बेटी की कविता बेटियों के नाम

जिस  आंगन लड़की पैदा होती है ,
खुशिया भर देती है उस आंगन में |

खिल  जाता  है  घर उसका ,
मुस्कुराहट भरी  बातो से |

दादा – दादी  की गुडिया ,
नाना – नानी  की बीटिया ,
पापा  की परी ,
मम्मी  की राजदुलारी ,
ऐसे नामो से  जानी  जाती  है |

एक  दिन बाबा के आंगन से ,
जब वो चली जाती  है ,
करोडो सपने अपने ,
वही छोड़  चली  आती  है |

न  जाने वो हस्ती , खेलती ,मुस्कुराती  गुडिया कहा खो जाती है ,
ज़िन्दगी उसे अपनी दौडती – भागती  नज़र आती  है |

अपने  बारे में न सोचकर ,
दूसरो के बारे में सोचती है ,
फिर भी वह ज़िन्दगी भर उल्हाने सेहती है ,
न जाने ये लड़किया क्यो बड़ी  हो जाती  है |

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