समाज

now browsing by category

 
Posted by: | Posted on: July 14, 2020

के0 सी0 एम0 वल्र्ड स्कूल टिकरी ब्रहमाण पलवल का 12वी0 कक्षा का परीक्षा परिणाम शानदार रहा

पलवल (विनोद वैष्णव )|के0 सी0 एम0 वल्र्ड स्कूल टिकरी ब्रहमाण पलवल का 12वी0 कक्षा का परीक्षा परिणाम शानदार रहा। स्कूल से मिले प्रेस नोट के अनुसार छात्र सौरभ मंगला ने नॉन मेडिकल संकाय में 96.4 प्रतिशत अंको के साथ तथा निखिल ने मेडिकल संकाय में 96. 2 प्रतिशत अंक लेकर स्कूल में प्रथम स्थान बनाया है। इसी तरह खुशबू सोरौत ने 96 प्रतिशत , प्रियांशु गोयल ने 95.8 प्रतिशत , संकल्प , अन्जीरा ने 95.8 प्रतिशत अंक लेकर मेडिकल संकाय में क्रमश द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त किया। स्कूल के छात्र लव गोयल ने 95.6 प्रतिशत , लिशा गर्ग ने 95.6 प्रतिशत अंक लेकर नॉन मेडिकल संकाय में द्वितीय तथा हिमांशी ने 95.4 प्रतिशत , दीप नागर तथा टीया कंसल ने 95.2 प्रतिशत अंक प्राप्त लेकर तृतीय स्थान प्राप्त किया। स्कूल के कूल 53 बच्चों ने 90 प्रतिशत से अधिक तथा 19 बच्चों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए है। इस उपलब्धि पर स्कूल के चेयरमैन डॉक्टर राम नारायण भारद्वाज व प्रिंसिपल पारुल भारद्वाज ने सभी अभिभावको व छात्रों को बहुत बधाई दी तथा विश्वास दिलाया कि आने वाले समय में भी स्कूल इसी तरह मेहनत करता रहेगा तथा पलवल जिले का नाम रौशन करता रहेगा।

Posted by: | Posted on: July 13, 2020

पौधारोपण अभियान से रोटरी क्लब ऑफ फरीदाबाद इंडस्ट्रियल टॉउन कर रहा है प्रकृति की सेवा : राजेश नागर

फरीदाबाद(विनोद वैष्णव )।रोटरी क्लब ऑफ फरीदाबाद इंडस्ट्रियल टॉउन द्वारा चलाए चलाए जा रहे पौधरोपण अभियान के तहत विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल, तिगांव में पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर तिगांव के विधायक राजेश नगर ने पौधारोपण करते हुए इस अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर नागर ने कहा कि पौधारोपण का अभियान चला कर रोटरी क्लब ऑफ फरीदबाद इंडस्ट्रियल टॉउन प्रकृति की सेवा कर रहा है जोकि एक सराहनीय कार्य कर रहा है। जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच गहरा रिश्ता रहा है। पेड़ों से पेट भरने के लिए फल-सब्जियां और अनाज के साथ-साथ्ज्ञ जीवनदायिनी ऑक्सीज़न भी मिलती है, जिसके बिना कोई एक पल भी जिंदा नहीं रह सकता। इसलिए पौधारोपण कर उसका संरक्षण करना हम सबका दायित्व है। इस अवसर पर क्लब के प्रेजिडेंट विनय रस्तोगी, कोषाध्यक्ष दीपक यादव, पूर्व प्रधान नरेन्द्र परमार, मोहेन्द्र सर्राफ, संजय गर्ग, एसपी सिंह, विक्रम सिंह एडवोकेट, जिला पार्षद, देवेन्द्र भाटी, अशोक सरपंच रायपुर व अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। कोषाध्यक्ष दीपक यादव ने बताया कि इस अभियान के तहत 125 के करीब फल और छायादार वृक्ष लगाए गए जिसमें नीम, जामुन, गुलमोहर, अशोक व बोतल पॉम पेड़ शामिल हैं।

Posted by: | Posted on: July 13, 2020

यंग फॉर इंडिया के स्वच्छ जल हमारी मांग अभियान की शुरुआत :-एडवोकेट राजेश खटाना

फरीदाबाद(विनोद वैष्णव )।समाजसेवी एडवोकेट राजेश खटाना ने यंग फॉर इंडिया के बैनर तले आज स्वच्छ जल हमारी मांग अभियान की शुरुआत कर दी। इसके तहत फरीदाबाद के आमजन के लिए स्वच्छ जल की शासन प्रशासन से मांग की जाएगी। उन्होंने कहा कि आज सात आठ हजार रुपये महीना कमाने वाला व्यक्ति भी पीने के पानी पर एक से दो हजार रुपये खर्च करने के लिए मजबूर है। यह बहुत निराशाजनक स्थिति है। इस अवसर पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एडवोकेट राजेश खटाना ने बताया कि फरीदाबाद में स्वच्छ जल एक बड़ी और पुरानी समस्या है, लेकिन इस कोरोना काल में यह और बढ़ गई है। गर्मी और कोरोना दोनों ने पानी के रेट और उसकी उपलब्धता पर भी प्रभाव डाला है। आज एक आम आदमी के लिए पीने का स्वच्छ जल सपना ही है। कॉलोनियों और स्लम क्षेत्रों में पानी उपलब्ध ही नहीं है। उन्होंने बताया कि यंग फॉर इंडिया के माध्यम से चलाए जाने वाला यह अभियान पूरी तरह से गैर राजनैतिक होगा।अभियान के तहत सोमवार को नगर निगम के तीनों जोनों के जांइट कमिश्नर को एक मांग पत्र सौंपा जाएगा, जिसमें पानी की सही व्यवस्था होने तक कॉलोनियों और स्लम क्षेत्रों में वाटर एटीएम की व्यवस्था करने की मांग की जाएगी। इसके बाद नगर निगम के सभी 40 पार्षदों और पांचों विधायकों सहित केंद्रीय राज्यमंत्री को भी ज्ञापन सौंपा जाएगा।एडवोकेट राजेश खटाना ने बताया कि हम सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों एवं मीडिया के जरिए भी लोगों के साथ पानी की समस्या को लेकर संवाद करेंगे और स्वच्छ जल हमारी मांग को हर उस स्तर तक ले जाएंगे, जहां से हमें इसका हल मिल सकता है। खटाना ने बताया कि संपन्न व्यक्ति फिर भी पानी का इंतजाम कर लेता है लेकिन गरीब आदमी के लिए पानी स्टेटस सिंबल न बन जाए, इसके लिए हम संघर्ष के लिए उतर रहे हैं। जिसको किसी भी प्रकार से राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।इस अवसर पर यंग फॉर इंडिया के स्वच्छ जल हमारी मांग अभियान के समर्थन में नंदकिशोर ठाकुर, गुलशन कुमार, अरविंद कौशिक, चरण सिंह आदि भी प्रमुखता से मौजूद रहे।

Posted by: | Posted on: July 4, 2020

डॉ मिनाक्षी पांडेय की नजर से श्री वृन्दावन एक दिव्य दैविक धाम – पार्ट 2

वृन्दावन भगवान कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में यमुना तट पर स्थित है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है।वृन्दावन वह जगह है जहा श्री कृष्ण ने महारस किया था। यहाँ के कण कण में राधा कृष्ण के प्रेम की आध्यात्मिक धरा बहती है। वृन्दावन पावन स्थली का नामकरण ‘वृन्दावन’ कैसे हुआ इसके बारे में अनेक मत है। वुन्दा तुलसी को कहते है- पहले यह तुलसी का घना वन था इसलिए वृन्दावन कहा जाने लगा। वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी वृंदा अर्थात राधा है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्री राधा रानी के सोलह नामो में से एक नाम वृंदा भी है। वृन्दावन को ब्रज का हृदय कहते है जहाँ श्री राधाकृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है। पद्म पुराण में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है। इसी कारण से यह अनादि काल से भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। चैतन्य महाप्रभु, स्वामी हरिदास, श्री हितहरिवंश, महाप्रभु वल्लभाचार्य आदि अनेक गोस्वामी भक्तों ने इसके वैभव को सजाने और संसार को अनश्वर सम्पति के रूप में प्रस्तुत करने में जीवन लगाया है।वृन्दावन की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यमुना जी ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है। यहाँ के सघन कुंजो में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। बसंत ॠतु के आगमन पर यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को शीतलता प्रदान करती है, वह श्रीराधा-माधव के प्रतिबिम्बों के दर्शनों का ही प्रतिफल है। वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही साम्राज्य है। वृन्दावन में श्रीयमुना के तट पर अनेक घाट हैं। वृन्दावन की गलिया बड़ी प्रसिद्ध है और इन गलियों को कुंज गलिया कहते है। हैं।

‘वृन्दा’ तुलसी को कहते हैं। यहाँ तुलसी के पौधे अधिक थे। इसलिए इसे वृन्दावन कहा गया।वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी ‘वृन्दा’ हैं। कहते हैं कि वृन्दा देवी का मन्दिर सेवाकुंज वाले स्थान पर था। यहाँ आज भी छोटे-छोटे सघन कुंज हैं। श्री वृन्दा देवी के द्वारा परिसेवित परम रमणीय विविध प्रकार के सेवाकुंजों और केलिकुंजों द्वारा परिव्याप्त इस रमणीय वन का नाम वृन्दावन है। यहाँ वृन्दा देवी का सदा-सर्वदा अधिष्ठान है। वृन्दा देवी श्रीवृन्दावन की रक्षयित्री, पालयित्री, वनदेवी हैं। वृन्दावन के वृक्ष, लता, पशु-पक्षी सभी इनके आदेशवर्ती और अधीन हैं। श्री वृन्दा देवी की अधीनता में अगणित गोपियाँ निरंतर कुंजसेवा में संलग्न रहती हैं। इसलिए ये ही कुंज सेवा की अधिष्ठात्री देवी हैं। पौर्णमासी योगमाया पराख्या महाशक्ति हैं। गोष्ठ और वन में लीला की सर्वांगिकता का सम्पादन करना योगमाया का कार्य है। योगमाया समाष्टिभूता स्वरूप शक्ति हैं।

इन्हीं योगमाया की लीलावतार हैं- भगवती पौर्णमासीजी। दूसरी ओर राधाकृष्ण के निकुंज-विलास और रास-विलास आदि का सम्पादन कराने वाली वृन्दा देवी हैं। वृन्दा देवी के पिता का नाम चन्द्रभानु, माता का नाम फुल्लरा गोपी तथा पति का नाम महीपाल है। ये सदैव वृन्दावन में निवास करती हैं। ये वृन्दा, वृन्दारिका, मैना, मुरली आदि दूती सखियों में सर्वप्रधान हैं। ये ही वृन्दावन की वनदेवी तथा श्रीकृष्ण की लीलाख्या महाशक्ति की विशेष मूर्तिस्वरूपा हैं। इन्हीं वृन्दा ने अपने परिपालित वृन्दावन के साम्राज्य को महाभाव स्वरूप राधारानी के चरण कमलों में समर्पण कर रखा है। इसीलिए राधिका जी ही वृन्दावनेश्वरी हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीमती रानी के सोलह नामों में से एक नाम वृन्दा भी है। वृन्दा अर्थात अपने प्रिय श्री कृष्ण से मिलने की आकांक्षा लिए इस वन में निवास करती हैं और इस स्थान के कण-कण को पावन तथा रसमय करती हैं। है। यहाँ पर उस परब्रह्म परमात्मा ने मानव रूप अवतार धारण कर अनेक प्रकार की लीलाएँ की। विशेषकर यह वृन्दावन भगवान् श्रीकृष्ण की लीला क्षेत्र है। किसी संत ने कहा है कि-

वृन्दावन सो वन नहीं, नन्दगांव सो गांव।
बंशीवट सो बट नहीं, कृष्ण नाम सो नाम।

अर्थात वृन्दावन के बराबर संसार में कोई पवित्र वन नहीं है और नंदगाव के बराबर कोई गांव नही , बंशीवट के बराबर कोई वट वृक्ष नहीं है, और श्री कृष्ण नाम के बराबर कोई दूसरा नाम श्रेष्ठ नहीं है। वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण की चिन्मय रूप प्रेमरूपा राधा जी साक्षात विराजमान हैं। राधा साक्षत भक्ति रूपा हैं। इसलिए इस वृन्दावन में वास करने तथा भजन कीर्तन एवं दान इत्यादि करने से सौ गुना फल प्राप्त होता है। शिरोमणि श्रीमद्भागवत में यत्र-तत्र सर्वत्र ही श्रीवृन्दावन की प्रचुर महिमा का वर्णन प्राप्त होता है।चतुर्मुख श्री ब्रम्हा जी ने श्रीकृष्ण की अद्भुत लीला-माधुरी का दर्शन कर बड़े विस्मित हुए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे। ब्रह्माजी कह रहे हैं- ‘अहो! आज तक भी श्रुतियाँ जिनके चरणकमलों की धूलि को अन्वेषण करके भी नहीं पा सकी हैं, वे भगवान मुकुन्द जिनके प्राण एवं जीवन सर्वस्व हैं, इस वृन्दावन में उन ब्रजवासियों में से किसी की चरणधूलि में अभिषिक्त होने योग्य तृण, गुल्म या किसी भी योनि में जन्म होना मेरे लिए महासौभाग्य की बात होगी।

यदि इस वृन्दावन में किसी योनि में जन्म लेने की सम्भावना न हो, तो ब्रजधाम में कही भी किसी प्रान्त में प्रान्त किसी शिला के रूप में जन्म ग्रहण करूँ, जिससे वहाँ की मैला साफ़ करने वाली जमादारनियाँ भी अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उन पत्थरों पर पैर रगड़ें, जिससे उनकी चरणधूलि को स्पर्श करने का भी सौभाग्य प्राप्त हो। श्री उद्धव जी कहते हैं कि जिन्होंने दुस्त्यज्य पति-पुत्र आदि सगे-सम्बन्धियों, आर्यधर्म और लोकलज्जा आदि सब कुछ का परित्याग कर श्रुतियों के अन्वेषणीय स्वयं-भगवान ब्रजेन्द्रनन्दन श्री कृष्ण को भी अपने प्रेम से वशीभूत कर रखा है- मैं उन गोप-गोपियों की चरण-गोपियों की चरण-धूलि से अभिषिक्त होने के लिए इस वृन्दावन में गुल्म, लता आदि किसी भी रूप में जन्म प्राप्त करने पर अपना अहोभाग्य समझूँगा। रंगभूमि में उपस्थित माथुर रमणियाँ वृन्दावन की भूरि-भूरि प्रशंसा करती हुई कह रही हैं-अहा! इन तीनों लोकों में श्रीवृन्दावन और वृन्दावन में रहने वाली गोप-रमणियाँ ही धन्य हैं, जहाँ परम पुराण पुरुष श्रीकृष्ण योगमाया के द्वारा निगूढ़ रूप में मनुष्योचित लीलाएँ कर रहे हैं। कृष्ण प्रेम में उन्मत्त एक दूसरी गोपी को सम्बोधित करती हुई कह रही है- अरी सखि! यह वृन्दावन, वैकुण्ठ लोक से भी अधिक रूप में पृथ्वी की कीर्तिका विस्तार कर रहा है, क्योंकि श्री कृष्ण के चरणकमलों के चिह्नों को अपने अंक में धारण कर अत्यन्त सुशोभित हो रहा है।जब भी श्रीकृष्ण अपनी विश्व-मोहिनी मुरली की धुन छेड़ देते थे ,उस समय वंशीध्वनि को मेघा गर्जन समझकर मयूर अपने पंखों को फैलाकर उन्मत्त की भाँति नृत्य करने लगते हैं। इसे देखकर पर्वत के शिखरों पर विचरण करने वाले पशु-पक्षी सम्पूर्ण रूप से निस्तब्ध होकर अपने कानों से मुरली ध्वनि तथा नेत्रों से मयूरों के नृत्य का रसास्वादन करने लगते हैं।श्री शुकदेव जी परम पुलकित होकर वृन्दावन की पुन:पुन: प्रशंसा करते हैं- अपने सिर पर मयूर पिच्छ, कानों में पीले कनेर के सुगन्धित पुष्प, श्याम अंगों पर स्वर्णिम पीताम्बर, गले में पंचरंगी पुष्पों की चरणलम्बित वनमाला धारणकर अपनी अधर-सुधा के द्वारा वेणु को प्रपूरितकर उसके मधुर नाद से चर-अचर सबको मुग्ध कर रहे हैं तथा ग्वालबाल जिनकी कीर्ति का गान कर रहे हैं, ऐसे भुवनमोहन वेश धारणकर श्रीकृष्ण अपने श्रीचरण चिह्नों के द्वारा सुशोभित करते हुए परम रमणीय वृन्दावन में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए अखिल चिदानन्द रसों से आप्लावित मधुर वृन्दावन को छोड़कर श्रीकृष्ण कदापि अन्यत्र गमन नहीं करते हैं।एक रसिक और भक्त कवि ने वृन्दावन के सम्बन्ध में श्रुति पुराणों का सार गागर में सागर की भाँति संकलन कर ठीक ही कहा है. वृन्दावन की प्राकृतिक सौंदर्यता देखने योग्य है। यमुना ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है।

आज भी श्री वृन्दावन के कण कण में श्री कृष्ण की मधुर ध्वनि सुनायी देती है और उस पवित्रता और अद्भुत दिव्यता का एहसास होता है और इसका अनुभव हम वहां की मिटटी पर जाकर महसूस कर सकते हैं यहाँ के सघन कुंजों में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को जो शीतलता प्रदान करती है उसका बयान शब्दों में नही किया जा सकता है वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही साम्राज्य है। गर्ग संहिता में श्री वृन्दावन का महत्त्व गोलोकधाम से भी बढ़ कर मन गया है. कई विश्व प्रसिद्ध लोग अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण समय वृन्दावन में बिताते हैं और अपना जीवन आध्यात्म में समर्पित करते हैं जो शांति क्युकि यहाँ के वातावरण में है मेरा ये मानना है ऐसी परम शांति संपूर्ण विश्व में कहीं नही है अपने-अपने कामों से अवकाश प्राप्त कर अपने शेष जीवन को बिताने के लिए यहाँ अपने निवास स्थान बनाकर रहते हैं। वे प्रतिदिन साधु-संगतों, हरिनाम संकीर्तन, श्री मद्भागवत आदि ग्रन्थों के होने वाले पाठों में सम्मिलित होकर धर्म-लाभ प्राप्त करते हैं। ब्रज के केन्द्र में स्थित वृन्दावन में सैंकड़ों मन्दिर हैं। जिनमें से अनेक ऐतिहासिक धरोहर भी है। श्री सूरदास जी ,श्री चैतन्य महाप्रभू ,स्वामी हरिदास जी जैसे संतों का इस पवित्र स्थान से सम्बन्ध रहा है. ना जाने कितने विद्वानों ,ऋषि मुनियों ने अपना सब कुछ छोड़ कर श्री वृन्दावन में रहकर श्री कृष्ण साधना को अपने जीवन का परम उद्देश्य बना लिया

वृन्दावन में निधिवन

श्री वृन्दावन में स्थित निधिवन के बारे में कहा जाता है कि की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है कि निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है और उसके बाद वहां फिर किसी को अंदर प्रवेश करने की अनुमति नही है यहाँ तक कि वहां आने वाले वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है।निधि वन के अंदर ही ‘रंग महल’ है . और जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वहां प्रतिदिन श्री कृष्ण और श्रीमति राधा रानी के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में श्रीमति राधा रानी और श्री कृष्ण के लिए एक जल से भरा पात्र श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो पात्र का जल थोड़ा सा मिलता है ,दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।निधि वन की एक अन्य खासियत यहाँ के तुलसी के पेड़ है। निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है की इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि‍ जो लोग भी ले गए वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए इसलिए इन्हे कोई भी नही छूता , रंग महल में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है।शयन के लिए पलंग लगाया जाता है। सुबह बिस्तरों के देखने से प्रतीत होता है कि यहां निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद भी ग्रहण किया है। लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन के वृक्षों की खासियत यह है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत हाते हैं।निधिवन परिसर में ही संगीत सम्राट एवं धुपद के जनक श्री स्वामी हरिदास जी की जीवित समाधि, रंग महल, बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल, राधारानी बंशी चोर आदि दर्शनीय स्थान ऐसी भी मान्यता है निधिवन में प्रतिदिन रात्रि में होने वाली श्रीकृष्ण की रासलीला को देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के किसी को बता ना सके।

इसी कारण रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं। और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है। उनके अनुसार यहां जो भी रात को रुक जाते है वह सांसारिक बन्धन से मुक्त हो जाते हैं और जो मुक्त हो गए हैं, उनकी समाधियां परिसर में ही बनी हुई है। निधिवन में जो 16000 आपस में गुंथे हुए वृक्ष आप देख रहे हैं, वही रात में श्रीकृष्ण की 16000 रानियां बनकर उनके साथ रास रचाती हैं। रास के बाद श्रीराधा और श्रीकृष्ण परिसर के ही रंग महल में विश्राम करते हैं। जबकि सच इस प्रकार है – अनियमित आकार के निधिवन के चारों तरफ पक्की चारदीवारी है। परिसर का मख्यद्वार पश्चिम दिशा में है।परिसर का नऋत्य कोण बढ़ा हुआ है और पूर्व दिशा तथा पूर्व ईशान कोण दबा हुआ है। गाइर्ड जो 16000 वृक्ष होने की बात करते हैं वह भी पूरी तरह झूठ है क्योंकि परिसर का आकार इतना छोटा है कि 1600 वृक्ष भी मुश्किल से होंगे और छतरी की तरह फैलाव लिए हुए कम ऊँचाई के वृक्षों की शाखाएं इतनी मोटी एवं एवं मजबूत भी नहीं है कि दिन में दिखाई देने वाले बंदर रात्रि में इन पर विश्राम कर सकें इसी कारण वह रात्रि को यहाँ से चले जाते हैं।इस परिसर की चारदीवारी लगभग 10 फीट ऊंची है और बाहर के चारों ओर रिहायशी इलाका है जहां चारों ओर दो-दो, तीन-तीन मंजिला ऊँचे मकान बने हुए है और इन घरों से निधिवन की चारदीवार के अन्दर के भाग को साफ-साफ देखा जा सकता है। वह स्थान जहाँ रात्रि के समय रासलीला होना बताया जाता है वह निधिवन के मध्य भाग से थोड़ा दक्षिण दिशा की ओर खुले में स्थित है।यदि सच में रासलीला देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा हो जाए या मर जाए तो ऐसी स्थिति में निश्चित ही आस-पास के रहने वाले यह इलाका छोड़कर चले गए हाते। निधिवन के अन्दर जो 15-20 समाधियां बनी हैं वह स्वामी हरिदास जी और अन्य आचार्यों की समाधियां हैं जिन पर उन आचार्यों के नाम और मृत्यु तिथि के शिलालेख लगे है

Posted by: | Posted on: June 27, 2020

बाबा रामकेवल ने मुंडन कराकर बीजेपी को चेताया : सुमित गौड़

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव )|आरटीआई कार्यकर्ताओं, पत्रकारों एवं समाजसेवियों द्वारा लगातार दर्ज हो रहे उत्पीडऩ के मुकदमें व हमले के विरोध में पिछले 24 दिनों से सेक्टर-12 स्थित लघु सचिवालय के समक्ष आमरण अनशन पर बैठे बाबा रामकेवल को शुक्रवार को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रदेश प्रवक्ता सुमित गौड़ ने अपना समर्थन देते हुए उनकी सभी मांगों को पूरी तरह से जायज करार दिया। सुमित गौड़ ने कहा कि भाजपा सरकार में अफसरशाही पूरी तरह से बेलगाम हो चुकी है, अधिकारी मनमानी करते है और बिना किसी तथ्यों व सच्चाई के लोगों में मुकदमें दर्ज कर दिए जाते है। उन्होंने यह भी कहा कि बाबा रामकेवल को धरने पर बैठे करीब 24 दिन हो चुके है परंतु किसी भी सत्तापक्ष के नेता एवं अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली है, ऐसे में इससे पता चला है कि भाजपा सरकार की नीति और नीयत दोनों ही खराब है। श्री गौड़ ने कहा कि बाबा रामकेवल आम जनता के हकों की लड़ाई लड़ रहे है और कांग्रेस पार्टी उनके इस संघर्ष में पूरी तरह से उनके साथ है और हर स्तर पर उनका सहयोग करेगी। वहीं बाबा रामकेवल ने आज धरनास्थल पर अपने बालों का मुंडन कराते हुए कहा कि उनके इस संघर्ष में आम जनता उन्हें पूरा सहयोग कर रही है, लेकिन प्रशासन ने पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है, लेकिन उसके बावजूद तब तक सरकार व प्रशासन की तानाशाही समाप्त नहीं हो जाती, उनका यह अहिंसात्मक प्रदर्शन जारी रहेगा, चाहे इसके लिए उन्हें अपने प्राणों की कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े। श्री गौड़ के अलावा बाबा रामकेवल को समर्थन देने के लिए कई समाजसेवी लोग भी धरनास्थल पर पहुंचे।

Posted by: | Posted on: June 27, 2020

डांस एकेडमी संचालको ने एकेडमी खोलने को लेकर जिला उपायुक्त के नाम सौपा ज्ञापन :-कसीना ऋषि

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव )| फरीदाबाद के डांस एकेडमी संचालको ने सेक्टर 12लघु सचिवालय पर लोक डाउन की वजह से बेरोजगार हुए कलाकार ने प्रदर्शन कर जिला उपायुक्त के नाम सिटी मजिस्टेट बलिना को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर अतुल त्यागी ने बताया की तीन महा से बंद पड़ी है जिसके कारण एकेडमी के संचालक बेरोजगार हो गए है। सभी एकेडमी किराए की जगह पर बनी हुई है। एकेडमी संचालक किराया देने में अक्षम है। उन्होंने कहाकि सरकार एकेडमी खोलने के गाइडलाइन जारी करें। जिससे एकेडमी संचालक एकेडमी चलाकर सक्षम बने। उन्होंने जिला उपायुक्त से गुहार लगाई है की जल्द ही सरकार उनके लिए निर्देश जारी नहीं करती तो दो,तीन महीने अगर अकैडमी नहीं खुलती है तो वह भी अपनी एकेडमी बंद कर देंगे और वह सड़क पर आ जाएंगे। उन्होंने कहाकि फरीदाबाद की काफी संख्या में म्यूजिक संस्थान हैं और बहुत सारे डांस एकेडमी हैं जो लॉक डॉन से बंद कर चुके हैं। क्योंकि वह किराया भरने में असमर्थ थे। सभी संचालको ने सिटी मजिस्ट्रेट को आश्वासन दिया है कि जब भी हमारी एकेडमी खोली जाएंगी और बच्चे आएंगे तो सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का हम पूरी तरह पालन करेंगे और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करेंगे।इस मौके पर अंकुर त्यागी, अशोक, संजय, कसीना, सन्नी रावत, प्रिया दास, मानव, जयंत, अक्षय पांचाल, पंकज, राहुल, असलम, रोहित, ममता, प्रशांत, राजकुमार, राजेश आदि एकेडमी संचालक मौजूद थे।

Posted by: | Posted on: June 26, 2020

हरियाणा पत्रकार संघ का एक प्रतिनिधी मंडल राज्य के पत्रकारों की मांगों को लेकर आज करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिला

चंडीगढ़/करनाल (विनोद वैष्णव )।हरियाणा पत्रकार संघ का एक प्रतिनिधी मंडल राज्य के पत्रकारों की मांगों को लेकर आज करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिला । मांग पत्र में पत्रकारों को चिकित्सा बीमा देने, कोविड-19 में रहे बेरोजगार पत्रकारों को राहत पैकेज देने तथा लघु समाचार पत्रों को लाभकारी नई विज्ञापन नीति बनाने की एवं प्रेस मान्यता देने वाली कमेटी का गठन करने की माँग की गई की । इस बैठक में करनाल के सांसद संजय भाटिया भी उपस्थित थे ।

Posted by: | Posted on: June 24, 2020

???? कर कर सर्वे मर गए ????

आपदा में कर्मचारी कर कर सर्वे मर गए
कुछ अधिकारी पीढ़ियों का इंतजाम कर गए।
राशन पानी आएगा कुछ बाबूजी ने बोला था
इंतजार में यूं जनता के पेट खुद ही भर गए।
करना धरना कुछ नहीं टी वी पर आते हैं रोज
चुन के मुखिया सूबों के छाती पे ऐसे धर गए।
कोरोना योद्धा बने और, ले लिए प्रमाणपत्र
अखबारों में छप छपाकर,वो तो अपने घर गए।
आधा मिलता मेहनताना, काम दुगना हो गया
खुश होकर कर रहे गुजारा ,बेकारी से डर गए।
कोई भी अपना नहीं है मजदूरों ने जाना जब
सैंकड़ों मिलों चले और लौट अपने दर गए।
रक्षक,शिक्षक और चिकित्सक डटे हैं मैदान में
स्वच्छता के और सिपाही मन मेरा भी हर गए।

देवेंद्र गौड़ (कवि)

Posted by: | Posted on: June 24, 2020

वृन्दावन – एक दिव्य दैविक धाम :-डॉ मीनाक्षी पांडेय

वृन्दावन एक ऐसा पावन पवित्र और आध्यात्म से परिपूर्ण धाम है जहाँ पहुंचते ही व्यक्ति का मन भक्तिमय ,कृष्णमय और राधामय हो जाता जाता है जिसकी अभिव्यक्ति शब्दों से नही की जा सकती है , श्री वृन्दावन धाम में कृष्ण का बचपन बीता ,जहाँ उन्होंने गोपियों के साथ नृत्य किया, श्री वृन्दावन धाम को गोलोक धाम भी कहते हैं क्योकि वो श्री क्रृष्ण का निज धाम है। गोलोक का मतलब है श्री भगवान की नितसँगी गोपियाँ ,गोलोक का मतलब है श्री कृष्ण की परमप्रिय गायें और गोलोक का मतलब है ग्वालवाल तो इसका अभिप्राय ये है जहाँ कि भगवान श्री कृष्ण की परमप्रिय गायें ,ग्वालवाल और गोपियां विराजमान हैं वही वृन्दावन धाम है।

श्री वृन्दावन धाम को चिन्तामणि धाम भी कहते हैं क्यूँकि उस धाम के परिसर में पहुंचते ही व्यक्ति के जीवन की सारे दुःख ,बाधाएं और परेशानियां स्वतः विलुप्त हो जाती हैं और बस व्यक्ति का मन भक्तिरस में डूब जाता है, इसलिए श्री वृन्दावन धाम को आनंद धाम भी कहते हैं क्योंकि इस भूमि पर व्यक्ति को एक अनोखे सुख का एहसास होता है इस सबका एक प्रत्यक्ष प्रमाण है ब्रजधाम में रहने वाले लोग और संपूर्ण विश्व से ब्रजधाम पहुंचने वाले लोगों का अनुभव इस बात का प्रमाण देता है। श्री वृन्दावन वो तपोवन है जहाँ का एक एक घर मंदिर है ,वहां पेड़ ,पत्ते ,लता पताओं में सकती। वृन्दावन वह स्थान है जहाँ भगवान सिर्फ श्री कृष्ण और श्रीमती राधारानी की गूँज सुनायी देती है.

मथुरा मंडल में साढ़े बीस योजन में फैले हुए भूभाग को ऋषियों और मुनियों ने दिव्य ” ब्रजधाम” की उपाधि दी है ,श्री ब्रज वृन्दावन धाम श्री कृष्ण और राधा रानी की क्रीड़ास्थली भी है जो साक्षात् बैकुंठ से भी परम उत्कृष्ट है। जहाँ साक्षात यमुना हैं ,गोवर्धन गिरिराज हैं ,जहाँ बरसाना है नंदीश्वर गिरिराज हैं ,सुन्दर और अद्भुत मंदिर हैं, कई घाट हैं ,हरे भरे उपवन हैं ,वृंदा (तुलसी) वाटिकाएँ हैं ,देवपुष्प परिजात आदि के कुञ्ज हैं ,जहाँ सूंदर गायें स्वछंद विचरण करती रहती हैं ,जहाँ पवित्रता है ,सुगंध है ,असीम शांति है ,घर घर में मंदिर हैं ,निधिवन की सुन्दर लता पताएं हैं और छोटे छोटे तुलसी के पेड़ हैं और यहाँ तुलसी का हर पौधा जोड़े में है। मान्यता है की जब श्री कृष्ण और राधारानी रासलीला करते हैं तो ये तुलसी के पौधे गोपियाँ बन जाती हैं और हर सुबह होने पर तुलसी का पौधा बन जाती हैं। वृन्दावन -निधिवन की रहस्यमयी कहानियों से शायद ही कोई अपरिचित हो। इसके अलावा ,निधिवन के पेड़ मनुष्य के आकर के दिखाई देते हैं जो अलग अलग मुद्राओं में खड़े रहते हैं। यहाँ की सबसे बड़ी खासियत ये है की यहाँ लगे वृक्षों की शाखाएं ऊपर की ओर से ना विकसित होकर नीचे की ओर से बढ़ती हैं। वहाँ के स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि शाम के बाद कोई इस वन की और नही देखता। जिन लोगों ने भी इसे उत्सुकता वश देखने का प्रयास किया वो या तो अंधे हो गए या पागल हो गए। वृन्दावन के बुजुर्ग लोग इस वन से जुडी कई रहस्यमयी कहानियाँ बताते हैं।
“वृन्दावनं परित्यज्य सा कवासिन नैवा गच्छेति” – चैतन्य चरितमृत, श्री कृष्ण ने वृंदावन को कभी नहीं छोड़ा।ब्रज का कण कण श्री कृष्ण चरणों से चिन्हित है, यह हमें नित्य ही श्री कृष्ण की याद दिलाता है । श्री कृष्ण को भला कोई ब्रज में कैसे भूल सकता है. श्री वृन्दावन धाम श्रीमती राधा रानी को प्राण से भी ज्यादा प्रिय है इसकी चर्चा निम्न लिखित कथा में है साक्षात् परिपूर्ण तम भगवन श्री कृष्ण जो असंख्य ब्रम्हाण्डों के अधिपति और “गोलोक ” के नाथ हैं जब पृथ्वी का भार उतारने स्वयं इस भूतल पर आने लगे तब श्री कृष्णा ने श्री राधा रानी से भूतल पर साथ चलने को कहा इस पर श्री राधा रानी बोलीं ” कि हे कृष्ण जहाँ वृन्दावन नही है ,जहाँ कालिंदी यमुना का किनारा नही ,जहाँ यमुना के घाट न हों और जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं ,वहां मेरे मन को शांति नही मिलती है. श्री राधारानी की यह बात सुनकर श्री कृष्णा ने अपने धाम से चौरासी कोस विस्तृत भूमि ,गोवर्धन पर्वत और यमुना नदी को भूतल पर भेजा और तब गोलोक भूमि २४ वनों के साथ ,चौरासी कोस विस्तार के साथ भूतल पर अवतरित हुई। इस प्रकार वृन्दावन एक ऐसा देवधाम है जिसकी व्याख्या करने के लिए शब्द भी काम पड़ते हैं जिसे समस्त देवता भी पसंद करते हैं। वृन्दावन की खासियत वहां के हरे भरे पेड़ ,लता पताएं , वृक्ष ,स्वछन्द बहती यमुना नदी ,वह का पवित्र वातावरण ,चहचहाते पक्षी ,पुराने वृन्दावन स्थित वंशीवट ,सुदामा कुटी ,यमुना रानी,गोपेश्वर मंदिर गौशालाओं में

वृन्दावन धाम वो पवित्र स्थल है जो भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुडा हुआ है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिरों की विशाल संख्या है। यहाँ स्थित बांके विहारी जी का मंदिर, श्री गरुड़ गोविंद जी का मंदिर व राधावल्लभ लाल जी का मंदिर प्राचीन है। इसके अतिरिक्त यहाँ श्री राधारमण, श्री राधा दामोदर, राधा श्याम सुंदर, गोपीनाथ, गोकुलेश, श्री कृष्ण बलराम मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र, निधि वन आदि दर्शनीय स्थान है।यह कृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि सभी ग्रंथों में वृन्दावन की महिमा का वर्णन है कि श्री वृन्दावन – एक दिव्य दैविक धाम है, वृन्दावन की खासियत वहां के हरे भरे पेड़ ,लता पताएं , वृक्ष ,स्वछन्द बहती यमुना नदी ,वहाँ का पवित्र वातावरण ,चहचहाते पक्षी ,पुराने वृन्दावन स्थित वंशीवट ,सुदामा कुटी ,यमुना रानी,गोपेश्वर मंदिर, गौशालाओं में सुन्दर गायें , यहाँ के सघन कुंजों में तरह तरह के रंग बिरंगी पुष्प और ऊँचे ऊँचे घने वृक्ष मन को उल्लास से भर देता है और आँखों को शीतलता प्रदान करते हैं वृन्दावन का कण कण रसमय है इसे गोलोक धाम से अधिक मन जाता है।

यही कारण है कि जिसने एक बार वृन्दावन धाम में भक्तिरस का पान कर लिया फिर वो वृन्दावन के बगैर नही रह सकता क्योकि उन्हें वृन्दावन धाम में जगह जगह ठाकुर जी के दर्शन करके अद्भुत शांति मिलती है वहाँ उन्हें नकारात्मकता से दूर प्रतिदिन एक खुला वातावरण ,पक्षियों का कलरव ,साधू संतों का दर्शन ,हरिनाम संकीर्तन ,भागवत ,वेदों ,शास्त्रों ,पुराणों का हर पल पाठों में सम्मिलित होना , मंदिरों की सुबह शाम संध्या आरती में सम्मिलित होना एक आंतरिक शक्ति देता है और उनके ह्रदय मेंन,शरीर में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार करता है। छोटे छोटे बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के लोग भी भागवत महापुराड़ का पाठ करते हैं।

श्री कृष्ण और राधारानी के बिना वृन्दावन की कल्पना अधूरी है श्री कृष्ण का अवतार एक पूर्ण अवतार माना जाता है। ये कितने गर्व की बात है की असंख्य ब्रह्माण्डों के स्वामी श्री कृष्ण गोलोक धाम में विराजते हैं श्री कृष्ण भगवन एक पूर्ण अवतार हैं। जिनके पास नौ रसों की अभिव्यक्ति है बल और पराक्रम में जिनसे कोई जीत नही सकता ,जो परम पराक्रमी हैं और सोलह कलाओं में निपुड़ हैं उन ठाकुर कृष्ण चंद्र के चरणों में मेरा बारम्बार प्रणाम है और भगवान के इस अवतार को हम ‘पूर्णावतार’ मानते हैं क्योंकि श्री कृष्ण ने एक कार्य के उद्देश्य से अवतार लेकर अनेकों शुभ कार्य सम्पादित किये। गोविन्दम् आदि पुरुषं तम् अहं भजामि

“गोविन्दम् आदि पुरुषं तम् अहं भजामि,वेनणुम् क्वणन्तारविन्द दलायताक्षम्,बार्हावतंसम् असिताम्बुद सुन्दरााङ्गम्कन्दर्प कोटि कमनीय विश्ऽएष श्ऽओभम्”

“हे गोविन्द आप ही आदि पुरुष हो , आप ही पुरुषोत्तमोत्तम एवं परात्पर पुरुष परमेश्वर हो। भगवान श्री कृष्ण गोलोक वृन्दावन के स्वामी हैं समस्त ब्रजमंडल के स्वामी हैं, ठाकुर श्री कृष्ण को श्री वृन्दावन धाम ह्रदय से भी ज्यादा प्यारा है इसलिए उन्हें वहां के ब्रजवासियों से भी बहुत प्रेम था इसके बहुत से रोचक तथ्य पुराणों में उपलब्ध है जैसे ब्रजवासियों को इंद्र के क्रोध और वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पहाड़ को अपनी ऊँगली पे धारण किया था और इसी प्रकार ब्रजवासियों की कई बार ठाकुर कृष्णा ने रक्षा की।

भगवान श्रीकृष्ण एक राजनीतिक, आध्यात्मिक और योद्धा ही नहीं थे वे हर तरह की विद्याओं में पारंगत थे। श्रीकृष्ण ने धर्म, राजनीति, समाज और नीति-नियमों का व्यवस्थीकरण किया था। था। प्रचलित जनश्रुति अनुसार माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण शरीर से मादक गंध निकलती रहती थी और श्रीकृष्‍ण के शरीर से निकलने वाली खुशबु गोपिकाचंदन और कुछ-कुछ रातरानी की सुगंध से मिलती जुलती थी।इसके अलावा भगवन श्री कृष्ण एक महायोगी भी थे। भगवान श्रीकृष्ण ने वेद और योग की शिक्षा दीक्षा उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनि के आश्रम में रहकर हासिल की थी। कृष्ण के पास सुदर्शन चक्र था जिसे युद्ध में सबसे घातक हथियार माना जाता था। श्री कृष्ण के मिट्टीखाने पर जब यशोदा माँ ने उनसे नाराज होकर उन्हें मुँह खोल के दिखने को कहा तो भगवन ने अपनी माया द्वारा माता यशोदा को अपने मुंह के भीतर ब्रह्मांड के दर्शन कराया था , वहीं उन्होंने महाभारत युद्ध में अर्जुन को अपने विराट स्वरूप का दर्शन कराकर उसका मोह भ्रम दूर किया था। दूसरी ओर उन्होंने कौरवों के दरबार में द्रौपदी के चीरहरण के समय उसकी लाज बचाई थी। इस तरह कृष्ण के चमत्कार और माया के कई किस्से हैं, एक योगी होने के कारण ,वे योग में पारगत थे ,और कई बार घंटों योग में लीं हो जाते थे तथा योग द्वारा जो भी सिद्धियां उन्हें स्वत: ही उन्हें प्राप्त हो जाती थी।

श्री कृष्ण के पास यूं तो कई प्रकार के दिव्यास्त्र थे। लेकिन सुदर्शन चक्र मिलने के बाद सभी ओर उनकी साख बढ़ गई थी। शिवाजी सावंत की किताब ‘युगांधर अनुसार’ श्रीकृष्ण को भगवान परशुराम ने सुदर्शन चक्र प्रदान किया था, तो दूसरी ओर वे पाशुपतास्त्र चलाना भी जानते थे। पाशुपतास्त्र शिव के बाद श्रीकृष्ण और अर्जुन के पास ही था। इसके अलावा उनके पास प्रस्वपास्त्र भी था, जो शिव, वसुगण, भीष्म के पास ही था।

इस प्रकार हम कह सकते हैं की श्री कृष्ण का बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना आदि जगहों पर बीता। द्वारिका को उन्होंने अपना निवास स्थान बनाया और सोमनाथ के पास स्थित प्रभास क्षेत्र में उन्होंने देह छोड़ दी। दरअसल भगवान कृष्ण इसी प्रभाव क्षेत्र में अपने कुल का नाश देखकर बहुत व्यथित हो गए थे। वे तभी से वहीं रहने लगे थे। महाभारत का युद्द समाप्त होने पर एक दिन वे एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे तभी किसी बहेलिये ने उनको हिरण समझकर तीर मार दिया। यह तीर उनके पैरों में जाकर लगा और तभी उन्होंने देह त्यागने का निर्णय ले लिया। एक दिन वे इसी प्रभाव क्षेत्र के वन में एक पीपल के वृक्ष के नीचे योगनिद्रा में लेटे थे, तभी ‘जरा’ नामक एक बहेलिए ने भूलवश उन्हें हिरण समझकर विषयुक्त बाण चला दिया, जो उनके पैर के तलुवे में जाकर लगा और भगवान श्रीकृष्ण ने इसी को बहाना बनाकर देह त्याग दी। जनश्रुति अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने जब देहत्याग किया तब उनकी देह के केश न तो श्वेत थे और ना ही उनके शरीर पर किसी प्रकार से झुर्रियां पड़ी थी। अर्थात वे 119 वर्ष की उम्र में भी युवा जैसे ही थे।

इस प्रकार श्री ब्रजधाम के विषय में चर्चा इतनी अनंत है जिसे थोड़े से शब्दों से अभिव्यक्ति नही की जा सकती इसलिए मई इसी प्रकार बीच बीच में श्री वृन्दावन धाम से जुडी हुई कृष्णा कथाएं, ब्रज धाम के प्रसिद्ध मंदिर ,वहाँ के मंदिरों से जुड़े कुछ रहस्यों के साथ एक बार फिर लौटूंगी।

वृन्दावन से जुड़े हुए किसी भी विषय पे चर्चा करने के लिए जुड़ें-:

राधे राधे !
डॉ. मीनाक्षी पाण्डेय
प्रोफेसर, हेड
स्कूल ऑफ़ कॉमर्स एंड मैनेजमेंट,
लिंगयास यूनिवर्सिटी
Email: kaushikmeenakshi36@gmail.com

Posted by: | Posted on: June 23, 2020

जल शक्ति अभियान,पौधारोपण एवं मनेरेगा से किसान एवं प्रवासी मजदूर होंगे आत्म निर्भर :-डॉ शिवसिंह रावत

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | डॉ शिवसिंह रावत (बहीन) आईआईटी दिल्ली एलुमीनाई एवं अधीक्षण अभियंता हरियाणा सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग गुडगाँव ने एक राष्ट्रीय वेबीनार में बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित करते हुए कहा कि जल शक्ति अभियान एवं पौधारोपण के माध्यम से किसानों एवं प्रवासी मजदूरों को मनेरेगा स्कीम के तहत रोजगार देकर उन्हें आत्म निर्भर बनाया जा सकता है। आईआईटी दिल्ली एलुमीनाई एसोसिएशन की सामाजिक एवं शैक्षणिक पहल ‘NEEV’ तथा राजकीय महाविद्यालय सुकरौली कुशीनगर (यूपी) के संयुक्त तत्वावधान में “कोविड -19 के बाद भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की आत्मनिर्भरता : अवसर एवं चुनौतियां” विषय पर एक राष्ट्रीय वेबीनार का ऑनलाइन आयोजन 22 जून 2020 किया गया। कार्यक्रम में यूपी सरकार के मंत्री, उच्च अधिकारी एवं अन्य गणमान्य वक्ताओं ने भाग लिया। वेबीनार के मुख्य अतिथि यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी और विशिष्ट अतिथि अंबेडकर महासभा लखनऊ व अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ लाल जी प्रसाद निर्मल थे। डॉ सतीश द्विवेदी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फार लोकल की संकल्पना पर जोर देते हुए अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र के योगदान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के योगदान में अंतर को स्पष्ट करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के योगदान को अधिक महत्वपूर्ण बताया।वेवीनार में डॉ शिव सिंह रावत ने भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की आत्मनिर्भरता हेतु किसानों को कृषि एवं सिंचाई कार्य हेतु सरकारी स्तर पर दी जाने वाली सहूलियतों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पानी के संकट को देखते हुए आज वर्षा जल संचयन एवं भूजल रीचार्ज की आवश्यकता है। अतः इस मानसून के मौसम से पहले मनेरेगा स्कीम के तहत इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार देकर गांवों के तालाब, जोहड़, पोखर एवं कुओं को खोदकरबारिश के पानी को रोककर संचय एवं सरंक्षण किया जाए तो गिरते हुए भूजल स्तर को रोकने में मदद मिलेगी। हरियाणा सरकार द्वारा पानी बचाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पर दी जा रही सब्सिडी एवं फसल विविविधीकरण के तहत धान की जगह कम पानी वाली फसलों के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ स्कीम के अन्तर्गत किसानों को 7000 रूपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि के बारे मे विस्तार से चर्चा की। डॉ रावत ने कहा कि फल पौधारोपण अभियान में ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों एवं प्रवासी मजदूरों को रोजगार देकर गरीबी, भुखमरी, प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है। ज्यादा पेड होंगे तो अच्छी बारिश होगी जिससे कृषि के लिए अधिक जल उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि जुलाई एवं अगस्त के महीने में वो खुद विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से एक लाख फल वाले पौधे पलवल जिले के गांवों में लगवाएंगे। डॉ रावत का मानना है कि आत्म निर्भर गांव ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ निर्मल एवं अन्य मुख्य वक्ताओं में कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ रणधीर सिंह पोसवाल, गोरखपुर विश्व विद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के आचार्य व विभागाध्यक्ष डॉ मानवेन्द्र सिंह एवं विणिज्य विभाग के आचार्य व उद्यमिता विशेषज्ञ प्रो अजेय गुप्ता, उ0 प्र0 न्यायिक सेवा के न्यायाधीशों, बरेली के डॉ विकास वर्मा, गुजरात के युवा उद्यमी सोनू सिंह ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सुझाव दिए एवं आत्मनिर्भरता हेतु सरकारी स्तर पर चलाए जा रही योजनाओं पर विस्तार से चर्चा किया। इस वेवीनार में भारत के लगभग प्रत्येक राज्य से 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। वेबिनार का सीधा प्रसारण यूट्यूब एवं जूमएप के माध्यम से किया गया जिसमें 2000 से ज्यादा लोगों ने प्रसारण देखा। अंत में नीव संस्था के डॉ उपदेश वर्मा एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजय कुमार तिवारी ने वेबीनार की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद किया।