कब है हरियाली तीज ,जानिए किस तरीके से मनाई जाती है हरियाली तीज व इसका महत्त्व
Posted by: admin | Posted on: July 8, 2022फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : जल्द ही सावन का पवित्र महीना शुरू होने वाला है। सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत ही प्रिय होता है। सावन माह में विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है। मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी हो जाती है। सावन और भादों के महीने में सुहागिन महिलाएं कई तरह के व्रत-उपवास रखती हैं। सावन माह में नाग पंचमी, रक्षा बंधन, हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। सावन के बाद भाद्रपद महीना आता है। इस माह में सुहागिन महिलाओं का सबसे बढ़ा त्योहार हरितालिका तीज आता है।
हरियाली तीज हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है। सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज बहुत ही खास होता हैं क्योंकि इसमें महिलाएं दिनभर व्रत रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस साल हरियाली तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यानी 30 अगस्त,मंगलवार को है। पंचांग गणना के अनुसार कहे तो भाद्रपद तृतीया की शुरुआत 29 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से होगी। वहीं तृतीया तिथि का समापति 30 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट पर होगा। ऐसे में हरियाली तीज का व्रत महिलाएं 30 अगस्त को कर सकती हैं। हरियाली तीज पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 58 मिनट से लेकर 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा और यह समय बहुत ही शुभ फल देने वाला होगा।
हरियाली तीज का महत्त्व क्या है ?
हरियाली तीज का दिन देवी पार्वती और भगवान शिव के साथ उनके मिलन को समर्पित किया जाता है। ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसलिए भारतीय हिंदू धर्म में शादिशुदा महिलाओं के लिए इस व्रत का काफी महत्त्व होता है।
जानिए किस तरीके से मनाई जाती है हरियाली तीज ?
इस व्रत को काफी मुश्किल मन जाता है। महिलाओ का कहना है की ये व्रत करवा चौथ से भी कठिन होता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन सुबह स्नान और पूजा करने के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती है। हरियाली तीज में माता पार्वती और शिव जी की पूजा की जाती है। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती हैं। महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। विधि विधान पूजा करने के बाद व्रत कथा सुनती हैं। इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज होता है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। सभी जानकारिया सोशल मीडिया द्वारा एकत्रित करके आपको बताई गयी है।