धोखाधड़ी और जालसाज़ी के मामले में पीवीआर को चंडीगढ़ हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

गुरुग्राम Vinod Vaishnav : उच्च न्यायालय चंडीगढ़ ने सोमवार को पीवीआर लिमिटेड के आरोपी निदेशकों को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया और सौहार्दपूर्ण तरीके से मामले को निपटाने के लिए विकल्प तलाशने के लिए निर्देशित किया।

न्यायालय के निर्देश पर, गुरुग्राम पुलिस ने पहले ही पीवीआर लिमिटेड और उसके  निदेशक अजय बिजली, उनके भाई संजीव बिजली, बेटी निहारिका बिजली और आठ अन्य लोगों , श्रीमती रेणुका रामनाथ, अमित बर्मन, विक्रम बक्शी एवं अन्य के खिलाफ़ आईपीसी की धारा 420, 406, 120 बी के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था | यह एफआईआर धोखाधड़ी से शेयर की कीमतों में बढ़ोतरी और 820 करोड़ रुपये के अत्यधिक मूल्य पर बेचने में कथित सहभागिता के लिए पंजीकृत किया गया था।

सुशांत लोक- पुलिस स्टेशन गुड़गांव में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार यह आरोप है कि उपरोक्त नामित आरोपी एक-दूसरे के साथ मिलकर धोखाधड़ी की योजना बनाये और उच्च कीमत पर शेयर बेच दिए थे तथा बहुत से बिल्डरों को धोखा देते हुए करोड़ों का नुकसान पहुँचाये।

गुरुग्राम से कोई राहत नहीं मिलने के बादआरोपी प्रमोटर्स बिजली परिवार गुरूग्राम पुलिस (माननीय न्यायालय के निर्देशों पर) द्वारा दायर प्राथमिकी को रद्द कराने हेतु चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में चले गए। चंडीगढ़ उच्च न्यायालय ने अंतरिम सुनवाई के बाद प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया।

अब जब एफआईआर दर्ज हो गयी हैतो पुलिस इस मामले की जांच में जुट गयी है और इस मामले में शामिल अजय बिजलीसंजीव बिजली,निहारिका बिजली तथा अन्य लोगों द्वारा किए गए धोखाधड़ी के प्रमाण के लिए गहराई से छान-बिन कर रही है।

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