Error loading images. One or more images were not found.

स्वास्थ

now browsing by category

 
Posted by: | Posted on: July 21, 2020

बाबा बन्दा वीर बैरागी के 350वें जन्मदिन पर सेमिनार आयोजित हुआ

बाबा बन्दा वीर बैरागी के 350वें जन्मदिन पर सेमिनार आयोजित हुआ

जीन्द(विनोद वैष्णव)| बाबा बन्दा वीर बैरागी के 350वें जन्मदिन पर जीन्द के बुलबुल काम्पलैक्स में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में पंजाब औद्योगिक विकास निगम के चैयरमैन कृष्ण कुमार बाबा ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा ने की। इसके अलावा सेमिनार में पूर्व मंत्री रामकिशन बैरागी, अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के अध्यक्ष एवं प्रमुख समाज सेवी राजकुमार गोयल, वैष्णव बैरागी परिषद हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार भोला, वैष्णव बैरागी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र स्वामी, बी आर अंबेडकर ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट पूंडरी के चेयरमैन यशपाल वालिया विनायक ग्रुप ऑफ कम्पनीज यूगांडा के मुख्य प्रबन्ध निदेशक यमुना प्रसाद पेशवा, अखिल भारतीय वैष्णव बैरागी सेवा संघ के युवा प्रदेश अध्यक्ष मनोज, भारतीय जनता पार्टी जल प्रबंधन प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक मुकेश कुमार शर्मा, बैरागी शिक्षण संस्थान के प्रधान सतेंद्र सिंह, रियल बॉयोग्रीन एग्रो के एमडी जगमहेन्द्र, सुरेश चैहान तलोड़ा, कृष्ण फौजी अहिरका, सज्जन सैनी, स्वर्णकार संघ जींद के अध्यक्ष संजय वर्मा, अंकुर शर्मा, सावर गर्ग, पवन बंसल, रामधन जैन, मुकेश राठौड़, सुरेश लाठर, सौरभ, गौरव वालिया, पवन मान सरपंच, रमेश रजाना, सरदार उमराव सिंह इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। इस सेमिनार का मंच संचालन डा. नरेश कालीरमण ने किया। इस सेमिनार में हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों से भी प्रतिनिधियों ने शिरकत की।इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक राजकुमार भोला द्वारा एक मांग पत्र पेश किया गया। जिसमें केन्द्र सरकार, प्रदेश सरकार और जीन्द प्रशासन से मांग की गई। केन्द्र सरकार से मांग की गई की कि बाबा बन्दा वीर बैरागी के जन्मदिन को पूरे देश मे राष्ट्रीय पर्व के रूप में घोषित किया जाए। प्रदेश सरकार से मांग की गई कि प्रदेश किसी बड़े संस्थान, यूनिवर्सिटी और सड़क मार्ग का नाम बाबा बन्दा वीर बैरागी के नाम पर रखा जाए। जीन्द प्रशासन से मांग की गई कि ऐसे महापुरूष की याद में किसी बड़े चैंक का नाम बाबा बन्दा वीर बैरागी के नाम पर रखा जाए। ये सभी मांगे मुख्य अतिथियों के समक्ष रखी गई और उनसे इन मांगो को पूरा करवाने की मांग की गई। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार बाबा ने कहा कि महापुरूष किसी भी जाति विशेष के नहीं होते। महापुरूष पूरे समाज के लिए आदर्श होते है। इसी तरह बाबा बन्दा वीर बैरागी भी पूरे समाज के लिए थे। उन्हें 9 जून 1716 को दिल्ली में कुतुबमीनार के पास अमानवीय यात्राएं देकर शहीद कर दिया गया और इसी के साथ देश को मुगल शासन ने आजाद कराने की इस महायोद्धा की चुनौती समाप्त हो गई। उस समय जालिम मुगलों ने उनके 4 वर्ष के बेटे अजय सिंह और उनकी पत्नी के साथ 740 साथियों को भी शहीद कर दिया गया था। विधायक कृष्ण मिढा ने कहा कि ऐसे महापुरूषों की जयन्तियों पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम समाज को जोड़ने का काम करेंगे।

Posted by: | Posted on: July 16, 2020

आल एस्कार्टस इम्पलाइज यूनियन के प्रधान त्रिलोक सिंह ने अपनी कार्यकारणी गठित की

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | फरीदाबाद के सबसे बडी एस्कार्टस ग्रुप कंपनी तथा फोर्टिस एस्कार्टस हास्पीटल के मजदूरों की एक मात्र मान्यता प्राप्त आल एस्कार्टस इम्पलाइज यूनियन का चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा मुख्य चुनाव अधिकारी उमेष गुप्ता तथा चुनाव अधिकारी ललित गोस्वामी की देख-रेख में दिनाॅक 4.7.2020 को शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। जिसमें प्रधान पद के लिए त्रिलोक सिंह को चुना गया। तथा एस्कार्टस प्लांट-1 से तीन प्रतिनिधी रमेष तिवारी, राजेष कुमार, कुषल दत्त निर्वाचित हुए। एस्कार्टस प्लांट -2 फार्मटेªक से 6 प्रतिनिधी राजेन्द्र प्रसाद, सुन्दर पाल, हरजीत सिंह, सदाराम, राममेहर, राजेन्द्र शर्मा निर्वाचित हुए। एस्कार्टस प्लांट-3 से तीन यूनियन प्रतिनिधी होषियार सिंह, संजय कपूर, राजेष्वर त्यागी निर्वाचित हुए। एस्कार्टस आर0 ई0 डी0 से कुलदीप सिंह, एस्कार्टस ई0सी0ई0 से सचिन शर्मा, एस्कार्टस के0एम0सी0 से विपिन गौतम, तथा एस्कार्टस फोर्टिस हास्पीटल से बलवन्त सिंह निर्वाचित हुए।

Posted by: | Posted on: July 16, 2020

घेवर(सावन महीने की मिठाई ) पर कोरोना वायरस की मार के चलते 50 % बिक्री कम हो रही है :- संचालक रमेश हलवाई

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव)।सावन के महीने में सावन की प्रसिद्ध मिठाई घेवर की सोंधी -सोंधी महक हलवाईयों की दुकानों की तरफ खींच ही ले जाती है। सावन का महीना आते ही बाजारों की रौनक बढ़ने लगी है। घेवर व अन्य पकवानों की दुकानें सज गई हैं। सावन का पर्व शुरू होते ही लोग भी घेवर व अन्य मिष्ठान खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके चलते ही लोग इस माह में ज्यादातर घेवर की मिठाईयों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और इनका स्वाद चख कर आनंद लेने से पीछे नहीं हैं। सावन का महीना शुरू होते ही एक ओर जहां लोगों को गर्मी व लु से निजात मिलती है वहीं घेवर का भी स्वाद लेते हैं। तीज का पर्व होने के कारण यह महीना विशेष महत्व रखता है। तीज पर लोग अपने सगे संबधियों व् लडकियों को संधार में घेवर भेज कर उनकी खुशियों में शामिल होते हैं। वहीं बहने भी अपने भाईयों को तीज देने पर उनकी दीर्घायु की मंगलकामनाएं करते हैं। वहीं बाजारों में भी तीज की रौनक लौट आती है। बाजार फिरनी व घेवर की दुकानों से सज जाते हैं। लोग सहज ही इन दुकानो की तरफ आकर्षित हो जाते हैं।

रमेश हलवाई ने बताया कि क्यों सावन में घेवर बनता है

सावन का मौसम सबसे बरसाती का मौसम होता है जिसके कारण मौसम में नमी होती है इसलिए घेवर भी बहुत नमी वाला बनता है। बस सावन में ही घेवर बनता है अगर और मौसम में घेवर बनाया गया तो घेवर ज्यादा हार्ड बनेगा और वो खाया नहीं जाएगा टेस्ट भी नहीं आएगा ।

घेवर के प्रकार
प्लेन घेवर ,दूध वाला घेवर ,खोया वाला घेवर ,मलाई रबड़ी वाला घेवर,केसर वाला घेवर।

घेवर की सावन में विक्री
5,6 कॉन्टल की बिक्री।

घेवर में कोई मिलावट नहीं होती न ही कोई पहचान
रमेश हलवाई का कहना है कि घेवर में कोई मिलावटी नहीं होती है न ही कोई पहचान क्योकि घेवर अलग अलग तरह का होता है और उसमे मिलावटी की जरूरत नहीं होती और घेवर में दूध ,मेदा ,घी, चीनी ये इस्तेमाल की जाती है तो सभी के रेट एक जैसे होते है.

घेवर खराब होने का समय
हलवाई का कहना है कि खोया वाला घेवर 2 दिन बाद खराब हो जाता है वो खट्टा पड़ जाता है लेकिन प्लेन घेवर 7,8 दिन में खराब हो सकता है।

त्योहारों पर घेवर की डिमांड ज्यादा होने पर
का कहना है कि सभी हलवाई एक महीने पहले ही फीका घेवर बन बाना शुरू कर देते है ताकि डिमांड ज्यादा होने पर किसी तरह की परेशानी न आये। और जो छोटी-छोटी दुकाने है वो हम जैसे बड़ी दुकानों से खरीद लेते है।

घेवर का रेट
मेवा घेवर:-320
खोया घेवर – 250-350
प्लेन दूध – 200
फीका घेवर:-250
सादा घेवर:-240
मेवा घेवर:-320
कैसर – 400
मिलाई – 320
शुद्ध घी – 400-450

घेवर का नाम घेवर क्यों है

मुनि राज महाराज का कहना है कि पहले 3,4 दिन मेदा रखी होती थी। और उसमे पॉजिटिव वाले कीड़े पड़ जाते थे घर में कुछ मीठा न होने पर लोग उस मेदा और घी व् चासनी का घोल बनाते थे उस घोल का नाम खमीरा था तो लोगो ने घी और चासनी के बनने के बाद जो तैयार हुआ उसे घेवर का नाम दे दिया। और उसकी की बड़ी बड़ी गोल आकर में रोटियां बना कर सभी बहन अपने भाइयो के लिए वो ही लेकर जाती थी।

सफाई व शुद्धता हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं, ग्राहक की संतुष्टि ही हमारा लक्ष्य है। सावन की मिठाई घेवर बरसात होने पर अधिक स्वादिष्ट लगता है व इसकी बिक्री में भी इजाफा हो जाता है। ज्यों-ज्यों तीज का त्यौहार निकट आता जाएगा, त्यों-त्यों घेवर की बिक्री बढती जाएगी। चूंकि फरीदाबाद शहर के आस-पास ग्रामीण एरिया है, ऐसे में तीज के अवसर पर घेवर की जमकर बिक्री होती है।
रमेश हलवाई , बल्लबगढ़

https://www.facebook.com/watch/?v=1595128347331044
https://www.facebook.com/watch/?v=1595128347331044
Posted by: | Posted on: July 10, 2020

कोरोना रैपिड टेस्ट कैम्प सेहतपुर स्थित पार्षद गीता रैक्सवाल के कार्यालय पर लगाया गया

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव)| तिगांव विधानसभा क्षेत्र की नहरपार की कॉलोनियों के निवासियों के लिए कोरोना रैपिड टेस्ट कैम्प सेहतपुर स्थित पार्षद गीता रैक्सवाल के कार्यालय पर लगाया गया है। यहाँ पर वार्ड न. 23 के अंतर्गत आने वाली सभी कॉलोनी और गांव के निवासियों के लिए कोरोना रैपिड टेस्ट कैम्प लगाया गया है। जिन्हे कोरोना के लक्षण हैं या फिर कोरोना होने का शक है। ऐसे सभी लोग सेहतपुर स्थित गीता रैक्सवाल पार्षद कार्यालय पर पहुँच कर मुफ्त में टेस्ट करवा सकते हैं। इस मौके पर पूर्व पार्षद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता ओमप्रकाश रैक्सवाल ने कहा कि हमारे देश में जितनी बड़ी आबादी है। उसकी अपेक्षा कोरोना के बहुत कम मामले हैं। अन्य देशों की तुलना में भारत बेहतर स्थिति में हैं। इस का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सूझ-बुझ को जाता है। जिन्होंने समय रहते लॉकडाउन का निर्णय लिया और उसके बाद सभी लोगों के लिए कोरोना रैपिड टेस्ट का निर्णय लिया। आज कोरोना महामारी का टेस्ट काफी महंगा है। लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के लोगों के लिए बिल्कुल मुफ्त में टेस्ट कराने की सभी को सुविधा दी है। ये कोरोना संकट के समय आम लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत की बात है। इस के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार प्रकट किया। वार्ड नंबर 23 की पार्षद गीता रैक्सवाल ने अपने कार्यालय पर वार्ड के निवासियों के लिए मुफ्त कोरोना रैपिड टेस्ट कैम्प लगवाने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर, फरीदाबाद के उपमहापौर देवेंद्र चौधरी एवं डॉक्टर एससी भगत और बीके अस्पताल की पूरी टीम का आभार प्रकट किया।

Posted by: | Posted on: July 4, 2020

डॉ मिनाक्षी पांडेय की नजर से श्री वृन्दावन एक दिव्य दैविक धाम – पार्ट 2

वृन्दावन भगवान कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में यमुना तट पर स्थित है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है।वृन्दावन वह जगह है जहा श्री कृष्ण ने महारस किया था। यहाँ के कण कण में राधा कृष्ण के प्रेम की आध्यात्मिक धरा बहती है। वृन्दावन पावन स्थली का नामकरण ‘वृन्दावन’ कैसे हुआ इसके बारे में अनेक मत है। वुन्दा तुलसी को कहते है- पहले यह तुलसी का घना वन था इसलिए वृन्दावन कहा जाने लगा। वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी वृंदा अर्थात राधा है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्री राधा रानी के सोलह नामो में से एक नाम वृंदा भी है। वृन्दावन को ब्रज का हृदय कहते है जहाँ श्री राधाकृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है। पद्म पुराण में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है। इसी कारण से यह अनादि काल से भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। चैतन्य महाप्रभु, स्वामी हरिदास, श्री हितहरिवंश, महाप्रभु वल्लभाचार्य आदि अनेक गोस्वामी भक्तों ने इसके वैभव को सजाने और संसार को अनश्वर सम्पति के रूप में प्रस्तुत करने में जीवन लगाया है।वृन्दावन की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यमुना जी ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है। यहाँ के सघन कुंजो में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। बसंत ॠतु के आगमन पर यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को शीतलता प्रदान करती है, वह श्रीराधा-माधव के प्रतिबिम्बों के दर्शनों का ही प्रतिफल है। वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही साम्राज्य है। वृन्दावन में श्रीयमुना के तट पर अनेक घाट हैं। वृन्दावन की गलिया बड़ी प्रसिद्ध है और इन गलियों को कुंज गलिया कहते है। हैं।

‘वृन्दा’ तुलसी को कहते हैं। यहाँ तुलसी के पौधे अधिक थे। इसलिए इसे वृन्दावन कहा गया।वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी ‘वृन्दा’ हैं। कहते हैं कि वृन्दा देवी का मन्दिर सेवाकुंज वाले स्थान पर था। यहाँ आज भी छोटे-छोटे सघन कुंज हैं। श्री वृन्दा देवी के द्वारा परिसेवित परम रमणीय विविध प्रकार के सेवाकुंजों और केलिकुंजों द्वारा परिव्याप्त इस रमणीय वन का नाम वृन्दावन है। यहाँ वृन्दा देवी का सदा-सर्वदा अधिष्ठान है। वृन्दा देवी श्रीवृन्दावन की रक्षयित्री, पालयित्री, वनदेवी हैं। वृन्दावन के वृक्ष, लता, पशु-पक्षी सभी इनके आदेशवर्ती और अधीन हैं। श्री वृन्दा देवी की अधीनता में अगणित गोपियाँ निरंतर कुंजसेवा में संलग्न रहती हैं। इसलिए ये ही कुंज सेवा की अधिष्ठात्री देवी हैं। पौर्णमासी योगमाया पराख्या महाशक्ति हैं। गोष्ठ और वन में लीला की सर्वांगिकता का सम्पादन करना योगमाया का कार्य है। योगमाया समाष्टिभूता स्वरूप शक्ति हैं।

इन्हीं योगमाया की लीलावतार हैं- भगवती पौर्णमासीजी। दूसरी ओर राधाकृष्ण के निकुंज-विलास और रास-विलास आदि का सम्पादन कराने वाली वृन्दा देवी हैं। वृन्दा देवी के पिता का नाम चन्द्रभानु, माता का नाम फुल्लरा गोपी तथा पति का नाम महीपाल है। ये सदैव वृन्दावन में निवास करती हैं। ये वृन्दा, वृन्दारिका, मैना, मुरली आदि दूती सखियों में सर्वप्रधान हैं। ये ही वृन्दावन की वनदेवी तथा श्रीकृष्ण की लीलाख्या महाशक्ति की विशेष मूर्तिस्वरूपा हैं। इन्हीं वृन्दा ने अपने परिपालित वृन्दावन के साम्राज्य को महाभाव स्वरूप राधारानी के चरण कमलों में समर्पण कर रखा है। इसीलिए राधिका जी ही वृन्दावनेश्वरी हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीमती रानी के सोलह नामों में से एक नाम वृन्दा भी है। वृन्दा अर्थात अपने प्रिय श्री कृष्ण से मिलने की आकांक्षा लिए इस वन में निवास करती हैं और इस स्थान के कण-कण को पावन तथा रसमय करती हैं। है। यहाँ पर उस परब्रह्म परमात्मा ने मानव रूप अवतार धारण कर अनेक प्रकार की लीलाएँ की। विशेषकर यह वृन्दावन भगवान् श्रीकृष्ण की लीला क्षेत्र है। किसी संत ने कहा है कि-

वृन्दावन सो वन नहीं, नन्दगांव सो गांव।
बंशीवट सो बट नहीं, कृष्ण नाम सो नाम।

अर्थात वृन्दावन के बराबर संसार में कोई पवित्र वन नहीं है और नंदगाव के बराबर कोई गांव नही , बंशीवट के बराबर कोई वट वृक्ष नहीं है, और श्री कृष्ण नाम के बराबर कोई दूसरा नाम श्रेष्ठ नहीं है। वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण की चिन्मय रूप प्रेमरूपा राधा जी साक्षात विराजमान हैं। राधा साक्षत भक्ति रूपा हैं। इसलिए इस वृन्दावन में वास करने तथा भजन कीर्तन एवं दान इत्यादि करने से सौ गुना फल प्राप्त होता है। शिरोमणि श्रीमद्भागवत में यत्र-तत्र सर्वत्र ही श्रीवृन्दावन की प्रचुर महिमा का वर्णन प्राप्त होता है।चतुर्मुख श्री ब्रम्हा जी ने श्रीकृष्ण की अद्भुत लीला-माधुरी का दर्शन कर बड़े विस्मित हुए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे। ब्रह्माजी कह रहे हैं- ‘अहो! आज तक भी श्रुतियाँ जिनके चरणकमलों की धूलि को अन्वेषण करके भी नहीं पा सकी हैं, वे भगवान मुकुन्द जिनके प्राण एवं जीवन सर्वस्व हैं, इस वृन्दावन में उन ब्रजवासियों में से किसी की चरणधूलि में अभिषिक्त होने योग्य तृण, गुल्म या किसी भी योनि में जन्म होना मेरे लिए महासौभाग्य की बात होगी।

यदि इस वृन्दावन में किसी योनि में जन्म लेने की सम्भावना न हो, तो ब्रजधाम में कही भी किसी प्रान्त में प्रान्त किसी शिला के रूप में जन्म ग्रहण करूँ, जिससे वहाँ की मैला साफ़ करने वाली जमादारनियाँ भी अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उन पत्थरों पर पैर रगड़ें, जिससे उनकी चरणधूलि को स्पर्श करने का भी सौभाग्य प्राप्त हो। श्री उद्धव जी कहते हैं कि जिन्होंने दुस्त्यज्य पति-पुत्र आदि सगे-सम्बन्धियों, आर्यधर्म और लोकलज्जा आदि सब कुछ का परित्याग कर श्रुतियों के अन्वेषणीय स्वयं-भगवान ब्रजेन्द्रनन्दन श्री कृष्ण को भी अपने प्रेम से वशीभूत कर रखा है- मैं उन गोप-गोपियों की चरण-गोपियों की चरण-धूलि से अभिषिक्त होने के लिए इस वृन्दावन में गुल्म, लता आदि किसी भी रूप में जन्म प्राप्त करने पर अपना अहोभाग्य समझूँगा। रंगभूमि में उपस्थित माथुर रमणियाँ वृन्दावन की भूरि-भूरि प्रशंसा करती हुई कह रही हैं-अहा! इन तीनों लोकों में श्रीवृन्दावन और वृन्दावन में रहने वाली गोप-रमणियाँ ही धन्य हैं, जहाँ परम पुराण पुरुष श्रीकृष्ण योगमाया के द्वारा निगूढ़ रूप में मनुष्योचित लीलाएँ कर रहे हैं। कृष्ण प्रेम में उन्मत्त एक दूसरी गोपी को सम्बोधित करती हुई कह रही है- अरी सखि! यह वृन्दावन, वैकुण्ठ लोक से भी अधिक रूप में पृथ्वी की कीर्तिका विस्तार कर रहा है, क्योंकि श्री कृष्ण के चरणकमलों के चिह्नों को अपने अंक में धारण कर अत्यन्त सुशोभित हो रहा है।जब भी श्रीकृष्ण अपनी विश्व-मोहिनी मुरली की धुन छेड़ देते थे ,उस समय वंशीध्वनि को मेघा गर्जन समझकर मयूर अपने पंखों को फैलाकर उन्मत्त की भाँति नृत्य करने लगते हैं। इसे देखकर पर्वत के शिखरों पर विचरण करने वाले पशु-पक्षी सम्पूर्ण रूप से निस्तब्ध होकर अपने कानों से मुरली ध्वनि तथा नेत्रों से मयूरों के नृत्य का रसास्वादन करने लगते हैं।श्री शुकदेव जी परम पुलकित होकर वृन्दावन की पुन:पुन: प्रशंसा करते हैं- अपने सिर पर मयूर पिच्छ, कानों में पीले कनेर के सुगन्धित पुष्प, श्याम अंगों पर स्वर्णिम पीताम्बर, गले में पंचरंगी पुष्पों की चरणलम्बित वनमाला धारणकर अपनी अधर-सुधा के द्वारा वेणु को प्रपूरितकर उसके मधुर नाद से चर-अचर सबको मुग्ध कर रहे हैं तथा ग्वालबाल जिनकी कीर्ति का गान कर रहे हैं, ऐसे भुवनमोहन वेश धारणकर श्रीकृष्ण अपने श्रीचरण चिह्नों के द्वारा सुशोभित करते हुए परम रमणीय वृन्दावन में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए अखिल चिदानन्द रसों से आप्लावित मधुर वृन्दावन को छोड़कर श्रीकृष्ण कदापि अन्यत्र गमन नहीं करते हैं।एक रसिक और भक्त कवि ने वृन्दावन के सम्बन्ध में श्रुति पुराणों का सार गागर में सागर की भाँति संकलन कर ठीक ही कहा है. वृन्दावन की प्राकृतिक सौंदर्यता देखने योग्य है। यमुना ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है।

आज भी श्री वृन्दावन के कण कण में श्री कृष्ण की मधुर ध्वनि सुनायी देती है और उस पवित्रता और अद्भुत दिव्यता का एहसास होता है और इसका अनुभव हम वहां की मिटटी पर जाकर महसूस कर सकते हैं यहाँ के सघन कुंजों में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को जो शीतलता प्रदान करती है उसका बयान शब्दों में नही किया जा सकता है वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही साम्राज्य है। गर्ग संहिता में श्री वृन्दावन का महत्त्व गोलोकधाम से भी बढ़ कर मन गया है. कई विश्व प्रसिद्ध लोग अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण समय वृन्दावन में बिताते हैं और अपना जीवन आध्यात्म में समर्पित करते हैं जो शांति क्युकि यहाँ के वातावरण में है मेरा ये मानना है ऐसी परम शांति संपूर्ण विश्व में कहीं नही है अपने-अपने कामों से अवकाश प्राप्त कर अपने शेष जीवन को बिताने के लिए यहाँ अपने निवास स्थान बनाकर रहते हैं। वे प्रतिदिन साधु-संगतों, हरिनाम संकीर्तन, श्री मद्भागवत आदि ग्रन्थों के होने वाले पाठों में सम्मिलित होकर धर्म-लाभ प्राप्त करते हैं। ब्रज के केन्द्र में स्थित वृन्दावन में सैंकड़ों मन्दिर हैं। जिनमें से अनेक ऐतिहासिक धरोहर भी है। श्री सूरदास जी ,श्री चैतन्य महाप्रभू ,स्वामी हरिदास जी जैसे संतों का इस पवित्र स्थान से सम्बन्ध रहा है. ना जाने कितने विद्वानों ,ऋषि मुनियों ने अपना सब कुछ छोड़ कर श्री वृन्दावन में रहकर श्री कृष्ण साधना को अपने जीवन का परम उद्देश्य बना लिया

वृन्दावन में निधिवन

श्री वृन्दावन में स्थित निधिवन के बारे में कहा जाता है कि की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है कि निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है और उसके बाद वहां फिर किसी को अंदर प्रवेश करने की अनुमति नही है यहाँ तक कि वहां आने वाले वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है।निधि वन के अंदर ही ‘रंग महल’ है . और जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वहां प्रतिदिन श्री कृष्ण और श्रीमति राधा रानी के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में श्रीमति राधा रानी और श्री कृष्ण के लिए एक जल से भरा पात्र श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो पात्र का जल थोड़ा सा मिलता है ,दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।निधि वन की एक अन्य खासियत यहाँ के तुलसी के पेड़ है। निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है की इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि‍ जो लोग भी ले गए वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए इसलिए इन्हे कोई भी नही छूता , रंग महल में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है।शयन के लिए पलंग लगाया जाता है। सुबह बिस्तरों के देखने से प्रतीत होता है कि यहां निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद भी ग्रहण किया है। लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन के वृक्षों की खासियत यह है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत हाते हैं।निधिवन परिसर में ही संगीत सम्राट एवं धुपद के जनक श्री स्वामी हरिदास जी की जीवित समाधि, रंग महल, बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल, राधारानी बंशी चोर आदि दर्शनीय स्थान ऐसी भी मान्यता है निधिवन में प्रतिदिन रात्रि में होने वाली श्रीकृष्ण की रासलीला को देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के किसी को बता ना सके।

इसी कारण रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं। और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है। उनके अनुसार यहां जो भी रात को रुक जाते है वह सांसारिक बन्धन से मुक्त हो जाते हैं और जो मुक्त हो गए हैं, उनकी समाधियां परिसर में ही बनी हुई है। निधिवन में जो 16000 आपस में गुंथे हुए वृक्ष आप देख रहे हैं, वही रात में श्रीकृष्ण की 16000 रानियां बनकर उनके साथ रास रचाती हैं। रास के बाद श्रीराधा और श्रीकृष्ण परिसर के ही रंग महल में विश्राम करते हैं। जबकि सच इस प्रकार है – अनियमित आकार के निधिवन के चारों तरफ पक्की चारदीवारी है। परिसर का मख्यद्वार पश्चिम दिशा में है।परिसर का नऋत्य कोण बढ़ा हुआ है और पूर्व दिशा तथा पूर्व ईशान कोण दबा हुआ है। गाइर्ड जो 16000 वृक्ष होने की बात करते हैं वह भी पूरी तरह झूठ है क्योंकि परिसर का आकार इतना छोटा है कि 1600 वृक्ष भी मुश्किल से होंगे और छतरी की तरह फैलाव लिए हुए कम ऊँचाई के वृक्षों की शाखाएं इतनी मोटी एवं एवं मजबूत भी नहीं है कि दिन में दिखाई देने वाले बंदर रात्रि में इन पर विश्राम कर सकें इसी कारण वह रात्रि को यहाँ से चले जाते हैं।इस परिसर की चारदीवारी लगभग 10 फीट ऊंची है और बाहर के चारों ओर रिहायशी इलाका है जहां चारों ओर दो-दो, तीन-तीन मंजिला ऊँचे मकान बने हुए है और इन घरों से निधिवन की चारदीवार के अन्दर के भाग को साफ-साफ देखा जा सकता है। वह स्थान जहाँ रात्रि के समय रासलीला होना बताया जाता है वह निधिवन के मध्य भाग से थोड़ा दक्षिण दिशा की ओर खुले में स्थित है।यदि सच में रासलीला देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा हो जाए या मर जाए तो ऐसी स्थिति में निश्चित ही आस-पास के रहने वाले यह इलाका छोड़कर चले गए हाते। निधिवन के अन्दर जो 15-20 समाधियां बनी हैं वह स्वामी हरिदास जी और अन्य आचार्यों की समाधियां हैं जिन पर उन आचार्यों के नाम और मृत्यु तिथि के शिलालेख लगे है

Posted by: | Posted on: June 26, 2020

हरियाणा पत्रकार संघ का एक प्रतिनिधी मंडल राज्य के पत्रकारों की मांगों को लेकर आज करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिला

चंडीगढ़/करनाल (विनोद वैष्णव )।हरियाणा पत्रकार संघ का एक प्रतिनिधी मंडल राज्य के पत्रकारों की मांगों को लेकर आज करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिला । मांग पत्र में पत्रकारों को चिकित्सा बीमा देने, कोविड-19 में रहे बेरोजगार पत्रकारों को राहत पैकेज देने तथा लघु समाचार पत्रों को लाभकारी नई विज्ञापन नीति बनाने की एवं प्रेस मान्यता देने वाली कमेटी का गठन करने की माँग की गई की । इस बैठक में करनाल के सांसद संजय भाटिया भी उपस्थित थे ।

Posted by: | Posted on: June 24, 2020

🙉🙉🇮🇳 कर कर सर्वे मर गए 🇮🇳🙉🙉

आपदा में कर्मचारी कर कर सर्वे मर गए
कुछ अधिकारी पीढ़ियों का इंतजाम कर गए।
राशन पानी आएगा कुछ बाबूजी ने बोला था
इंतजार में यूं जनता के पेट खुद ही भर गए।
करना धरना कुछ नहीं टी वी पर आते हैं रोज
चुन के मुखिया सूबों के छाती पे ऐसे धर गए।
कोरोना योद्धा बने और, ले लिए प्रमाणपत्र
अखबारों में छप छपाकर,वो तो अपने घर गए।
आधा मिलता मेहनताना, काम दुगना हो गया
खुश होकर कर रहे गुजारा ,बेकारी से डर गए।
कोई भी अपना नहीं है मजदूरों ने जाना जब
सैंकड़ों मिलों चले और लौट अपने दर गए।
रक्षक,शिक्षक और चिकित्सक डटे हैं मैदान में
स्वच्छता के और सिपाही मन मेरा भी हर गए।

देवेंद्र गौड़ (कवि)

Posted by: | Posted on: June 23, 2020

जल शक्ति अभियान,पौधारोपण एवं मनेरेगा से किसान एवं प्रवासी मजदूर होंगे आत्म निर्भर :-डॉ शिवसिंह रावत

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | डॉ शिवसिंह रावत (बहीन) आईआईटी दिल्ली एलुमीनाई एवं अधीक्षण अभियंता हरियाणा सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग गुडगाँव ने एक राष्ट्रीय वेबीनार में बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित करते हुए कहा कि जल शक्ति अभियान एवं पौधारोपण के माध्यम से किसानों एवं प्रवासी मजदूरों को मनेरेगा स्कीम के तहत रोजगार देकर उन्हें आत्म निर्भर बनाया जा सकता है। आईआईटी दिल्ली एलुमीनाई एसोसिएशन की सामाजिक एवं शैक्षणिक पहल ‘NEEV’ तथा राजकीय महाविद्यालय सुकरौली कुशीनगर (यूपी) के संयुक्त तत्वावधान में “कोविड -19 के बाद भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की आत्मनिर्भरता : अवसर एवं चुनौतियां” विषय पर एक राष्ट्रीय वेबीनार का ऑनलाइन आयोजन 22 जून 2020 किया गया। कार्यक्रम में यूपी सरकार के मंत्री, उच्च अधिकारी एवं अन्य गणमान्य वक्ताओं ने भाग लिया। वेबीनार के मुख्य अतिथि यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी और विशिष्ट अतिथि अंबेडकर महासभा लखनऊ व अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ लाल जी प्रसाद निर्मल थे। डॉ सतीश द्विवेदी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फार लोकल की संकल्पना पर जोर देते हुए अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र के योगदान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के योगदान में अंतर को स्पष्ट करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के योगदान को अधिक महत्वपूर्ण बताया।वेवीनार में डॉ शिव सिंह रावत ने भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की आत्मनिर्भरता हेतु किसानों को कृषि एवं सिंचाई कार्य हेतु सरकारी स्तर पर दी जाने वाली सहूलियतों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पानी के संकट को देखते हुए आज वर्षा जल संचयन एवं भूजल रीचार्ज की आवश्यकता है। अतः इस मानसून के मौसम से पहले मनेरेगा स्कीम के तहत इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार देकर गांवों के तालाब, जोहड़, पोखर एवं कुओं को खोदकरबारिश के पानी को रोककर संचय एवं सरंक्षण किया जाए तो गिरते हुए भूजल स्तर को रोकने में मदद मिलेगी। हरियाणा सरकार द्वारा पानी बचाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पर दी जा रही सब्सिडी एवं फसल विविविधीकरण के तहत धान की जगह कम पानी वाली फसलों के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ स्कीम के अन्तर्गत किसानों को 7000 रूपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि के बारे मे विस्तार से चर्चा की। डॉ रावत ने कहा कि फल पौधारोपण अभियान में ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों एवं प्रवासी मजदूरों को रोजगार देकर गरीबी, भुखमरी, प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है। ज्यादा पेड होंगे तो अच्छी बारिश होगी जिससे कृषि के लिए अधिक जल उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि जुलाई एवं अगस्त के महीने में वो खुद विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से एक लाख फल वाले पौधे पलवल जिले के गांवों में लगवाएंगे। डॉ रावत का मानना है कि आत्म निर्भर गांव ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ निर्मल एवं अन्य मुख्य वक्ताओं में कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ रणधीर सिंह पोसवाल, गोरखपुर विश्व विद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के आचार्य व विभागाध्यक्ष डॉ मानवेन्द्र सिंह एवं विणिज्य विभाग के आचार्य व उद्यमिता विशेषज्ञ प्रो अजेय गुप्ता, उ0 प्र0 न्यायिक सेवा के न्यायाधीशों, बरेली के डॉ विकास वर्मा, गुजरात के युवा उद्यमी सोनू सिंह ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सुझाव दिए एवं आत्मनिर्भरता हेतु सरकारी स्तर पर चलाए जा रही योजनाओं पर विस्तार से चर्चा किया। इस वेवीनार में भारत के लगभग प्रत्येक राज्य से 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। वेबिनार का सीधा प्रसारण यूट्यूब एवं जूमएप के माध्यम से किया गया जिसमें 2000 से ज्यादा लोगों ने प्रसारण देखा। अंत में नीव संस्था के डॉ उपदेश वर्मा एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजय कुमार तिवारी ने वेबीनार की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद किया।

Posted by: | Posted on: June 19, 2020

कुलदीप सिंह ऑल इंडिया फिल्मस एंड टीवी आर्टिस्ट एसो. अध्यक्ष नियुक्त

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ): कुलदीप सिंह को ऑल इंडिया फिल्मस एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन ने फरीदाबाद जिला प्रेसिडेंट नियुक्त किया। इस अवसर पर कुलदीप सिंह ने एसोसिएशन के फॉउंडर एवं ट्रस्टी चन्दर प्रकाश गर्ग का आभार व्यक्त किया। कुलदीप सिंह ने कहा कि यह एसोसिएशन हर कलाकार को उसके करियर में आगे बढ़ने में प्रोत्साहित करेगी ओर हर सम्भव मदद करेगी। फिल्म- टीवी इंडस्ट्री मे कास्टिंग काउच एक बीमारी की तरह है उसको भी जड़ से ख़त्म करने के लिए एसोसिएशन देश भर में प्रयासरत है।

इस अवसर पर कुलदीप सिंह ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के अकस्मात निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में भाईभतीजा वाद बहुत प्रचलित है और सच्चे ओर प्रतिभा संपन्न कलाकार की कदर नहीं है यह बॉलीवुड में बड़े दुःख की बात है।

Posted by: | Posted on: June 15, 2020

फरीदाबाद शहर में कोरोना-वायरस से बिगड़ती स्थिति को देखते हुए बडखल विधानसभा क्षेत्र की विधायक सीमा त्रिखा द्वारा ’भारतीय परिवार की रसोई से कैसे बचें कोरोना से’ विषय पर विशेष परिचर्चा का आयोजन कराया गया

फरीदाबाद, 15 जून। फरीदाबाद शहर में कोरोना-वायरस से बिगड़ती स्थिति को देखते हुए बडखल विधानसभा क्षेत्र की विधायक सीमा त्रिखा द्वारा ’भारतीय परिवार की रसोई से कैसे बचें कोरोना से’ विषय पर विशेष परिचर्चा का आयोजन कराया गया। परिचर्चा में मुख्य रूप से अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान
दिल्ली के प्रोफेसर एवं आयुष मंत्रालय भारत सरकार से जुड़े डाॅ. महेश वत्स, जिला आयुर्वेद अधिकारी डाॅ. जसबीर सिंह अहलावत एवं डाॅ. मोहित वासुदेव होम्योपैथिक के प्रमुख चिकित्सकों ने कोरोना महामारी से बचने एवं अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे मजबूत किया जाए, इस पर अपने विचार
सांझा किए कि किस तरह भारतीय रसोई में उपस्थित खाद्य पदार्थों, जिनका वर्णन आयुर्वेद पर लिखित वर्षों पुराने ग्रंथों में भी उल्लेख रहा है, से
किस प्रकार किया जा सकता है।इस अवसर पर मुख्य रूप से डाॅ. महेश व्यास ने कहा कि नियमित रूप से समय-समय पर अपने हाथों को साबुन और पानी से धोते रहें। बहुत आवश्यक कार्य हो तभी अपने घर से बाहर निकलें और बहुत आवश्यक हो तभी किसी को अपने घर पर बुलाएं। सूर्य उदय से पहले स्नान करके सूर्य को प्रणाम करने के उपरांत भोजन ग्रहण करें। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए हल्दी को गर्म या दूध या पानी में डालकर प्रतिदिन दो बार सेवन करें। अदरक या सौंठ, लौंग, काली मिर्च, दालचीनी तथा तुलसी अर्क का काढ़ा बनाकर दिन में तीन बार चाय के रूप में सेवन करें। गिलोय का काढ़ा बनाकर दो से तीन दिन तक सेवन करें। इसको सेवन करने से कोरोना रोगी बहुत जल्दी स्वस्थ होता है। इस अवसर पर विधायक सीमा त्रिखा ने विशेष तौर पर महिलाओं से प्रार्थना की कि इस बीमारी में जहां हर वर्ग अपने आपको आर्थिक तौर पर अभावग्रस्त महसूस कर रहा है ऐसे में आप सभी महिलाएं अपने घर की रसोई में ही उपलब्ध खाद्य पदार्थों से ही इस घातक बीमारी का सफल इलाज करके अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा कर सकती हैं। वहीं विधायक ने आए हुए चिकित्सकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कोरोना जैसी घातक बीमारी के भयावह स्थिति में भी अपना अमूल्य समय निकालकर फरीदाबाद की जनता को जो सुझाव एवं विचार सांझा किए हैं उनका वे हार्दिक धन्यवाद करती हैं।