डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय में किया गया वैल्यू एडेड कोर्स का समापन

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फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय में कार्यकारी प्राचार्या डॉक्टर विजयवंती के दिशा निर्देशन में आई.क्यू.ए.सी. सेल, ई.डी.पी. सेल, एनवायरमेंट क्लब तथा नेचर इंटरप्रिटेशन सेल द्वारा सम्मिलित रूप से कोर्स पाठ्यचर्या निर्माता एवं रिसोर्स पर्सन डॉ. बिंदु अग्रवाल(फाउंडर ऑफ आर्ट्स ऑफ़ लर्निंग) द्वारा शीर्षक ”ग्रीन इंटरप्रेन्योरशिप एंड इनोवेशन” पर आधारित 30 घंटे के वैल्यू एडेड कोर्स का समापन किया गया,जिसमें विद्यार्थियों को थ्योरी एंड प्रैक्टिकल ज्ञान प्रदान किया गया। कोर्स का आयोजन 12 मार्च 2024 से 10 अप्रैल 2024 तक सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में 2008 में प्रधानमंत्री द्वारा एम.एस.एम.ई. में आउटस्टैंडिंग इंटरप्रेन्योर के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित,बेल्ज़ इंस्ट्रूमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक नेहरा उपस्थित रहे जिन्होंने सभी विद्यार्थियों को जॉब प्राप्तकर्ता बनने की बजाय जॉब प्रदाता बनने का संदेश देते हुए भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या ने सभी बच्चों को आगे बढ़ने और इस प्रकार के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते हुए शुभाशीष प्रदान किया। इस अवसर पर आई.क्यू.ए.सी. कोऑर्डिनेटर डॉ. जितेंद्र ढुल, ई.डी.पी. सेल की कन्वीनर डॉ. अंकिता मोहिंद्रा एवं एनवायरमेंट क्लब के कन्वीनर डॉ. नीरज सिंह तथा अन्य संबंधित शिक्षक गण मौजूद रहे।।


अद्भुत हिमाचल: डी.ए.वी. सेंटेनरी कॉलेज के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित शैक्षिक यात्रा

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फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डीएवी सेंटेनरी कॉलेज के पर्यटन विभाग ने हाल ही में अपने विद्यार्थियों के लिए एक सप्ताह की शैक्षिक यात्रा का आयोजन किया, जिससे उन्हें पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक ज्ञान प्राप्त हुआ।इस अनूठी यात्रा ने न केवल छात्रों को राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों का अवलोकन कराया, बल्कि उन्हें पर्यटन के विभिन्न पहलुओं के बारे में मूल्यवान अनुभव भी दिलाया।

इस यात्रा में 02 शिक्षकों और लगभग 30 छात्रों ने भाग लिया, जिसमें स्वर्ण मंदिर अमृतसर, डलहौजी, धर्मशाला, खज्जियार, चंबा, चिंतपुर्णी मंदिर, बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा देवी मंदिर, काला टॉप वन्यजीव अभ्यारण्य, धर्मशाला क्रिकेट ग्राउंड, भगसुनाग मंदिर और झरना, और हिमाचल प्रदेश में डैनकुंड का भ्रमण शामिल था।

यात्रा के दौरान, विद्यार्थियों ने पर्यटन के विभिन्न प्रभावों पर शोध कार्य किया, जिसमें पर्यावरणीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक पहलुओं पर ध्यान दिया गया। इस अनूठे अनुसंधान के माध्यम से, छात्रों को पर्यटन उद्योग की जटिलताओं के बारे में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।

इस शैक्षिक यात्रा के महत्व पर जोर देते हुए कॉलेज प्राचार्या डॉ. विजयवंती ने छात्रों को सिद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने की प्रतिबद्धता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों के सक्रिय भागीदारी पर गर्व किया और भविष्य में और भी ऐसे पहलुओं को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया।

यात्रा का ध्यानपूर्वक आयोजन प्रो. अमित कुमार ने किया, जिन्होंने समग्र यात्रा के सभी पहलुओं और सेवाओं के संगठन को सुनिश्चित किया। यात्रा का हिस्सा बनने वाली छात्राओं के लिए जिम्मेदारी संभालने का काम मिसेज रिशिता मिश्रा ने किया और सभी भागियों की सुरक्षा और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यात्रा की सफल समाप्ति के बाद, पर्यटन विभाग की समन्वयक – डॉ. रुचि अरोड़ा और डीन – डॉ. निशा सिंह ने छात्रों और शिक्षकों की समर्पण और उत्साह की सराहना की। ऐसी पहल न केवल विद्यार्थियों की समझ बढ़ाने में सहायक होते हैं, बल्कि उन्हें उद्योग में वास्तविक चुनौतियों के लिए तैयार भी करते हैं। यात्रा में विद्यार्थियों को ट्रेकिंग, कैम्पिंग, और नदी पार करने जैसी जोखिमपूर्ण गतिविधियों का आनंद लेने का मौका मिला, जिससे छात्रों और छात्राओं को एक रोमांचक अनुभव मिला और समूह भाव और सहनशीलता को बढ़ावा मिला।

यह शैक्षिक यात्रा डीएवी सेंटेनरी कॉलेज की पूर्णविक शिक्षा और अनुभवात्मक शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को प्रमोट करती है, जिससे विद्यार्थियों को पर्यटन के क्षेत्र में भविष्य के अच्छे उद्यमी बनाने में मदद मिलती है। इस तरह की पहल के साथ, कॉलेज शैक्षिक उत्कृष्टता और व्यावहारिक प्रशिक्षण में नए मानकों का स्थापन करने में अग्रसर रहता है।


डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय में “प्राकृतिक रूप से कैसे फिट रहें” विषय पर एक सत्र का आयोजन

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फरीदाबाद (पिंकी जोशी) | डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय में यूथ क्लब,वाणिज्य विभागऔर राजनीतिक विज्ञान विभाग द्वारा “प्राकृतिक रूप से कैसे फिट रहें” विषय पर एक सत्र का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉ बी डी पाठक (डायरेक्टर जी आई मिनिमल इनवेसिव एवम बेरिएटिक सर्जरी,फोर्टिस हॉस्पिटल ,फरीदाबाद)रहे।इस सत्र में बी डी पाठक जी ने बताया कि कैसे हमलोग प्राकृतिक रूप से अपनेआप को स्वस्थ रख सकते है।

यह कार्यक्रम कॉलेज की कार्यकारी प्राचार्या डॉ विज्यवंती के निर्देशन में संपन्न हुआ। डॉ विजयवंती हमेशा से इस तरह के कार्यक्रम करवाने के लिए प्रोत्साहित करती रही हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को आशीर्वचन दिए।इस सत्र में विभिन्न विभागों से विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में डॉ अंकिता,मीनाक्षी,ज्योति मल्होत्रा समेत विभिन्न विभागों से शिक्षक मौजूद रहे।अंत में यूथ क्लब की कन्वीनर डॉ अंजू गुप्ता, वाणिज्य विभाग की अध्यक्षा डॉ अर्चना भाटिया तथा राजनीतिक विज्ञान विभाग की अध्यक्षा डॉ शिवानी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया।मंच का संचालन यूथ क्लब से तनु क्वात्रा ने किया।


आजकल एक का चार बनाने का लालच नए-नए बच्चों में देखने को मिल रहा है : हुकुम चंद (चेयरमैन) Paramhansa Senior Secondary School

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आजकल एक का चार बनाने का लालच नए-नए बच्चों में देखने को मिल रहा है वह बिना मेहनत किए पैसे वाला बनना चाहते हैं इसलिए एक नया उनके लिए है जिसे सट्टा खेल कहते हैं और आज की ट्रेन में ट्रेडिंग मार्केट बोलते हैं इस में ट्रेडिंग में आज तक केवल सर्वे के अनुसार चालाक लोग जो यह काम करते हैं जिनकी उपस्थिति केवल एक प्रतिशत मानी गई है वह तो सफल हो जाते हैं परंतु 99% आज तक कोई सफल नहीं हुआ इस खेल में पहले खिलाड़ी को थोड़ा सा लालच देकर जिसे थोड़ा सा लाभ कहते हैं इसमें फंसा लेते हैं फिर उसकी बात वह इस दलदल से बाहर जब भी निकलता है जब उसका अंत होना नजदीक होता है।

यह एक ऐसा जाल है इसमें से विजय होकर बाहर निकलना नामुमकिन होता है इस खेल में पहले बड़े-बड़े सेठ साहूकार खेल को खेलते थे क्योंकि पहले पैसा कुछ ही लोगों के पास होता था वह लोगों से उधार लेकर इस ट्रेडिंग में पैसा लगाते थे और गोमट थे अंत में उनका हर्ष वही होता था जो मैं पहले कह चुका हूं की जो जल का फंडा है वह उनके गले में ही लटकता नजर आता है और अंत में उनकी वह दशा होती है जो समाज को एक नया मार्ग दिखाता है इसलिए मैं नए बच्चों से यह आग्रह करना चाहूंगा कि इस ट्रेडिंग के कार्य में ना फंसकर के मेहनत की कमाई की रोटी खाएं अन्यथा आपका परिवार रास्ते पर भूखा मरता हुआ नजर आएगा जैसा कि पहले लोगों के साथ हुआ है उन्होंने अपनी करोड़ की कीमत सारी कमाई और बड़े-बड़े कारोबार फेल होते नजर आए जिन्हें आज खंडार कहते हैं कुछ समय पहले उन लोगों की मार्केट में तूती बोलती थी और कुछ दिनों के बाद उन्हें रेडी लगाने की भी जगह नहीं मिली तो कोशिश यही है की अच्छा काम करो इसे छोड़ दो जिससे तुम्हारा परिवार सुरक्षित रहेगा नहीं तो परिवार भी बिगड़ेगा और जगह सही भी होगी ।


रेयान फ़रीदाबाद एक बार फिर से सबसे महत्वपूर्ण दिन, विरासत दिवस को चिह्नित करने के लिए एकत्रित हुआ, साथ ही कक्षा 9वीं और XI अचीवर्स. इस अवसर पर दिन के अतिथि मेजर अतुल देव की गरिमामय उपस्थिति देखी गई।

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फरीदाबाद(विनोद वैष्णव )। सभी के लिए खुशी और आनंद लाने के लिए भगवान के आशीर्वाद का आह्वान करते हुए, भगवान की प्रार्थना, बाइबिल पढ़ना और विशेष प्रार्थना पूरी ताकत और दिल से की गई।बच्चों को शिक्षित करने, समृद्ध विरासत की सराहना करने और उन्हें समृद्ध करने के लिए, उनके दिल और आत्मा की गहराई में मौजूद विरासतों को नवीनीकृत करने के लिए चुने गए दिन पर प्रदर्शनों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की गई।कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत भाषणों में भाषाओं की विविधता के चित्रण के साथ हुई। वरिष्ठ समूह द्वारा शास्त्रीय गायन प्रदर्शन ने दर्शकों को उस विरासत संगीत में इतना प्रशिक्षित करके मंत्रमुग्ध कर दिया, जिस पर हमें गर्व है। स्मारकों को संरक्षित करने और उनके मूल्य निर्धारण पर एक लघु नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसमें मंच पर रेडफोर्ट और अन्य प्रभावशाली इमारतों का प्रदर्शन किया गया, जिससे दर्शकों को हमारी समृद्ध संस्कृति और वास्तुकला से परिचित कराया गया। यह विश्वास और आशा करते हुए कि विश्व की विरासत सुरक्षित रहे, युवा अग्रदूतों के साथ रहे, प्रतिभाशाली छात्रों द्वारा मिस्र का एक नृत्य प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया।


शिक्षा के क्षेत्र में सभी उच्च उपलब्धि हासिल करने वालों को उनके लगातार प्रदर्शन और दृढ़ता के लिए लाल और सुनहरे रंग की टाई प्रदान की गई।
विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता को स्वीकार करने और प्रोत्साहित करने वाले श्रेणी पुरस्कार, कक्षा IX और XI के छात्रों को कड़ी मेहनत और उनके चुने हुए क्षेत्र के प्रति उनके गहन प्रेम को दर्शाते हुए पदक प्रदान किए गए।जब पुष्कर नागर और रिया ठाकुर को ग्यारहवीं कक्षा से क्रमशः रयान प्रिंस और प्रिंसेस और नौवीं कक्षा से अद्वित मित्तल और वैष्णवी बलूनी को उपहार दिया गया तो माता-पिता और शिक्षकों में असीम खुशी देखी गई।प्रिंसिपल पीया शर्मा ने अपने शब्दों में रयानाइट्स को नॉर्थ स्टार की तरह चमकते हुए देखने के लिए स्कूल संकाय के साथ-साथ माता-पिता को उनके सहयोगात्मक प्रयास के लिए धन्यवाद दिया।


श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में आयोजित फेस्ट में विद्यार्थियों ने किया प्रतिभा का प्रदर्शन

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फरीदाबाद(विनोद वैष्णव )। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में समरस्य प्रबंधन फेस्ट-2024 का भव्य आयोजन किया गया। रत्नागिरी भवन में आयोजित इस फेस्ट में मैनेजमेंट के विद्यार्थियों ने कौशल, ज्ञान और रचनात्मकता का शानदार प्रदर्शन किया। अपनी प्रतिभा के बल पर छात्रा स्नेहा ने मिस मैनेजमेंट का खिताब जीता, जबकि छात्र रवि ने मिस्टर मैनेजमेंट चुने गए। कुलपति डॉ. राज नेहरू, कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा और मैनेजमेंट के डीन प्रोफेसर ऋषिपाल ने दोनों विद्यार्थियों को बधाई दी। इससे पूर्व दीप प्रज्ज्वलित कर अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने फेस्ट का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रबंधन जीवन को व्यवस्थित बनाता है और आगे बढ़ने की दिशा देता है। प्रबंधन के माध्यम से हम अपने लक्ष्यों को सरलता सा प्राप्त कर सकते हैं। प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने प्रबंधन विभाग को सभी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप सब अच्छे लीडर के रूप में किसी भी संस्थान को आगे ले जाने में सक्षम बनेंगे। विद्यार्थियों में प्रबंधन के गुण विकसित करने के लिए उन्होंने सभी शिक्षकों की सराहना की।

इस फेस्ट में 130 विद्यार्थियों ने विभिन्न स्पर्धाओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कभी विद्यार्थी नृत्य में झूमते नजर आए और कभी कविता पाठ से तालियां बटोरी। कहानी सुनाने से लेकर वाद-विवाद प्रतियोगिता, केस स्टडी, बिजनेस क्विज, एड-मैड, आइडियाथॉर्न में विद्यार्थियों ने खुद को साबित किया। प्रबंधन विभाग के शिक्षकों ने विद्यार्थियों की प्रतिभा के लिए उनकी खूब पीठ थपथपाई। डीन मैनेजमेंट प्रो. ऋषिपाल, कार्यक्रम संयोजक डॉ. पिंकी, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्रुति, डॉ. सविता शर्मा, डॉ. पारुल भाटिया, डॉ. विकास मिश्रा और अन्य सभी शिक्षकों ने विद्यार्थियों के प्रबंधन कौशल के लिए सराहना की। विभिन्न स्पर्धाओं के विजेता विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए गए। कार्यक्रम संयोजक डॉ. पिंकी ने सभी अतिथियों एवं शिक्षकों का आभर ज्ञापित किया।


डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में ठोस कचरा प्रबंधन की टिकाऊ पर्यावरण विकासात्मक रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा के साथ संपन्न हुआ एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन

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फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में उच्च शिक्षा निदेशालय से स्वीकृत ‘ठोस कचरा प्रबंधन : टिकाऊ पर्यावरण के लिए विकासात्मक रणनीतियां’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया गया | सम्मलेन को दस तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया जिसमे छः ऑनलाइन व चार ऑफलाइन माध्यम द्वारा आयोजित किये गए | कनाडा, फ्रांस, तुर्किए और दुबई से विशेषज्ञ व शोधार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े | इस सम्मलेन में दो सौ तीस से ज्यादा शोधपत्रों का प्रस्तुतिकरण किया गया | महाविद्यालय के शोध पत्रिका परियंथ के सातवें संस्करण का विमोचन भी इस सम्मलेन में किया गया |

महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्या व सम्मलेन संरक्षिका डॉ. विजय वंती ने मुख्य अतिथि, देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े वक्ताओं, शोधार्थियों व विद्यार्थियों का इस सम्मलेन में शामिल होने पर स्वागत किया | उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डी.ए.वी. महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उच्च शिक्षा निदेशक, रिटायर्ड आई.ए.एस. शिव रमन गौड़ ने दुबई में हालिया हुई विनाशक पर्यावरणीय त्राशदियों का जिक्र करते हुए कि भविष्य की पीढ़ियों के स्वस्थ जीवन के लिए सतत विकास मानकों के अनुपालन पर जोर दिया | उन्होंने कहा कि ये अभी अलार्मिंग परिस्थिति है अगर अभी सही कदम नहीं उठाये गए तो परिणाम और अधिक भयावह होंगे | हमें सौर ऊर्जा व आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है |

प्रिंस सत्तम अब्दुलअज़ीज़ यूनिवर्सिटी दुबई से जुड़ीं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. काकुल हुसैन ने विभिन्न प्रकार के होने वाले प्रदूषणों का जिक्र करते हुए प्लास्टिक के बेहतर इस्तेमाल पर जोर दिया | उन्होंने प्लास्टिक पुनर्चक्रण प्रक्रिया से ईंधन, रोड, ईंटों, साबुन, कपडे इत्यादि के निर्माण को बताया जिससे ठोस अपशिस्टों को पर्यावरण से सही तरीके से हटाया जा सके | ठोस अपशिष्टों के कारण ना केवल मनुष्य बल्कि जलीय जीवों पर भी घातक प्रभाव दिखाई दे रहे हैं जिसके कारण मनुष्य की स्वास्थय संबंधी परेशानियों में तीव्र इजाफा हुआ है | यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो, कनाडा से ऑनलाइन माध्यम से जुडी सेशनल लेक्चरर डॉ. कनिका वर्मा ने ठोस अपशिष्टों के उचित प्रबंधन के लिए डिस्कोर्स कम्युनिटी के निर्माण की वकालत की जो एक क्षेत्र विशेष में अपशिष्टों प्रबंधन के संयुक्त लक्ष्यों को हासिल करने पर ध्यान दे | ये संयुक्त लक्ष्य अपशिष्टों के कम उत्पादन व उचित निस्तारण से जुड़े होने चाहियें |

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की सीनियर प्रोफेसर डॉ. मैरी ताहिर ने बताया कि पहले घरों में डस्टबिन की आवश्यकता नहीं होती थी जिसका मुख्य कारण ज्यादातर खाद्य पदार्थों का घरेलू निर्माण था | समय के साथ लोगों ने पैक्ड खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल को घर, ऑफिस, स्कूल, मनोरंजन स्थल आदि पर बढ़ाया जिसके कारण डस्टबिन कल्चर अस्तित्व में आया और हम ज्यादा अपशिष्ट उत्पादित करने लगे हैं | हमें अपनी जरूरत और सुविधा के मध्य अंतर को स्पष्ट रूप से समझना जरूरी है तभी हम अपशिष्टों के उत्पादन को रोक पायेंगे | जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. हसीना हासिया ने अपशिष्ट उत्पादन के लिए आधुनिक के पीछे भागते भारत की जिम्मेवार बताया | उन्होंने कहा कि हम जितना कम अपने संसाधनों का इस्तेमाल दैनिक उपयोग के लिए करेंगे उतना ही कम अपशिष्ट का उत्पादन हम कर पाएंगे |

श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ. ज्योति राणा ने हमारी बदलती जीवन शैली में अपशिष्टों की व्यापकता के लिए हमारे उपभोग व्यवहार को जिम्मेदार ठहराया | इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को दैनिक जीवन में अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर खुद की जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है |
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन पहले व्यक्तिगत स्तर से शुरू होना चाहिए फिर इसको जनजागरण का रूप देने की आवश्यकता है | सी.एस.आर.डी., जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण पाठक कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन एक बेहद ही पेचीदा पहलू है और इसके उचित निस्तारण के लिए हमें बहुआयामी सोच व सहक्रियता के साथ आगे बढ़ना होगा |

समापन सत्र के मुख्य अतिथि जे.सी. बोस यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, फरीदाबाद के कुलपति डॉ. एस.के. तोमर ने छोटे प्रयासों को भी सराहनीय बताया जिसको उद्धृत करने के लिए उन्होंने रामसेतु निर्माण में एक नन्ही गिलहरी के योगदान का वर्णन किया | बाला जी शिक्षण संस्थान के निदेशक व पर्यावरणविद जगदीश चौधरी ने बताया कि वेस्ट कुछ भी नहीं होता| हमारी अज्ञानता, स्वार्थ व जरुरत से ज्यादा संचय की प्रवृति ही वेस्ट की उत्पत्ति का मुख्य कारण है | दीवान सिंह जी ने कहा की कुदरत ने कुछ भी वेस्ट नहीं बनाया,मनुष्य की विकाशात्मक सोच, शहरीकरण आज वेस्ट पैदा कर रहे हैं | क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर प्रकाश जी ने बताया की प्रकृति के सभी जीव मनुष्य के अस्तित्व को बचाने में सहायक हैं परन्तु मनुष्य के विलुप्त होने से किसी भी जीव पर कोई संकट नहीं आ सकता |

कार्यकारी प्राचार्या डॉ. विजय वंती ने कहा कि एक स्वस्थ व सतत पर्यावरण के लिए मौलिक विकासात्मक रणनीतियों के निर्माण की आवश्यकता है जो पूरी पृथ्वी को अपशिष्टों से होने वाले नुकसान को ना केवल रोके बल्कि अपशिष्टों के पुनः प्रयोग की विभिन्न विधियों के लिए मार्ग प्रसस्त करे | सम्मलेन संयोजिका डॉ. अर्चना भाटिया ने सम्मलेन की रूपरेखा रखी व धन्यवाद ज्ञापन दिया | डॉ. जीतेन्द्र ढुल सह-संयोजक और डॉ. सुमन तनेजा, रजनी टुटेजा ,डॉ. इमराना खान व रेखा सम्मलेन की संयोजक सचिव रहीं | शोधार्थियों के अलावा लगभग दो सौ विद्यार्थियों ने भी इस सम्मलेन में भाग लिया |


सतयुग दर्शन वसुन्धरा में आयोजित राम नवमी यज्ञ महोत्सव

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फरीदाबाद (विनोद वैष्णव) : सतयुग दर्शन वसुन्धरा में आयोजित रामनवमी यज्ञ-महोत्सव में आज चतुर्थ दिन विभिन्न प्रांतों व विदेशों से असंख्य श्रद्धालुओं का आना जारी रहा। आज हवन आयोजन के उपरांत सत्संग में सजनों को सम्बोधित करते हुए सजन जी ने कहा आत्मबोध मोक्ष प्राप्ति का सीधा व सरल साधन है। आत्मबोध से तात्पर्य आत्मा का यथार्थ ज्ञान प्राप्त कर (आत्मज्ञान) अपने शुद्ध चैतन्य स्वरूप का बोध यानि साक्षात्कार करने से है। अन्य शब्दों में समभाव समदृष्टि की युक्ति के अनुशीलन द्वारा आत्मा में निहित निज परमात्म स्वरूप परब्रह्म को जान लेना और जगत की हर शै में उसी आत्मस्वरूप के होने की प्रतीति करते हुएजीवन के समस्त कार्यव्यवहार करते हुएहर क्षणहर पलहर कृति मेंहर अवस्था मेंउसी आत्मानन्द अवस्था में बने रहना यही सच्चा आत्मबोध है।

इस संदर्भ में वर्तमान युग में प्रचलित आत्मबोध के सीमित अर्थ से परिचित कराते हुए उन्होंने कहा कि आज के समयकाल में हरेक प्राणी ‘मैं हूँ‘ इस शारीरिक भाव को अपने स्वभाव के अंतर्गत करअपना स्वसिद्ध अस्तित्व घोषित करने में लगा हुआ है। अपनी इसी स्वाभाविक स्वार्थपर मानसिक मनोवृत्ति के कारण वह  अपने अस्तित्व के स्थूल पहलू यानि शारीरिक पहचान तक ही सीमित रह गया है और मिथ्या शारीरिक शक्तिदेहिक सुन्दरताबुद्धिमत्ताभौतिक संपत्ति/उपलब्धियोंसामाजिक महत्त्व आदि की प्राप्ति पर गर्व युक्त होकर अपने को अन्य लोगों से श्रेष्ठ समझने लगा है। उन्होंने कहा कि चाहे सामान्य लोक व्यवहार में सजनों ऐसा व्यक्ति औपचारिक शिष्टाचार में मान-सम्मान पाता हुआसफल और सयाना गिना जाता है परन्तु हकीकत में ‘मैं‘ और ‘मेरा‘ तक सीमित उसकी इस मनोवृत्ति ने उसके यथार्थ आत्मबोध को विकृत बना दिया है यानि उसे आत्मविस्मृति हो गई है और वह अपनी सहज बुराईयों व कमियों से अपरिचित होसंकल्प कुसंगी को संगी बना उस पर फतह पाने में असक्षम हो गया है। इसी ‘हौं-मैं‘ के कारण उसका मन एकाग्रचित्त वृत्तियाँ शांत व ख़्याल अफुर नहीं हो पा रहा और वह आत्मिक ज्ञान प्राप्त करआत्मबोध के सर्वोच्च एवं उत्कृष्ट स्वरूप का बोध नहीं कर पा रहा। याद रखो कि यह आज के इंसान की ऐसी अज्ञानमय अवस्था है जिसके दुष्प्रभाव से वह दुश्चरित्रता अपनाकरपरमार्थ के स्थान पर स्वार्थपरता का सिद्वान्त अपना अपना व सबका विनाश कर रहा है।

ऐसा न हो इसलिए उन्होंने कहा कि मानो आत्मबोध के सर्वोच्च एवं उत्कृष्ट स्वरूप का बोध तब होता है जब मानव समभाव समदृष्टि की युक्ति के अनुशीलन द्वारादेह और आत्मा का यथार्थ रूप जानकरस्थूल देह एवं समस्त भौतिक पदार्थों को अनित्यक्षर (नाशवान) समझने लगता है और आत्मा को उनसे सर्वथा भिन्नशाश्वत्‌ और अविनाशी यानि अ-क्षर जानता है। इस प्रकार आत्मबोध नित्य और अनित्य के विवेक से उत्पन्न ज्ञान का बोधक होता है तथा अपनी अपरोक्ष सत्ता को सच्चिदानंद परब्रह्म से अभिन्न महसूस करने से प्राप्त होता है। इसी से जीवनमुक्त हो सकता है व परमपद की प्राप्ति हो सकती है।

इस तथ्य के दृष्टिगत उन्होंने कहा कि समभाव-समदृष्टि की युक्ति अनुसारआध्यात्मिक चिंतन यानि एकाग्रचित्त होकर अपने मन को प्रभु में लीन कर संकल्प कुसंगी पर फतह पाने के महत्त्व को समझो। ऐसा करने पर ही संसार में रहते हुए भी वैराग्य या अनासक्ति के भाव से युक्त होकरपरम पुरुषार्थ मोक्ष को परम लक्ष्य बनाकरउसकी प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील हो सकोगे और यथार्थ आत्मज्ञान प्राप्त करके आत्मा के सच्चे स्वरूप का प्रत्यक्ष अनुभव कर आत्मोन्नति कर सकोगे।

श्री सजन ने आगे कहा कि इस हेतु सर्वप्रथम अपने मन में परमपद प्राप्ति की प्रबल इच्छा जाग्रत करो। जान लो जितनी यह इच्छा प्रबल होगी उतना ही आत्मानुभूति के लिए लालायित होकर निष्कामता से परमार्थ को अपनाने की ओर प्रेरित व प्रवृत्त होंगे। यहाँ आवश्यकता होगी सत्संग व सत्‌ शास्त्र का विचार एवं मनन करने की। मत भूलो कि शुष्क शब्दबोध से यानि वेद-शास्त्रों के मात्र अध्ययन/पठन से या उनके गायन एवं सुनने मात्र से कुछ नहीं होगा अपितु उन शब्द ब्रह्म विचारों का चिंतन कर उन्हें आचार-व्यवहार में लाना होगा और इस तरह सर्व में उस अपरोक्ष आत्मा की अनुभूति करनी होगी। इस आध्यात्मिक चिंतन से अंतर्मन का कालुष्य धुल जाएगा और अंतर्मन स्वस्थ होकर आपको परमार्थ की दिशा में ले चलेगा जिससे आप संसारी यानि शारीरिक स्वभावों की तरफ से जित पा निरंतर आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति करने लगोगे। इस प्रकार जब बहिर्मुखी होने के स्थान पर अंतर्मुखी हो जाओगे तो स्वत: ही हृदय में अफुरता का वातावरण पनपेगा और आपके लिए संतोषधैर्य पर बने रह सत्य-धर्म के निष्काम रास्ते पर सुदृढ़ता से बने रहना सहज हो जाएगा।

यदि चाहते हो ऐसा ही हो तो समभाव समदृष्टि की युक्ति अनुसारहकीकत में ब्रह्म शब्द अर्थात्‌ प्रणव मंत्र को गुरू मानकरसर्वव्याप्त अपनी ब्रह्म सत्ता को युक्तिसंगत ग्रहण करो और उस द्वारा प्रदत्त आत्मज्ञान को आचरण में ला निष्कामता से सत्य धर्म के रास्ते पर चल पड़ो। यह आत्मसाक्षात्कार यानि अपने असलीयत स्वरूप की पहचान कर परमपद प्राप्त करने का सबसे सरल व सहज तरीका है। इससे स्वत: ही तीनों तापों का घटता-बढ़ता टेम्प्रेचर सम हो जाएगा और फिर समभाव समदृष्टि जो एक निगाह एक दृष्टि देखनी होती है बिना यत्न के उसकी प्राप्ति हो जाएगी। यह होगा जन्म की बाज़ी को जीत इस जगत में अपना नाम रौशन करना।


डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में 19 अप्रैल को ठोस कचरा प्रबंधन पर होगा अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन

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फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में 19 अप्रैल को ‘ठोस कचरा प्रबंधन : टिकाऊ पर्यावरण के लिए विकासात्मक रणनीतियां’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया जायेगा | उच्च शिक्षा निदेशालय से स्वीकृत इस सम्मलेन का आयोजन जियोग्राफी, इकोनॉमिक्स व कॉमर्स विभागों द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा |

महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्या डॉ. विजय वंती ने बताया कि राष्ट्रिय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर बहुत सारे प्रयास किये जा रहे हैं और ये प्रयास कितने सार्थक साबित हो रहे हैं ये जानना अभी बाकी है | वर्तमान हालत में ठोस कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या बना हुआ है और इससे पर्यावरणीय समस्यायें भी बढ़ रही हैं | शहर-दर-शहर बढ़ते कचरे के पहाड़ चिंता का विषय हैं | इस सम्मलेन में ऐसे ही विषयों को लक्षित वर्तमान प्रयासों की शुरुआत, उपलब्धियों व उनके कार्यान्वयन में शामिल खामियों का समीक्षत्मक अध्ययन किया जायेगा | साथ ही भविष्य में इन प्रयासों में क्या सुधार, समावेशन व निराकरण एक स्वस्थ पर्यावरण निर्माण के लिए किया जाना चाहिए जैसे सुझावों को भी समझा जायेगा |

इस सम्मलेन की संयोजिका डॉ. अर्चना भाटिया ने बताया कि हमारे पास एक सौ पचास से ज्यादा शोधपत्र पंजीकरण आ चुके हैं | इसके लिए सम्मलेन को नौ तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया है जिसमें देशभर से शामिल सभी शोधार्थी अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे | विदेशों से शामिल शोधार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुड़ेंगे | इस सम्मलेन में देशभर के विश्विद्यालयों व विभिन्न संस्थानों से जुड़े विषय विशेषज्ञ भी अपनी राय शोधार्थियों, विद्यार्थियों व मीडिया के समक्ष रखेंगे | अन्य इच्छुक शोधार्थी जो इस सम्मलेन से जुड़ना चाहते हैं वे भी अपना पंजीकरण उसी समय करवा सकते हैं |


डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय में श्री कृष्ण परमधाम मंदिर के साथ मिलकर मनाया गया गीता प्रचार चक्र माह उत्सव

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फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय ने श्रीकृष्ण परमधाम मंदिर गुरुग्राम रोड़ बड़खल ,फरीदाबाद के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत गीता प्रचार चक्र उत्सव मनाया गया। इसके अंतर्गत गीता के अध्याय संख्या सात, आठ, नौ, से सम्बन्धित एक परीक्षा का आयोजन किया गया ।


जिसमें लगभग इकतालीस प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इस परीक्षा का उद्देश्य प्रचार प्रसार के माध्यम से लोगों में श्रीमद् भागवत गीता के बारे में जागरूकता लाना रहा। इसमें शिक्षक गणों तथा छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। आयोजन के सफलता पूर्वक संपन्न होने पर महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्या डॉक्टर विजयवंती ने बच्चों को ऐसे आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया तथा श्री कृष्ण परमधाम मंदिर की निर्देशिका डॉक्टर सरोज साहनी तथा मंदिर से आई टीम का धन्यवाद किया तथा इस परीक्षा के पूर्ण होने पर निःशुल्क कार्यशाला आयोजित करने की घोषणा भी की।


डॉ अर्चना भाटिया एवं डॉ सुनीति आहूजा ने प्रतिभागियों को आशीर्वाद दिया। डॉ नरेंद्र दुग्गल, डॉ जितेंदर ,डॉ अंजू गुप्ता, डॉ अर्चना सिंघल एवं डॉ ललिता ढींगरा परीक्षा स्थान पर उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम की संयोजिका आध्यात्मिक प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. सोनिया नरूला रहीं।