हरियाणा

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Posted by: | Posted on: May 2, 2018

राष्ट्रपिता  महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के स्मरणोत्सव की कार्यान्वयन समिति की बैठक में 35 व्यक्तियों ने विभिन्न सुझाव दिए

( विनोद वैष्णव )| हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के स्मरणोत्सव की कार्यान्वयन समिति की बैठक में 35 व्यक्तियों ने विभिन्न सुझाव दिए। कुछों ने लिखित सुझाव भी दिए।उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति  रामनाथ गोविंद ने नई दिल्ली में कार्यान्वयन समिति की बैठक बुलाई ली। बैठक के उपरांत हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने नई दिल्ली में हरियाणा भवन में मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि 115 सदस्यीय कार्यान्वयन समिति की बैठक में कुछ व्यक्तियों ने लिखित सुझाव भी दिए । महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के स्मरणोत्सव के संदर्भ में एक छोटी कार्यसमिति बनाने का भी अनुरोध किया गया है। मनोहर लाल ने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचारों व उनके दर्शन को विश्वस्तर पर भी अधिक से अधिक प्रचारित व प्रसारित करने से संबंधित सुझाव दिए गए। दिए गए सुझावों में प्रमुखता ग्राम स्वराज, स्वच्छता व अहिंसा से संबंधित सुझाव शामिल रहे।

Posted by: | Posted on: May 2, 2018

देश की तरक्की का रास्ता खेतों की मेंढ से निकलता है :-राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर

पलवल( विनोद वैष्णव )। केंद्रीय सामाजिक न्याय आधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि देश की तरक्की का रास्ता खेतों की मेंढ से निकलता है। जब तक किसान व गरीब खुशहाल नहीं होगा तब तक देश तरक्की नहीं कर सकता। केंद्रीय मंत्री ने यह उदगार ग्राम स्वराज अभियान के अंतर्गत गांव खजूरका में आयोजित किसान कल्याण कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि किसानों को जागरूक होकर खेती करनी होगी तथा खेती को लाभप्रद बनाने के लिए आधुनिक तकनीकी के साथ-साथ बाजार की मांग के अनुसार फसल का उत्पादन करना होगा। परंपरागत खेती की बजाय अन्य अधिक आय वाली फसलें उगानी होंगी। किसानों को ऑर्गेनिक खेती, पोली हाउस व शहद की खेती, मछली पालन, दाल उत्पादन, फलों की खेती, खुंबी उत्पादन जैसी खेती करनी होगी तभी किसान की आय प्रति एकड़ बढेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि वर्ष 2022 तक किसान व गरीब की आमदनी को दोगुना किया जाए, इसके लिए सरकार ने अभी से नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने गांव के विकास पर काफी ध्यान दिया है। गांव व ग्रामीणों के विकास के लिए ही 18 अप्रैल से 5 मई तक ग्राम स्वराज अभियान चलाया हुआ है, जिसमें ग्रामीणों को उनके हित की योजनाओं के बारे में गांव स्तर पर ही जानकारी दी जा रही है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत देश के पांच करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को रसोई गैस कनैक्शन दिए गए हैं। जल्द ही इस योजना का लाभ 8 करोड़ परिवारों तक पहुंचाया जाएगा। जिला पलवल के 42 हजार परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत घरेलू गैस कनैक्शन मुफ्त उपलब्ध करवाए हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार समाज के हर वर्ग के  विकास के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध करवा कर योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है और इस प्रकार के आयोजन भविष्य में जनकल्याण की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होंगे। सभी विभागों के अधकारियों ने जनता को अपने अपने विभागों के बारे में जानकारी दी। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान कल्याण कार्यशाला मे कृषि वैज्ञानिकों ने काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जिसका लाभ उठाकर किसान फसल की पैदावार बढा सकते हैं। जिला पलवल में एक लाख 22 हजार किसानों के सॉयल हैल्थ कार्ड बनाए गए हैं। किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से जमीन की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखें तभी उनकी आमदनी बढेगी। सरकार जल्द ही गरीब परिवारों के लिए पांच लाख रुपये तक का नि:शुल्क इलाज की योजना लाने जा रही है ताकि कोई गरीब परिवार बिना इलाज के न रहने पाए। सरकार द्वारा खाद-बीज पर किसानों को विशेष सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है, इसका लाभ उठाएं। इस अवसर पर उन्होंने हरियाणा राज्य आजीविका मिशन पलवल की ओर से प्रयत्न, युवा, पहल, राधा, सखी, खुशी, दिशा, चांद, उड़ान, उपकार व आशा स्वंय सहायता समूह गांव देवली को दस-दस हजार रुपये की राशि दी गई तथा उड़ान महिला ग्राम संगठन अल्लीका को पांच लाख रुपये की राशि प्रदान की गई। 

इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुकत अंजू चौधरी ने जिला प्रशासन की ओर से मुख्य अतिथि का आभार प्रकट किया और आश्वासन दिया कि जिला प्रशासन संबंधित विभागों के सहयोग से जन कल्याण की सभी योजनाओं को जन जन तक बताने में सदैव प्रयासरत रहेगा। इस अवसर पर उपायुक्त मनीराम शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह सौरत, निगरानी समिति के चेयरमैन मुकेश सिंगला, एसडीएम  एस के चहल, दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के अधीक्षक अभियंता मदन लाल रोहिला, बी डी पी ओ पूजा शर्मा, सिविल सर्जन बीरसिंह सहरावत सहित संबंधित विभागों के अधिकारी विशेष तौर पर उपस्थित थे।

Posted by: | Posted on: May 1, 2018

एम वी एन विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया गया

( विनोद वैष्णव )|  एम वी एन विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ  कुलपति प्रो. (डॉ) जे.वी. देसाई  और माननीय कुलसचिव डॉ. राजीव रतन , प्रो. (डॉ.) बदरुद्दीन, डॉ. विनीत सिन्हा जी, डॉ दिशा सचदेवा जी द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।कार्यक्रम के संचालक  तरुण विरमानी  ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय तौर पर श्रमिक दिवस मनाने की शुरुआत 4 मई 1886 को हुई थी। अमेरिका में श्रमिक संघों ने मिलकर निश्चय किया कि वे 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे, जिसके लिए संगठनों ने हड़ताल की। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हो गया। जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी, जिसमें कई श्रमिकों की मौत हो गई और 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन मैं घोषणा की गई की गई कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रुप में मनाया जाएगा। भारत में श्रमिक दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी, हालांकि उस समय इसे मद्रास दिवस के रुप में मनाया जाता था। 1 मई को श्रमिकों/कामगारों के समाज में योगदान और सम्मान में प्रत्येक वर्ष श्रमिक दिवस मनाया जाता है जिसे हम लेबर डे, मई दिवस, श्रमिक दिवस आदि नामों से भी जानते हैं। इस दिन समाज निर्माण में श्रमिकों, कामगारों, मजदूरों की महत्ता का सम्मान किया जाता है।

इस अवसर पर विधि विभाग के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. राहुल वार्ष्णेय जी ने श्रमिकों की मुख्य समस्याएं का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत में श्रमिकों और कामगारों की प्रमुख समस्याएं जैसे कामगारों में शिक्षा का अभाव, कार्य के अनियमित एवं अनिश्चित घंटे होना, स्थायित्व का अभाव एवं मालिकों की दूषित मनोवृत्ति का होना। प्रतिकूल कार्य की दशाएं एवं लघु व कुटीर उद्योगों का पतन होना मुख्य हैं।

उन्होंने बताया भारत में श्रम नीति, सामाजिक सुरक्षा एवं न्याय की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित हुई है और इसके दो मुख्य उद्देश्य रहे हैं। देश में औद्योगिक शांति बनाए रखना और श्रमिकों के कल्याण को हर परिस्थिति में सुरक्षित एवं प्रोत्साहन देना। श्रमिकों एवं कामगारों के अधिकारों के लिए कई प्रकार के कानून एवं नियम हैं,जिसमें समय समय पर संशोधन किया जाता है। जिसमें कुछ मुख्य नियम: न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, ठेका मजदूरी

अधिनियम 1970, प्रसूति लाभ अधिनियम 1961, समान मजदूरी अधिनियम 1976, श्रमिक मुआवजा अधिनियम 1923,

कर्मचारी राज्य बीमा योजना अधिनियम 1948, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972, राष्ट्रीय बाल श्रमिक नीति 1987, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद 1996, रोजगार एवं प्रशिक्षण निदेशालय हैं। जिनसे श्रमिकों/कामगारों के अधिकारों का प्रवर्तन करवाया एवं किया जा सकता है जिससे समाज में उनके सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा के न्याय को प्राप्त किया जाता है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) देसाई जी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस लाखों श्रमिकों के परिश्रम, दृढ़ निश्चय और निष्ठा का दिवस है। किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहम एवं महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इमारत हो या राष्ट्र, उसकी नींव की आधारशिला श्रमिकों के श्रम से ही होती है। अतः श्रमिकों को उचित सम्मान देना हम नागरिकों, उद्योगपतियों एवं सरकारों का प्रथम कर्तव्य है।इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के कर्मचारी गणों के योगदान का आभार व्यक्त किया एवं उन्हें प्रोत्साहित किया की एम वी एन संस्था को और अधिक दक्षता से अग्रसर किया जा सके।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त कर्मचारी गणों के लिए सौ मीटर दौड़, वॉलीबॉल और क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें 100 मीटर दौड़ में महिला प्रतियोगियों में रामवती प्रथम, शीला द्वितीय, देववती तृतीय स्थान पर रहीं वहीं 40 वर्ष से कम पुरुष प्रतियोगियों में दीपक प्रथम, तौफीक द्वितीय, किस्मत तृतीय स्थान पर रहे दूसरी ओर 40 वर्ष से अधिक 100 मीटर दौड़ में करण माली ने प्रथम स्थान, महेंद्र द्वितीय और कुंवरपाल तृतीय स्थान पर रहे। वॉलीबॉल खेल में महेश की कप्तानी में विश्वविद्यालय परिवहन विभाग की टीम ने प्रथम स्थान और दिनेश की कप्तानी में विश्वविद्यालय सुरक्षा कर्मी  की टीम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया वहीं क्रिकेट में विश्वविद्यालय परिवहन विभाग   की टीम ने जीत हासिल की। अंत में उनके लिए जलपान की व्यवस्था भी की गई।

कार्यक्रम के अंत में माननीय कुलसचिव डॉ. राजीव रतन जी ने सभी लोगों का धन्यवाद प्रस्तुत किया और कहा श्रमिक का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता है श्रमिक वह इकाई है जो हर सफलता का अभिन्न अंग है, फिर वह चाहे ईंट गारे से सना इंसान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी। हर इंसान जो किसी संस्था के लिए श्रम करता है और बदले में पैसे लेता है श्रमिक कहलाता है। श्रमिक/कामगार पैसा कमाने के लिए काम नहीं करते हैं बल्कि जीवन न्याय संगत हो इसके लिए कार्य करते हैं। श्रमिक ही एक ऐसा व्यक्ति है जो आपके सपनों को साकार करने के लिए अपना पसीना बहाता है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव श्रीमान दीपक मिश्रा जी, सहकुलसचिव श्री कपिल चौहान जी, श्रीमान त्रिलोक शर्मा जी, खेलकूद प्रशिक्षक श्री राम कुमार जी,एस्टेट मैनेजर श्री विवेक चौधरी जी ने अपने समस्त सहयोगियों के साथ इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर सहयोग व प्रतियोगियों का समर्थन किया।

Posted by: | Posted on: April 28, 2018

जोश, उत्साह के बीच बड़खल में हुआ मुख्यमंत्री का रोड शो

( विनोद वैष्णव )|मुख्यमंत्री मनोहर लाल का बहुप्रतीक्षित रोड शो का आगाज शाम 5 बजे श्री बांके बिहारी मंदिर में पूजा अर्चना के साथ हुआ। केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, उद्योग मंत्री विपुल गोयल, विधायक सीमा त्रिखा, विधायक मूलचंद शर्मा,भाजपा जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा के साथ खुली जीप में सवार हुए मुख्यमंत्री  बड़खल विधानसभा के 15 मुख्य स्थानों से गुजरे। देर शाम तक चले रोड शो के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने सहयोगियों के साथ एनआईटी 4-5 चौक, बीके चौक, बीकानेर स्वीट्स चौक, केएल मेहता रोड, कल्याण सिंह चौक, सन्तों का गुरुद्वारा, फावड़ा सिंह चौक, एनएच मार्किट, एनआईटी 1-2 चौक, भाटिया सेवक समाज, रामायण मार्ग, एनआईटी 2, एनआईटी 3 तक पहुंचे।जोश, उत्साह के बीच बड़खल में हुआ मुख्यमंत्री का रोड शो: 3.5 किलोमीटर के दौरान दर्जनों स्थानों पर हुआ मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत, सामाजिक-धार्मिक-व्यापारिक संगठन प्रतिनिधियों ने बरसाए फूल, पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह भेंट  ,मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बड़खल विधानसभा में रोड शो का क्षेत्र के नागरिकों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। 3.5 किलोमीटर लम्बे रोड शो के दौरान बाजार, मार्किट, मुख्य मार्गों से गुजरे मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर जोश, उत्साह से लबरेज लोगों ने पुष्प वर्षा की और पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। भारत माता की जय के नारों के बीच लहराते भगवा झंडे और सामाजिक-धार्मिक और व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी ने समां बांध दिया।
बड़खल विधानसभा के मुख्य मार्ग तोरण द्वार, बैनर, होर्डिंग्स से सराबोर थे। रोड शो में जगह-जगह मुख्यमंत्री मनोहर लाल का स्वागत करने के लिए बाजार, मार्किट प्रधान अपने प्रतिनिधियों के साथ, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि, विभिन्न शैक्षणिक संगठन, व्यापारिक संगठन सड़क पर पूरे जोश के साथ मौजूद रहे। जहां-जहां से मुख्यमंत्री का रोड शो गुजरा, उसी ओर बनाए गए पॉइंट्स पर लोगों में उनपर पुष्प वर्षा, पुष्प गुच्छ तथा स्मृति चिन्ह भेंट करने की होड़ लग रही थी। रोड शो के लिए तय पॉइंट्स के अतिरिक्त सड़क के दोनों और महिला, युवा, विभिन्न समुदाय के लोग अपने घरों से निकलते हुए उमड़ पड़े। उनके जोश को अनुशासन में बरकरार रखने के लिए पुलिस द्वारा तत्काल प्रबंध करते हुए पुरुष, महिला जवान रस्सियों के साथ तैनात किया गया। बीके चौक पर मुस्लिम समुदाय के सैंकड़ों नागरिकों तथा केएल मेहता कालेज के पास अंध महाविद्यालय के पास दृष्टिहीन विद्यार्थी मुख्यमंत्री के आगमन की खुशी में पकोड़े तल कर उनका इंतजार कर रही थी। रोड शो के दौरान सांस्कृतिक धमक, घोड़ियों का नाच, बनचारी के नगाड़े के बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल प्रफुल्लित मन से सबका अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। रोड शो में मुख्यमंत्री का अभिवादन करने के उपरांत लोग काफिले में शामिल होते जा रहे थे।  वहीं कड़ी सुरक्षा के बीच भगवा और भाजपा के झंडों को लहराते हुए युवा भारत माता की जय के उद्घोष के साथ माहौल में रोमांच भर रहे थे।
Posted by: | Posted on: April 25, 2018

सेक्स एजुकेशन क्यों ज़रूरी हैं बच्चो के लियें?

सेक्स हमारे देश में एक ऐसा विषय है जिसके बारे खुल कर बात करना तो दूर सोचना भी गन्दा काम माना जाता हैं जबकि हर कोई यह भूल जाता हैं कि इसी गंदे काम के कारण लोग इस दुनिया में आये हैं.

पहले के वक़्त में तो यह किसी पिशाच से कम नहीं था लेकिन अभी के समय में लोगो की सोच इस विषय को लेकर बदल रही हैं. अब सेक्स सिर्फ एक वासना पूर्ति के साधन के रूप में न लेकर एक शिक्षा के रूप में लोगो तक पहुचाया जा रहा हैं.

भारत में स्कूली शिक्षा के साथ ही सेक्स शिक्षा को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कदम उठाएं गए, लेकिन आज भी देश के लोगों को सेक्स शिक्षा को अपनाना रास नहीं आया. इसलिए लोगों ने यौन शिक्षा का अच्छा खासा विरोध जताया.

बदलते भारत के साथ ही कई क्षेत्रों में भी परिवर्तन हुए है, इन्हीं परिवर्तनों के चलते कुछ परिवर्तन सही दिशा में हुए तो कुछ गलत दिशा में.इन्हीं परिवर्तनों के चलते सरकार ने हाल ही के दिनों में शिक्षा में भी अमूल-चूल परिर्वतन करने की कोशिश की.

इन परिवर्तनों के तहत सरकार स्कू्ली बच्चों की शिक्षा में छठीं क्लास से सेक्स शिक्षा को भी शामिल करना चाहती है, लेकिन भारत में सेक्स शिक्षा को लेकर खूब बवाल मचाया गया.

लोगों का मानना है कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन होने से भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

क्या आप जानते हैं आज के समय में सेक्स एजुकेशन का बहुत महत्व है.

यदि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन शुरू कर दी जाए तो इसका किशोरों को पथभ्रष्ट‍ होने से रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है बच्चों को सही रूप में पूर्ण सेक्स शिक्षा दी जाए. स्कूलों में यौन शिक्षा के माध्यम से न सिर्फ भविष्य में यौन संक्रमित बीमारियों से बचा जा सकता है बल्कि असुरक्षित यौन संबंधों से भी बचा जा सकता है.

बच्चों को सही उम्र में सेक्स एजुकेशन देने से उनके शारीरिक विकास के साथ ही मानसिक विकास भी पूरी तरह से होता है.

आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान में 27 से 30 फीसदी होने वाले एबॉर्शन किशोरी लड़कियां करवाती हैं, यदि उन्हें सही रूप में यौन शिक्षा दी जाएगी तो वे गर्भपात के जंजाल से आसानी से बच सकती हैं यानी बिन ब्याहें मां बनने से बच सकती हैं.

बढ़ती उम्र में बच्चे नई-नई चीजों को जानने के इच्छुक रहते हैं और आज के टैक्नोलॉजी वर्ल्ड़ में कुछ भी जानना नामुमकिन नहीं. यदि बच्चों को सही समय पर सही रूप में यौन शिक्षा नहीं दी जाएगी तो अपने प्रश्नों का हल ढूंढ़ने के लिए वे इधर-उधर के रास्ते अख्तियार करेंगे जो कि बच्चों के मानसिक विकास में बाधा डाल सकते हैं. भारत में सेक्स शिक्षा लागू होने के साथ-साथ अभिभावकों को भी इस ओर जागरूक होना होगा और अपने बच्चों को सही उम्र में यौन शिक्षा से सरोकार कराना होगा, तभी सेक्स शिक्षा का सकारात्मक प्रभाव दिखाई पड़ेंगे.

आज आप अपने परिवार या आसपास के लोगों को देखेंगे तो आप पाएंगे कि वे मैच्योर होने के बावजूद सेक्स के बारे में बात करने से कतराते हैं. इसका एकमात्र कारण यही है कि आज भी लोग सेक्स जैसे मुद्दे पर बात करने से कतराते हैं और उन्हें सेक्स के बारे में पूर्ण जानकारी भी नहीं है, ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि अब तक भारत में सेक्स शिक्षा को स्कूलों में लागू करने के बारे में सोचा भी नहीं गया था.

इन सारी बातों से यह तो ज्ञात हैं कि सेक्स एजुकेशन हमारे लिए और हमारे समाज के लिए कितना ज़रूरी हैं लेकिन उससे कही अधिक वह हमारे बच्चों के लिए भी ज़रूरी हैं.

 

For More Info :- http://www.jkhealthworld.com/hindi/यौन-शिक्षा

Posted by: | Posted on: April 25, 2018

कैसे बढ़े शिक्षा की गुणवत्‍ता : एक शिक्षक का दृष्टिकोण

शिक्षक समाज की सर्वाधिक संवदेनशील इकाई है। शिक्षक अपना काम ठीक तरह से नहीं करते- यह आरोप तो सर्वत्र लगाया जाता है। लेकिन यह विचार कोई नहीं करता कि उसे पढ़ाने क्यों नहीं दिया जाता ? आए दिन गैर-शैक्षिक कार्यों में इस्तेमाल करता प्रशासन, शिक्षकों की शैक्षिक सोच को, शैक्षिक कार्यक्रमों को पूरी तरह ध्वस्त कर देता है। बच्चों को पढ़ाना-सिखाना सरल नहीं होता और न ही बच्चे फाईल होते हैं। प्रशासनिक कार्यालय और अधिकारीगण शिक्षा और शिक्षकों की लगातार उपेक्षा करते हैं। उन्हें काम भी नहीं करने देते। इसी कारण स्कूली शिक्षा में अपेक्षित सुधार सम्भव नहीं हो पा रहा है।

सुधार के लिए क्या करें
स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए हमें स्कूलों के बारे में अपनी परम्परागत राय को बदलना होगा। अभी स्कूलों को कार्यालय समझकर, शिक्षकों को प्रतिदिन अनेक प्रकार की डाक बनाने और आँकड़े देने के लिए मजबूर किया जाता है। इससे बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान होता रहता है। बच्चे अपने शिक्षकों से सतत् जुड़े रहना चाहते हैं, विशेषकर प्राथमिक स्तर पर। अत: स्कूलों को कार्यालयीन कामकाज से वास्तव में मुक्त कर प्रभावी शिक्षण संस्थान बनाया जाना चाहिए।

विद्यालय बनाम सामुदायिक शिक्षण केन्द्र
हमारे शासकीय विद्यालय बाल शिक्षण (6-14 आयु वर्ग के बच्चों) के लिए कार्य कर रहे हैं। शिशु शिक्षण के लिए संचालित आँगनवाड़ी और प्रौढ़ शिक्षा के लिए कार्यरत सतत् शिक्षा केन्द्रों का सम्बंध विद्यालय से कहने भर को है। वास्तव में इन सभी के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है। यदि इन तीनों एजेंसियों को एकीकृत कर दिया जाए तो 3 से 50 वर्ष तक के लिए शिक्षण की बेहतर व्यवस्था सम्भव है|

यह भी जरूरी है कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक और सतत शिक्षा केन्द्रों के प्रेरक को एक साथ मिल-बैठकर कार्य करने के लिए तैयार किया जाए। यदि तीनों एजेन्सी एकीकृत स्वरूप में कार्य करने लगे तो सम्भव है स्कूल की कार्यावधि 12 से 14 घण्टे प्रतिदिन तक हो जाए। साथ ही समुदाय के सभी वर्गों के लिए स्कूल में प्रवेश और सीखने के अवसर बढ़ सकते हैं।

अभी अधिकांश स्कूल अन्य सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर  10 से 5 की अवधि में ही खुलते हैं। इस कारण से रोजगार में जुटे परिवारों के बच्चों के लिए वे अनुपयोगी सिध्द हो रहे हैं। स्कूल की समयावधि सरकारी नियंत्रण में होने के कारण बच्चों की उपस्थिति और सीखने का समय कमतर होता जा रहा है। स्कूली उम्र पार कर चुके किशोरों, युवाओं, महिलाओं और कामकाजी लोगों के लिए स्कूल के दरवाजे एक तरह से बन्द ही हैं। विद्यालय समाज की लघुतम इकाई के रूप में ”सामाजिक शिक्षण केन्द्र” के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस परिकल्पना को साकार करने की दिशा में पहल किए जाने का दायित्व स्थानीय ”पालक शिक्षक संघ” पूरा कर सकते हैं। अगर समाज की जरूरत के चलते चिकित्सालय और थाने दिन-रात खुले रह सकते हैं, तो यह भी उतना ही आवश्यक है कि विद्यालय कम-से-कम 12-16 घण्टे जरूर खुलें।

 

शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक हो

शैक्षणिक सुधार में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। पाठयपुस्तकों और पाठयक्रम के अनुरूप प्रभावी शिक्षण, शिक्षकों की योग्यता, सक्रियता और पढ़ाने के कौशल पर निर्भर है। एक शिक्षक, एक साथ कितनी कक्षाओं के कितने बच्चों को भली-भाँति पढ़ा सकेगा, इस बारे में गम्भीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है।

आदर्श रूप में एक शिक्षक अधिकतम 20 बच्चों को ही ठीक प्रकार पढ़ा सकता है। वह भी तब, जब वे भी एक समान स्तर के हों। अभी व्यवस्था यह है कि एक शिक्षक 40 बच्चों को (और वे भी अलग-अलग स्तरों के हैं) पढ़ाएगा। अनेक स्कूलों में तो 70-80 से भी अधिक बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। ऐसे में शिक्षक मात्र बच्चों को घेरकर ही रख पाते हैं पढ़ाई तो सम्भव ही नहीं। शिक्षक बच्चों को पढ़ा भी पाएँ, इस हेतु शिक्षक-छात्र अनुपात को व्यवहारिक बनाना होगा।

 

प्रशिक्षणशिक्षण और परीक्षण

स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षण विधियों, प्रशिक्षण और परीक्षण की विधियों में भी सुधार करने की जरूरत है। अभी शिक्षण की विधियाँ राज्य स्तर से तय की जाती हैं। कक्षागत शिक्षण कौशलों को या तो नकार दिया जाता है या उन्हें परिस्थितिजन्य मान लिया जाता है।

अच्छे प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण का दायित्व कर्तव्यनिष्ठ, योग्य और क्षमतावान प्रशिक्षकों को सौंपा जाना चाहिए। शिक्षकों के प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने, शिक्षण में नवाचारी पध्दतियाँ विकसित करने सहित परीक्षण (मूल्यांकन) की व्यापक प्रविधियाँ तय कर उन्हें व्यवहारिक स्वरूप में लागू करने की दिशा में कारगर कदम उठाने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि हर प्रदेश में एक ”शैक्षिक संदर्भ एवं स्त्रोत केन्द्र” विकसित किया जाए।

 

शिक्षास्वास्थ्य और रोजगार मूलक परियोजनाएँ

शिक्षा के क्षेत्र में अनेक संस्थाएँ कार्यरत हैं। रोजगार और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी शासकीय स्तर पर परियोजनाएँ और कार्यक्रम लागू किए गए हैं। मानव विकास के बुनियादी सूचकांक होते हुए भी इनमें तालमेल न होने के कारण इनकी गति अपेक्षित नहीं है। धन की गरीबी से ज्ञान की गरीबी का विशेष सम्बंध है। ग्रामीण दूरस्थ अँचलों में ज्ञान की गरीबी पसरी हुई है। जानकारी के अभाव में वे संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाते। अनेक परियोजनाओं के बावजूद उनकी प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक चिकित्सा और बुनियादी रोजगार की प्रक्रियाएँ बाधित होती हैं। अब समय आ गया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए लागू परियोजनाओं को समेकित ढ़ंग से किसी सुनिश्चित क्षेत्र में लागू कर परिणामों की समीक्षा की जाए। अच्छे परिणाम आने पर उन्हें पूरे देश भर में लागू किया जाए। इस प्रकार हम अपने संसाधनों और मानवीय क्षमताओं का बेहतर उपयोग कर सकेंगे जिससे शिक्षा के गुणात्मक विकास की संभावनाएँ बढ़ेंगीं।

 

पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें

अभी वास्तव में यह ठीक प्रकार तय ही नहीं है कि किस आयु वर्ग के बच्चों को कितना सिखाया जा सकता है और सिखाने के लिए न्यूनतम कितने साधनों और सुविधाओं की आवश्यकता होगी। नई शिक्षा नीति 1986 लागू होने के बाद न्यूनतम अधिगम स्तरों को आधार मानकर पाठ्यपुस्तकें और पाठ्यक्रम तो लगातार बदले गए हैं, लेकिन उनके अनुरूप सुविधाओं और साधनों की पूर्ति ठीक से नहीं की गई है। यह सोच भी बेहद खतरनाक है कि पाठ्यपुस्तकों के जरिए हम भाषायी एवं गणितीय कौशलों और पर्यावरणीय ज्ञान को ठीक प्रकार विकसित कर सकते हैं। यथार्थ में पाठ्यपुस्तकें पढ़ाई का एक छोटा साधन मात्र होती हैं साध्य नहीं। कक्षाओं पर केन्द्रित पाठयपुस्तकों और पाठ्यक्रम को श्रेणीबध्द रूप में निर्धारित करना भी खतरनाक है। बच्चों की सीखने की क्षमता पर उनके पारिवारिक और सामाजिक वातावरण का भी विशेष प्रभाव पड़ता है, अत: सभी क्षेत्रों में एक समान पाठ्यक्रम और एक जैसी पाठ्यपुस्तकें लागू करना बच्चों के साथ नाइन्साफी है।

 

शैक्षिक उद्देश्य

स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए  हमें वर्तमान शैक्षिक उद्देश्यों को भी पुनरीक्षित करना होगा। शिक्षा, महज परीक्षा पास करने या नौकरी/रोजगार पाने का साधन नहीं है। शिक्षा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास, अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास करने और स्वथ्य जीवन निर्माण के लिए भी जरूरी है। शिक्षा प्रत्येक बच्चे को श्रेष्ठ इंसान बनने की ओर प्रवृत्त करे, तभी वह सार्थक सिध्द हो सकती है। कहा भी गया है ”सा विद्या या विमुक्तये”। अभी पढ़े-लिखे और गैर पढ़े-लिखे व्यक्ति के आचरण और चरित्र में कोई खास अन्तर दिखाई नहीं देता। उल्टे पढ़-लिख लेने के बाद तो व्यक्ति श्रम से जी चुराने लगता है और अनेक प्रकार के दुराचरणों में लिप्त हो जाता है। यह स्थिति एक तरह से हमारी वर्तमान शैक्षिक पध्दति की असफलता सिध्द करती है। अतः यह जरूरी है कि शिक्षा के उद्देश्यों को सामयिक रूप से परिभाषित कर पुनरीक्षित किया जाए।

 

शिक्षकों को शिक्षक” के रूप में अवसर मिले

समान कार्य के लिए समान कार्य परिस्थितियाँ और समान वेतन की अनुशंसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में और मानव अधिकार घोषणा पत्र के अनुच्छेद 21, 22, और 23 में वर्णित होते हुए भी नाना नामधारी शिक्षक मौजूद हैं। एक ही विद्यालय में अनेक प्रकार के शिक्षकों के पदस्थ रहते सभी के मन में घोषित-अघोषित तनावों के कारण पढ़ाई में व्यवधान हो रहा है। इस परिस्थिति को गम्भीरता से समझे बगैर और परिस्थितियों में सुधार किए बगैर भला शिक्षण में सुधार कैसे होगा? शासन को सभी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक समान कार्यनीति, समान पदनाम, समान वेतनमान देने की नीति तय कर एक निश्चित कार्यावधि के बाद पदोन्नति देने का भी ऐलान करना चाहिए।

 

श्रेष्ठतम शैक्षिक कार्यकर्ता

शैक्षिक परिवर्तन के लिए शिक्षकों का मनोबल बनाए रखने और उत्साहपूर्वक कार्य करने की इच्छाशक्ति पैदा करने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे। अभी शिक्षा व्यवस्था में बालकों और पालकों की भागीदारी न्यूनतम है, इसलिए सभी शैक्षिक कार्यक्रम सफल नहीं हो पाते हैं। स्कूलों में भी जिस प्रकार समर्पित स्वयंसेवकों की आवश्यकता है, वे नहीं हैं। अत: यह आवश्यक है कि श्रेष्ठतम शैक्षिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की जानी चाहिए।

 

शिक्षकों का मनोबल बढ़ाया जाए

समूची दुनिया के सभी विकसित और विकासशील देशों में प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और प्रशासनिक दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही ऐसी शिक्षा नीति बनाई जाती है जिसमें उनका मनोबल सदैव ऊँचा बना रहे। जब तक अनुभव जन्य ज्ञान, और कौशलों को महत्व नहीं दिया जाएगा तब तक ”बालकेन्द्रित शिक्षण” की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। बाल केन्द्रित शिक्षण के लिए कार्यरत शिक्षकों की दक्षता और मनोबल बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।

यह आवश्यक है कि शिक्षकों को उनके व्यक्तित्व विकास की प्रक्रियाओं सहित ऐसे प्रशिक्षण संस्थानों में भेजा जाए जहाँ उन्हें अपने अन्दर झाँकने ,कुछ बेहतर कर गुजरने की प्रेरणा मिल सके। इस प्रशिक्षण उपरान्त उन्हें कार्यरत स्थलों पर ”ऑन द जॉब सपोर्ट” के रूप में ऐसे सहयोगी दिए जाएँ जो उनकी वास्तविक मदद करें। किसी ऐसी संस्था को इस दिशा में काम करने की जरूरत है जो सामाजिक बदलाव के लिए व्यापक दूरदृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम करने के लिए सहमत हो और उसके पास स्वयं के संसाधन भी उपलब्ध हों।

आज जरूरत इस बात की है कि किसी प्रकार पढ़ने-लिखने की प्रक्रिया में परिवर्तन लाने के लिए विद्यालय प्रशासन, शिक्षकों और शैक्षिक कार्यक्रमों में तालमेल बनाया जाए। समुदाय की शैक्षिक आवश्यकताओं को पहचान कर उनकी जरूरतों के अनुरूप निर्णय लेते हुए ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिसमें व्यवसायिक योग्यता में वृध्दि सुनिश्चित हो। शिक्षा के प्रशासन एवं प्रबन्धन में उत्तरदायी भूमिका निभाने वाले संस्था प्रधानों की नियुक्ति और प्रशिक्षण हेतु शिक्षा विभाग एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे अन्य संगठनों को शीघ्र कारगर कदम उठाना चाहिए। संस्था प्रधानों की भूमिका को सशक्त बनाए बगैर शिक्षा में सुधार की सम्भावनाएँ अत्यन्त क्षीण रहेंगी।

 

प्रशासनिक एवं प्रबन्धकीय व्यवस्थागत सुधार

शिक्षा प्रशासन की यह नियति बन गई है कि इसमें उच्च शिक्षा स्तर पर भी स्थायित्व नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 और कार्ययोजना 1992 में स्वीकृत अखिल भारतीय शिक्षा सेवा की स्थापना आज तक नहीं हो पाई है। लगभग हर स्तर पर निर्णायक पदों पर नियुक्त प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शिक्षा क्षेत्र में आ रही गिरावट और असफलता के लिए उत्तरदायी नहीं माने जाते। हाँ, किसी छोटी-सी सफलता का श्रेय अवश्य हासिल करते नजर आते हैं। शिक्षा में सुधार के लिए कार्यरत शिक्षकों को समर्थन देने की दृष्टि से यह अत्यंत आवश्यक है कि शिक्षा के प्रबन्धन और प्रशासन को सुधारा जाए। म.प्र. शासन द्वारा वर्ष 2003 में गठित ”स्पेशल टास्क फोर्स” की अनुशंसाओं को लागू किए जाने की भी आज महती आवश्यकता है जो एक दस्तावेज में सिमट कर रह गई हैं। म.प्र. देशभर में सर्वप्रथम जन शिक्षा अधिनियम तैयार कर लागू करने वाले प्रदेश के रूप में है। क्रियान्वयन के स्तर पर जरूर अनेक कार्य अभी शेष हैं जिसमें प्रमुख कार्य सभी स्तरों पर कार्यरत शिक्षा केन्द्रों के संचालन हेतु मैनुअल (संचालन मार्गदर्शिकाओं) का सृजन और उन्हें लागू करना है, ताकि कार्यरत स्टाफ बेहतर प्रदर्शन कर सके। प्रदेश के सभी जनशिक्षा केन्द्रों को प्रबन्धन और प्रशासन के प्रति उत्तरदायी भूमिका सौंपते हुए जनशिक्षा केन्द्र प्रभारी को आहरण वितरण अधिकार दिए जाने चाहिए। यह अत्यंत आवश्यक है कि समग्रत: शिक्षा व्यवस्था को नियंत्रित किए जाने हेतु राज्य की शिक्षा नीति तैयार की जानी चाहिए। कार्यरत शिक्षकों की दक्षता का सम्मान और उनकी कार्यदक्षता का उपयोग किए जाने की दृष्टि से विभागीय दक्षता परीक्षा का आयोजन कर सभी को प्रन्नोत किया जाना चाहिए। अंतत: शैक्षिक सुधार के लिए अब हमें विचार करने की बजाय कर्तव्य की ओर बढ़ना होगा।

आज शिक्षा के क्षेत्र में वास्तविक सुधार की दृष्टि से शीघ्र सार्थक कदम उठाते हुए हमें ऐसी शिक्षण पध्दति और कार्यक्रम विकसित करने होंगे जो बच्चों के मन में श्रम के प्रति निष्ठा पैदा करें। समग्रत: एक ऐसा प्रभावी शैक्षिक कार्यक्रम बनाना होगा जिसमें –

  1. पाठ्यक्रम लचीला और गतिविधि आधारित हो, साथ ही बच्चों की ग्रहण क्षमता के अनुरूप भी।
  2. कक्षागत पाठ्य योजनाएँ, स्वयं शिक्षकों द्वारा तैयार की जाएँ और उन्हें पूरा किया जाए।
  3. राज्य की शिक्षा नीति निर्धारण में शिक्षाविदों और कार्यरत शिक्षकों को वास्तव में सहभागी बना कर सभी के विचारों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाए।
  4. जन भागीदारी समितियाँ (पालक शिक्षक संघ) प्रबन्धन का दायित्व स्वीकारें – शैक्षिक प्रशासन तंत्र भी शालाओं में अनावश्यक हस्तक्षेप न करें। शिक्षण का अधिकार शिक्षकों को वास्तव में सौंपा जाए।
  5. शिक्षण विधियों में परिवर्तन करने का अधिकार शिक्षकों को हो, प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं।
  6. कक्षाओं में शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक किया जाए, साथ ही पर्याप्त मात्रा में शैक्षिक सामग्री की पूर्ति और शिक्षकों की भर्ती की जाए।
  7. पाठ्यपुस्तकों की रचना स्थापित रचनाकारों की बजाय शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों के माध्यम से की जानी चाहिए, जो शैक्षिक दृष्टि से उपयुक्त हो।
  8. शैक्षिक सुधारों को लागू करने में संस्था प्रधानों और शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाए।
  9. शिक्षकों के सहयोग हेतु ”राज्य शिक्षक सन्दर्भ और स्त्रोत केन्द्र” स्थापित किए जाएँ।
  10.  विद्यालयों को सामुदायिक शिक्षण के लिए उत्तरदायी बनाया जाए।

By दामोदर जैन | जुलाई 27, 2012

Posted by: | Posted on: April 25, 2018

भाकियू के साथ किसानों की लड़ाई में कूंदे अन्ना हजारे

 

फरीदाबाद ( विनोद वैष्णव )। केन्द्र और हरियाणा प्रदेश की भाजपा सरकार ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया। वर्ष 2014 में चुनावों से पहले बीजेपी के नेताओं ने पूरे देश के किसानों से जो वायदे किए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं किया। यह किसानों के साथ वायदा खिलाफी है। यदि अब ाी सरकार नहीं जागी, और किसानों की मांगे नहीं मानी, तो पूरे देश का किसान मिलकर ााजपा के खिलाफ सडकों पर उतरेगा।भारतीय किसान यूनियन (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. ऋषिपाल अ बावता ने उक्त शब्द यहां सैक्टर-19 में आयोजित हुई हरियाणा प्रदेशस्तरीय किसान सभा को संबोधित करते हुए कहे। उन्होने कहा समाजसेवी अन्ना हजारे ने भाकियू के साथ मिलकर किसानों की लडाई को मजबूत करने का ऐलान किया है। अब भाकियू पूरे देश में जहां ाी किसानों का आंदोलन होगा अन्ना हजारे उनके साथ होंगे। उन्होने कहा जल्द प्रदेश के 21 जिलों का किसान प्रतिनिधि मंडल मु यमंत्री मनोहर लाल से 31 मई को चण्डीगढ़ जाकर मिलेगा, और किसानों की जायज मांगों को रखेगा, और यदि सरकार ने यूनियन के नेताओं से मुलाकात करने में आनाकानी की तो 10 से 12 मई तक हरिद्वार में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में यूनियन भाजपा के खिलाफ आर-पार की लडाई का ऐलान कर देगी।अ बावता ने कहा भाकियू किसान हितों में कई बार अपनी इन मांगों को रख चुकी है जिसे पूरे देश के सैकडों किसान संगठनों ने माना हैं। इन मांगों में प्रमुख रूप से पूरे देश के किसान का कर्जा माफ हो। स्वामी नाथन आयोग का गठन हो। देश के किसान को 5 हजार रूपए पेशन मिले। किसान के बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिले। खराब हुई फसल का मुआवजा 40 हजार प्रति ऐकड मिले। किसानों को बिजली, टयूबवैल कनैक्शन निशुल्क मिले। अबावता ने कहा प्रधानमंत्री देश को गर्त में ले जाने का काम कर रहे हंै। उन्होने कभी इस देश की जनता और किसानों से प्यार नहीं किया, इसीलिए वह गरीब, मजदूर और कमेरे वर्ग के लिए कुछ नहीं कर रहे। वह युवाओं को पकोडे बेचने की सलाह देते हैं जो युवाओ के लिए निराशा की बात है। प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ मदारी बनकर जनता को मूर्ख बनाकर ठगने का काम किया है। उन्होने कहा मोदी किसान विरोधी हैं, इसलिए उन्होने केवल चंद उद्योगपतियों को देश की पूरी संपत्ति का मालिक बना दिया है। उन्होने कहा देश में किसानों की हालत पहले से ज्यादा खराब है, आत्म हत्याएं रूकी नहीं हैं और किसानों की फसल का मुआवजा नहीं मिल रहा है।प्रदेशस्तरीय किसान बैठक में हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह दहिया ने कहा प्रदेश की भाजपा सरकार हर मामले में फेल है। किसान पहले से ज्यादा दुखी है। इस अवसर पर ााकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलविन्द्र सिंह बाजवा, पंजाब के अध्यक्ष सतनाम ङ्क्षसह बेहरू, दिल्ली अध्यक्ष सुरेश छिल्लर, महिला प्रदेश अध्यक्ष शालिनी मेहता, फरीदाबाद जिला अध्यक्ष ठाकुर राजकुमार छांयसा, पूर्व चेयरमैन सुनील भाटी, राजकुमार तौमर, मानसिंह डागर राष्ट्रीय प्रवक्ता, ललित त्यागी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सरदार सिंह भाटी, डॉ. वीरेन्द्र भाटी, दशरथ सिंह, प्रदेश सचिव नफेसिंह, स्वामी कटारिया, पलवल अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान, पानीपत से आनंद सिंह, करनाल से दलजीत सिंह मट्टू, गुरूग्राम से पुष्पा धनखड़, कुरूक्षेत्र से बलबिन्द्र ङ्क्षसह, अ बाला से कुलबंत सिंह, कैथल से सुखदेव सिंह, झझर से प्रताप सिंह, रोहतक से अतरसिंह, रिवाडी से भजनलाल युवा नेता प्रवीण चौधरी सहित 21 जिलों के किसानों ने एक सुर में सरकार के खिलाफ कुरूक्षेत्र में विशाल महापंचायत करने का ऐलान किया।

Posted by: | Posted on: April 23, 2018

केंद्र सरकार के कुशल मार्गदर्शन में संबंधित क्षेत्रों में विकास कार्यों को युद्ध स्तर पर करवाया जा रहा है

फरीदाबाद ( विनोद वैष्णव )| केंद्र सरकार के कुशल मार्गदर्शन में संबंधित क्षेत्रों में विकास कार्यों को युद्ध स्तर पर करवाया जा रहा है । जिसमें आम जन की सहभागिता होना बेहद जरूरी है। यह विचार केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने आज सेक्टर 12 लघु सचिवालय के सभागार कक्ष में रेलवे ओवरब्रिज सोहना बल्लभगढ़ रोड तथा शाहपुर रोड के संबंध में विभागीय अधिकारियों सहित संबंधित क्षेत्रों के किसानों के साथ बैठक को सम्बोदित करते हुए कहे । उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार संबंधित क्षेत्रों में अधिक से अधिक विकास कार्य कराने के लिए  दृढ़ता से प्रयासरत है ओर इस कड़ी में करोड़ो रुपये की परियोजना जिसमे रेलवे ओवर ब्रिज सोहना बल्लबगढ़ रोड़ व शाजहाँपुर रोड़ जैसी परियोजनाओं को शुरू किया जाना है। इस अवसर पर संबंधित क्षेत्रों के किसानों द्वारा अपना पक्ष रखने जाने पर केंद्र राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने उपस्थित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा कि अधिकारी इस संबंध में बनाई गई विशेष कमेटी के अंतर्गत मौको पर मुआयना कर इस सम्बंध में सरकार की हिदायतों ओर किसानो के हितों को ध्यान में रखकर अपनी विस्तृत रिपोर्ट बना कर  प्रस्तुत करें ताकि परियोजनाओं को जनहित में जल्द से जल्द शुरू किया जा सके। उपायुक्त अतुल द्विवेदी ने केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का बैठक मे पहुँचने पर आभार प्रकट कर आश्वासन दिया कि जनहित की उक्त दोनों परियोजनाओं को सरकार के कुशल मार्गदर्शन मे शीघ्रता से पूरा किया जा सकेगा। इस अवसर पर अत्तिरिक्त उपायुक्त जितेंद्र दहिया, एडीएम सतबीर सिंह, जिला राजस्व अधिकारी ,एक्सीयन हुड्डा सहित अनेको विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

Posted by: | Posted on: April 20, 2018

स्वास्थ्य केन्द्रों में लोगों को उपलब्ध करवाई जा रही सेवाओं की गुणवत्ता को सुधारने के लिए राज्य की कुछ इकाइयों ने कायाकल्प पुरस्कार

नई दिल्ली( विनोद वैष्णव ) हरियाणा के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में लोगों को उपलब्ध करवाई जा रही सेवाओं की गुणवत्ता को सुधारने के लिए हरियाणा राज्य स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केन्द्र द्वारा की गई पहल और निरन्तर प्रयासों के फलस्वरूप राज्य की कुछ इकाइयों ने कायाकल्प पुरस्कार और 18 अन्य को राष्टï्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अनुसार प्रमाणित किया गया है।
हरियाणा राज्य स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केन्द्र की कार्यकारी निदेशक डॉ.सोनिया त्रिखा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री  जे.पी नड्डा ने वीरवार को  नई  दिल्ली में पीजीआईएमईआर,आरएमएन अस्पताल में आयोजित राष्टï्रीय गुणवत्ता सम्मेलन में स्वच्छ भारत अभियान के अनुसार कायाकल्प पुरस्कार प्राप्त करने वाले सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों को सम्मानित किया।
डॉ. त्रिखा ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री  जे.पी नड्डा ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत उत्कृष्टï प्रदर्शन करने वाले सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों को कायाकल्प पुरस्कार से सम्मानित किया।  उन्होंने बताया कि हरियाणा में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रायपुर रानी के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। कायाकल्प कार्यक्रम के तहत हरियाणा के 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों ने प्रथम स्थान प्राप्त किया जबकि 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, एक उप-जिला अस्पताल (बल्लभगढ़) और पांच जिला अस्पताल पंचकूला, गुरुग्राम, रोहतक, अम्बाला और फरीदाबाद  ने प्रशस्ति पुरस्कार प्राप्त किया।
इसके अतिरिक्त, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्री अश्वनी कुमार चौबे ने हरियाणा के 18 स्वास्थ्य केन्द्रों को राष्टï्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अनुसार उत्कृष्टï सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया और इनमें से जिला कुुरुक्षेत्र के कृष्णा नगर गामड़ी में स्थापित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (यूपीएचसी) राष्टï्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के अन्तर्गत गुणवत्ता प्रमाण- पत्र प्राप्त करने वाला भारत का पहला शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बन गया है।
इस अवसर पर सम्मानित कि गए शेष 17 स्वास्थ्य केन्द्रों में पंचकूला, गुरुग्राम, फरीदाबाद एवं रोहतक के जिला अस्पताल, गन्नौर (सोनीपत)का एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और पंजोखड़ा (अम्बाला),बोह (अम्बाला), साहा (अम्बाला), पिंजौर (पंचकूला), कोट (पंचकूला), बरवाला (पंचकूला),मुरथल (सोनीपत), राइसीना (कैथल), दयालपुर (फरीदाबाद), छैनसा (फरीदाबाद), भागल (कैथल)और बाढसां (करनाल) शामिल है।
उन्होंने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गुणवत्ता अश्वासन कार्यक्रम क्रियान्वत करने के लिए राज्यों की मदद करने के लिए गुणवत्ता सुधार के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किए है जिनमें राष्टï्रीय गुणवत्ता अश्वासन मानक, कायाकल्प, स्वच्छ स्वस्थ सर्वत्र (खुले में शौच से मुक्त खण्डों में स्वास्थ्य केन्द्रों का सुदृढीकरण), लक्ष्या (प्रसूति कक्ष गुणवत्ता सुधार पहल) शामिल है।
हरियाणा राज्य स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केन्द्र द्वारा मुख्यालयों पर राज्य गुणवत्ता अश्वासन इकाई और जिलों में जिला गुणवत्ता अश्वासन इकाईयों के माध्यम से 328 स्वास्थ्य केन्द्रों में यह कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है जिनमें 20 जिला अस्पताल, 23 उप जिला अस्पताल, 79 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और 206 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र शामिल हैं।

Posted by: | Posted on: April 20, 2018

ग्रेटर फरीदाबाद के गांव भूपानी में प्रधानमंत्री एलपीजी पंचायत का आयोजन :-हेमसिंह राणा/जगत भाटी

फरीदाबाद( विनोद वैष्णव )। उज्जवला दिवस पर ग्रेटर फरीदाबाद के गांव भूपानी में प्रधानमंत्री एलपीजी पंचायत के तहत रैनबो गैस एजेंसी और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सहयोग से एक पंचायत कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें गांव के लोगों को रसोई गैस के फायदे और प्रयोग करने के तरीके बताये गये तो वहीं बीपीएल धारक 197 महिलाओं को मुफ्त में एलपीजी गैस चूल्हा वितरित किये गये। सरकार के ध्येय के अनुसार जल्द ही सभी गांवों को धंूआ मुक्त कर दिया जायेगा। इस मौके पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आला अधिकारी, ग्राम सरपंच और रैनबो गैस एजेंसी के चेयरमैन हेमसिंह राणा मौजूद रहे। गांवों में लकडी और उपलों से बनने वाले खाने के दौरान निकलने वाले धूंए से पर्यावरण और महिलाओं के स्वास्थ्य की ङ्क्षचता करते हुए सरकार ने उज्जवला योजना की शुरूआत की थी जिसे सफल बनाने के लिये आज उज्जवला दिवस के अतर्गत ग्रेटर फरीदाबाद के गांव भूपानी में प्रधानमंत्री एलपीजी पंचायत का आयोजन किया गया जिसमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आला अधिकारी, रैनबो गैस एजेंसी के चेयरमैन हेमसिंह राणा, गांव के सरपंच संजय भाटी, भाजपा कार्यकर्ता कमल सौरोत और किरण सौरोत सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे। जिन्होंने पहले एलपीजी पंचायत के तहत ग्रामीणों को रसोई गैस के उपयोग की जानकारी दी और फिर 197 महिलाओं को गैस चूल्हा वितरित किये।  उपस्थित रहे मंत्रालय से पधारे अधिकारियों ने बताया उज्जवला दिवस पर 15000 एलपीजी पंचायतों को आयोजित करने का लक्ष्य रखा है जहां एलपीजी के सुरक्षित और निरंतर उपयोग के उद्देश्य से अनुभव साझा करने के अलावा ग्राहक नामांकन को अधिकतम करने के लिए सभी प्रयास किए । पंचायत सत्र के दौरान सुरक्षा निर्देश और बीमा कार्ड भी वितरित किए गए।  इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के जनरल मैनेजर मुकेश धीमन ने बताया की उज्जवला दिवस पर आठ करोड़ एलपीजी लाभार्थियों के नामांकन के अतिरिक्त लक्ष्य को बढ़ावा दिया जाएगा और एलपीजी पंचायत के दौरान लाभार्थियों को कनेक्शन प्रदान किए गए है । इंडियन ऑयल सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के कुल 486 में से 220 एलपीजी पंचायत हरियाणा में एवं कुल 305 में से 185 दिल्ली में पंचायतों का आयोजन कर रही है समारोह के मुख्य आयोजन कर्ता एवं रेनबो गैस एजेंसी के चेयरमैन हेम सिंह राणा ने बताया कि आज प्रत्येक एलपीजी वितरक द्वारा अपने क्षेत्र में एक एलपीजी पंचायत का आयोजन किया गया है हरियाणा में 235 गांव की पहचान कर ली गई है जिन्हें 5 मई 2018 तक धुआं रहित कर दिया जाएगा । इनमें से 116 गांव इंडियन ऑयल द्वारा धुआं रहित किए जाएंगे, उन्होंने बताया एलपीजी गैस कनेक्शन का एवरेज हरियाणा में 107.8 प्रतिशत एवं दिल्ली में 125.7 प्रतिशत है कुछ परिवारों में अभी भी एलपीजी कनेक्शन की आवश्यकता है । 31 मार्च 2018 तक हरियाणा में उज्जवला एवं समान योजनाओं में बीपीएल श्रेणी में 506 668 नए कनेक्शन जारी किए गए हैं जिनमें से 221139 नई कनेक्शन केवल इंडियन ऑयल द्वारा जारी किए गए हैं । इस दौरान गांव में जरूरतमंद लोगों को 197 एलपीजी गैस कनेक्शन मुफ्त वितरित किए गए। इस मौके पर मौजूद महिला भाजपा नेत्री किरण सौरोत ने कहा कि एलपीजी गैस चूल्हा मिलने से महिलाओं को लाभ मिलेगा, समय से खाना बनाने के बाद महिलायें घर परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकेेंगी और अपना स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।
रैनबो गैस एजेंसी के चेयरमैन हेमसिंह राणा ने बताया कि कुछ साल पहले उनकी एजेंसी के गोदाम में पर सिलेंडर लेने के लिये सैंकडों लोगों की लाईनें लगती थी मगर भाजपा सरकार आने  के बाद घर – घर तक रसोई गैस पहुंचाई जा रही है। उनका ध्येय ग्रेटर फरीदाबाद के गांवों को धूंआ मुक्त बनाना है जो कि जल्द ही पूरा हो जायेगा। क्योंकि अब तक गांवों में 80 से 90 प्रतिशत तक कनैक्शन हो चुके हैं जल्द ही गांवों से धंूआ गायब हो जायेगा। इस दौरान इंडेन गैस एजेंसी के डिस्ट्रीब्यूटर रेनबो गैस एजेंसी के मालिक हेम सिंह राणा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के जनरल मैनेजर मुकेश धीमान भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के मैनेजर अंबेश कुमार जिला पार्षद जगत भाटी भाजपा नेत्री किरण चौधरी भाजपा के वरिष्ठ नेता कमल स्रोत एवं गांव के सरपंच संजय भाटी विशेष रुप से उपस्थित रहे ।