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एक्यूरेट कॉलेज ऑफ लॉ, ग्रेटर नोएडा में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मानव गरिमा और समानता उत्सव का आयोजन

ग्रेटर नोएडा (विनोद वैष्णव) : एक्यूरेट कॉलेज ऑफ लॉ, ग्रेटर नोएडा ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें 1948 में पारित “मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स- UDHR)” की 76वीं वर्षगांठ का महत्व रेखांकित किया गया। इस वर्ष की थीम, “Our Rights, Our Future, Right Now (हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी)” पर आधारित यह आयोजन मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उन्हें लागू करने की आवश्यकता पर केंद्रित रहा।

कार्यक्रम में “मानव गरिमा और न्याय बनाए रखने में वैश्विक एकता” पर एक विशेष व्याख्यान दिया गया। इसके साथ ही, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, और संगीत प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और विचारशीलता प्रदर्शित की। इन गतिविधियों ने मानवाधिकारों की अवधारणा को गहराई से समझाने और उसके प्रति जागरूकता फैलाने में योगदान दिया।
विधि संस्थान के निदेशक डॉ0 अजय कुमार तिवारी ने अपने संबोधन में ‘मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा’ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “मानवाधिकार केवल अधिकार नहीं हैं, यह हमारी गरिमा और स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। वर्तमान समय में इनकी रक्षा करना आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए न्याय, समानता और सम्मान आधारित समाज का निर्माण हो सके।”
कार्यक्रम के दौरान, संस्थान के प्रबंध निदेशक दीपक शर्मा ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि “यह अवसर हमें मानवाधिकारों के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। मैं सभी प्रतिभागियों को बधाई देता हूं जिन्होंने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और इसे सफल बनाया।”

इस कार्यक्रम में डॉ0 सपना सिंह, विकास कुमार, श्वेता गुप्ता, अंजलि, गरिमा, विनीता झा सहित सभी शिक्षकों, स्टाफ और बी0ए0एलएल0बी0 एवं एलएल0बी0 के विधि छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्वेता गुप्ता ने किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों और छात्रों के योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल मानवाधिकारों की समझ बढ़ाने का माध्यम बना, बल्कि छात्रों को सामाजिक न्याय और समानता के प्रति अधिक जागरूक बनाने में भी सफल रहा। सभी ने मानवाधिकारों के संरक्षण और उनके प्रचार-प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
विकसित भारत -स्वर्णिम युग का आगाज” दिल्ली पवेलियन की ओर से 43 वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में जोरदार प्रदर्शन

दिल्ली (विनोद वैष्णव) : प्रगति मैदान में लगा हुआ देश का 43 वां अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला अपने जोरो-शोरों पर है। जहाँ एक तरफ अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला में लोग खरीदारी का लुत्फ उठा रहे हैं वही दूसरी और एम पी थेयटर में आयोजित विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द भी उठा रहे हैं। प्रत्येक दिवस कोई न कोई राज्य अपनी उत्कृष्ठ कलाकृतियों के जरिए दर्शकों का मन मोह लेता है।

इस अवसर पर आज दिल्ली दिवस के दिन माननीय अतिथियों के बीच विकसित भारत – स्वर्णिम युग का आगाज” की थीम पर आधारित नृत्य नाटिका ने सबका मनमोह लिया। इस नाटिका को सतयुग दर्शन ट्रस्ट द्वारा के तत्वाधान में चल रहे ध्यान कक्ष यानि आत्मिक ज्ञान प्रदान करने वाले, समभाव समदृष्टि के स्कूल के सदस्यों ने शानदार ढंग से प्रस्तुत किया व इसके अंतर्गत दर्शाया गया कि आध्यात्मिक उन्नति ही विकसित भारत व व्यक्तिगत स्तर पर हर मानव के विकास की कुंजी है। ऐसे समय में जबकि अज्ञान, पाप और अधर्म का युग कलियुग व्यतीत हो रहा है और चारों तरफ भयाक्रांत, आतंक का, मार-काट का व विषमता का घोर वातावरण बना हुआ है, अपनी मानसिकता को सुदृढ़ रखते हुए, सुख-शांतिमय तरीके से जीवनयापन करने हेतु इस आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त करना और भी जरूरी हो जाता है।

अतः इस नाटक का द्वारा सबको आवाहन दिया गया कि समय रहते ही, सुसंस्कृत, समृद्धशाली, सभ्य व नैतिक रूप से विकसित भारत के निर्माण हेतु, समभाव-समदृष्टि की युक्ति अनुसार, व्यक्तिगत रूप से अपने आचार-विचार व व्यवहार को परिष्कृत कर, यानि कलियुगी काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार युक्त मलीन पोशाक बदल कर, सतवस्तु की सम, संतोष, धैर्य युक्त नवीन सुंदर पोशाक पाओ और सर्वांगीण रूप से शक्तिशाली बन जाओ। इस मकसद में कामयाब होने हेतु आत्मज्ञान पाओ और अपने ख़्याल को ध्यान वल व ध्यान को आत्मप्रकाश वल जोड़, सच्चाई, धर्म के निष्काम रास्ते पर सीधे चलते जाओ। इस तरह आपस में भिन्नता के स्थान पर सद्भाव, प्रेम और भाईचारे का संचार करो और अपनी आदिकालीन सतयुगी संस्कृति अनुरूप एकता, एक अवस्था में आ सज्जनता का प्रसार करो।
पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने तथा पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ कार्यक्रम का आयोजन कर छात्रों को जागरुक किया गया स्थित :- दीक्षा पब्लिक स्कूल

फरीदाबाद, 21 अप्रैल। पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने तथा पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ कार्यक्रम का आयोजन कर छात्रों को जागरुक किया गया। छात्रों ने धरा की धानी चुनर को बनाए रखने और हर तरह के जीव-जंतुओं को पृथ्वी पर उनके हिस्से का स्थान और अधिकार देने का संकल्प लिया। सेक्टर 91 स्थित दीक्षा पब्लिक स्कूल में धरा बचाओ दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं ने अलग-अलग प्रकार के माॅडल व कलाकृतियों के जरिए पृथ्वी के संरक्षण का संदेश दिया। तथा नृत्य, गीत-संगीत द्वारा भी छात्रों ने वृक्षारोपण करने व वायु, जल, ध्वनि, मृदा प्रदूषण न करने का संदेश दिया व प्रदूषण न करने को लेकर शपथ ली।

इस मौके पर प्रिंसिपल कविता शर्मा व चेयरमैन ओमप्रकाश रैक्सवाल ने विद्यालय प्रांगण में पौधारोपण कर छात्रों को ज़्यादा-से-ज़्यादा पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। चेयरमैन ओमप्रकाश रैक्सवाल ने कहा कि धरती मां तभी सुरक्षित रहेगी, जब हम किसी भी प्रकार की गंदगी न फैलाने का प्रण लें। तथा दूसरों को भी गंदगी फैलाने से रोकें।
भारतीय जीवन बीमा निगम की शाखा 11U, सेक्टर 12 , फरीदाबाद में सुनील कुमार खन्ना विकास अधिकारी ने अपने MDRT एजेंट्स का सम्मान किया।
फरीदाबाद(विनोद वैष्णव ) | भारतीय जीवन बीमा निगम की शाखा 11U, सेक्टर 12 , फरीदाबाद में सुनील कुमार खन्ना विकास अधिकारी ने अपने MDRT एजेंट्स का सम्मान किया। MDRT, मिलियन डॉलर राउंड टेबल एजेंट्स, अमेरिका की एक संस्था है। गोर तलब बात की पहली बार हरियाणा में किसी विकास अधिकारी की टीम में 8 MDRT बने हैं। जो MDRT एजेंट्स बने उनके नाम संगीत जगन नारंग, जगदीप भाटिया, जितेंदर शर्मा, दिनेश कुमार, विनोद राजपूत, प्रदीप अग्गरवाल, पिंटु गुप्ता, अमरेश पांडेय हैं। सुनील खन्ना की टीम पूरे उत्तर भारत की तीसरे नम्बर की टीम है। वर्ष 2023 में उनका लक्ष्य है कि 25 MDRT एजेंट्स उनकी टीम में हों। मोके पर ब्रांच मैनेजर नीता खट्टर भी मौजूद थीं।

फैशन के बदलते दौर में लहंगा बना लड़कियो की पहली पसंद

फरीदाबाद (ख्याति वर्मा /ऋतू चौहान ) | यूँ तो हम सभी जानते है कि आए दिन लड़कियों के कपड़ो का फैशन बदलता रहता है, कभी बाजार में डांगरी का फैशन तो कभी जीन्स टॉप और प्लाज़ो सूट का फैशन देखने को मिलता है. बाजार में चाहे कितने ही तरह के फैशन क्यों न आ जाए परन्तु लहंगे का स्थान कोई भी फैशन नहीं ले सकता है क्योकि इसकी अपनी ही एक अलग पहचान है, इतना ही नहीं लड़कियां रोजमर्रा की जिंदगी में भी लहंगे को एक अलग तरह के कंट्रास्ट के साथ पहनना पसंद करती है जो वाकई में ही उनकी पर्सनॅलिटी को आकर्षित बनाता हैं.

पहले लड़कियों की विचारधारा थी की वह अपनी ही शादी में लहंगा पहन सकती है क्योंकी उन्हें लगता था की लहंगा सिर्फ दुल्हन के लिए ही बना है. लेकिन ऐसा नहीं है! बदलते समय के साथ-साथ लहंगे के डिज़ाइनस में काफी बदलाव आया है- अब हम लहंगे को किसी भी त्यौहार, जन्मदिन, फेयरवेल पार्टी, स्कूल व कॉलेज में होने वाले एनुअल फंक्शन आदि जगहों पर भी आसानी से पहन सकते है.
आइए जानते है की लहंगे के फैशन में क्या- क्या बदलाव आए अगर बात करे पहले के जमाने की तो उस समय पूरा ही लहंगा एक रंग का होता था जैसे लाल रंग का घाघरा, चुन्नी, चोली और यह सारे लेहंगे सितारे मोतियों से जड़े होते थे.अगर बात करे कढ़ाई वाले लहंगे की तो उस पुरे लहंगे में ही कढ़ाई होती थी जो दिखने में बहुत ही भारी भरकम सा लगता था लेकिन अब लहंगे के फैशन में इतना बदलाव आया है की लहंगे के रंग के साथ साथ उनके पहनने का तरीका ही बदल गया है, अब लड़कियां लहंगे के साथ चोली न पहनकर शर्ट पहनना पसंद करती है जो उन्हें एकदम परफेक्ट पार्टी होस्ट या गेस्ट वाला लुक देता है जो दिखने में काफी मॉडर्न लगता है और इसका क्रेज दिन प्रतिदिन इतना बढ़ता चला जा रहा है की बड़ी बड़ी बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका,आलिया और अनुष्का शर्मा भी इस लुक को अपना रही है। यह इतने साधारण वह सुन्दर होते है की इन्हे हर उम्र की लड़कियां एवं औरते पहनना पसंद करती है। इन लहंगो को बनाने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के कपड़ो का प्रयोग किया जाता है जैसे- बनारसी, रेशमी, जयपुरी, वेलवेट, जॉर्जेट, टाफ्ता और रॉ सिल्क आदि।
अगर आप भी किसी फंक्शन या पार्टी में परफेक्ट पार्टी होस्ट वाला लुक चाहती है तो आप इस प्रकार के लहंगे भी खरीद सकती है जैसे-
*जैकेट लहंगा
*पैनल लेंथ लहंगा
*कलीदार लहंगा
*स्ट्रैट कट लहंगा
*ए लाइन लहंगा
कोरोना काल के दौरान लोगो में बढ़ा आकर्षित मास्क का प्रचलन

फरीदाबाद (ख्याति वर्मा /ऋतू चौहान ) | वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने लोगो के जीने का सलीका ही बदल दिया है इस महामारी की वजह से भारत में रहने वाले सभी निम्न व उच्च वर्ग के लोगो को इसने घरो में रहने के लिए मजबूर कर दिया था जिसकी वजह से लोगो को काफी परेशानियो का सामना करना पड़ा! विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है कोरोना वायरस बहुत ही सूक्षम (छोटा ) होता है लेकिन इसका प्रभाव बहुत ही भयंकर है, इतना भयंकर की इसके संक्रमण में आने से मृत्यु भी हो सकती है इस बीमारी के लक्षण है- खांसी, जुखाम, छींक और सांस लेने में परेशानी आदि है इन्ही कोरोना वायरस के लक्षणों से बचने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन व स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ दिशा निर्देश जारी किए है जिसमे सबसे महत्वपूर्ण है- मास्क एवं हैण्ड सेनीटाइज़र का प्रयोग एक वक्त था जब लोग वायरस से बचने के लिए किसी भी प्रकार के मास्क का प्रयोग करते थे चाहे वह कपड़े
का मास्क हो या घर पर बनाया गया परंतु इस कोरोना वायरस बीमारी की अवधि इतनी बढ़ गई की इसका स्वरूप ही बदल गया बाजार में नए -नए प्रकार के व ब्रैंडिड मास्क बिकने लगे है! उदहारण के तौर पर आपको बताते है की शादियों में किस प्रकार के मास्क का प्रयोग किया जा रहा है मान लो अगर हल्दी की रस्म है तो उसके लिए पीले रंग का मास्क है और अगर मेहंदी की रस्म है तो उसके लिए हरे रंग के मास्क का प्रयोग किया जा रहा है, दुल्हन शादी
में अपने लहंगे से मैचिंग ब्राइडल मास्क का प्रयोग करती है जो बहुत ही सुंदर व आकर्षित लगते है, व्यापारिक क्षेत्र में लोग अपनी ड्रेस कोड के हिसाब से मास्क का प्रयोग करते है! इसके आलावा बाजार में विभिन्न प्रकार के मास्क उपलब्ध है जैसे-
चिल्ड्रन प्रिंट
एनिमल प्रिंट
फ्लोरल प्रिंट
एथनिक प्रिंट
कलमकारी प्रिंट
पटोला प्रिंट आदि
निष्कर्ष
लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से आकर्षित मास्क का प्रयोग तो करे ही लेकिन सामाजिक
दूरी का पालन भी आवश्य करे!
वार्ड 3, जिला परिषद फरीदाबाद से भावी उम्मीदवार विक्रांत गौड़ ने कृष्ण जन्माष्टमी की सभी क्षेत्रवासियों को शुभकामनाएं दी

वार्ड 3, जिला परिषद फरीदाबाद से भावी उम्मीदवार विक्रांत गौड़ ने कृष्ण जन्माष्टमी की सभी क्षेत्रवासियों को शुभकामनाएं दी
श्री वृन्दावन धाम – “श्री गोपेश्वर महादेव” (Gopeshwar Temple )

जैसा कि आज २७ जुलाई २०२० को श्रावण सोमवार है तो बस मेरे मन में इच्छा जाएगी की मैं वृन्दावन स्थित श्री गोपेश्वर महादेव ,जो श्री वृन्दावन धाम में स्थित हैं के बारे में कुछ विशेष जानकारी दूँ।
कहते हैं की सम्पूर्ण विश्व में सिर्फ यही एक ऐसा विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहाँ श्री शिव ने एक गोपी का रूप धारण करके श्री कृष्ण के महारास में प्रवेश किया था , क्युकि उस महारास में श्री कृष्ण के अलावा किसी और पुरुष का प्रवेश वर्जित था। शिव का यह दुर्लभ स्वरुप वृन्दावन के अलावा किसी और स्थान पर नहीं मिलेगा। वृन्दावन की दिव्य भूमि पर पहुँचते ही व्यक्ति जिस आनन्द ,प्रेम उन्माद और आध्यात्मिक गहराई में डूब जाता है शायद उसका वर्णन शब्दों में कर पाना संभव नही है।दिव्य श्री कृष्ण का स्वरूप वृन्दावन में पूर्णतम ,मथुरा में पूर्णतर और द्वारका में पूर्ण है और ब्रजधाम माधुर्य की पराकाष्ठा है। भगवान श्री कृष्ण का गोपियों के साथ महारास एक ऐसा महत्वपूर्ण अवसर है जिसकी चर्चा वेदों ,पुराणों और शास्त्रों में भी वर्णित है भगवान शिव को भी महारास के दर्शनों की इतनी गहरी लालसा थी की ब्रजधाम की शक्ति ,दिव्यता और श्री कृष्ण प्रेम उन्हें भी ब्रजधाम खींच लाया। भगवान श्री कृष्ण का गोपी रूप धारण किया हुआ दुर्लभ स्वरुप शायद ही वृन्दावन के अलावा ,विश्व में कहीं भी इसका उल्लेख मिलेगा। श्री मद्भागवत में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है की जब रासलीला करने की अभिलाषा से श्री कृष्ण ने वेणुवादन आरम्भ किया तो भगवान शिव को भी इस अद्भुत दैवीय दृश्य को देखने की इच्छा और लालसा जागी और इस अभिलाषा से वो श्री वृन्दावन धाम को चले आये।
एक तरफ श्रीकृष्ण के महारास के दर्शनों की लालसा में उनका गोपीरूप धारण करना और दूसरी तरफ वृन्दावन के कोतवाल हैं। श्री मद्भागवत में उल्लेख है जब रास करने की अभिलाषा से श्रीकृष्ण ने वेणु-वादन आरम्भ किया तो उसके स्वर को सुनकर भोलेनाथ भी प्रभु के रास-दर्शन की अभिलाषा में वृन्दावन आ पहुंचे। सखियों ने उन्हें रोकते हुए कहा यहाँ पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। रास में प्रवेश का अधिकार केवल गोपियों को हैं। यह सुनकर भोलेनाथ ने तत्काल गोपी वेश धारण किया और बन गए गोपेश्वर।
इसकी विस्तृत चर्चा आने वाले समय में मैं अपनी पुस्तक में करुँगी।
श्री हितवृंदावंने श्री गोपेश्वर महादेव को वृन्दावन धाम का रक्षक मन।
सम्वत १८१७ की रचना ” हरिकला बेलि ” में उन्होंने अब्दाली के द्वारा किये हुए हमले की चर्चा करते हुए श्री वृन्दावन धाम में गोपेश्वर महादेव, मथुरा के भूतेश्वर, और गोवर्धन के चकलेश्वर का भी वर्णन किया है। कहते हैं श्रीकृष्ण की इस पावन लीला के बाद उनके प्रपौत्र वज्रनाथ ने इन्हे खोजकर वंशीवट के समीप स्थापित किया। तभी से गोपेश्वर महादेव यहाँ भक्तों को दर्शन लाभ दे रहे हैं।यहाँ साधकों ने इन्हे इस पवित्र वन के कोतवाल की संज्ञा दी है जिनके दरबार में हाजिरी के बिना ब्रजयात्रा पूर्ण नहीं मणि जाती है- “नाम विदित गोपेश्वर जिनकौ, ते वृंदा कानन कुतवार। “
व्रज में वैष्णवों का शिव के साथ समन्वय अद्धभुत है। महाप्रभु चैतन्य की परम्परा के अंतर्गत रूप गोस्वामीजी ने आज से ४८५ साल पहले संवत १५८९ में अपनी संस्कृत रचना “विदग्ध माधव” नाटक रूप में गोपेश्वर महादेव के पौराणिक महत्व का उल्लेख किया। बल्ल्भ कुल के गोस्वामी विठ्ठलनाथ जी की वि. सं. १६०० की ब्रजयात्रा में वंशीवट के समीप गोपेश्वर का उल्लेख किया है। सुकवि जगतनंद संवत १६२४ में गुंसाईं जी की दूसरी वन यात्रा के दौरान जहाँ व्रज के आठ प्रसिद्ध महादेवों में गोपेश्वर का उल्लेख किया, वहीं उनकी ‘व्रज ग्राम वर्णन’ रचना में भी इसकी जानकारी मिलती है।

राधा बल्ल्भ संप्रदाय के चाचा हित वृन्दावन ने वन का रक्षक गोपेश्वर को मन। संवत १८१७ की रचना ‘हरिकला बेली’ में उन्होंने अब्दाली के द्वारा किये गए हमले की दुहाई देते हुए वृन्दावन के रक्षक गोपेश्वर से प्रार्थना करने के साथ ही मथुरा के भूतेश्वर तथा गोवर्धन के चकलेश्वर का भी उल्लेख किया है- “वन रक्षगोपेसुर पुरी रक्ष भूतनाथ, गिरी की तरहटी चक्रेसुर रक्षा करौ। “ब्रिटिश जिलाधिकारी एफ. एस. ग्राउस ने भी गोपेश्वर के बारे में लिखा है।जैसा गोपेश्वर महादेव की लीला भी अजब है। एक तरफ श्रीकृष्ण के महारास के दर्शनों की लालसा में उनका गोपीरूप धारण करना और दूसरी तरफ वृन्दावन के सड़कों के लिए कोतवाल हैं। शिव का यह दुर्लभ स्वरुप वृन्दावन के अलावा किसी और स्थान पर नहीं मिलेगा। श्री मद्भागवत में उल्लेख है जब रास करने की अभिलाषा से श्रीकृष्ण ने वेणु-वादन आरम्भ किया तो उसके स्वर को सुनकर भोलेनाथ भी प्रभु के रास-दर्शन की अभिलाषा में वृन्दावन आ पहुंचे।
कहते हैं श्रीकृष्ण की इस पावन लीला के बाद उनके प्रपौत्र वज्रनाथ ने इन्हे खोजकर वंशीवट के समीप स्थापित किया। तभी से गोपेश्वर महादेव यहाँ भक्तों को दर्शन लाभ दे रहे हैं।यहाँ साधकों ने इन्हे इस पवित्र वन के कोतवाल की संज्ञा दी है जिनके दरबार में हाजिरी के बिना ब्रजयात्रा पूर्ण नहीं मणि जाती है- “नाम विदित गोपेश्वर जिनकौ, ते वृंदा कानन कुतवार। ” विं.सं. १८२२ में व्रजयात्रा को आये दतिया के महाराज पारीछित देव ने भी गोपेश्वर के दर्शन करके अपनी व्रजयात्रा को सार्थक किया। मेरा लगातार आध्यात्म से जुड़े हुए विषयों पर लिखने का उद्देश्य लोगों को कुछ आध्यात्मिक जगत से जुडी जानकारियाँ देते रहना और समाज के कल्याण का है, किसी की भावनाओं को आहत करना मेरा उद्देश्य नही। क्युकि मनुष्य का परम कर्त्तव्य वाह्य या आंतरिक रूप से जीवन में स्थिरता प्राप्त करना है और समाज में लोगों को निःस्वार्थ प्रेरित करने और उनके उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना है।
Dr.Meenakshi Pandey
Professor
उड़ान NGO के द्वारा ऑनलाइन तीज का तीन दिवसीय आयोजन किया गया :-सारिका

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | प्रति वर्ष उड़ान NGO फ़रीदाबाद शहर में बड़े स्तर पर तीज मेले का आयोजन करता था ।परन्तु इस बार कोरोना वैश्विक महामारी के कारण उड़ान संस्था के द्वारा ऑनलाइन तीज का तीन दिवसीय आयोजन किया गया।जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं में सभी प्रतिभागियों ने बड़े ही उत्साह से भाग लिया।सर्व श्रेष्ठ गायन में नेहा सक्सेना ने बाज़ी मारी और सबसे उत्तम नृत्य प्रतिभा तिवारी का रहा। सबसे सुंदर मेहंदी वाले हाथ सरिता यादव और सबसे मनमोहक चूड़ी वाले हाथ मनीषा सिंगला के रहे।अनेक प्रतिभागियों में से तीज क्वीन क्वीन की हक़दार प्रथम स्थान पर एकता चौधरी,दूसरे स्थान पर हेमलता उप्पल और तृतीय स्थान पर बबीता सचदेवा रही।ऑनलाइन निर्णय देने की भूमिका उड़ान संस्था की कोर टीम राजेश बाला सरधाना,सारिका गुप्ता,अंजना रावत ,साधना जैन,मीनाक्षी गुप्ता और सीमा छाबड़ा ने निभाई।सभी प्रतिभागियों को गिफ़्ट हेम्पर और सर्टिफ़िकेट दिए गये।कोरोना काल की इस ऑनलाइन तीज उत्सव का सभी ने भरपूर आनंद लिया।
बाबा बन्दा वीर बैरागी के 350वें जन्मदिन पर सेमिनार आयोजित हुआ

जीन्द(विनोद वैष्णव)| बाबा बन्दा वीर बैरागी के 350वें जन्मदिन पर जीन्द के बुलबुल काम्पलैक्स में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में पंजाब औद्योगिक विकास निगम के चैयरमैन कृष्ण कुमार बाबा ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा ने की। इसके अलावा सेमिनार में पूर्व मंत्री रामकिशन बैरागी, अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के अध्यक्ष एवं प्रमुख समाज सेवी राजकुमार गोयल, वैष्णव बैरागी परिषद हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार भोला, वैष्णव बैरागी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र स्वामी, बी आर अंबेडकर ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट पूंडरी के चेयरमैन यशपाल वालिया विनायक ग्रुप ऑफ कम्पनीज यूगांडा के मुख्य प्रबन्ध निदेशक यमुना प्रसाद पेशवा, अखिल भारतीय वैष्णव बैरागी सेवा संघ के युवा प्रदेश अध्यक्ष मनोज, भारतीय जनता पार्टी जल प्रबंधन प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक मुकेश कुमार शर्मा, बैरागी शिक्षण संस्थान के प्रधान सतेंद्र सिंह, रियल बॉयोग्रीन एग्रो के एमडी जगमहेन्द्र, सुरेश चैहान तलोड़ा, कृष्ण फौजी अहिरका, सज्जन सैनी, स्वर्णकार संघ जींद के अध्यक्ष संजय वर्मा, अंकुर शर्मा, सावर गर्ग, पवन बंसल, रामधन जैन, मुकेश राठौड़, सुरेश लाठर, सौरभ, गौरव वालिया, पवन मान सरपंच, रमेश रजाना, सरदार उमराव सिंह इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। इस सेमिनार का मंच संचालन डा. नरेश कालीरमण ने किया। इस सेमिनार में हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों से भी प्रतिनिधियों ने शिरकत की।इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक राजकुमार भोला द्वारा एक मांग पत्र पेश किया गया। जिसमें केन्द्र सरकार, प्रदेश सरकार और जीन्द प्रशासन से मांग की गई। केन्द्र सरकार से मांग की गई की कि बाबा बन्दा वीर बैरागी के जन्मदिन को पूरे देश मे राष्ट्रीय पर्व के रूप में घोषित किया जाए। प्रदेश सरकार से मांग की गई कि प्रदेश किसी बड़े संस्थान, यूनिवर्सिटी और सड़क मार्ग का नाम बाबा बन्दा वीर बैरागी के नाम पर रखा जाए। जीन्द प्रशासन से मांग की गई कि ऐसे महापुरूष की याद में किसी बड़े चैंक का नाम बाबा बन्दा वीर बैरागी के नाम पर रखा जाए। ये सभी मांगे मुख्य अतिथियों के समक्ष रखी गई और उनसे इन मांगो को पूरा करवाने की मांग की गई। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार बाबा ने कहा कि महापुरूष किसी भी जाति विशेष के नहीं होते। महापुरूष पूरे समाज के लिए आदर्श होते है। इसी तरह बाबा बन्दा वीर बैरागी भी पूरे समाज के लिए थे। उन्हें 9 जून 1716 को दिल्ली में कुतुबमीनार के पास अमानवीय यात्राएं देकर शहीद कर दिया गया और इसी के साथ देश को मुगल शासन ने आजाद कराने की इस महायोद्धा की चुनौती समाप्त हो गई। उस समय जालिम मुगलों ने उनके 4 वर्ष के बेटे अजय सिंह और उनकी पत्नी के साथ 740 साथियों को भी शहीद कर दिया गया था। विधायक कृष्ण मिढा ने कहा कि ऐसे महापुरूषों की जयन्तियों पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम समाज को जोड़ने का काम करेंगे।
