Thursday, April 14th, 2022

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Posted by: | Posted on: April 14, 2022

मानव रचना और पीएसजी संसद भवन में राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद के पुरस्कार और समापन सत्र की करेंगे मेजबानी

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव) : मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (नेशनल होस्ट यूनिवर्सिटी) और पर्यावरण संरक्षण गतिविधि इस वर्ष राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद (एनईवाईपी 2022) के पुरस्कार और समापन सत्र की संसद भवन में मेज़बानी करेंगे। इस वर्ष भारत भर के 156+ विश्वविद्यालयों के 3000 से अधिक छात्र इसमें भाग ले रहे हैं।

एनईवाईपी 2022 की थीम ‘पर्यावरण चेतना- पर्यावरण और स्थिरता’ है और 16 अप्रैल, 2022 को होने वाला पुरस्कार और समापन सत्र संसद भवन, नई दिल्ली में होगा।

  • ओम बिरला (लोकसभा अध्यक्ष), भारतीय संसद मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता करेंगे
  • गेस्ट ऑफ़ ऑनर: भूपेंद्र यादव , माननीय केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार और सावजी ढोलकिया , पद्म और पूर्व सचिव, लोकसभा
  • उत्पल कुमार सिंह, महासचिव, लोकसभा द्वारा वेलकम एड्रेस दिया जाएगा
  • मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज नेशनल होस्ट यूनिवर्सिटी है
  • आर्य चावड़ा, एक 12 वर्षीय पर्यावरण योद्धा और कौटिल्य पंडित, गूगल बॉय होंगे स्पेशल गेस्ट 

एनईवाईपी 2022 के सभी प्रतिभागी और पर्यावरण नोडल अधिकारी 15 अप्रैल को मानव रचना परिसर पहुंचेंगे और समापन सत्र तक वहीं रहेंगे। उसी दिन, वे मॉक-संसद सत्र में हिस्सा लेंगे। इसके बाद मानव रचना और पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति उन्हें सम्बोधित करेंगे और 16 अप्रैल, 2022 का कार्यक्रम जो संसद भवन, नई दिल्ली में होने वाला है, उसके बारे में बताएंगे। 15 अप्रैल की शाम को एक सांस्कृतिक प्रोग्राम का आयोजन भी किया गया है।

16 अप्रैल को, संसद भवन, नई दिल्ली में ट्रेजरी और विपक्षी बेंच के बीच में डिबेट होगी, उसके बाद पुरस्कार और समापन सत्र होगा जिसमें मुख्य अतिथि, सम्मानित अतिथि और विशिष्ट अतिथि उपस्थित होंगे।

पर्यावरण संरक्षण गतिविधि (PSG) के बारे में: PSG एक अखिल भारतीय समूह है जो मानव बलों द्वारा पर्यावरण दुरुपयोग के खिलाफ पर्यावरण की रक्षा, विश्लेषण और निगरानी के लिए समर्पित है। समूह का उद्देश्य एक ईको-फ्रेंडली पर्यावरण के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना है, जहां पेड़ लगाने, जल संरक्षण और सम्मान और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में जागरूकता फैलाना है | पर्यावरण संरक्षण गतिविधि ने देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों को एक साथ लाने की पहल की है ताकि “कल के लिए युवा” का निर्माण किया जा सके जो ‘वसुंधरा’ के प्रति संवेदनशील हों।

मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (MRIIRS) के बारे में: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (MRIIRS, पूर्व में MRIU), यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी, NAAC से ‘ए’ ग्रेड मान्यता प्राप्त है। इसे टीचिंग, एम्प्लॉयबिलिटी, एकेडमिक डेवलपमेंट, इंक्लूसिवनेस, फैसिलिटीज और सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के लिए 5-स्टार क्यूएस रेटिंग से नवाजा गया है। इसे एनआईआरएफ ‘इंडिया रैंकिंग 2021’ में भी रेट किया गया है: डेंटल – रैंक 39, इंजीनियरिंग – रैंक 118, यूनिवर्सिटी – रैंक बैंड 101-150। मानव रचना को हाल ही में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया गया है।

Posted by: | Posted on: April 14, 2022

एम.वी.एन. विश्वविद्यालय के कृषि छात्रों ने कृषि विज्ञान केंद्र मंडकुला का भृमण किया

पलवल (विनोद वैष्णव ) | एम.वी.एन. विश्वविद्यालय के बी.एस.सी. कृषि के छात्रों ने सोमवार को कृषि विज्ञान केंद्र मंडकुला पलवल का भृमण किया। कृषि विद्यालय के दो प्राध्यापकों के साथ कृषि संकाय के 60 छात्र- छात्राओं ने शैक्षिक और प्रशिक्षण उद्देश्य के लिए के.वी.के. मंडकुला का भृमण किया। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान डॉ. डी. वी. पाठक ने छात्रों का स्वागत किया और उन्हें वर्मी कम्पोस्ट बनाने के तरीकों से अवगत किया। डॉ। पाठक ने कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में जैविक खेती, किचन गार्डनिंग और मशरूम की खेती का क्या महत्व है तथा उनके तरीकों के बारे में भी बताया। डॉ. कांता सबरवाल (जिला विस्तार विशेषज्ञ) ने अचार तैयार करना, जूट बैग तैयार करना एवं विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए और किसानों के लिए आर्थिक रूप से उन्नति हेतु विस्तार से चर्चा की । छात्रों ने केवीके में मछली पालन केंद्र, फल बागान और अन्य स्थानों का भी दौरा किया।

इस भृमण में छात्रों के साथ डॉ. सतीश चंद (सहायक प्रोफेसर प्लांट पैथोलॉजी) और डॉ राहुल धनखड़ (सहायक प्रोफेसर एग्रोनॉमी) उपस्थित थे। विभाग की ओर से सुश्री आकांक्षा, डॉ. स्मिता, बिहारी सिंह, मुकेश और अशोक ने इस शैक्षिक भ्रमण के आयोजन में सहयोग किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) जे.वी. देसाई, प्रो वाइस चांसलर डॉ. एन.पी. सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. राजीव रतन और विभाग के डीन डॉ. मयंक चतुर्वेदी ने छात्र- छात्राओं को शैक्षिक भृमण के लिए प्रेरित किया और बताया कि पारंपरिक व्याख्यानों के अलावा, क्षेत्र का दौरा/प्रशिक्षण कृषि शिक्षा का एक हिस्सा है और निकट भविष्य में अन्य शैक्षिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

Posted by: | Posted on: April 14, 2022

Haryana State Institute of Hotel Management and Swiss Hotel management School and Culinary Arts Academy Switzerland sign a Memorandum of Understanding

Haryana State Institute of Hotel Management and Swiss Hotel management School and Culinary Arts Academy Switzerland signed a Memorandum of understanding at Haryana Bhawan, Copernicus Marg, New Delhi. The function was graced by Shri M.D. Sinha, Principal Secretary, Department of Tourism, Govt. of Haryana, Shri Amarjit Mann, IAS, Director General (Tourism), Government of Haryana and Mr.Tarek Kouatly, Director Marketing & Development, Asia Pacific, Swiss Education group.

The MoU was signed by Shri M.D. Sinha, Principal Secretary, Tourism, Haryana, Department of Tourism, Govt. of Haryana cum Chairman, Haryana State Institute of Hotel Management and Mr.Tarek Kouatly, Director Marketing & Development, Asia Pacific, Swiss Education group.

Swiss Hotel Management School and Culinary Arts Academy Switzerland seeks to create international opportunities for the students studying Haryana State Institute of Hotel Management. Such a tie up will lead to exchange of ideas and academic research between the two countries. By focusing on cultural and educational relationships between the two countries, the MoU will pave way for many aspirants in the hotel industry.

The Parties agreed to establish partnership relations between them to help bring international standards in the hotel management and culinary studies to the state of Haryana. Both the countries have unique culinary heritage and the collaboration will help open new vistas of research and studies in the hospitality industry as per mutually agreed timelines.

Programmes and studies will be organised to help support students of Haryana State Institute of Hotel Management with all round orientation programmes and other exchanges in the hospitality sector. The idea is to work towards a common goal through mutually agreed programmes designed around capacity building in the sector and hospitality community through a range of activities such as trainings, networks and showcase events.

Speaking on the occasion Shri M.D. Sinha Chairman, Haryana State Institute of Hotel Management stated that “this is another milestone in the history of Haryana State Institute of Hotel Management group and he hopes that the institute will compete with international standards with this signing of MoU”.

Posted by: | Posted on: April 14, 2022

सतयुग दर्शन वसुन्धरा में आयोजित रामनवमी यज्ञ-महोत्सव में आज तीसरे दिन विभिन्न प्रांतों व विदेशों से असंख्य श्रद्धालुओं का आना जारी रहा

सतयुग दर्शन वसुन्धरा में आयोजित रामनवमी यज्ञ-महोत्सव में आज तीसरे दिन विभिन्न प्रांतों व विदेशों से असंख्य श्रद्धालुओं का आना जारी रहा। आज हवन आयोजन के उपरांत सत्संग में सजनों को सम्बोधित करते हुए श्री सजन जी ने कहा कि आत्मज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है क्योंकि हकीकत में जीव, जगत और ब्रह्म का खेल जना यही हृदय को आनन्द देने वाला है और इसी द्वारा जीव परमपद यानि मुक्ति पा सकता है। अत: इस महत्ता के दृष्टिगत आत्मज्ञान को अत्यंत महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानो और साथ ही यह भी जानो कि यह उपलब्धि विधिवत्‌ गहन आत्मनिरीक्षण के अभाव में असंभव है। अन्य शब्दों में आत्मनिरीक्षण को आत्मज्ञान का प्रथम सोपान समझो। आत्मनिरीक्षण से यहाँ तात्पर्य अपने भावों, वृत्तियों, गलतियों, त्रुटियों, दुर्बलताओं, गुण-दोषों को सही-सही जान-समझ कर, अपनी अच्छाईयों-बुराइयों पर विचार करने से है। इसी क्रिया द्वारा हम अपने व्यवहार, प्रवृत्तियों, अपनी योग्यताओं-अयोग्यताओं, अभिप्रेरणाओं आदि को स्वयं ही समझने का प्रयत्न कर सकते हैं और अपने दोषों का सूक्ष्म अवलोकन कर उनको दूर करने की दिशा में सक्रिय हो सकते हैं यानि आत्मनियन्त्रण द्वारा वांछित सुधार कर आत्मविश्वासी व आत्मनिर्भर बन सकते हैं। नि:संदेह ऐसा करने पर ही हम अपने आत्मिक बल के भरपूर प्रयोग द्वारा अपनी इन्द्रियों और मन को पूरी तरह से वश में रखते हुए, अंतर्निहित मानवीय गुणों में वृद्धि कर सकते है और मानवीयता को पुष्ट कर अपने व्यक्तित्व को परिष्कृत यानि सुधार कर संशोधित कर श्रेष्ठ मानव बन सकते हैं।

इस प्रकार श्री सजन जी ने सजनों को समझाया कि आत्मज्ञान चारित्रिक उपलब्धि है। यही नहीं यह सतत्‌ आत्मनिरीक्षण व आत्मनियंत्रण द्वारा अपने आचार-विचारों व चारित्रिक स्वरूप का निरंतर परिशोधन यानि सुधार करने का अचूक साधन है। अत: सत्संग द्वारा शब्द ब्रह्म विचार पकड़, सांसारिक आसक्ति का परित्याग करो और आत्मज्ञान प्राप्त कर अपने आप को पूर्ण रूप से जानो व तदनुरूप अपने चरित्र को सुधार कर, श्रेष्ठता के प्रतीक बन जाओ और यश कमाओ।

याद रखो यह ज्ञान, आत्मा और उससे भी बढ़कर परमात्मा का ज्ञान है। दूसरे शब्दों में यह जीवात्मा- परमात्मा के विषय में सम्यक्‌ ज्ञान है। इस सम्यक्‌ ज्ञान को प्राप्त करने वाला आत्मज्ञानी सोते हुए भी सदा जाग्रत रहता है यानि आत्मसत्ता के प्रति विश्वास रखते हुए हर कार्य विवेकपूर्ण करता है। इस तरह वह संतोष-धैर्य अपनाकर आप तो सत्य-धर्म के विचारयुक्त सवलड़े रास्ते पर निष्कामता से चलता ही है, साथ ही औरों को भी सद्‌मार्ग पर प्रशस्त करने का परोपकार कमा, ब्रह्म नाल ब्रह्म हो जाता है। यही नहीं वह सभी चराचर प्राणियों के प्रति समभाव रखता है और समदृष्टि से सबके साथ सजनता का व्यवहार करता है और इस प्रकार सबका प्रिय बन जाता है।

इसके विपरीत अविवेकी व्यक्ति आत्मज्ञान का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाता है और आत्मसत्ता के प्रति विश्वास न रख पाने के कारण अविचारयुक्त कवलड़े रास्ते पर चलता है। इसी वजह से सजनों प्रसन्नचित्तता के स्थान पर झुखना-रोना उसके स्वभाव के अंतर्गत हो जाता है और वह कभी सुखी नहीं हो पाता। इस संदर्भ में उन्होनें आगे कहा कि यह इन्सानी चोला प्राप्त कर, हम इस परम उपलब्धि से वंचित रह जाएँ और यह अनमोल जीवन हार बैठें, यह हमें शोभा नहीं देता। अत: सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में वर्णित अध्यात्मिक विषयों यथा सर्वव्यापी आत्मतत्व/चैतन्य/ब्रह्म/परमेश्वर आदि का मनन एवं चिंतन कर, अक्षर ब्रह्म यानि अपने अविनाशी आत्मतत्त्व को जानो। इससे श्रेष्ठ अक्षर अव्यय ब्रह्म व उससे परे परब्रह्म का मर्म तो स्पष्ट होगा ही साथ ही अपने ‘स्व-भाव‘ (क्षर विराट्‌ विश्व) का रहस्य तथा उसकी कार्यप्रणाली भी स्पष्ट होगी। इस तरह आपके लिए ‘ईश्वर है अपना आप‘ इस विचार पर सुदृढ़ बने रह, इस जगत में अपने समस्त कर्त्तव्यों का संपादन निर्लिप्तता से करते हुए अकर्त्ता भाव में अडिग बने रहना सहज हो जाएगा। जानो यह एक सत्‌-वादी इंसान की तरह सर्गुण-निर्गुण सम कर जान विचार, एक दृष्टि, एकता और एक अवस्था में बने रहने की शुभ बात होगी।

अंत में श्री सजन जी ने कहा कि मनुष्य चाहे कितनी भी भौतिक उन्नति करे तथा अनेक उपलब्धियों से व्यवहार में सम्मानित हो किंतु जब तक वह अपनी आत्मा को निजी शुद्ध चैतन्य के यथार्थ स्वरूप को नहीं जानता तब तक वह अपने आप को अपूर्ण, बेचैन और अतृप्त सा महसूस करता है। उसे पूर्ण तृप्त तथा परमानन्द से सराबोर करने की क्षमता केवल आत्मज्ञान व तत्पश्चात्‌ होने वाले आत्मबोध में ही निहित होती है। इसी से उसके व्यक्तित्व का जागरण होता है और वह भौतिक धरातल यानि जागतिक परिधि से ऊपर उठकर, आत्मिक यानि आध्यात्मिक बोध कर पाता है। इस महत्ता के दृष्टिगत श्री सजन जी ने सबसे बालावस्था से ही आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने की विनती की और कहा कि जानों इसी में आपके मानव जन्म की सच्ची सार्थकता निहित है।