फरीदाबाद(विनोद वैष्णव ) | लिंग्याज विद्यापीठ (डीम्ड-टु-बी) यूनिवर्सिटी अब विदेशों में भी अपने पंख फैला रहा है! उसने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ सहयोगात्मक गतिविधियों की शुरुआत की है। इसी कड़ी में शुक्रवार को स्कॉटलैंड (यूके) के सबसे बड़े टेक्निकल एंड प्रोफेशनल कॉलेज सिटी ऑफ ग्लासगो कॉलेज के साथ अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
लिंग्याज विद्यापीठ शोधकर्ताओं, शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों को दुनिया भर के अग्रणी तकनीकी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग में प्रवेश करने के लिए सर्वोत्तम संभव शर्तों को देने के लिए सक्रिय रूप से समर्पित है। विदेशों में प्रौद्योगिकीविदों के साथ अकादमिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए इसकी परिकल्पना की गई है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से लिंग्याज विद्यापीठ अधिक प्रभाव और दृश्यता प्राप्त कर सकता है। यह अन्य प्रसिद्ध तकनीकी विश्वविद्यालयों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करने के लिए जागरूकता, विश्वास और सम्मान पैदा करता है। लिंग्याज ग्रुप के चेयरमैन डा. पिचेश्वर गड्डे ने दोनों महत्वपूर्ण संस्थाओं के बीच हुए इस समझौते पर खुशी जताते हुए कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय समझौता अवश्य ही शिक्षा और शोध के मानदंडों पर खरा उतरेगा तथा वर्तमान और भविष्य में शोधकर्ता अवश्य ही इससे लाभान्वित होंगे। ग्लासगो के प्रोजेक्ट डॉरेक्टर ध्रुव कुमार ने फरीदाबाद आकर लिंग्याज विद्यापीठ के रजिस्ट्रार प्रेम कुमार सालवान के साथ इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर वाइस चांसलर प्रो. अरविंद अग्रवाल ने कहा कि यह समझौता शिक्षा के क्षेत्र में एक सहयोग और गतिशीलता कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना और विदेशी देशों के बीच सहयोग के माध्यम से लोगों एवं संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देना है। इस समझौते के क्रियान्वन के लिए उत्तरदायी प्रो वाइस चांसलर प्रो. जसकिरण कौर ने कहा कि इस समझौते से शोधकर्ता अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ाई के दौरान एक-दूसरे के यहां जाने से वहां की संस्कृति और कल्चर के बारे में भी स्टूडेंट को जानने का मौका मिलेगा। इस महत्वपूर्ण अवसर पर प्रों वाइस चांसलर आरएनडी प्रो. जी.एम.पाटिल ने कहाकि दोनों शैक्षणिक संस्थानों के बीच यह समझौता एक अच्छी पहल है। इससे दोंनो संस्थानों के छात्र-छात्राओं को एक-दूसरे के देशों में जाकर शिक्षण और शोध कार्यों में मदद मिल सकेगी।