( विनोद वैष्णव )|फिल्म ‘काशी टू कश्मीर’ विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं पर आधारित है तथा वर्तमान में कश्मीर के ताजा घटनाओं और परिस्थितियों को फिल्मांकित किया गया है। फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई है कि आज के समय में युवाओं को कश्मीर में कैसे गुमराह किया जाता है और उनसे क्या और कैसा भेदभाव किया जाता है? कैसे एक आतंकवादी समूह राष्ट्र के खिलाफ युवाओं को अपने संगठन से जोड़ कर उनकी प्रतिभा का गलत इस्तेमाल करता है। यह फिल्म उज्मा अहमद के लिए भी खास है, क्योंकि एक संक्षिप्त कानूनी लड़ाई के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा वापस लाई गई पाकिस्तान में अपहृत उज्मा अहमद ने पहली बार एक एक्टर के रूप में इस फिल्म में काम किया है। साथ ही, इस फिल्म की कहानी सभी धर्मों का सम्मान करते हुए पूरे विश्व में फैल रहे कट्टरवाद, आतंकवाद और धर्मांतरण के बीच हिंदुत्व पर आधारित है, जिसमें ध्यान, योग, क्षमा की आज विश्व को कैसे जरूरत है, के सिद्धांत साथ विश्वशांति के लिए हिंदुत्व की उदारता का विश्लेषण होगा। दिल्ली के जनपथ स्थित जेस्ट रेस्टोरेंट में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में फिल्म की पूरी टीम ने अपने विचार और अनुभवों को मीडिया के साथ साझा किया। उज्मा के साथ-साथ, निर्देशक संजय मिश्रा, निर्माता दीपक पंडित के अलावा विवेक अग्रवाल, रवि चैधरी और दीपक सिंह भी इस मौके पर उपस्थित थे। फिल्म के निर्देशक सनोज मिश्रा ने बताया, कश्मीरी हिंदू और कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर गहन अध्ययन करने के बाद लेखक-निर्देशक हमने निर्माता दीपक त्रिपाठी के साथ ‘काशी टू कश्मीर’ पर काम करना शुरू किया। इस फिल्म का उद्देश्य पारस्परिक भाईचारा बढ़ाना है। इसके अलावा, उन्होंने कहा, मैं हमेशा इस संवेदनशील विषय पर काम करना चाहता था। मुझे यकीन है कि यह फिल्म निश्चित रूप से लोगों से कनेक्ट हो पाएगी। हालांकि, इस फिल्म को बनाने के पीछे का मकसद बिजनेस नहीं है, बल्कि हमारा उद्देश्य उस जगह पर होने वाली समस्याओं तक पहुंचने और शांति और शिक्षा फैलाना है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि दीपक पंडित ने कश्मीर के विस्फोटक माहौल और विश्व के त्रासदी में से एक कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर फिल्म निर्माण का साहस किया है। खास बात यह कि दीपक फिल्म में एक अहम् किरदार भी निभा रहे हैं। हमने फरवरी के प्रथम सप्ताह में बेहद जोखिम भरे माहौल में कश्मीर के वास्तविक जगह डल झील, लाल चैक, हजरतबल दरगाह, शंकराचार्य मंदिर सहित अन्य अनेक जगहों पर शूटिंग शुरू की थी जो कंप्लीट हो चुकी है। अगले महीने फिल्म लखनऊ, वाराणसी और सीतापुर में शूट की जाएगी।
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