एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने 10 वर्षीय आंचल की टांग को कटने से बचाया

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Posted by: | Posted on: April 5, 2018

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने महिला को पेशाब लीक होने की समस्या से निजात दिलाई 

( विनोद वैष्णव )। कन्नौज उत्तर प्रदेश निवासी 32 वर्षीय सुनीता को पिछले कुछ समय से पेशाब लीक होने की समस्या हो रही थी। पहले सुनीता नेे शर्म के कारण समस्या को अनदेखा किया, लेकिन एक दिन अचानक से पेशाब अनियंत्रित होकर निकलने लगा तो सुनीता के परिजन उसे फरीदाबाद सेक्टर-21 स्थित एशियन अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहंुचे। एशियन अस्पताल आकर वे सीनियर कंसलटेंट यूरोलाॅजी एवं एचओडी किड़नी ट्रांसप्लांट डाॅ. विकास अग्रवाल से मिले और उन्हें मरीज की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डाॅ. विकास अग्रवाल ने बताया कि सुनीता को दाखिल करके जांच की जाएगी और पेशाब के रास्ते नल्की लगाई गई। इसके बावजूद भी पेशाब लीक होने की समस्या से निजात नहीं मिली क्योंकि पेशाब बच्चेदानी की ओर से लीक हो रहा था। मरीज का एक महीने पहले ही सिजेरियन हुआ था। सिजेरियन के दस दिन बाद जब पेशाब की नल्की निकाली गई। उसके बाद से पेशाब लीक होने की समस्या शुरू हो गई। मरीज का पहले भी दो बार सिजेरियन हो चुका है।
डाॅ. विकास ने बताया कि पेशाब लीक होने की वजह जानने के लिए मरीज की सिस्टोस्कोपी (दूरबीन द्वारा पेशाब की नली की जांच) की गई जिसमें पाया गया कि मरीज की पेशाब की थैली में बहुत बड़ा छेद है। इस छेद के कारण पेशाब, पेशाब की थैली से निकलकर बच्चेदानी से होते हुए लीक कर रहा था। मरीज का सीटी स्कैन किया गया जिसमें मरीज की पेशाब की थैली व बच्चादानी एक छेद से जुड़ी हुई पाई गई। दूरबीन के द्वारा मरीज की सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान पाया गया कि मरीज की बच्चेदानी नीचे से पूरी तरह से खराब हो चुकी थी और खुली हुई थी। मरीज और परिजनों को पहले से ही जानकारी दे दी गई थी कि दो बार सिजेरियन के कारण बच्चेदानी पर प्रभाव हुआ है, अगर जरूरत पड़ी तो निकाला जा सकता है। परिजनों द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद सर्जरी के दौरान दूरबीन द्वारा बच्चेदानी और पेशाब की थैली को अलग-अलग कर दिया गया। बच्चेदानी को निकालकर इस रास्ते को बंद कर दिया गया। पेशाब की थैली को दूरबीन द्वारा रिपेयर किया गया। यह सर्जरी डाॅ. विकास अग्रवाल और डाॅ. प्रवीन पुष्कर की टीम ने मिलकर सफलतापूर्वक सर्जरी की।
डाॅ. विकास ने कहा कि यह एक बेहद जटिल सर्जरी थी। महिला के दो सिजेरियन हो चुके थे। यह सर्जरी 4घंटे तक चली। इस सर्जरी के बाद महिला को पेशाब लीक होने की समस्या से निजात मिल गई। अब सुनीता पूरी तरह से स्वस्थ है।  
Posted by: | Posted on: March 29, 2018

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने 10 वर्षीय आंचल की टांग को कटने से बचाया

( विनोद वैष्णव )। ग्ररूग्राम की रहने वाली 10 वर्षीय आंचल पांचवी कक्षा की छात्रा है। एक साल पहले उसके पैर में अचानक से दर्द शुरू हुआ और उसे चलने-फिरने व उठने-बैठने में दिक्कत होने लगी। ऐसे में उसे स्कूल जाने व अन्य काम करने में भी परेशानी उठानी पड़ रही थी। आंचल के पजिनों ने उसे विभिन्न अस्पतालों में दिखाया, लेकिन उसे किसी प्रकार का आराम नहीं मिला। ऐसे में समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। इसके अलावा पैर में सूजन भी हो रही थी। डॉक्टर ने पैर की बढ़ती सूजन को देखकर पैर का एक्स-रे कराने की सलाह दी। एक्स-रे की रिपोर्ट से पता चला कि आंचल के पैर की सूजन का कारण कैंसर है। डॉक्टरों ने बताया कि यह कैंसर तो पहले से ही आंचल के पैर की दो अलग-अलग जांघ (Femur) और घुटने से नीचे (Tibia) की हड्डियों में था, लेकिन दर्द के कारण यह उजागर हो गया। आंचल और उसके घरवालों ने कभी  सोचा भी नहीं था कि पैर का यह दर्द उन्हें भयंकर बीमारी से रूबरू कराएगा। एक परिचित की सलाह पर बच्ची को फरीदाबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज अस्पताल एवं कैंसर सेंटर में लेकर आए।एशियन अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले बच्ची की रिपोर्ट और स्थिति देखकर बच्ची की बायोप्सी, एक्स-रे, एमआरआई और पेट स्कैन द्वारा जांच की गई। जांच करने पर बच्ची की टांग में ऑस्टीयोसारकोमा नाम का कैंसर पाया गया।  जो 10 से 20 वर्ष की उम्र में होता है। ये कैंसर जल्दी फैलता है। इसलिए डॉक्टरों ने फैंसला किया कि सबसे पहले कीमोथैरेपी दी जाए ताकि कैंसर बच्ची के शरीर के बाकी हिस्सों को प्रभावित न कर सके। इसके अलावा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है। कीमोथैरेपी से गांठ का आकार छोटा होता गया जिससे ट्यूमर को छेड़े बिना बच्ची कीे टांग बचाने की सर्जरी संभव हो पाई।
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और हैड ऑर्थेपेडिक्स डॉ. कमल बचानी ने बताया कि आंचल को जानलेवा कैंसर था जोकि हड्डियों से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल जाता है और इससे ग्रसित 20 से 30 प्रतिशत मरीज केवल 5 वर्ष तक ही जीवित रहते हैं। उन्होंने बताया कि बच्ची कीे टांग से कैंसर की गांठ निकालना अनिवार्य था। इसके अलावा हमने ऑपरेशन के दौरान इस बात को ध्यान में रखा की बच्ची अभी बहुत छोटी है। आगे उम्र के साथ बच्ची के पैर की लंबाई भी बढ़ेगी। एक ऐसा आॅपरेशन जिसमें एक्सपेंडेबल ट्यूमर लगाया गया ;स्पेशल ऑर्डर पर बनवाया गयाद्ध और पांच घटे तक चली बच्ची के घुटने की सर्जरी के दौरान बच्ची के घुटने से जांघ के बीच से निकाली गई ट्यूमर वाली हड्डी व घुटने के जोड़ की जगह पर लगाया गया। इस एक्सपेंडेबल ट्यूमर प्रोस्थेसिस में एक ऐसा स्क्रू लगा होता है जिसके जरिए इम्प्लांट की लंबाई बच्ची के दूसरे पैर की लंबाई के बराबर बढ़ाया जा सके।एक्सपेंडेबल ट्यूमर प्रोस्थेसिस क्या हैः यह एक ऐसी डिवाइज है जिसे मरीज के शरीर के क्षतिग्रस्त हड्डी की जगह लगाया जाता है। जो छतरी की स्टिक की तरह छोटी और बड़ी हो सकती है, यानि मरीज लंबाई के मुताबिक इस इम्प्लांट की लंबाई को भी बढ़ाया जा सकता है। सर्जरी के दौरान मरीज को हर साल इसकी लंबाई को बढ़ावाना होता है। यह इम्प्लांट मरीज की कद-काठी के अनुसार ऑर्डर देकर बनवाई जाती है। इस तरह के मोडिफाइड इम्प्लांट कठिन घुटना प्रत्यारोपण जैसे इंफेक्शन मंे कारगर सिद्ध हुए हैं।डॉ. बचानी का कहना है कि यह तकनीक पैर के कैंसर के मरीजों के लिए एक वरदान है क्योंकि पहले पैर के कैंसर होने की स्थिति में डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए पैर काट दिया करते थे, लेकिन इस तकनीक की मदद से मरीज को अपंग होने से बचाया जा सकता है। यह सर्जरी एशियन अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डायरेक्टर डॉ. प्रवीन कुमार बंसल और सीनीयर कंस्लटेंट और एचओडी एनेस्थीसिया एवं ओटी डॉ. दिवेश अरोड़ा की निगरानी में की गई।