हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के दो ओर जमीन अधिग्रहण के मामले सीबीआई को सौंपे गए हैं

चंडीगढ़ ( विनोद वैष्णव )- हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के दो ओर जमीन अधिग्रहण के मामले सीबीआई को सौंपे गए हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा  ने सदन में छाती ठोककर कहा था कि एक भी इंच जमीन का गलत अधिग्रहण उन्होंने (हुडडा) नहीं किया’’। उन्होंने कहा कि ‘‘हुड्डा अब हिम्मत रखें और ये ना कहे राजनीतिक द्वेष के चलते ऐसा हुआ है’’। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे कांग्रेस ने ठगा नहीं और तो ओर रोहतक वालों को भी नहीं छोड़ा’’। मुख्यमंत्री ने यह बात आज यहां हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के उपरांत पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में कही।  उन्होंने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के दो ओर जमीन अधिग्रहण के मामले सीबीआई को सौंपे गए हैं। उन्होंने कहा कि रोहतक के उदार गगन मामले की जांच सीबीआई को दी गई है और इसके साथ ही सोनीपत के तीन गांवों नामत: नांगल गांव, अटेरना और सेरसा की जमीन अधिग्रहण का मामला भी सीबीआई को दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन गांवों की 885 एकड भूमि का अधिग्रहण किया जाना था और सैक्शन-4 और सैक्शन-6 के बीच में जमीन को छोडा जा सकता है परंतु सैक्शन-6 होने के उपरांत सरकार को पूरी जमीन का अधिग्रहण करना होता है परंतु पूर्व की सरकार के समय में लगभग 650 एकड़ भूमि क्यों छोडी गई, यह मामला सीबीआई को सौंपा गया है और सीबीआई की जांच में जो सिफारिश आएगी उसी अनुसार कार्यवाही की जाएगी और जो कोई भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाही होगी।मुख्यमंत्री ने ढींगरा आयोग की रिपोर्ट के संबंध में कहा कि हाइकोर्ट में हरियाणा के महाधिवक्ता द्वारा रिपोर्ट को सार्वजनिक नही करने की अंडरटेकिंग दी गई है और अब सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट को दो महीने में इस मामले को निपटाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में जिन-जिन बातों की सिफारिश होगी, उसी अनुसार कार्यवाही की जाएगी।  मुख्यमंत्री ने पेहोवा ऑडियो टेप मामले में विपक्ष पर चुटकी लेते हुए कहा कि ‘‘मैं ना मानूँ, इसका कोई इलाज नही’’। उन्होंने कहा कि पद्घति यह कहती है कि पहले जांच होगी और जो कोई भी इसमें दोषी पाया जाएगा तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। उन्होंने पूर्व की चौटाला और हुड्डा सरकार के दो मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि आईएएस अधिकारी संजीव कुमार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका डाली और उसके बार जांच हुई तथा फिर एफआईआर दर्ज हुई। इसी प्रकार, कांग्रेस के वक्त कर्ण दलाल के पानीपत में जैविक खाद के मामले में भी पहले जांच हुई फिर आगे की कार्यवाही हुई। 

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