Thursday, December 7th, 2017
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दिल्ली में आयोजित हुआ राष्ट्रीय कुष्ठ रोग सम्मेलन
नई दिल्ली, Vinod Vaishnav | कुष्ठ रोग से लड़ने के लिए सरकार के नेतृत्व में एक सहयोगी और मजबूत प्रयास की जरूरत है, जिसमें कुष्ठ रोग के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थाओं का समर्थन भी बेहद जरूरी है। भारत में कुष्ठरोग उन्मूलन के लिए इसे एक गंभीर बीमारी के रूप में चित्रित करने, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ बेहतर प्रयासों को साझा करने और कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों से बातचीत करने के लिए एक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कुष्ठ रोग सम्मेलन का आयोजन किया गया। 5 से 7 दिसंबर तक होटल हॉलिडे इन, एरोसिटी, नई दिल्ली में आयोजित किये गये इस सम्मेलन का उद्देश्य सभी हितधारकों को एक साथ लाने, एक-दूसरे के साथ उनके अनुभवों को साझा करने, एक-दूसरे से सीखने और राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम में आगे सुधार लाने हेतु जरूरी कदमों की सिफारिश करने के लिए एक मंच प्रदान करना था। यह सम्मेलन नोवार्टिस फाउंडेशन, दि निप्पॉन फाउंडेशन, आईएलईपी, डब्ल्यूएचओ, एचकेएनएस, आईएई और सेंट्रल लेप्रोसी डिविजन (सीएलडी) के सहयोग से आयोजित किया गया।
रुझानों से पता चलता है कि भारत में अभी भी समाज में बहुत से मामले अज्ञात हैं और बीमारी का प्रसार लगातार जारी है। सरकार और मंत्रालय ने कुष्ठ रोग मुक्त भारत बनाने के लिए अपने प्रयासों को अंतिम छोर तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दोहराया है।
सम्मेलन के विषय में बताते हुए डॉ. एम.ए. आरिफ (कंट्री डायरेक्टर नेदरलैंड लेप्रसी रिलीफ इंडिया (एनएलआर इंडिया) और सम्मेलन के आयोजन सचिव) ने कहा, यह अमूमन होने वाले अकादमिक सम्मेलन से अलग एक अनूठी सम्मेलन है। हमारा उद्देश्य यहां सम्मिलित राष्ट्रीय एवम् अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जो ग्रासरूट लेवल पर काम कर रहे हैं, ऐसे लोग जो लेप्रोसी से प्रभावित हैं आदि के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य अभ्यास पर चर्चा करना है। उनका अनुभव, कार्य के दौरान आने वाली चुनौतियां एवम् मुद्दे बेहद महत्वपूर्ण हैं जिनसे रूबरू होकर चर्चा करने के लिए ऐसे व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया था। उन्होंने बताया कि लेप्रोसी को लेकर काफी नवाचार कार्यक्रम किये जा रहे हैं जिसके तहत ऐंडेमिक डिस्ट्रिक्ट (जहां अधिकतम केस होने की संभावना है) में अभियान चलाया गया और हाउस सर्च की गयी जिससे कि इन केसों का शुरूआत में ही पता चल सके और रोकथाम की जा सके, इससे विकलांगता को रोकने में मदद मिलेगी।
इसके अतिरिक्त एक नवाचार पहल के तहत इस वर्ष की शुरूआत में पंचायती राज को जोड़ा गया, जिन्होंने शपथ ली कि वे कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों से भेद-भाव नहीं करेंगे। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि कुष्ठ रोगों का शीघ्र पता लगा सकें जिससे कि समय से पूर्व विकलांगता की रोक-थाम हो सके और कुष्ठ रोग से प्रभावित रोग भी मुख्यसमाज में बिना भेद-भाव सामान्य रूप से रहें। डॉ. आरिफ ने कहा कि ऐसे सम्मेलन मेट्रो के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों, राज्य स्तर आदि पर भी आयोजित होने चाहिए जिससे कि हम पूरी तरह से इस पर काबू पा सकें। इस सम्मेलन के माध्यम से आये नतीजों पर विचार-विमर्श के साथ हम उन्हें वास्तविकता में बदलने का प्रयास करेंगे।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत डॉ. अनिल कुमार, डीडीजी(एल) के नेतृत्व में केंद्रीय कुष्ठ रोग प्रभाग ने इस संख्या में तेजी से कमी लाने के लिए कई कठोर कदम उठाए हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैंः
· लेप्रोसी केस डिटेक्शन कैंपेन (एलसीडीसी)- पल्स पोलियो अभियान के अनुरूप, सर्वाधिक प्रभावित जिलों में लेप्रोसी केस डिटेक्शन कैंपेन (एलसीडीसी) की शुरुआत की गई थी। 2016 का एलसीडीसी देश के 20 राज्यों के 163 जिलों में शुरू किया गया, जिसमें 360 मिलियन लोगों की जांच की गईं। जिसमें से अभी तक 5.5 लाख संदग्धिं की पहचान की गई है। इसमें 34000 मामलों में इसकी पुष्टि हो चुकी है।
· इस कलंक और भेदभाव को कम करने के लिए कुष्ठ रोग जागरुकता अभियान ‘स्पर्श’ शुरू किया गया। स्पर्श कुष्ठ रोग जागरुकता अभियान की शुरुआत 30 जनवरी 2017 यानि कि एंटी लेप्रोसी डे के मौके पर शुरू किया गया। जिसमें स्वास्थ्य विभाग से जुड़े क्षेत्र के सहयोग और समन्वय में राष्ट्रव्यापी ग्राम सभाएं आयोजित की गईं। ये ग्राम सभाएं लगभग 3.5 लाख गांवों में आयोजित की गईं।
· आशा आधारित सर्विलांस फॉर लेप्रोसी सस्पेक्ट्स (एबीएसयूएलएस) जिसमें आशा समुदाय में संदिग्ध कुष्ठ रोगियों का पता लगाएंगी और उनकी जानकारी दर्ज कराएंगी।
साड़ी पहनो मुहीम को आगे बढ़ा रही हे :- सपना खंडेलवाल /वंदना गुप्ता
”परफेक्ट लेडीज”, राजधानी दिल्ली की एक बहु सपना खंडेलवाल एवं दिल्ली की ही बेटी वंदना गुप्ता से आज हमारे वरिष्ठ सवांददाता विनोद वैष्णव ने राष्ट्रीय परिधान साड़ी एवं महिलाओ के उत्थान से सम्बंधित मुद्दे पर की खास चर्चा….
प्रश्न :- सपना जी, सबसे पहले आप अपने बारे में पाठको को बताये ?
उत्तर :- अपनी ग्रेजुएशन मुंबई यूनिवर्सिटी से करने कि बाद, मैं सपना खंडेलवाल, विवाहोपरांत पिछले ३३ साल से दिल्ली में रह रही हूँ | मेरे पति दिल्ली के एक नामी उद्योगपति हैं | मैं अपने स्वयं का व्यवसाय करती हूँ व एक ज्वेलर हूँ | मेरे दोनों बच्चे बेटा व बेटी विवाहित हैं और २ वर्ष का मेरा एक प्यारा सा धेवता भी है | पिछले २५ सालों से वेद, उपनिषद् और भगवद गीता का मैं गहन अध्ययन कर रही हूँ |
प्रश्न :- वंदना जी, अब आप अपने बारे में कुछ बताये ?
उत्तर :- सबसे पहले में बताना चाहूंगी कि हम दोनों ननद भाभी भारत के सामान्य नागरिकों में से ही हैं. LSR कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के उपरान्त मेरा विवाह ३० वर्ष पूर्व दिल्ली में हुआ । मेरे पति व मैं एक स्टॉक ब्रोकर हैं । हम NSE, BASE, MCX जैसे अनेकों एक्सचेंज के मेम्बर हैं व हम डिपाजिटरी पार्टिसिपेंट भी हैं । मेरे दोनों बच्चें बेटा व बेटी बहुत प्रेस्टीजियस जॉब्स में हैं ।
प्रश्न :- देवदिति क्या हे ?
उत्तर :- आधुनिकरण के नाम पर हम अपने देश की अनमोल सभ्यता व् संस्कृति खोते जा रहें हैं | देवदिति महिलाओ की ऐसी संस्था हे जोकि मुख्यरूप से इस धरोहर को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं | आज की शहरी महिला साड़ी पहनना पसंद नहीं करती हे, उसे ये लगता है कि लोग उसे पिछड़ा हुआ समझेंगे | देवदिति अपने योग दान से इस नजरिये को बदलना चाहती है और महिलाओ को अपनी साड़ी पहनने के लिए प्रेरणा देती हे ताकि देश की पुरानी संस्कृति को अपने बच्चों और नई पीढ़ी के लिए बचाया जा सके | सभी तरह की महिलाओं को देवदिति एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है, उन्हें जागरूक बनती हैं एवं उन्हें रोजगार प्रदान करने के लिए भी बहुत से उपाय करती हे |
प्रश्न :- देवदिति की कोई मेम्बरशिप भी हे ?
उत्तर :- कोई भी महिला ”देवदिति संस्था” से फ्री में जुड़ सकती हे, अपितु संस्थाएं योग दान से चलती हैं, इसलिए जो जिस तरीके से अपना योगदान देना चाहते हैं देवदिति उसका स्वागत करती है |
प्रश्न :- अक्सर देखा जाता हे की ऐसी संस्थाए बनती हैं और कुछ महिलाएं अपना ही फायदा करती हे ?
उत्तर :- सभी संस्थाए अपने अपने तरिके से काम करती हे लेकिन हमारी संस्था का सीधा मतलब हे केवल एक नई दिशा दिखाना जोकि महिलाओं के हित में हो | हमारी वर्किंग बहुत ट्रांसपेरेंट है | ”देवदिति बैंक” द्वारा हम कई गरीब लोगों को अपने पैरो पर खड़े होने मेँ मदद करते हैं |
प्रश्न :- आपको अनेको प्लेटफॉर्म पर सम्मानित क्या गया हे किस लिए ?
उत्तर :- अपने देश की सभ्यता और संस्कृति को आगे बढ़ाने मेँ अपने योगदान के लिए हमें अनेक मंचों पर सम्मानित किया गया है | महिलाओं की जागरूकता व उनके उत्थान मेँ देवदिति के अथक कार्य को बहुत सरहाना मिली है |
प्रश्न :- किन – किन सामाजिक संस्थाओं के साथ आप दोनों जुडी हुई हैं ?
सपना :- ‘आल लेडीज लीग’ की नेशनल चेयरपर्सन हूँ रिवाविंग ट्रडिशन केटेगरी में; ‘फिक्की लेडीज आर्गेनाइजेशन’ की मैं लाइफ मेंबर हूँ पिछले २ दशक से, ‘ग्लोबल लेडीज लीग’ व ‘महिला मंगल’ जैसी नामी गिरामी संस्थाओं की मैं सदस्या हूँ |
वंदना :- रोटरी, दिल्ली कौंसिल ऑफ़ वीमेन, मैहर चैरिटेबल ट्रस्ट आदि संस्थाओं से जुड़ कर मैं समाज को अपना योगदान देती रहती हूँ ।
प्रश्न :- सपना, वंदना आपको ये अनूठा अभियान ‘साड़ी पहनो’ कैसे आया और देवदिति नाम की संस्था का गठन कैसे हुआ ?
सपना :- बहुत सही सवाल पूछा | मेरे दोनों बच्चो की शादी सन 2014 में हुई. जहां मेरी बेटी ने कहा कि उसे एक भी साड़ी नहीं चाहिए अपने दहेज़ मेँ, वहाँ मेरी बहु ने अपनी विदाई में साड़ी पहनने से इंकार कर दिया, तो मुझे एक बड़ा झटका सा लगा कि जब हमारी बहु बेटियां शादियों में भी साड़ी पहनना पसंद नहीं कर रही, तो ये संस्कृति तो बहुत जल्द ही ख़त्म हो जायगी | अगर ऐसा हुआ तो हमारी राष्ट्रीय धरोहर, हमारे उत्कृष्ट वीव्स भी सब लुप्त हो जाएंगे, जैसे जापानियों का परिधान ‘किमोनो’ वहाँ ख़तम हो गया | ये मैं समझ चुकी थी कि हमे स्वयं ‘प्रेरणा स्तोत्र’ बनना पड़ेगा और साड़ियां पहननी होगी, तब जाकर अन्य महिलायें व् हमारी बेटियां इस खूबसूरत पहनावे को अपनायेंगी | तब मैंने अपनी बहु अदिति की मदद से ‘इंडिया साड़ी चैलेंज’ FB ग्रुप बनाया. ३० लोगों से हमने शुरू किया था, जिसमें अब देश विदेश ki १०००० से भी ज्यादा सदस्याएं हैं |
वंदना :- ISC बनने के बाद भी कहीं कोई कमी सी खाल रही थी. मुझे लगा कि सिर्फ ऑनलाइन करने से समाज मेँ कोई बदलाव जल्दी आएगा नहीं | अपने दायरा को विस्तृत करने कि लिए, अपने समाज व अपने देश के लिए कुछ करने की भावना से हमने ‘देवदिति संस्था’ का गठन किया | मेरी बेटी ‘देवयानी’ के नाम से हमें ‘देव’ मिला और सपना की बहु ‘अदिति’ के नाम से ‘दिति’. उन दोनों नामों को जोड़कर हमने ‘देवदिति’ का गठन किया | बहुत सारे नेक कार्यों के साथ साथ, देवदिति अपने देश के विविध त्योहारों को मनाने का भी सुन्दर प्रयास करती है जो की शहरीकरण की अंधाधुंध भागदौड़ में कहीं छूट सा गया हैं |
प्रश्न :- कितना सफल मानती हो अपने इस अनूठे प्रयास को ?
उत्तर :- बिलकुल सफल है लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है | सफल होने का में आपको इक वाक्य बताती हूँ | 2015 में देवदिति की शुरुआत हमने अपने कार्यक्रम ”विश्व को पहला साड़ी फ़्लैश मोब” से करी | दिल्ली के सबसे बड़े मॉल में 50 महिलाओ ने साड़ी पहनकर भारतीय नृत्य किया | लगभग 10 लाख लोगों ने हमारे ”साड़ी फ़्लैश मोब” वीडियो को देखा और शेयर किया | उस छोटे से प्रयास ने देश विदेश मेँ तेहेलका मच गया | अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड आदि देशो से, अनगिनत भारतीय महिलाओ ने हमसे सम्पर्क कर हमारे अभियान को सफल बनाया हे | इससे बड़ी सफलता क्या होगी |
प्रश्न :- ”देवदिति” एवं “इंडिया साड़ी चैलेंज” से अगर जुड़ना चाहे तो कैसे ?
उत्तर :- हमारी वेबसाइट www.devditi.com, Fb पेज “Devditi” और Fb लेडीज ग्रूप “IndiaSareeChallenge”, व विविध सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया आदि से हमसे जुड़ा जा सकता हे |
प्रश्न :- ”देवदिति संस्था” और क्या क्या अभियान चलाती हे ?
उत्तर :-”रोटी बैंक संस्था” के साथ जुड़कर हमने “देवदिति रोटी बैंक” की स्थापना करी और दिल्ली में हमने रोटी बैंक के बॉक्स बहुत साड़ी जगह रखवाए हुए हैं | अपना दायरा बढ़ाते हुए हमने “देवदिति बैंक” के गठन किया जो अब हमारे ८ सेंटर्स हैं | ज़रुरत और मौका देखते हुए बहुत सारे अलग अलग क्षेत्रों मैं हम काम करते हैं | इसी नवंबर 2017 को हमने ५०० साड़ियाँ इकट्ठी की और तिहार जेल की अंडरट्रायल महिला कैदियों मेँ उन्हें बांटी | अब हम उनी वस्त्र व कम्बल के अभियान मेँ लगे हुए हैं जोकि जनवरी २०१८ को बटेंगी | अलग अलग आइटमो की कलेक्शन, सॉर्टिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन जैसे इस नेक कार्य को हमारी सभी मेंबर्स बहुत प्रेम से और मिलजुल कर पूरा करती हैं |
प्रश्न :- पाठकों कि लिए कोई सन्देश ?
उत्तर :- हम चाहते हैं की भारत कि सभी देश वासी अपने देश पर, उसकी तहजीब पर, उसकी संस्कृति पर, उसके शास्त्रों पर गर्व करें | सभी लोग मिल जल कर अपनी सभ्यता को आगे बढ़ाने में अपना हर संभव योग दान दें |
रितिका यादव का क्षेत्र के लोगों, छात्रों एवं अध्यापकों ने भव्य स्वागत किया
फरीदाबाद Vinod Vaishnav । विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल की बारहवीं कॉमर्स की छात्रा रितिका यादव ने 63वीं नेशनल स्कूल गे स 2017-18 अंडर-19 केटेगरी में सिल्वर मैडल हासिल किया। नेशनल स्कूल गे स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर गुजरात में आयोजित प्रतियोगिता में मैडल जीतकर वापिस लौटी रितिका यादव का क्षेत्र के लोगों, छात्रों एवं अध्यापकों ने भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर रैली निकाली गई और स्टेशन पर पहुंचकर रितिका का स्वागत किया। इस अवसर पर स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि गुजरात के नांदेड़ में 24 से 28 नवंबर तक आयोजित हुई 63वीं नेशनल स्कूल गे स 2017-18 का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता के आर्चरी खेल के अंडर-1९ आयु वर्ग में रितिका यादव ने भाग लेकर प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया है। रितिका पहले भी अनेक प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर जिला स्कूल का नाम रोशन कर चुकी है। दीपक यादव ने कहा कि यह उनके और स्कूल के लिए खुशी और गर्व की बात है कि स्कूल की छात्राएं राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। इससे उनके बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को भी बल मिल रहा है। रितिका की यह उपलब्धि निश्चित रूप से सभी को प्रेरित करेगी कि वे अपनी बेटियों को समान अवसर उपलब्ध करवाएं क्योंकि बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं। अगर उन्हें भी समान अवसर और प्रोत्साहन मिले तो वे न केवल शिक्षा बल्कि खेलों और जीवन के हर क्षेत्र में अग्रणी बन सकती हैं। दीपक यादव ने कहा कि हम और अधिक इच्छाशक्ति से बच्चों की चहुंमुखी प्रतिभा के विकास के लिए कार्य करेंगे ताकि रितिका की तरह अन्य बच्चे भी देश-दुनिया में नाम कमा सकें। इस अवसर पर सभी अध्यापकों ने खुशी जाहिर करते हुए रितिका का फूल-मालाओं से स्वागत किया। स्कूल के चेयरमैन धर्मपाल यादव एवं सीएल गोयल ने रितिका को आशीर्वाद देकर उसके बेहतर भविष्य की शुभकामना दी। कार्यक्रम में राकेश शर्मा (सरपंच), गिर्राज यादव (अध्यक्ष पेरा ओलिंपिक समिति), हरवीर, बेघराज नागर, श ाी यादव, योगेश चौहान एवं अध्यापकगण उपस्थित रहे।