( विनोद वैष्णव )| एम वी एन विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. (डॉ) जे.वी. देसाई और माननीय कुलसचिव डॉ. राजीव रतन , प्रो. (डॉ.) बदरुद्दीन, डॉ. विनीत सिन्हा जी, डॉ दिशा सचदेवा जी द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।कार्यक्रम के संचालक तरुण विरमानी ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय तौर पर श्रमिक दिवस मनाने की शुरुआत 4 मई 1886 को हुई थी। अमेरिका में श्रमिक संघों ने मिलकर निश्चय किया कि वे 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे, जिसके लिए संगठनों ने हड़ताल की। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हो गया। जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी, जिसमें कई श्रमिकों की मौत हो गई और 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन मैं घोषणा की गई की गई कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रुप में मनाया जाएगा। भारत में श्रमिक दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी, हालांकि उस समय इसे मद्रास दिवस के रुप में मनाया जाता था। 1 मई को श्रमिकों/कामगारों के समाज में योगदान और सम्मान में प्रत्येक वर्ष श्रमिक दिवस मनाया जाता है जिसे हम लेबर डे, मई दिवस, श्रमिक दिवस आदि नामों से भी जानते हैं। इस दिन समाज निर्माण में श्रमिकों, कामगारों, मजदूरों की महत्ता का सम्मान किया जाता है।
इस अवसर पर विधि विभाग के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. राहुल वार्ष्णेय जी ने श्रमिकों की मुख्य समस्याएं का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत में श्रमिकों और कामगारों की प्रमुख समस्याएं जैसे कामगारों में शिक्षा का अभाव, कार्य के अनियमित एवं अनिश्चित घंटे होना, स्थायित्व का अभाव एवं मालिकों की दूषित मनोवृत्ति का होना। प्रतिकूल कार्य की दशाएं एवं लघु व कुटीर उद्योगों का पतन होना मुख्य हैं।
उन्होंने बताया भारत में श्रम नीति, सामाजिक सुरक्षा एवं न्याय की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित हुई है और इसके दो मुख्य उद्देश्य रहे हैं। देश में औद्योगिक शांति बनाए रखना और श्रमिकों के कल्याण को हर परिस्थिति में सुरक्षित एवं प्रोत्साहन देना। श्रमिकों एवं कामगारों के अधिकारों के लिए कई प्रकार के कानून एवं नियम हैं,जिसमें समय समय पर संशोधन किया जाता है। जिसमें कुछ मुख्य नियम: न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, ठेका मजदूरी
अधिनियम 1970, प्रसूति लाभ अधिनियम 1961, समान मजदूरी अधिनियम 1976, श्रमिक मुआवजा अधिनियम 1923,
कर्मचारी राज्य बीमा योजना अधिनियम 1948, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972, राष्ट्रीय बाल श्रमिक नीति 1987, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद 1996, रोजगार एवं प्रशिक्षण निदेशालय हैं। जिनसे श्रमिकों/कामगारों के अधिकारों का प्रवर्तन करवाया एवं किया जा सकता है जिससे समाज में उनके सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा के न्याय को प्राप्त किया जाता है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) देसाई जी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस लाखों श्रमिकों के परिश्रम, दृढ़ निश्चय और निष्ठा का दिवस है। किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहम एवं महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इमारत हो या राष्ट्र, उसकी नींव की आधारशिला श्रमिकों के श्रम से ही होती है। अतः श्रमिकों को उचित सम्मान देना हम नागरिकों, उद्योगपतियों एवं सरकारों का प्रथम कर्तव्य है।इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के कर्मचारी गणों के योगदान का आभार व्यक्त किया एवं उन्हें प्रोत्साहित किया की एम वी एन संस्था को और अधिक दक्षता से अग्रसर किया जा सके।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त कर्मचारी गणों के लिए सौ मीटर दौड़, वॉलीबॉल और क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें 100 मीटर दौड़ में महिला प्रतियोगियों में रामवती प्रथम, शीला द्वितीय, देववती तृतीय स्थान पर रहीं वहीं 40 वर्ष से कम पुरुष प्रतियोगियों में दीपक प्रथम, तौफीक द्वितीय, किस्मत तृतीय स्थान पर रहे दूसरी ओर 40 वर्ष से अधिक 100 मीटर दौड़ में करण माली ने प्रथम स्थान, महेंद्र द्वितीय और कुंवरपाल तृतीय स्थान पर रहे। वॉलीबॉल खेल में महेश की कप्तानी में विश्वविद्यालय परिवहन विभाग की टीम ने प्रथम स्थान और दिनेश की कप्तानी में विश्वविद्यालय सुरक्षा कर्मी की टीम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया वहीं क्रिकेट में विश्वविद्यालय परिवहन विभाग की टीम ने जीत हासिल की। अंत में उनके लिए जलपान की व्यवस्था भी की गई।
कार्यक्रम के अंत में माननीय कुलसचिव डॉ. राजीव रतन जी ने सभी लोगों का धन्यवाद प्रस्तुत किया और कहा श्रमिक का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता है श्रमिक वह इकाई है जो हर सफलता का अभिन्न अंग है, फिर वह चाहे ईंट गारे से सना इंसान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी। हर इंसान जो किसी संस्था के लिए श्रम करता है और बदले में पैसे लेता है श्रमिक कहलाता है। श्रमिक/कामगार पैसा कमाने के लिए काम नहीं करते हैं बल्कि जीवन न्याय संगत हो इसके लिए कार्य करते हैं। श्रमिक ही एक ऐसा व्यक्ति है जो आपके सपनों को साकार करने के लिए अपना पसीना बहाता है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव श्रीमान दीपक मिश्रा जी, सहकुलसचिव श्री कपिल चौहान जी, श्रीमान त्रिलोक शर्मा जी, खेलकूद प्रशिक्षक श्री राम कुमार जी,एस्टेट मैनेजर श्री विवेक चौधरी जी ने अपने समस्त सहयोगियों के साथ इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर सहयोग व प्रतियोगियों का समर्थन किया।