अगर किसी व्यक्ति के नैतिक मूल्यों की आलोचना की जाए तो उसका सारा विकास अधूरा होता है। अनैतिक कार्यों के मामलों की संख्या में हाल ही में वृद्धि और वृद्ध लोगों की बढ़ती हुई संख्या समाज में उनकी मानसिकता और गलत दिशा की ओर बढ़ावे की तरफ इशारा करती है। अधिकांश लोगों में अपने से बड़ों और महिलाओं के लिए कोई सम्मान नहीं रह गया है, लोगों की झूट बोलने की आदत बन गई है और हर जगह भ्रष्टाचार और ईर्ष्या (जलन) व्याप्त है यह सभी वांछित नैतिक मूल्यों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। लेकिन नैतिक मूल्य हैं क्या? क्या आपको यह लगता है कि जिस प्रकार के कपड़े हम पहनते हैं और जिस प्रकार से अपना जीवन व्यतीत करते हैं, नैतिक मूल्य इससे संबंधित हैं? मुझे ऐसा नहीं लगता है। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मेरा यह मानना है कि अगर आप किसी भी बुरी आदत के शिकार नहीं है, यदि आप अपने बुजुर्गों और महिलाओं का सम्मान करते हैं, यदि आप हर किसी से सच बोलते हैं और यदि आप एक नेक (सच्चे और अच्छे) नागरिक हैं तो आप एक नैतिक व्यक्ति हैं। हर विश्वास और विचार पर नैतिक होने के लिए व्यक्ति को मजबूत और दृढ़ होना चाहिए। हम लोगों में सही कार्य करने और सही कार्य के लिए लड़ने का साहस होना चाहिए।
किसी भी व्यक्ति को जीवन के प्रारंभ से ही नैतिक मूल्यों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसलिए नैतिक मूल्यों को पढ़ाया जाना चाहिए और इसे हमारी शिक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य अंग होना चाहिए। शिक्षकों को भविष्य की जिम्मेदारियों के लिए प्रत्येक बच्चे को प्रशिक्षित करना चाहिए। स्कूलों में शिक्षा के अलावा आपसी भाईचारे और प्रेम की भावना उत्पन्न करने के लिए गतिविधियों का आयोजन किया जाना चाहिए। स्कूलों को बच्चों के माध्यम से सामाजिक कार्यों में भाग लेना चाहिए।
अपने बच्चों के लिए नैतिक मूल्यों को पढ़ाने में स्कूलों के अलावा माता-पिता को भी इसमें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। हमारे चारों ओर का समाज काफी अनैतिक (बेईमान) है इसलिए संस्थानों से की जाने वाली बहुत सारी उम्मीदें इस समस्या का समाधान नहीं करेंगी। छात्रों को ईमानदारी, कड़ी मेहनत, दूसरों का सम्मान, सहयोग और माफी (क्षमा) के महत्व को सिखाया जाना चाहिए। उन्हें अनुशासित जीवन का उदाहरण प्रदर्शित और व्यवस्थित करना चाहिए। शिक्षा के द्वारा एक बच्चे के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाना चाहिए क्योंकि नैतिक मूल्य न केवल एक व्यक्ति के बल्कि पूरी मानवता के विकास में मदद करते हैं। यह व्यक्तियों को भविष्य में निभाई जाने वाली भूमिका के लिए तैयार करता है। यहाँ तक कि अगर सही से जाँच पड़ताल की जाए तो भ्रष्टाचार ही नैतिक मूल्य की कमी का एक मूल कारण है। जब हमारा अपना स्वार्थ सामाजिक अच्छाइयों को पार कर जाता है तब इस प्रकार के काम होते हैं। हमें तुरंत इसका पता लगाना होगा क्योंकि नैतिक मूल्यों में गिरावट के कारण पूरे समाज का पतन हो सकता है।
स्कूल प्रबंधन द्वारा शिक्षा प्रणाली को एक व्यवसाय नहीं बनाया जाना चाहिए। समाज की मानसिकता को बदलने के लिए शिक्षकों को कठोर मेहनत करनी चाहिए क्योंकि ये भविष्य का निर्माण करते हैं। इस प्रकार स्कूल शिक्षा प्रणाली में नैतिक और सामाजिक मूल्यों को शामिल किया जाना चाहिए।