फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डीएवी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद के संस्कृत विभाग द्वारा “गुणवत्ता परक शोध की दशा और दिशा” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर रजनीश कुमार मिश्रा, संस्कृत विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने वैदिक युग की प्राचीन शोध पद्धतियों पर प्रकाश डालते हुए शोध में जिज्ञासा की भूमिका को केंद्रीय तत्व बताया। उन्होंने कहा कि वास्तविक शोध वहीं होता है जहाँ जिज्ञासा होती है और उत्तर की खोज का सतत प्रयास चलता है।
संगोष्ठी मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के कुलपति प्रोफेसर सुशील कुमार तोमर ने गुणवत्ता परक शोध के विविध आयामों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने शोध में उद्देश्य की स्पष्टता, सटीक पद्धति और नैतिकता को अनिवार्य बताया। महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया ने कहा कि शोध शिक्षा की आत्मा है और गुणवत्तापूर्ण शोध से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। उन्होंने छात्रों को अनुसंधान के प्रति प्रेरित करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से अकादमिक दृष्टिकोण को नई दिशा मिलती है।

इस अवसर पर संगोष्ठी संयोजक डॉ अमित शर्मा द्वारा संपादित महाविद्यालय की वार्षिक शोध पत्रिका “पेरिहंत” तथा “आधुनिक परिप्रेक्ष्य में श्रीमद्भगवद्गीता की प्रासंगिकता” विषयक सम्पादित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर डॉ सुनीति आहूजा, डॉ अंजू गुप्ता, डॉ नरेंद्र कुमार,डॉ अर्चना सिंघल, डॉ जितेंद्र ढुल,डॉ मीनाक्षी हुड्डा, डॉ अंकिता मोहिंद्रा आदि प्राध्यापकों के साथ अन्य प्राध्यापक तथा विद्यार्थी भी उपस्तिथ रहे। इस संगोष्ठी का उद्देश्य शोध को अधिक उद्देश्यपूर्ण, अनुशासित एवं समाजोपयोगी बनाना रहा। कार्यक्रम के अंत में कार्यकारी प्राचार्या डॉ अर्चना भाटिया ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।