छात्र जीवन में सुंदरकांड के महत्त्व पर आध्यात्मिक कार्यशाला

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डीएवी शताब्दी महाविद्यालय के आध्यात्मिक क्लब ने जीवा ग्रुप के सहयोग से ‘गोस्वामी तुलसीदास जी के काव्य कार्यों का पुनःसृजन’ विषय पर एक दिवसीय आध्यात्मिक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता जीवा ग्रुप चेयरमैन ऋषिपाल चौहान रहे | बीबीए विभाग के पूर्व डीन डॉ. वीरेंद्र भसीन द्वारा लिखित पुस्तक ‘नव प्रेरणा- सुंदर कांड’ का औपचारिक विमोचन चौहान जी द्वारा किया गया। इस पुस्तक में हिंदी दोहे जैसे काव्य, संपूर्ण सुंदर कांड, हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक और बजरंग बाण शामिल हैं, जो बिल्कुल गोस्वामी तुलसीदास की रचना का अनुसरण करते हैं। अवधि भाषा से हिंदी काव्य शैली में रूपांतरण तुलसीदास जी के लगभग 400 वर्ष बाद किया गया है।

मुख्य अतिथि ने अपने सम्बोधन में इस खंड का नाम सुन्दरकाण्ड रखने के पीछे के रहस्य को समझाया | हिन्दू धर्म ग्रंथों के अंदर वर्णित सुर, असुर, ज्ञान, अयोध्या, अवध, विज्ञान, चिकित्सा, शिक्षक की भूमिका जैसे विषयों की रचना, रहस्य व कर्म की प्रधानता पर प्रकाश डाला | उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में पढ़े-लिखे होने के साथ गुणी होना आवश्यक है और आप पढ़ने की बजाय सीखने पर फोकस करें | स्वयं के लिए, परिवार के लिए, राष्ट्र के लिए सीखें और कार्य करें | लेखक एवं रिसोर्स पर्सन डॉ. वीरेंद्र भसीन ने कहा कि यह उनके जीवन भर की उपलब्धि है। यह पुस्तक जनता तक पहुंचने और उनके लिए इसे और अधिक समझने योग्य बनाने के लिए लिखी गई है।

कार्यवाहक प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया ने पुस्तक के लेखक डॉ. भसीन को लोक कल्याण के उद्देश्य से लिखी गई इस सुंदर कृति की रचना करने पर बधाई दी | डॉ. भाटिया ने बताया कि यह कृति उन लोगों को सुंदरकांड को पढ़ने और समझने में सहायता करेगी जो अवधी और संस्कृत में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस के अंश सुंदरकांड को सही से उच्चारित भी नहीं कर पाते | सभी छात्रों को इसका पाठ अवश्य करना चाहिए | कई शिक्षकों और छात्रों ने भी पुस्तक से दोहे पढ़े और बाद में रिसोर्स पर्सन के साथ चर्चा मंच में शामिल हुए। छात्रों को कुछ व्यावहारिक अभ्यास और इस तरह का कार्य कैसे बनाया जाए, इस पर ‘प्रश्न उत्तर’ भी दिए गए। संयोजक डॉ. सोनिया नरूला द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 100 छात्रों ने भाग लिया। उन्होंने मंच संचालन भी किया। तकनीकी सहायक के रूप में प्रमोद कुमार, ईएच अंसारी और वीरेंद्र सिंह के साथ रिपोर्टिंग व मीडिया सपोर्ट में रचना कसाना, राधिका, कृतिका व छात्र तरुण और प्रियांशु ने अपना योगदान दिया।

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