल रहे l इस अवसर पर कुलाधिपति संतोष शर्मा ने मेधावी छात्र एव छात्राओं को उपाधि प्रदान की I इस अवसर पर अनुसंधान विद्वान प्रीति अरोड़ा को विद्या चिकित्सक की उपाधि प्रदान की गई एवं अन्य 397 मेधावी छात्र एवं छात्राओं को अभियांत्रिकी, प्रबंधन, विज्ञान, वाणिज्य, विधि, कंप्यूटर अनुप्रयोग एवं फार्मेसी आदि संकायो की उपाधि प्रदान की गई I कुलाधिपति संतोष शर्मा द्वारा शैक्षणिक उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 3 छात्रों ( आरती देवी, नरेंद्र एवं सिमरन तनेजा) को स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया l इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ के० के० अग्रवाल ने बधाइयां देते हुए कहा कि आप लोगों ने एक अलग दुनिया में प्रवेश किया है जहां पर अध्यापक आपके साथ नहीं होंगे आपको स्वयं ही संघर्ष करना होगा l उन्होंने कोरोना महामारी के बारे में बात करते हुए कहा कि प्रत्येक बाधा जीवन में समस्या पैदा करती है लेकिन वह हमें अवसर भी प्रदान करती है l उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई को संभव बनाया जिसकी वजह से 33 करोड़ विद्यार्थियों की शिक्षा के 2 वर्षों को बचाया जा सका l उन्होंने शिक्षा एवं दीक्षा मे अंतर बताते हुए कहा कि शिक्षा हमें ज्ञात समस्याओं का समाधान बताती है लेकिन दीक्षा हमें अज्ञान समस्याओं का समाधान बताती है l

विश्वविद्यालय के प्रबंधक संचालक कांता शर्मा,अध्यक्ष वरुण शर्मा ने विद्यार्थियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि एमवीएन विश्वविद्यालय की शुरुआत एमवीएन सोसाइटी के संस्थापक स्वर्गीय गोपाल शर्मा जी के जिस सपने को लेकर हुई थी वह धीरे-धीरे साकार हो रहा है I उन्होंने कहा कि एमवीएन विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले अनेकों विद्यार्थी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय कंपनियों एवं बिजनेस में अपनी सेवाएं दे रहे हैंl विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जेवी देसाई ने कहा कि एमवीएन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना स्वर्गीय श्री गोपाल शर्मा जी द्वारा 1983 में हुई और उसी को क्रम में आगे बढ़ाते हुए ग्रामीण क्षेत्र में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 2012 में एमवीएन विश्वविद्यालय की स्थापना की गई l उन्होंने कहां की कोरोना महामारी में भी विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों की शिक्षा को बाधित नहीं होने दिया एवं कक्षाओं को ऑनलाइन माध्यम से लिया गया l उन्होंने इस कठिन समय में अध्यापकों द्वारा की गई कड़ी मेहनत की सराहना करते हुए उनकी उपलब्धियों को गिनाया l उन्होंने कहा कि एमवीएन विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ-साथ समाज के उत्थान के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य, कानूनी एवं कृषि संबंधित जागरूक कैंप का आयोजन भी करता है l विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राजीव रतन ने अंत में सभी का धन्यवाद किया I इस अवसर पर जेपी गौर, निर्मला यादव, संजीव जैन, सीता कालरा, डॉ सचिन गुप्ता, डॉ एनपी सिंह, डॉ मुकेश सैनी, डॉ राहुल वार्ष्णेय, डॉ तरुण विरमानी, डॉ कुलदीप, डॉ मयंक चतुर्वेदी, देवेश भटनागर, बबीता यादव, दया शंकर प्रसाद, योगेश सिंह, महेश धानु, संजय शर्मा एवं समस्त अध्यापकगण उपस्थित रहे l

Posted by: | Posted on: January 29, 2022

28 जनवरी के॰ एल॰ महता दयानंद महाविद्यालय में प्रेरणा दिवस बड़े उत्साह और उमंग से मनाया गया

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव )| 28 जनवरी के॰ एल॰ महता दयानंद महाविद्यालय में प्रेरणा दिवस बड़े उत्साह और उमंग से मनाया गया l मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व मंत्री ए॰ सी॰ चौधरी जी एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे l कार्यक्रम का आरंभ स्वामी दयानंद सरस्वती जी के भजन से हुआ l कॉलेज की छात्रा ने कन्हैयालाल महता जी को अपने भजन के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए l पूर्व मंत्री ए॰ सी॰ चौधरी जी ने महता जी के जीवन को हम सब के लिए प्रेरणादायक बताया l उन्होंने महता जी के साथ बिताए अपने अनुभवों को शब्दों की माला के रूप में प्रस्तुत किया l आचार्य मानव शास्त्री जी ने महता जी के जीवन को अनुसरणीय बताया तथा अपने अनुभवों को साझा किया l कार्यक्रम के अंत में महर्षि दयानंद शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष आनंद महता जी ने सभी गणमान्य सदस्यों को धन्यवाद दिया तथा प्रीतिभोज का आयोजन भी किया गया l

Posted by: | Posted on: January 29, 2022

ध्यान-कक्ष – आत्मबोध कर पूर्ण शांति व अखंड संतोष को प्राप्त करो

ध्यान कक्ष में उपस्थित सजनों को आज समझाया गया कि इस संसार में सबसे बड़ा कार्य है इच्छाओं का शमन करना अर्थात्‌ संकल्प रहित होना जिसके लिए आवश्यकता है इन्द्रिय निग्रह की। इन्द्रियों की प्रवृत्ति विषयों की ओर न हो, यही अवस्था परिशमन की है जिसके लिए आवश्यकता है अपने आप को जानने की व पहचानने की कि मैं यथार्थ में कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, क्या करने आया हूँ और इस कारण शरीर को धारण करने के उपरांत, किस बात का विचार एवं ध्यान रखते हुए मुझे अपने जीवन का परम प्रयोजन सिद्ध करना है? कहने का आशय यह है कि जब अंत:स्थित परमेश्वर पर आस्था रखते हुए, निरंतर अभ्यास, वैराग्य और जागरूकता के साथ, आत्म यथार्थ (आत्मा) की खोज की जाती है तो इंसान सहज ही आत्मज्ञान के प्रकाश में, तटस्थ और साक्षी भाव से मार्ग अवरोधक इच्छाओं को पढ़ते हुए, उनकी व्यर्थता व निरर्थकता का बोध कर, उनसे मुक्ति पाने का प्रयास करता है। इस प्रयास के अंतर्गत, वह उन इच्छाओं की प्रकृति, गति और नियति को जानता है तथा उनकी निस्सारता पर विचार करते हुए, उन्हें सहलाने, पोषणे और आहुति देकर प्रज्ज्वलित करने यानि पूरा करने की बजाय, दुत्कारते हुए, मन के क्षितिज से बाहर निकाल फैंकता है। इस तरह वह उन इच्छाओं के कारण, अपने मन में पनपे दोषों, विकारों, उपद्रवों और स्वार्थपरता आदि का शमन कर, अपने अंत:करण व भाव-स्वभावों का शोधन करता है और राग-द्वेष, काम-क्रोध, लोभ-मोह, अहंकार जैसे शत्रुओ का नाश कर, संकल्प कुसंगी पर विजय प्राप्त कर लेता है। नि:संदेह सजनों आरंभ में इच्छाएँ अनंत होती है परन्तु अंततोगत्वा एक परमात्म प्राप्ति की इच्छा रह जाती है और आत्मबोध होने पर जब यह इच्छा भी शमित यानि विलय हो जाती है तब बंधनमान जीव स्वतन्त्र हो जाता है और उसे पूर्ण शांति व अखंड संतोष प्राप्त होता है। इस प्रकार सजनों इस महान उपलब्धि को प्राप्त कर जो कामनाओं से रहित हो, आत्मेश्वर में स्थित हो जाता है, उसका फिर कभी पतन नहीं होता अपितु वह तो ब्रह्म नाल ब्रह्म हो, चित्त की अखंड प्रसन्नता को प्राप्त कर, सत्‌-चित्त-आनन्द स्वरूप में लीन हो जाता है यानि अपने सच्चे घर में स्थित हो सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ के अनुसार कह उठता है:-
सच्चे घर दे अन्दर जाऊँ ओय, ओथे लख लख खुशियां मनाऊं ओय।
जगे जोत दूसरी वस्तु न कोई ओय, ओथे जोत ही जोत नज़र आई ओय।
ओथे जोत ही जोत नज़र आई ओय, जैंदी त्रिलोकी दे विच रौशनाई ओय।

आप भी सजनों इस आनन्द स्वरूप में स्थित होने हेतु समभाव समदृष्टि की युक्ति का अनुशीलन करते हुए आत्म यथार्थ का बोध करो और आत्मज्ञान के प्रकाश में, साक्षी भाव से मार्ग अवरोधक इच्छाओं को पढ़ते हुए, उनकी व्यर्थता व निरर्थकता का बोध कर, उनसे मुक्ति पाने के प्रयास में सफल हो जाओ।
जानो इसी कारज की सिद्धि के लिए यह ध्यान-कक्ष यानि समभाव समदृष्टि का स्कूल खोला गया है व इसमें आने वालों को सतयुगी आचार संहिता से परिचित करा तद्‌नुकूल ढ़लने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। आप चाहे तो आप भी इस स्कूल में आ सकते हैं और उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।