Saturday, May 25th, 2019

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Posted by: | Posted on: May 25, 2019

वृंदा इंटरनेशनल स्कूल में ‘हिंदुस्तान टाइम्स‘ की ओर से ‘टाई एंड डाई‘ वर्कशाॅप का आयोजन

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | एस0जी0एम0 नगर में स्थित वृंदा इंटरनेशनल स्कूल में ‘हिंदुस्तान टाइमस ‘ की ओर से ‘टाई एंड डाई‘ वर्कशाॅप का आयोजन किया गया। जिसमें कक्षा VI से XI तक के विद्यार्थियों ने भाग लियां बच्चों ने रूचिपूर्वक निदेशानुसार अपने रूमाल पर कार्य किया तथा उसे बेहद खूबसूरत रंगों से व कलात्मक रूप से सजाया। शिक्षा प्रणाली में इस प्रकार की गतिविधियों का समावेश बेहद आवश्यक है। जिससे बच्चे का सर्वागींण विकास होता है। वर्कशाॅप स्कूल की निदेशिका विजयलक्ष्मी के उपस्थिति मे सम्पूर्ण हुई।

Posted by: | Posted on: May 25, 2019

एमवीएन विश्वविद्यालय में सार्वभौमिक मानवीय मूल्य विषय पर 03 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

पलवल (विनोद वैष्णव ) | एमवीएन विश्वविद्यालय, पलवल द्वारा सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 जे.वी. देसाई ने विषय विशेषज्ञ प्रो0 गोपाल बाबू को बुके प्रदान करके स्वागत करते हुए कहा कि सार्वभौमिक मानवीय मूल्य शिक्षा इस बात का प्रमुख निर्धारक है कि विद्यार्थी आत्मकेन्द्रित उद्देश्य के लिए या व्यापक सामाजिक और पर्यावरणीय अच्छाईयों के लिए प्रदान किये गये कौशल का कैसे उपयोग करता है। मानव मूल्य आधारित शिक्षा अच्छा मानवीय आचरण और समाज के विकास की सुविधा प्रदान करती है, अन्यथा शिक्षा अमानवीय आचरण, सामाजिक पतन एवं पर्यावरण क्षरण में परिणित हो जाती है। प्रो0 देसाई ने बताया कि सही समझ की कमी के कारण हम एक ऐसे बिन्दु पर पहुँच गये हैं जहां हम अपनी सामूहिक शिक्षा प्रणाली की समस्याओं जैसे कि प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, जानवरों के बिलुप्त होने, ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद और यहां तक कि प्रथ्वी पर मानव जाति के लिए खतरे का परिणाम भी स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। इसलिए वर्तमान समय में सार्वभौमिक मानवीय मूल्य शिक्षा अत्यन्त ही आवश्यक हो गयी है, जिससे कि मानवीय विकास के साथ-साथ प्रकृति से भी सामंजस्य बना रहे।
कार्यशाला में प्रो0 गोपाल बाबू ने मूल्य आधारित शिक्षा की संकल्पना और उसकी आवश्यकता को विस्तार से बताते हुए कहा कि मानवीय मूल्य एवं तकनीकी मूल्य दोनों ही व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों के ज्ञान और समझ के बिना कोई भी व्यक्ति किसी के जीवन को एक दिशा नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक व्यक्त् िभूतकाल की पीड़ा, भविष्य की चिंता और वर्तमान से विरोध में जी रहा है, इसी कारण दुखी है। वर्तमान शिक्षा के साथ-साथ समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं क्योंकि वर्तमान शिक्षा केवल कौशल ही दे रही है, जबकि समझ वाला भाग कहीं छूट सा गया है। आज आवश्यक है कि हम पदार्थ, प्राण, जीव और ज्ञान को समझें एवं उनमें संतुलन बनाये रखें, जिससे प्रकृति में संतुलन और समाज में भयमुक्त वातावरण स्थापित हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षक का प्रमुख कार्य विद्यार्थियों को वास्तविकता से परिचय कराना है, जो नैतिक मूल्यों की शिक्षा से ही मिल सकती है। प्रो0 बाबू ने उचित समझ, मानव जीवन का लक्ष्य, समाधान, समृद्धि, अभय एवं सहअस्तित्व, अन्वेषण के सिद्धान्त, न्याय की अवधारणा, विश्वास, सम्मान, वात्सल्य, करूणा, ध्यान, संस्कार, दिशानिर्देश, श्रद्धा, कृतज्ञता, प्यार, आचरण, सुख, सही समझ एवं सही भाव, इच्छा, विचार, आशा, निरन्तरता, नैतिक मूल्य, आचरण के सिद्धांत, रूप, गुण, स्वभाव, धर्म, परम धर्म, ज्ञान, सह अस्तित्व आदि पर विस्तार से चर्चा की।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा0 राजीव रतन ने कार्यशाला में उपस्थित सभी विशेषज्ञों, अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सार्वभौमिक मानवीय मूल्य शिक्षा वास्तविकता में प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित एकमात्र ऐसा विषय है जो ज्ञानवान समाज के सृजन में सहायक है।
कार्यशाला के अन्त में कार्यक्रम के संयोजक श्री आलोक श्रीवास्तव ने सभी उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं अन्य कर्मचारीगण उपस्थित थे। कार्यशाला की समाप्ति पर डा0 राहुल वाष्र्णेय ने मुख्य वक्ता प्रो0 गोपाल बाबू को प्रकृति के साथ सामंजस्य के उद्देश्य से पौधे का गमला भेंट किया।

Posted by: | Posted on: May 25, 2019

उच्च शिक्षा के गिरते स्तर के कारण क्या हे जानिए तिगांव कालेज के प्रिंसिपल इकबाल सिंधु से

  1. Semester System :-
    महत्वपूर्ण तथ्य Semester System है, जिसके कारण दो बार परीक्षाएं होती है, दो बार प्रेक्टिकल होते है , अत: सभी कार्य दो बार होने के कारण इन प्रक्रियाओं में दोगुना समय लगता है , जो कि समय की बर्बादी है , एवं सरकारी धन की बर्बादी है, यदि यह Semester System बंद हो जाये तो समय एवं धन की बचत होगी जो कि बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए प्रयोग किया जायेगा क्योंकि कम समय का जो Semester System Fix किया गया है उससे विद्यार्थियों को पूरा समय पढाई के लिए नही मिल पाता और जल्दबाजी की पढाई के कारण शिक्षा स्तर गिरता है |
  2. Shortage of Staff (Teaching & Non Teaching)
    दूसरा तथ्य कम दूरी पर नए महाविद्यालय खोलने के कारण प्राध्यापकों एवं सहयोगी स्टाफ की कमी होती जा रही है, नए 31 महाविद्यालयों की पढाई पूरी तरह पुराने महाविद्यालयों के Deputed स्टाफ पर निर्भर करती है जिससे ये Deputed स्टाफ न तो अपने महाविद्यालय में और न ही नए महाविद्यालय में पूरा समय दे पाते है , केवल खानापूर्ति के कारण भी शिक्षा का स्तर गिर रहा है, अध्यापकों की कमी को यदि पूरा कर दिया जाये और सहयोगी स्टाफ पूरी तरह प्रत्येक महाविद्यालय को उसकी आवश्यकता अनुसार दिया जाये तो शिक्षा का स्तर सुधारने में मदद मिल सकती है |
  3. Examination system :- To shift students from Lower grade to upper grade without passing papers.
    विश्वविद्यालय के Re appears को भी प्रमोट करने के नियम ने शिक्षा के स्तर को गिराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि बिना पास हुए विद्यार्थी जब अगली कक्षा में आ जाते है तो वो पढाई के प्रति गंभीर नहीं होते |
  4. Extra Burden on Teaching Staff of Non Teaching work.
    आजकल प्राध्यापकों पर अन्य Non teaching work का इतना अधिक बोझ आता जा रहा है कि उनका मुख्य शिक्षण का कार्य पूरी तरह प्रभावित होता है , और वे मुख्यतः पेपर वर्क में ही उलझे रहते है जो की शिक्षा स्तर गिरने का एक प्रमुख कारण है |
  5. Problems in Basic Education
    ` महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की विद्यालयी शिक्षा का स्तर अत्यंत निम्न होता है जिससे वे उच्च स्तरीय शिक्षा पूर्णत: लेने में सक्षम नही रहते | अत: विद्यार्थियों की मूल शिक्षा पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है जिससे वह उच्च शिक्षा के विषयों को सरलता से ग्रहण कर सके |