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घेवर(सावन महीने की मिठाई ) पर कोरोना वायरस की मार के चलते 50 % बिक्री कम हो रही है :- संचालक रमेश हलवाई
फरीदाबाद (विनोद वैष्णव)।सावन के महीने में सावन की प्रसिद्ध मिठाई घेवर की सोंधी -सोंधी महक हलवाईयों की दुकानों की तरफ खींच ही ले जाती है। सावन का महीना आते ही बाजारों की रौनक बढ़ने लगी है। घेवर व अन्य पकवानों की दुकानें सज गई हैं। सावन का पर्व शुरू होते ही लोग भी घेवर व अन्य मिष्ठान खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके चलते ही लोग इस माह में ज्यादातर घेवर की मिठाईयों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और इनका स्वाद चख कर आनंद लेने से पीछे नहीं हैं। सावन का महीना शुरू होते ही एक ओर जहां लोगों को गर्मी व लु से निजात मिलती है वहीं घेवर का भी स्वाद लेते हैं। तीज का पर्व होने के कारण यह महीना विशेष महत्व रखता है। तीज पर लोग अपने सगे संबधियों व् लडकियों को संधार में घेवर भेज कर उनकी खुशियों में शामिल होते हैं। वहीं बहने भी अपने भाईयों को तीज देने पर उनकी दीर्घायु की मंगलकामनाएं करते हैं। वहीं बाजारों में भी तीज की रौनक लौट आती है। बाजार फिरनी व घेवर की दुकानों से सज जाते हैं। लोग सहज ही इन दुकानो की तरफ आकर्षित हो जाते हैं।
रमेश हलवाई ने बताया कि क्यों सावन में घेवर बनता है
सावन का मौसम सबसे बरसाती का मौसम होता है जिसके कारण मौसम में नमी होती है इसलिए घेवर भी बहुत नमी वाला बनता है। बस सावन में ही घेवर बनता है अगर और मौसम में घेवर बनाया गया तो घेवर ज्यादा हार्ड बनेगा और वो खाया नहीं जाएगा टेस्ट भी नहीं आएगा ।
घेवर के प्रकार
प्लेन घेवर ,दूध वाला घेवर ,खोया वाला घेवर ,मलाई रबड़ी वाला घेवर,केसर वाला घेवर।
घेवर की सावन में विक्री
5,6 कॉन्टल की बिक्री।
घेवर में कोई मिलावट नहीं होती न ही कोई पहचान
रमेश हलवाई का कहना है कि घेवर में कोई मिलावटी नहीं होती है न ही कोई पहचान क्योकि घेवर अलग अलग तरह का होता है और उसमे मिलावटी की जरूरत नहीं होती और घेवर में दूध ,मेदा ,घी, चीनी ये इस्तेमाल की जाती है तो सभी के रेट एक जैसे होते है.
घेवर खराब होने का समय
हलवाई का कहना है कि खोया वाला घेवर 2 दिन बाद खराब हो जाता है वो खट्टा पड़ जाता है लेकिन प्लेन घेवर 7,8 दिन में खराब हो सकता है।
त्योहारों पर घेवर की डिमांड ज्यादा होने पर
का कहना है कि सभी हलवाई एक महीने पहले ही फीका घेवर बन बाना शुरू कर देते है ताकि डिमांड ज्यादा होने पर किसी तरह की परेशानी न आये। और जो छोटी-छोटी दुकाने है वो हम जैसे बड़ी दुकानों से खरीद लेते है।
घेवर का रेट
मेवा घेवर:-320
खोया घेवर – 250-350
प्लेन दूध – 200
फीका घेवर:-250
सादा घेवर:-240
मेवा घेवर:-320
कैसर – 400
मिलाई – 320
शुद्ध घी – 400-450
घेवर का नाम घेवर क्यों है
मुनि राज महाराज का कहना है कि पहले 3,4 दिन मेदा रखी होती थी। और उसमे पॉजिटिव वाले कीड़े पड़ जाते थे घर में कुछ मीठा न होने पर लोग उस मेदा और घी व् चासनी का घोल बनाते थे उस घोल का नाम खमीरा था तो लोगो ने घी और चासनी के बनने के बाद जो तैयार हुआ उसे घेवर का नाम दे दिया। और उसकी की बड़ी बड़ी गोल आकर में रोटियां बना कर सभी बहन अपने भाइयो के लिए वो ही लेकर जाती थी।
सफाई व शुद्धता हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं, ग्राहक की संतुष्टि ही हमारा लक्ष्य है। सावन की मिठाई घेवर बरसात होने पर अधिक स्वादिष्ट लगता है व इसकी बिक्री में भी इजाफा हो जाता है। ज्यों-ज्यों तीज का त्यौहार निकट आता जाएगा, त्यों-त्यों घेवर की बिक्री बढती जाएगी। चूंकि फरीदाबाद शहर के आस-पास ग्रामीण एरिया है, ऐसे में तीज के अवसर पर घेवर की जमकर बिक्री होती है।
रमेश हलवाई , बल्लबगढ़
के0 सी0 एम0 वल्र्ड स्कूल टिकरी ब्रहमाण पलवल का 12वी0 कक्षा का परीक्षा परिणाम शानदार रहा
पलवल (विनोद वैष्णव )|के0 सी0 एम0 वल्र्ड स्कूल टिकरी ब्रहमाण पलवल का 12वी0 कक्षा का परीक्षा परिणाम शानदार रहा। स्कूल से मिले प्रेस नोट के अनुसार छात्र सौरभ मंगला ने नॉन मेडिकल संकाय में 96.4 प्रतिशत अंको के साथ तथा निखिल ने मेडिकल संकाय में 96. 2 प्रतिशत अंक लेकर स्कूल में प्रथम स्थान बनाया है। इसी तरह खुशबू सोरौत ने 96 प्रतिशत , प्रियांशु गोयल ने 95.8 प्रतिशत , संकल्प , अन्जीरा ने 95.8 प्रतिशत अंक लेकर मेडिकल संकाय में क्रमश द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त किया। स्कूल के छात्र लव गोयल ने 95.6 प्रतिशत , लिशा गर्ग ने 95.6 प्रतिशत अंक लेकर नॉन मेडिकल संकाय में द्वितीय तथा हिमांशी ने 95.4 प्रतिशत , दीप नागर तथा टीया कंसल ने 95.2 प्रतिशत अंक प्राप्त लेकर तृतीय स्थान प्राप्त किया। स्कूल के कूल 53 बच्चों ने 90 प्रतिशत से अधिक तथा 19 बच्चों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए है। इस उपलब्धि पर स्कूल के चेयरमैन डॉक्टर राम नारायण भारद्वाज व प्रिंसिपल पारुल भारद्वाज ने सभी अभिभावको व छात्रों को बहुत बधाई दी तथा विश्वास दिलाया कि आने वाले समय में भी स्कूल इसी तरह मेहनत करता रहेगा तथा पलवल जिले का नाम रौशन करता रहेगा।
डीसी मोंटेसरी स्मार्ट स्कूल ,मनीमाजरा में नॉन-मेडिकल संकाय के छात्र प्रणव सहरावत ने सीबीएसई की 12वी कक्षा के परीक्षा परिणाम में 96.2 प्रतिशत अंक हासिल किए
पंचकूला(विनोद वैष्णव )|सेक्टर-25 में रहने वाले प्रणव सहरावत ने सीबीएसई की 12वी कक्षा के आज आए परीक्षा परिणाम में 96.2 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। प्रणव के पिता राकेश सहरावत ने बताया कि वह डीसी मोंटेसरी स्मार्ट स्कूल ,मनीमाजरा में नॉन-मेडिकल संकाय में पढ़ता है। उन्होंने अपने बेटे की सफलता का श्रेय प्रणव की मेहनत व उसके अध्यापकों की गाइडेन्स को दिया है।
डॉ मिनाक्षी पांडेय की नजर से श्री वृन्दावन एक दिव्य दैविक धाम – पार्ट 2
वृन्दावन भगवान कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में यमुना तट पर स्थित है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है।वृन्दावन वह जगह है जहा श्री कृष्ण ने महारस किया था। यहाँ के कण कण में राधा कृष्ण के प्रेम की आध्यात्मिक धरा बहती है। वृन्दावन पावन स्थली का नामकरण ‘वृन्दावन’ कैसे हुआ इसके बारे में अनेक मत है। वुन्दा तुलसी को कहते है- पहले यह तुलसी का घना वन था इसलिए वृन्दावन कहा जाने लगा। वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी वृंदा अर्थात राधा है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्री राधा रानी के सोलह नामो में से एक नाम वृंदा भी है। वृन्दावन को ब्रज का हृदय कहते है जहाँ श्री राधाकृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है। पद्म पुराण में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है। इसी कारण से यह अनादि काल से भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। चैतन्य महाप्रभु, स्वामी हरिदास, श्री हितहरिवंश, महाप्रभु वल्लभाचार्य आदि अनेक गोस्वामी भक्तों ने इसके वैभव को सजाने और संसार को अनश्वर सम्पति के रूप में प्रस्तुत करने में जीवन लगाया है।वृन्दावन की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यमुना जी ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है। यहाँ के सघन कुंजो में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। बसंत ॠतु के आगमन पर यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को शीतलता प्रदान करती है, वह श्रीराधा-माधव के प्रतिबिम्बों के दर्शनों का ही प्रतिफल है। वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही साम्राज्य है। वृन्दावन में श्रीयमुना के तट पर अनेक घाट हैं। वृन्दावन की गलिया बड़ी प्रसिद्ध है और इन गलियों को कुंज गलिया कहते है। हैं।
‘वृन्दा’ तुलसी को कहते हैं। यहाँ तुलसी के पौधे अधिक थे। इसलिए इसे वृन्दावन कहा गया।वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी ‘वृन्दा’ हैं। कहते हैं कि वृन्दा देवी का मन्दिर सेवाकुंज वाले स्थान पर था। यहाँ आज भी छोटे-छोटे सघन कुंज हैं। श्री वृन्दा देवी के द्वारा परिसेवित परम रमणीय विविध प्रकार के सेवाकुंजों और केलिकुंजों द्वारा परिव्याप्त इस रमणीय वन का नाम वृन्दावन है। यहाँ वृन्दा देवी का सदा-सर्वदा अधिष्ठान है। वृन्दा देवी श्रीवृन्दावन की रक्षयित्री, पालयित्री, वनदेवी हैं। वृन्दावन के वृक्ष, लता, पशु-पक्षी सभी इनके आदेशवर्ती और अधीन हैं। श्री वृन्दा देवी की अधीनता में अगणित गोपियाँ निरंतर कुंजसेवा में संलग्न रहती हैं। इसलिए ये ही कुंज सेवा की अधिष्ठात्री देवी हैं। पौर्णमासी योगमाया पराख्या महाशक्ति हैं। गोष्ठ और वन में लीला की सर्वांगिकता का सम्पादन करना योगमाया का कार्य है। योगमाया समाष्टिभूता स्वरूप शक्ति हैं।
इन्हीं योगमाया की लीलावतार हैं- भगवती पौर्णमासीजी। दूसरी ओर राधाकृष्ण के निकुंज-विलास और रास-विलास आदि का सम्पादन कराने वाली वृन्दा देवी हैं। वृन्दा देवी के पिता का नाम चन्द्रभानु, माता का नाम फुल्लरा गोपी तथा पति का नाम महीपाल है। ये सदैव वृन्दावन में निवास करती हैं। ये वृन्दा, वृन्दारिका, मैना, मुरली आदि दूती सखियों में सर्वप्रधान हैं। ये ही वृन्दावन की वनदेवी तथा श्रीकृष्ण की लीलाख्या महाशक्ति की विशेष मूर्तिस्वरूपा हैं। इन्हीं वृन्दा ने अपने परिपालित वृन्दावन के साम्राज्य को महाभाव स्वरूप राधारानी के चरण कमलों में समर्पण कर रखा है। इसीलिए राधिका जी ही वृन्दावनेश्वरी हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीमती रानी के सोलह नामों में से एक नाम वृन्दा भी है। वृन्दा अर्थात अपने प्रिय श्री कृष्ण से मिलने की आकांक्षा लिए इस वन में निवास करती हैं और इस स्थान के कण-कण को पावन तथा रसमय करती हैं। है। यहाँ पर उस परब्रह्म परमात्मा ने मानव रूप अवतार धारण कर अनेक प्रकार की लीलाएँ की। विशेषकर यह वृन्दावन भगवान् श्रीकृष्ण की लीला क्षेत्र है। किसी संत ने कहा है कि-
वृन्दावन सो वन नहीं, नन्दगांव सो गांव।
बंशीवट सो बट नहीं, कृष्ण नाम सो नाम।
अर्थात वृन्दावन के बराबर संसार में कोई पवित्र वन नहीं है और नंदगाव के बराबर कोई गांव नही , बंशीवट के बराबर कोई वट वृक्ष नहीं है, और श्री कृष्ण नाम के बराबर कोई दूसरा नाम श्रेष्ठ नहीं है। वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण की चिन्मय रूप प्रेमरूपा राधा जी साक्षात विराजमान हैं। राधा साक्षत भक्ति रूपा हैं। इसलिए इस वृन्दावन में वास करने तथा भजन कीर्तन एवं दान इत्यादि करने से सौ गुना फल प्राप्त होता है। शिरोमणि श्रीमद्भागवत में यत्र-तत्र सर्वत्र ही श्रीवृन्दावन की प्रचुर महिमा का वर्णन प्राप्त होता है।चतुर्मुख श्री ब्रम्हा जी ने श्रीकृष्ण की अद्भुत लीला-माधुरी का दर्शन कर बड़े विस्मित हुए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे। ब्रह्माजी कह रहे हैं- ‘अहो! आज तक भी श्रुतियाँ जिनके चरणकमलों की धूलि को अन्वेषण करके भी नहीं पा सकी हैं, वे भगवान मुकुन्द जिनके प्राण एवं जीवन सर्वस्व हैं, इस वृन्दावन में उन ब्रजवासियों में से किसी की चरणधूलि में अभिषिक्त होने योग्य तृण, गुल्म या किसी भी योनि में जन्म होना मेरे लिए महासौभाग्य की बात होगी।
यदि इस वृन्दावन में किसी योनि में जन्म लेने की सम्भावना न हो, तो ब्रजधाम में कही भी किसी प्रान्त में प्रान्त किसी शिला के रूप में जन्म ग्रहण करूँ, जिससे वहाँ की मैला साफ़ करने वाली जमादारनियाँ भी अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उन पत्थरों पर पैर रगड़ें, जिससे उनकी चरणधूलि को स्पर्श करने का भी सौभाग्य प्राप्त हो। श्री उद्धव जी कहते हैं कि जिन्होंने दुस्त्यज्य पति-पुत्र आदि सगे-सम्बन्धियों, आर्यधर्म और लोकलज्जा आदि सब कुछ का परित्याग कर श्रुतियों के अन्वेषणीय स्वयं-भगवान ब्रजेन्द्रनन्दन श्री कृष्ण को भी अपने प्रेम से वशीभूत कर रखा है- मैं उन गोप-गोपियों की चरण-गोपियों की चरण-धूलि से अभिषिक्त होने के लिए इस वृन्दावन में गुल्म, लता आदि किसी भी रूप में जन्म प्राप्त करने पर अपना अहोभाग्य समझूँगा। रंगभूमि में उपस्थित माथुर रमणियाँ वृन्दावन की भूरि-भूरि प्रशंसा करती हुई कह रही हैं-अहा! इन तीनों लोकों में श्रीवृन्दावन और वृन्दावन में रहने वाली गोप-रमणियाँ ही धन्य हैं, जहाँ परम पुराण पुरुष श्रीकृष्ण योगमाया के द्वारा निगूढ़ रूप में मनुष्योचित लीलाएँ कर रहे हैं। कृष्ण प्रेम में उन्मत्त एक दूसरी गोपी को सम्बोधित करती हुई कह रही है- अरी सखि! यह वृन्दावन, वैकुण्ठ लोक से भी अधिक रूप में पृथ्वी की कीर्तिका विस्तार कर रहा है, क्योंकि श्री कृष्ण के चरणकमलों के चिह्नों को अपने अंक में धारण कर अत्यन्त सुशोभित हो रहा है।जब भी श्रीकृष्ण अपनी विश्व-मोहिनी मुरली की धुन छेड़ देते थे ,उस समय वंशीध्वनि को मेघा गर्जन समझकर मयूर अपने पंखों को फैलाकर उन्मत्त की भाँति नृत्य करने लगते हैं। इसे देखकर पर्वत के शिखरों पर विचरण करने वाले पशु-पक्षी सम्पूर्ण रूप से निस्तब्ध होकर अपने कानों से मुरली ध्वनि तथा नेत्रों से मयूरों के नृत्य का रसास्वादन करने लगते हैं।श्री शुकदेव जी परम पुलकित होकर वृन्दावन की पुन:पुन: प्रशंसा करते हैं- अपने सिर पर मयूर पिच्छ, कानों में पीले कनेर के सुगन्धित पुष्प, श्याम अंगों पर स्वर्णिम पीताम्बर, गले में पंचरंगी पुष्पों की चरणलम्बित वनमाला धारणकर अपनी अधर-सुधा के द्वारा वेणु को प्रपूरितकर उसके मधुर नाद से चर-अचर सबको मुग्ध कर रहे हैं तथा ग्वालबाल जिनकी कीर्ति का गान कर रहे हैं, ऐसे भुवनमोहन वेश धारणकर श्रीकृष्ण अपने श्रीचरण चिह्नों के द्वारा सुशोभित करते हुए परम रमणीय वृन्दावन में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए अखिल चिदानन्द रसों से आप्लावित मधुर वृन्दावन को छोड़कर श्रीकृष्ण कदापि अन्यत्र गमन नहीं करते हैं।एक रसिक और भक्त कवि ने वृन्दावन के सम्बन्ध में श्रुति पुराणों का सार गागर में सागर की भाँति संकलन कर ठीक ही कहा है. वृन्दावन की प्राकृतिक सौंदर्यता देखने योग्य है। यमुना ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है।
आज भी श्री वृन्दावन के कण कण में श्री कृष्ण की मधुर ध्वनि सुनायी देती है और उस पवित्रता और अद्भुत दिव्यता का एहसास होता है और इसका अनुभव हम वहां की मिटटी पर जाकर महसूस कर सकते हैं यहाँ के सघन कुंजों में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को जो शीतलता प्रदान करती है उसका बयान शब्दों में नही किया जा सकता है वृन्दावन का कण-कण रसमय है। यहाँ प्रेम-भक्ति का ही साम्राज्य है। गर्ग संहिता में श्री वृन्दावन का महत्त्व गोलोकधाम से भी बढ़ कर मन गया है. कई विश्व प्रसिद्ध लोग अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण समय वृन्दावन में बिताते हैं और अपना जीवन आध्यात्म में समर्पित करते हैं जो शांति क्युकि यहाँ के वातावरण में है मेरा ये मानना है ऐसी परम शांति संपूर्ण विश्व में कहीं नही है अपने-अपने कामों से अवकाश प्राप्त कर अपने शेष जीवन को बिताने के लिए यहाँ अपने निवास स्थान बनाकर रहते हैं। वे प्रतिदिन साधु-संगतों, हरिनाम संकीर्तन, श्री मद्भागवत आदि ग्रन्थों के होने वाले पाठों में सम्मिलित होकर धर्म-लाभ प्राप्त करते हैं। ब्रज के केन्द्र में स्थित वृन्दावन में सैंकड़ों मन्दिर हैं। जिनमें से अनेक ऐतिहासिक धरोहर भी है। श्री सूरदास जी ,श्री चैतन्य महाप्रभू ,स्वामी हरिदास जी जैसे संतों का इस पवित्र स्थान से सम्बन्ध रहा है. ना जाने कितने विद्वानों ,ऋषि मुनियों ने अपना सब कुछ छोड़ कर श्री वृन्दावन में रहकर श्री कृष्ण साधना को अपने जीवन का परम उद्देश्य बना लिया
वृन्दावन में निधिवन
श्री वृन्दावन में स्थित निधिवन के बारे में कहा जाता है कि की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है कि निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है और उसके बाद वहां फिर किसी को अंदर प्रवेश करने की अनुमति नही है यहाँ तक कि वहां आने वाले वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है।निधि वन के अंदर ही ‘रंग महल’ है . और जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वहां प्रतिदिन श्री कृष्ण और श्रीमति राधा रानी के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में श्रीमति राधा रानी और श्री कृष्ण के लिए एक जल से भरा पात्र श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो पात्र का जल थोड़ा सा मिलता है ,दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।निधि वन की एक अन्य खासियत यहाँ के तुलसी के पेड़ है। निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है की इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि जो लोग भी ले गए वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए इसलिए इन्हे कोई भी नही छूता , रंग महल में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है।शयन के लिए पलंग लगाया जाता है। सुबह बिस्तरों के देखने से प्रतीत होता है कि यहां निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद भी ग्रहण किया है। लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन के वृक्षों की खासियत यह है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत हाते हैं।निधिवन परिसर में ही संगीत सम्राट एवं धुपद के जनक श्री स्वामी हरिदास जी की जीवित समाधि, रंग महल, बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल, राधारानी बंशी चोर आदि दर्शनीय स्थान ऐसी भी मान्यता है निधिवन में प्रतिदिन रात्रि में होने वाली श्रीकृष्ण की रासलीला को देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के किसी को बता ना सके।
इसी कारण रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं। और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है। उनके अनुसार यहां जो भी रात को रुक जाते है वह सांसारिक बन्धन से मुक्त हो जाते हैं और जो मुक्त हो गए हैं, उनकी समाधियां परिसर में ही बनी हुई है। निधिवन में जो 16000 आपस में गुंथे हुए वृक्ष आप देख रहे हैं, वही रात में श्रीकृष्ण की 16000 रानियां बनकर उनके साथ रास रचाती हैं। रास के बाद श्रीराधा और श्रीकृष्ण परिसर के ही रंग महल में विश्राम करते हैं। जबकि सच इस प्रकार है – अनियमित आकार के निधिवन के चारों तरफ पक्की चारदीवारी है। परिसर का मख्यद्वार पश्चिम दिशा में है।परिसर का नऋत्य कोण बढ़ा हुआ है और पूर्व दिशा तथा पूर्व ईशान कोण दबा हुआ है। गाइर्ड जो 16000 वृक्ष होने की बात करते हैं वह भी पूरी तरह झूठ है क्योंकि परिसर का आकार इतना छोटा है कि 1600 वृक्ष भी मुश्किल से होंगे और छतरी की तरह फैलाव लिए हुए कम ऊँचाई के वृक्षों की शाखाएं इतनी मोटी एवं एवं मजबूत भी नहीं है कि दिन में दिखाई देने वाले बंदर रात्रि में इन पर विश्राम कर सकें इसी कारण वह रात्रि को यहाँ से चले जाते हैं।इस परिसर की चारदीवारी लगभग 10 फीट ऊंची है और बाहर के चारों ओर रिहायशी इलाका है जहां चारों ओर दो-दो, तीन-तीन मंजिला ऊँचे मकान बने हुए है और इन घरों से निधिवन की चारदीवार के अन्दर के भाग को साफ-साफ देखा जा सकता है। वह स्थान जहाँ रात्रि के समय रासलीला होना बताया जाता है वह निधिवन के मध्य भाग से थोड़ा दक्षिण दिशा की ओर खुले में स्थित है।यदि सच में रासलीला देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा हो जाए या मर जाए तो ऐसी स्थिति में निश्चित ही आस-पास के रहने वाले यह इलाका छोड़कर चले गए हाते। निधिवन के अन्दर जो 15-20 समाधियां बनी हैं वह स्वामी हरिदास जी और अन्य आचार्यों की समाधियां हैं जिन पर उन आचार्यों के नाम और मृत्यु तिथि के शिलालेख लगे है
बाबा रामकेवल ने मुंडन कराकर बीजेपी को चेताया : सुमित गौड़
फरीदाबाद (विनोद वैष्णव )|आरटीआई कार्यकर्ताओं, पत्रकारों एवं समाजसेवियों द्वारा लगातार दर्ज हो रहे उत्पीडऩ के मुकदमें व हमले के विरोध में पिछले 24 दिनों से सेक्टर-12 स्थित लघु सचिवालय के समक्ष आमरण अनशन पर बैठे बाबा रामकेवल को शुक्रवार को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रदेश प्रवक्ता सुमित गौड़ ने अपना समर्थन देते हुए उनकी सभी मांगों को पूरी तरह से जायज करार दिया। सुमित गौड़ ने कहा कि भाजपा सरकार में अफसरशाही पूरी तरह से बेलगाम हो चुकी है, अधिकारी मनमानी करते है और बिना किसी तथ्यों व सच्चाई के लोगों में मुकदमें दर्ज कर दिए जाते है। उन्होंने यह भी कहा कि बाबा रामकेवल को धरने पर बैठे करीब 24 दिन हो चुके है परंतु किसी भी सत्तापक्ष के नेता एवं अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली है, ऐसे में इससे पता चला है कि भाजपा सरकार की नीति और नीयत दोनों ही खराब है। श्री गौड़ ने कहा कि बाबा रामकेवल आम जनता के हकों की लड़ाई लड़ रहे है और कांग्रेस पार्टी उनके इस संघर्ष में पूरी तरह से उनके साथ है और हर स्तर पर उनका सहयोग करेगी। वहीं बाबा रामकेवल ने आज धरनास्थल पर अपने बालों का मुंडन कराते हुए कहा कि उनके इस संघर्ष में आम जनता उन्हें पूरा सहयोग कर रही है, लेकिन प्रशासन ने पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है, लेकिन उसके बावजूद तब तक सरकार व प्रशासन की तानाशाही समाप्त नहीं हो जाती, उनका यह अहिंसात्मक प्रदर्शन जारी रहेगा, चाहे इसके लिए उन्हें अपने प्राणों की कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े। श्री गौड़ के अलावा बाबा रामकेवल को समर्थन देने के लिए कई समाजसेवी लोग भी धरनास्थल पर पहुंचे।
हरियाणा पत्रकार संघ का एक प्रतिनिधी मंडल राज्य के पत्रकारों की मांगों को लेकर आज करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिला
चंडीगढ़/करनाल (विनोद वैष्णव )।हरियाणा पत्रकार संघ का एक प्रतिनिधी मंडल राज्य के पत्रकारों की मांगों को लेकर आज करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिला । मांग पत्र में पत्रकारों को चिकित्सा बीमा देने, कोविड-19 में रहे बेरोजगार पत्रकारों को राहत पैकेज देने तथा लघु समाचार पत्रों को लाभकारी नई विज्ञापन नीति बनाने की एवं प्रेस मान्यता देने वाली कमेटी का गठन करने की माँग की गई की । इस बैठक में करनाल के सांसद संजय भाटिया भी उपस्थित थे ।
???? कर कर सर्वे मर गए ????
आपदा में कर्मचारी कर कर सर्वे मर गए
कुछ अधिकारी पीढ़ियों का इंतजाम कर गए।
राशन पानी आएगा कुछ बाबूजी ने बोला था
इंतजार में यूं जनता के पेट खुद ही भर गए।
करना धरना कुछ नहीं टी वी पर आते हैं रोज
चुन के मुखिया सूबों के छाती पे ऐसे धर गए।
कोरोना योद्धा बने और, ले लिए प्रमाणपत्र
अखबारों में छप छपाकर,वो तो अपने घर गए।
आधा मिलता मेहनताना, काम दुगना हो गया
खुश होकर कर रहे गुजारा ,बेकारी से डर गए।
कोई भी अपना नहीं है मजदूरों ने जाना जब
सैंकड़ों मिलों चले और लौट अपने दर गए।
रक्षक,शिक्षक और चिकित्सक डटे हैं मैदान में
स्वच्छता के और सिपाही मन मेरा भी हर गए।
देवेंद्र गौड़ (कवि)
कुलदीप सिंह ऑल इंडिया फिल्मस एंड टीवी आर्टिस्ट एसो. अध्यक्ष नियुक्त
फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ): कुलदीप सिंह को ऑल इंडिया फिल्मस एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन ने फरीदाबाद जिला प्रेसिडेंट नियुक्त किया। इस अवसर पर कुलदीप सिंह ने एसोसिएशन के फॉउंडर एवं ट्रस्टी चन्दर प्रकाश गर्ग का आभार व्यक्त किया। कुलदीप सिंह ने कहा कि यह एसोसिएशन हर कलाकार को उसके करियर में आगे बढ़ने में प्रोत्साहित करेगी ओर हर सम्भव मदद करेगी। फिल्म- टीवी इंडस्ट्री मे कास्टिंग काउच एक बीमारी की तरह है उसको भी जड़ से ख़त्म करने के लिए एसोसिएशन देश भर में प्रयासरत है।
इस अवसर पर कुलदीप सिंह ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के अकस्मात निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में भाईभतीजा वाद बहुत प्रचलित है और सच्चे ओर प्रतिभा संपन्न कलाकार की कदर नहीं है यह बॉलीवुड में बड़े दुःख की बात है।
टीवी चाइल्ड आर्टिस्ट एवं रयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र धन तेजस की लॉक डाउन के दौरान न्यूज़ 21 टीवी के पत्रकार विनोद वैष्णव के साथ खास बातचीत
पृश्न :-आप lock down मे कैसे समय बिता रहे हैँ ?
उत्तर :-न्मस्ते , मैने lockdown को पूरा एंजोय किया है , drawing , पैंटींग, कुकइंग , exercise ओर studies करता हूँ , घर के काम मे मॉम की हेल्प करता हूँ , छोटी बेहन के साथ मस्ती करता हूँ , guitar बजाता हूँ …
पृश्न :-आप क्या मिस करते हैँ?
उत्तर :-मुंबई की शूट , समुन्दर ओर लाइफ रुक गई है, वो मिस करता हूँ , कई दिनो से बाहर खेलने नही जा पाये ओर ना ही दोस्तो ओर रीषतेदारों से मिले है वो सब . पर कोई बात नहीं , हमे घर रह कर सरकार और डॉक्टरस सबकी बात माननी है फिलहाल और आप सभी को भी यही सलाह है की बिना किसी काम के बाहर मत निकालिये ..दोस्तों …
पृश्न :-और बताइये तेजस को खाने मे क्या क्या पसंद है..
उत्तर :- हाहा जी, मुझे घर में जो भी मॉम(मम्मी ) बनाती है वो सब ..बाकी… मुझे तरह- तरह की salad ओर पनीर की dish पसंद है.. चिप्स , चॉक्लेट्स भी लेकिन वो सब allowed नहीं क्युकी शूट के लिए energy जंक फ़ूड खाने से नही मिलती है | रोज दूध भी पीता हूँ ,न्टस ओर् mango शेक भी अच्छा लगता है I
पृश्न :-आपकी शूट कब शरू होगी ?
उत्तर :-जी शूट 15 जून के बाद ही शुरू किऐ जायेंगे I बाकी production की ओर से सभी ऐतियात होंगे तब , जो भी guidelines तय की जायेंगी ,उसी तरह से ही काम किये जायेंगे I
पृश्न :-आप के serials में आपको काफी प्यार मिलता है , क्या कहेंगे ?
उत्तर :-हा हाँ जी मुझे दर्शको का प्यार मिलता है.. तो बहुत ख़ुशी होती है.. ओर काम का उत्साह भी बढता है I आपके चैनल के माध्यम से सभी का धन्यवाद देना चाहता हूँ I कई बार मॉम के फ़ोन में fans के मेसेज आते हैँ.. तो अच्छा लगता है.. अपनी एक्टिंग से सबके दिल तक पहुँचता हूँ तो भगवान और अपने मॉम – पापा को धन्यवाद बोलना चाहूँगा I
पृश्न :-lockdown से पहले किस शूट में व्यस्त थे ?
उत्तर :-&TV के शो मे जो अब 15 जून के बाद फिर से शुरू किया जा सकता है।
पृश्न :-शूट के साथ पढाई कैसे करते हैँ?
उत्तर :-जी, मॉम ख्याल रखती है, और मॉम logically पढ़ने को कहती हैं , रटने नही देती हैं I मुझे पढना और reading अच्छे लगते है, जब भी ब्रेक होता है तब मॉम पढ़ाती हैँ,स्कूल से सपोर्ट मिलता है,मेरी teachers मॉम को study materials और क्लास वर्क भेजती हैं ..
पृश्न :-इसके अलावा आगे क्या करोगे?
उत्तर :-अभी बिग बैनर Bollywood मूवी की शूटिंग होनी थी जो की lockdown की वजह से आगे पोस्टपोंड हो गई है..महूर्त ओर पोस्टर शूट हो चुका है, मेकर्स की अनुमती के बाद मेडिया से शेयर कर सकते हैं .तो थोड़ा इंतेज़ार ..
पृश्न :-अपने फैंस को मेसेज क्या देना चाहेंगे ?
उत्तर :-बस यही की अपने interests और passion को पहचानिये और उनको फोलो कीजिये I माता-पिता की बात सुनिये I गॉड पर विश्वास रखिये I खुश रहे ओर खूब मस्ती कीजिये | इसी तरह प्यार देते रहें I i लव you आल …बाय .. टेक केयर .. स्टे safe …
जानिए अपना साप्ताहिक राशिफल दिल्ली NCR की जानी मानी टैरो कार्ड रीडर पूजा ए भंडारी से
मेष:- आप अपने सहयोगियों के साथ समय बिताना चाहते हैं लेकिन अपने सहकर्मियों के लिए म्यूजिकल इवनिंग आयोजित करने का प्लान पूरा नहीं हो पाएगा। अचानक किसी दूर के रिश्तेदार से मिले किसी शुभ समाचार से पूरे परिवार में खुशियां आएंगी। धन संबंधित मामलों के लिए यह सप्ताह अच्छा रहने वाला है।
वृष:- यात्रा करने के योग बन रहे हैं। यात्रा करने से विदेश में व्यापार के मौके मिल सकते हैं। आपके रिश्तेदार आपकी निजी जिंदगी को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सलाह दे सकते हैं। अचानक किसी यात्रा पर जाना काफी तनावपूर्ण और थका देना वाला होगा लेकिन इस यात्रा पर जाने से आपको धनलाभ होगा।
मिथुन:- करियर के लिए यह सप्ताह काफी अच्छा है। नौकरी में तरक्की के योग बन रहे हैं। तरक्की के किसी ऑफर को मना करने से पहले उसके दूर के फायदे को एक बार जरूर सोच लें। बच्चों को उनके खाली समय में घर के कामों को करने के लिए प्रोत्साहित करें। धन संबंधित मामलों के लिए यह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण रहेगा। सप्ताह के अंत तक आते-आते आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
कर्क:-करियर के लिए यह सप्ताह अच्छा रहेगा। किसी नए व्यापार को शुरू करने के लिए यह सप्ताह काफी शुभ रहेगा। परिवार से प्यार और सहयोग मिलेगा। प्रॉपर्टी संबंधित कामों के लिए सप्ताह शुभ है। रियल स्टेट से जुड़ी किसी डील में निवेश करने की सोच सकते हैं। इस हफ्ते आपका मूड काफी अच्छा रहने वाला है। अपने साथी के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान बना सकते हैं।
सिंह:-करियर को लेकर समय थोड़ा मुश्किलभरा हो सकता है। अपने कमजोर कम्युनिकेशन स्किल्स के चलते कार्यक्षेत्र पर नुकसान हो सकता है। परिवार में शादीयोग्य किसी सदस्य की शादी के योग बन रहे हैं जिससे परिवार में उत्साह का माहौल रहेगा। धन संबंधित मामलों को लेकर सप्ताह महत्वपूर्ण रहेगा। शेयर मार्केट से जुड़े लोगों को धनलाभ के योग बन रहे हैं।
कन्या:-आप इस समय काफी महत्वपूर्ण स्थिति है। अपनी इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभाने के लिए इस समय आपको एक अच्छा वार्ताकार और सफल संचारक होने की जरूरत है। आपके नए दृष्टिकोण से परिवार में हंसी-खुशी का माहौल रहेगा। शेयर मार्केट में किया गया निवेश आगे चलकर काफी फायदेमंद साबित होने वाला है।
तुला:-करियर को लेकर आपका सकारात्मक रवैया आपको सफलता दिलाएगा। अपने रिश्तों को लेकर इस सप्ताह थोड़ा सतर्क रहें। बच्चों के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है जिससे आप कुंठित महसूस करेंगे। धन संबंधित मामलों के लिए सप्ताह अच्छा रहेगा। धनलाभ के चलते आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
वृश्चिक:- करियर को लेकर यह समय काफी महत्वपूर्ण है। करियर में तरक्की के लिए अपने कम्युनिकेशन स्किल्स को मजबूत करें। परिवार के साथ पिकनिक पर जाने से लंबे समय से चली आ रही गलफहमियां दूर होंगी। परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे। धन संबंधित मामलों के लिए सप्ताह शुभ रहेगा। अचानक धनलाभ के योग बन रहे हैं
धनु:-करियर को लेकर यह सप्ताह मिला-जुला रहेगा। कोई समस्या होने पर आपका कोई सीनियर सहयोगी आपकी मदद करेगा। अपने आकर्षक व्यक्तित्व के चलते परिवार के किसी समारोह में सभी को अपनी ओर आकर्षित करेंगे। धन संबंधित मामलों के लिए यह सप्ताह संतोषजनक रहेगा। अपने कॉन्टेक्ट के चलते आय के नए साधन ढूंढने में कामयाब होंगे।
मकर:- करियर के लिए यह सप्ताह काफी अच्छा रहेगा। अपनी मेहनत और लगन से अपने सीनियर्स का भरोसा जीतने में आप कामयाब होंगे। परिवार या रिश्तेदार की तरफ से अचानक कोई उपहार मिल सकता है। धन संबंधित मामलों के लिए यह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण रहेगा। इस हफ्ते किया गया निवेश आपको फायदेमंद साबित होगा जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
कुंभ:- इस हफ्ते आपके बहुत सारे कंफ्यूजन्स दूर होंगे। घर में किए गए बदलावों को परिवार के सदस्य काफी पसंद करेंगे। इस हफ्ते आपके खर्चे काफी बढ़ सकते हैं। लेकिन चिंता न करें, आय में वृद्धि के चलते इन खर्चों को आप आसानी से संभालेंगे। प्रेम संबंधों के लिए यह समय काफी अच्छा चल रहा है। अपने साथी के साथ समय बिताकर आप काफी अच्छा महसूस करेंगे।
मीन:-व्यापार को लेकर की गई यात्रा काफी फायदेमंद साबित होगी। दोस्त और परिवार के लोग आपको ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। धन संबंधित मामलों को लेकर इस हफ्ते थोड़ा सतर्क रहें। निवेश की जल्दबाजी में कोई भी निर्णय लेने से बचें। किसी भी चीज में निवेश करने से पहले सभी पहलुओं की अच्छे से जांच कर लें, वरना नुकसान हो सकता है।