सारे गामा की विजेता रही डा. रिंकू कालिया ने 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड षिल्प मेला में सांस्कृतिक संध्या में चार चांद लगा दिए

सूरजकुण्ड( विनोद वैष्णव ) | सारे गामा की विजेता रही डा. रिंकू कालिया ने ये न थी हमारी किस्मत की विसाले यार होता और ये कागज की कष्ती वो बारीष का पानी व दमा-दम मस्तकलंदर जैसे गीत-गजलें गाकर फरीदाबाद जिला में चल रहे 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड षिल्प मेला में सांस्कृतिक संध्या में चार चांद लगा दिए। इसके अलावा उन्होंने हिन्दी, पंजाबी, सूफियाना गीत-गजलों के साथ सांस्कृतिक संध्या को सराबोर कर दिया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे हरियाणा के एडीजीपी लॉ एंड आर्डर मोहम्मद अकील ने दीप प्रज्जलित कर सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि सूरजकुंड मेला से आम लोगों को संस्कृति की विविधता के अनेक रूपों को जानने का मौका मिलता है और देष व विदेषी संस्कृति के आपसी मेल-जोल से संस्कृति का आदान-प्रदान होता है। इसलिए इस प्रकार के आयोजनों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी लोगों को करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत की पूरे विष्व में अपनी एक अलग पहचान है, जिसको इस मेले में आए विदेषी कलाकारों व लोगों को  नजदीक से देखने व सुनने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि सूरजकुंड मेला जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कलाकार अपनी प्रस्तुति से देष-विदेष से आए हुए लोगों को भारतीय गायकी व संस्कृति से परिचत कराने में अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। इस अवसर पर डीसीपी विरेन्द्र विज, मेला प्रषासक सुधांषु गौतम सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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