सुदामा प्रीमियर लीग ने बीपीएल और ईडब्ल्यूएस वर्ग से चुनी गई प्रतिभाओं के लिए एक बड़ा प्लेटफॉर्म और लाइफटाइम अवसर प्रदान किया है, जिससे उन्हें क्रिकेट में नाम कमाने के अपने सपने सच करने में मदद मिलेगी

( विनोद वैष्णव )नई दिल्ली | बुधवार गैर-लाभकारी एनजीओ प्रसार (पीपल्स राइट एंड सोषल रिसर्च सेंटर) द्वारा दिल्ली में आयोजित होने वाला क्रिकेट टूर्नामेंट सुदामा प्रीमियर लीग समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का सबसे ठोस पहल में से एक है। प्रवर्तकों ने स्क्रीनिंग के माध्यम से क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए बीपीएल और ईडब्ल्यूएस श्रेणियों से खिलाडि़यों को चुनने के लिए आनोखा तरीका अपनाया है। इसके बाद इन खिलाडि़यों को क्रिकेट की दुनिया के दिग्गजों द्वारा प्रषिक्षित किया गया और ट्वेंटी-20 प्रारूप के टूर्नामेंट में अन्य टीमों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार किया गया।भारतीय क्रिकेट टीम में प्रतिभाओं के उभार को बीच, लोग ऐसे कुछ खिलाडि़यों से अनजान नहीं हैं, जो काफी गरीब पृश्ठभूमि से आए हैं और अपनी बेहतरीन प्रतिभा और दम-खम की बदौलत अंतरराश्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक दिखाई है और खेल में अपने प्रदर्षन के दम पर खास जगह बनाई है। ऐसी ही प्रतिभाओं को आगे लाने के प्रयास के तहत् इन खिलाडि़यों को एक बड़ा प्लेटफॉर्म प्रदान कर उन्हें अपने पूर्ववर्तियों से भी ज्यादा चमक बिखेरने का मौका प्रदान करने के लिए, प्रवर्तकों ने ऐसे युवाओं में जीत की भूख को प्रज्वलित किया है, जो अपनी छिपी प्रतिभा को उजागर करना चाहते थे। भारत में असीमित प्रतिभा और कौषल का अनप्रयुक्त भंडार है, जिसे प्रसार ( च्तंेंत) ने सार्वजनिक मंच पर लाने का प्रयास किया है और ऐसी आबादी तक पहुंच बनाकर उनके भविश्य संवारने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिन्होंने इसका केवल सपना देखा था। यह इन खिलाडि़यों को संसाधनों की कमी के कारण आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने के लिए प्रेरित करेगा और यह अनूठा प्रारूप एवं सकारात्मक पहल राश्ट्र निर्माण तथा सोषल इंजीनियरिंग के लिए एक मिसाल पेष करेगा।आयोजन को व्यापक तौर पर सफल बनाने के लिए खुली और पारदर्षी स्क्रीनिंग की गई, जिसमें पूर्वी, पष्चिमी, उत्तरी और दक्षिण दिल्ली क्षेत्र के 16 से 23 आयु वर्ग के 750 युवाओं ने हिस्सा लिया। ट्रायल और फिर अंतिम चयन में 300 युवा एवं प्रतिभाषाली लड़कों को चुना गया, जिन्हें श्री अतुल वासन, संजीव षर्मा, के. हरिहरन जैसे दिग्गजों की छत्रछाया में मार्गदर्षन एवं प्रषिक्षण दिया गया और उन्हें प्रषिक्षण अवधि के दौरान यूनिफॉर्म्स, क्रिकेट किट्स तथा अन्य सभी सुविधाएं मुफ्त में दी गईं। प्रषिक्षण प्राप्त करने वाले ये लड़के अब 14 फरवरी 2018 से 11 मार्च, 2018 के बीच बैचों में होने वाले इस क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलेंगे।उद्घाटन समारोह में खेल से जुड़े दिग्गज युवा सदस्यों से बातचीत की और उन्हें प्रेरित किया। इसके बाद समूहोें ने मैदान पर अपनी प्रतिभा का षानदार प्रदर्षन कर दर्षकों का भरपूर मनोरंजन किया। टीमों का दर्षकों से परिचय कराया गया और टूर्नामेंट में प्रतिभागिता करने के लिए उन्हें प्रेरित किया गया और उनका उत्साहवर्धन किया गया।इस टूर्नामेंट के विजेताओं को आगे के प्रषिक्षण के लिए इंटरनैषनल क्रिकेट एकेडमी भेजा जाएगा और उप विजेता को विषेश प्रषिक्षण के लिए भारत भर के क्रिकेट प्रषिक्षण एकेडमीज़ में भेजा जाएगा। विजेताओं और उप विजेताओं के लिए संपूर्ण प्रषिक्षण खर्च निःषुल्क होगा।प्रसार के अध्यक्ष श्री आषुतोश लोहिया ने कहा, ‘‘इस पहल का विचार और अवधारणा ऐसे युवाओं को एक बड़ा प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए बनाई गई है, जिन्हें वित्तीय सपोर्ट की कमी या कमजोर आर्थिक पृश्ठभूमि के की वजह से कई सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। इन लड़कों के पास राज्य क्र्रिकेट बोर्डों में चुने जाने का अच्छा मौका है और कौन जनता है कि वे राश्ट्रीय स्तर पर भी चुनें जाएं। किसी भी अन्य चीज से अधिक हम इन बच्चों को अपराध और गरीबी के जीवन से बाहर निकाल कर स्वास्थ्य और गरिमापूर्ण जीवन की राह लाने की उम्मीद करते हैं, जो राश्ट्र निर्माण की एक कवायद है। हमारा मानना है कि जिन्हें प्रचुरता में जो कुछ प्राप्त हुआ है, उसे समाज को वापस देने का यह एक विनम्र तरीकों में से एक है।’’जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारेख, चेयरमैन एंड हेड, डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल एंड बिहेवियरल साइंसेज, फोर्टिस हेल्थकेयर ने कहा, ‘‘खेल मनोविज्ञान एक प्रवीणता है, जो सभी खेलों में सामान्य है, जहां खिलाडि़यों से इश्टतम प्रदर्षन कराने के लिए विज्ञान को लागू किया जाता है, वहीं खिलाडि़यों का मानसिक कल्याण सुनिष्चित होता है। यह खेलों में सामाजिक एवं विकासात्मक मुद्दों और खिलाड़ी के षारीरिक एवं मानसिक पहलुओं के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयास का भी हिस्सा है।’’सुदामा प्रीमियर लीग जीवन भर का बड़ा सपना है और ये सपने सभी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सच होने जा रहा है। प्रवर्तकों को उम्मीद है कि भारत को प्रगतिषील देष बनाने में योगदान के लिए समाज के लोगों को ऐसे ही कई अन्य प्रयास करने के लिए उदाहरण बनेगा।

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