( विनोद वैष्णव )| नई दिल्ली: बच्चों में आंत के कृमि संक्रमण के देशव्यापी सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरे और इससे संबंधित रोगों से लड़ने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में 10 फरवरी, 2018 को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन करना अनिवार्य बनाया है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 1 से 19 साल तक के बच्चों में आंत के कृमि संक्रमण का उपचार करने के लिए एकदिवसीय निर्धारित कार्यक्रम है और हर वर्ष 10 फरवरी तथा 10 अगस्त को मनाया जाता है।
फरवरी 2015 से शुरू हुए इस कार्यक्रम के पाँच चरण हो चुके हैं। इस व्यापक कृमि मुक्ति कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूलों और आंगनवाड़ियों के सभी बच्चों तक पहुंचकर कृमि संक्रमण का उपचार करना है। अनुपस्थिति या बीमारी के कारण जिन बच्चों को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर कृमि मुक्त नहीं किया जा सका उन्हें 15 फरवरी को मौँप -अप दिवस पर कृमि मुक्त किया जायेगा।
आंगनवाडी और स्कूल आधारित कृमि मुक्ति कार्यक्रम एक सुरक्षित, किफायती (कम खर्च वाला) और करोड़ों बच्चों तक आसानी से पहुँच सकने वाला कार्यक्रम है। कृमि मुक्ति स्कूल में अनुपस्थिति में कमी, स्वास्थ्य, पोषण और शैक्षणिक परिणामों में सुधार तथा आगे के जीवन में उच्च आय के रोज़गार पाने को प्रदर्शित करता है। आंत के कृमि संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षित और लाभदायक एल्बेंडाजोल की दवा प्रमाण आधारित और वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य एक प्रभावकारी उपाय है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की चिंता किये बिना इस प्रकार से तैयार किया गया है कि सभी बच्चे इसकी पहुंच में आ सकें।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशानुसार सभी राज्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और आंगनवाड़ियों के अतिरिक्त उन स्कूल न जाने वाले बच्चों को इसमें सम्मिलित करने का विशेष प्रयास करेंगे जो कृमि संक्रमण से बुरी तरह ग्रस्त हो सकते हैं और कृमि संक्रमण के खतरे पर हैं। क्योंकि निजी स्कूलों में भारी मात्रा में बच्चे पढ़ते हैं इसलिए देश भर के निजी स्कूल भी उत्साहपूर्वक इसमें सम्मिलित हुए हैं, ताकि इन स्कूलों के बच्चों को भी कृमि मुक्त किया जाये और समग्र रूप से समुदाय में कृमि प्रसार को कम करने में योगदान दिया जाय।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की तैयारी में बच्चों को दवा खिलाने के लिए शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है जबकि आशा कार्यकर्ता तथा अन्य कार्यकर्ता इस दिन बच्चों में कृमि मुक्त होने के लिए जागृति फैलाने और बच्चों को एकत्रित करने का कार्य करेंगे। पंचायती राज, युवा मामलों से सम्बंधित अन्य मंत्रालय और विभाग भी पंचायत सदस्यों, युवा स्वयंसेवकों और समुदाय आधारित अन्य समूहों के अपने संसाधनों को इसके लिए तैनात कर रहे हैं ताकि समुदायों में कृमि मुक्त भारत में सम्मिलित किया जा सके।
कृमि मुक्ति के कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं और कुछ बच्चों को,खासकर उन्हें जो कृमि संक्रमण से बहुत अधिक ग्रसित हैं, मिलती आने, हल्का पेट दर्द होने, उल्टी आने, दस्त या चक्कर आने की शिकायत हो सकती है। स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशानुसार व्यापक प्रतिकूल घटना प्रोटोकाॅल लगाये गये हैं। कृमि मुक्त होने से अलग हटकर, स्वस्थ और स्वच्छ तरीके अपनाना बच्चों और और समुदायों को कृमि संक्रमण से सुरक्षित रहने में सहायता करेगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय खुले में शौच मुक्त भारत की कल्पना करता है जिसमें किसी समुदाय में कृमि के खतरे को कुलमिलाकर कम करने की क्षमता है। स्वच्छ भारत के लिए स्वच्छ भारत अभियान के प्रयास आगे राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के विकास और लाभों को सहायता प्रदान करेंगे।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज कंट्रोल और एविडेंस एक्शन के तकनीकी सहयोग से आयोजित किया जाता है।