3 बार एक बड़े अधिकारी को रंगे हाथ रिश्वत के आरोप में पकड़ना या नाम आना एक बड़ा सोचने का विषय है उसके तुरंत बाद प्रशाशन द्वारा अधिकारी को ससपेंड कर देना ये काबिले तारीफ है लेकिन दर्शको हैरानी की बात जब आती है जब हमारी ईमानदार सरकार बीजेपी भ्रष्ट अधिकारियो पर तुरंत कार्यवाही करती दिखाई देती है लेकिन उसी फैसले को कुछ ही महीनो में बदलकर या नियमो का हवाला देते हुए दोबारा से अधिकारी को बड़े पद पर भेज दिया जाता है |
आल इंडिया फोरम MSME के राष्टीय महासचिव अनिल चौधरी ने कहा की उद्योगपति बड़ी मेहनत के साथ व्यापार करता है और अपने बच्चे की तरह 20 से 25 साल व्यापार को बढ़ाने में लगा देता है या ये कहे की पूरा जीवन व्यापार को दे देता है। देश और प्रदेश की प्रगति में टैक्स के रूप में आपना योगदान देता है। तो ऐसे समय पर अधिकारी को व्यापारियों या उद्योगपतियों का सम्मान करना चाहिए लेकिन ये बात सभी अधिकारियो पर लागु नहीं होती है ज्यादातर अधिकारी ईमानदार भी होते है जो लोगो की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते है।
विकास चौधरी जैसे अधिकारियों की बात करे तो उन्हें सोचना चाहिए की जो व्यापारी देश प्रदेश की प्रगति में अपना योगदान देता है उनसे रिश्वत मांगना सही है। विकास चौधरी के बारे में हम बता दे की पहली बार फरीदाबाद से ससपेंड किया गया , दूसरी बार सोनीपत से और तीसरी बार IMT फरीदाबाद से पी.एल शर्मा की शिकायत पर ससपेंड किया गया। ये हम नहीं कहते मीडिया और सरकारी रिकॉर्ड बोलते है