पलवल (विनोद वैष्णव ) | जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पलवल के द्वारा एमवीएन विश्वविद्यालय स्कूल आफ लॉ के सहयोग से महिला एवं बच्चों के विधिक अधिकार विषय पर विश्वविद्यालय के सेमिनार हाल में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया ।कार्यशाला का प्रारंभ जिला एवं सत्र न्यायालय पलवल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव पीयूष शर्मा, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ) जे बी देसाई , कुलसचिव डॉ राजीव रतन, विधि विभागाध्यक्ष डॉ राहुल वार्ष्णेय एवं पैनल अधिवक्ताओं द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।कार्यशाला के प्रारंभ में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पलवल के सचिव पीयूष शर्मा ने महिला एवं बाल अधिकार पर प्रकाश डालते हुए पॉक्सो एक्ट के बारे विस्तार से बताते हुए कहा कि यह अधिनियम 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को छात्रा के यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है। इसके तहत दोषियों के लिए कठोर सजा का प्रावधान है। इसमें यह भी प्रावधान है कि मामले की सुनवाई के लिए विशेष अदालत गठित की जाएगी जो एक वर्ष के भीतर मामले का निपटारा करेगी।कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ) जे बी देसाई ने कहा कि समाज में ज्यादातर महिलाएं लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, शारीरिक, मानसिक एवं यौन उत्पीड़न से पीड़ित हैं ऐसे में महिलाओं को भारतीय कानून द्वारा दिए गए अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए।कार्यशाला में विधि विशेषज्ञ व पैनल अधिवक्ता हरमीत कौर ने दहेज प्रतिषेध अधिनियम, कन्या भ्रूण हत्या, लैंगिक असमानता और घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह कानून पति, पुरुष या रिश्तेदारों द्वारा पत्नी या महिला पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है जिसमें शिकायत संरक्षण अधिकारी के समक्ष कोई भी व्यक्ति कर सकता है और शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखे जाने का भी प्रावधान है।विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राजीव रतन ने कहा कि बालकों की शिक्षा-दीक्षा के साथ-साथ बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि शिक्षित महिलाएं अपने बच्चों को भी शिक्षित एवं संस्कारी बनाती हैं जिससे सामाजिक बुराइयों का अंत हो जाता है। महिलाएं शिक्षित होने पर ही वह अपने अधिकारों को जानती हैं तथा जब उनके अधिकारों का हनन होता है तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाती हैं जबकि अशिक्षित महिलाएं उत्पीड़न एवं शोषण को बर्दाश्त करते हुए अन्याय को सहती हैं तथा घर की चार दीवारी के अंदर सिमट जाती हैं । इसी क्रम में पैनल अधिवक्ता नरेंद्र कुमार भाटी ने शिक्षा का अधिकार, मानव तस्करी एवं देह व्यापार तथा हिन्दू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण कानून के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रतिभागियों को प्रदान की।कार्यशाला में पैनल अधिवक्ता जगत सिंह रावत ने क्रूरता एवं बाल विवाह पर विस्तार से बताते हुए कहा कि दहेज लेना एवं देना दोनों अपराध है और इसके लिए सजा का भी प्रावधान है । इस बुराई को खत्म करने के लिए समाज के बुद्धिजीवी वर्गों को आगे आना होगा। उन्होंने एसिड अटैक और साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान किया। प्रतिभागियों को समाज के ज्वलंत समस्याओँ पर लघु फिल्में भी दिखाई गई।कार्यक्रम के अंत में विधि विभागाध्यक्ष डॉ राहुल वार्ष्णेय ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों को इस कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद एवं आभार प्रकट करते हुए कहा कि एमवीएन विश्वविद्यालय परिवार सदैव इस प्रकार के कार्यक्रम सामाजिक उत्थान के लिए करता रहेगा।इस कार्यशाला के सफल आयोजन में विश्वविद्यालय के शिक्षकगण डॉ राम वीर सिंह, अजय कुमार, दुष्यंत सिंह, पारुल नलवा, पियाली गोपे, प्रेरणा सिंह, राहुल मोंगिया एवं विधि विद्यार्थियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही।
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