कुछ लोग एक पल में इतिहास बन गये
(उत्तराखण्ड ग्लेशियर त्रासदी पर ओन लाईन कवि सम्मेलन)
राष्ट्रव्यापी अराजकता के चलते उत्तराखण्ड में विशाल ग्लेशियर के टूटने से आहत ‘आओ गुनगुना लें गीत के सौजन्य से फेसबुक के भारत वन्दन चैनल से एक कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ । कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय गीतकार डा० जयसिंह आर्य दिल्ली,संयोजन ओजस्वी कवयित्री अंजलि सिसौदिया और संचालन भारतभूषण वर्मा असंध करनाल ने किया ।शुरुआत पानीपत से पधारी सुमधुर गीतकार आराधनासिंह अनु द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुई । आगत कवियों का काव्यपाठ उत्तराखण्ड में घटित ग्लेशियर के फटने से घटित दुर्घटना और राष्ट्रजागरण पर केन्द्रित रहा ।
डा०जयसिंह आर्य ने उत्तराखण्ड में घटित दुर्घटना में मरे नागरिकों को श्रद्धांजलि देते हुए मार्मिक कविताएं सुनाईं-“कुछ लोग एक पल में ही इतिहास बन गये ।
तूफान और आंधियों का ग्रास बन गये ।।
सोचा कहां था इस तरह से जायेंगे एक दिन । जल में समाधि सजायेंगे एक दिन ।।
वें कालरूप साण्ड की घास बन गये ।।”
सहारनपुर से पधारे कवि विनोद भृंग ने कश्मीर में हुए शहीदों को समर्पित रचना पढी-“दिया मुंहतोड उत्तर दुश्मनों को जिन शहीदों ने,
नमन उनको हुए कुर्बान जो कश्मीर घाटी में ।।”
ग़ाजियाबाद से जयप्रकाश मिश्र ने सुनाया-“जंग जीतना है तो तन से मन को ऊपर रखना ।
छोड़ अहिंसा बल पौरूष को ऊपर रखना ।।”
भारतभूषणवर्मा के काव्यपाठ की बानगी-“शहीदों को नमन मेरा,जो ना फिर लौटके आयेंगे ।
छाप धरती के सीने पर,वो अपनी छोड़ जायेंगे ।।”
देश के सुप्रसिद्ध रचनाकार मुज़फ़्फ़रनगर से पधारे सुप्रसिद्ध कवि प्रकाश सूना ने कईं रसों में अपनी कविताएं पढीं-“हम चाहें तो पर्वत का भी शीश झुका दें ।
अंगारों को जीभ पे रखके स्वाद बतादें ।।”
मेरठ से पधारे चन्द्रशेखर मयूर ने भारत मां के सपूतों की विशेषताएं बताते हुए कहा-“आंधी और तूफानों में भी हमको पलना आता है ।
अंगारों पर भारत के बेटों को चलना आता है ।।”
सुप्रसिद्ध कवयित्री आराधनासिंह अनु ने अपने गीतों से जहां श्रोताओं के कानों में मिसरी सी घोल दी वहीं अपने ओजस्वी वाणी प्रदर्शन से देशभक्ति का संचार भी किया-“भारत की स्वर्णिम माटी से,मस्तक पर तिलक लगाऊंगी ।
मरते दम तक भारत की हूं,भारतवासी कहलाऊंगी ।।”
कवयित्री गीता माही ने अपना काव्यपाठ देशभक्ति को समर्पित करते हुए भगवान राम की स्तुति करते हुए कहा:-
गर तमन्ना है नहीं तो ज़िन्दगी किस काम की
तोड़ दिये अनुबन्ध हमने ज़िन्दगी किस नाम की
मर्यादा खण्डित हुई है अब यहाँ चारों तरफ
फिर से युग को है ज़रुरत आज प्रभु श्री राम की।
केसर कमल शर्मा,प्रीतमसिंह प्रीतम,सुनील अरोरा टम्मी,प्रदीप चौहान,नरेश,डा०दमयन्ती शर्मा,लवकुमार प्रणय,सुधा अग्रवाल,सोनिया अक्स,कुसुमसिंह,तिलकराम यादव आदि साहित्यकार कविसम्मेलन से अन्त तक जुडकर आनन्द लेते रहे । अन्त में सबने उत्तराखण्ड त्रासदी में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी ।