तिगांव (विनोद वैष्णव )| तिगांव स्थित सरस्वती शिशु सदन सीनियर सैकेंडरी स्कूल व सरस्वती ग्लोबल स्कूल में बसंत पंचमी का पर्व बडी ही धूमधाम के साथ मनाया गया। विद्यालय की सभी महिला अध्यापक पीले वस्त्र पहनकर विद्यालय पहुंची। इस मौके पर छात्रों ने मनमोहक सांस्कृतिक कार्यकर्मों की प्रस्तुति दी। विद्यालय चेयरमैंन वाई.के.माहेश्वरी मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस मौके पर माहेश्वरी ने अपने संबोधन में कहा कि पूरे भारतवर्ष में बसंत पंचवी पर्व कर विशेष महत्व है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। हमारे देश में पूरे साल को छः ऋतुओं में बांटा गया है। लेकिन बसंत ऋतु लोगों को सबसे अधिक अच्छी लगती है। बसंत ऋतु में चारों तरफ फूलों की बहार आ जाती है। सरसों के खिले पीले फूलों से प्रतीत होता है कि जैसे चारों ओर सोना चमक रहा हो। चारों तरफ मनोरम दृश्य का नजारा होता है। अंत में माहेश्वरी ने छात्रों,अध्यापकों व अभिभावकों को बसंत पंचमी पर्व की शुभकामनाएं दी।
Related Posts
राजस्थान की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने जाना जल प्रबंधन और संरक्षण
जयपुर( विनोद वैष्णव)ग्रामीण राजस्थान की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को जल प्रबंध और संरक्षण का प्रशिक्षण दिया जारहा हैयह एक ऐसी परियोजना का भाग है जिसका मकसद ग्रामीण महिलाओं में राज्य के वाटर बॉडीज (तालाब, जलाशय, पोखर)का प्रबंध करने के लिए कौशल विकास करना है। भारत में लिंग के आधार पर भेदभाव न करने वाला समाज बनाने की दिशा में कामकरने वाले एक संगठन, सेंटर फॉर सोशल रीसर्च ने एक अनूठी राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है ताकि तेस स्टडी साझा किएजा सकें और ग्रामीण महिलाओं से भारत में ग्रामीण जल प्रबंध, संरक्षण और सुरक्षा से जुड़े सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों के बारे में जाना जासके इस कार्यशाला में जल और जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों के साथ स्त्रीपुरुष में भेदभाव खत्म करने के काम करने वाले लोग भीआए हैं। इनके साथ निर्वाचित महिला प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी भी कार्यशाला में हिस्सा लेंगे। यह आयोजन 23 से 25 नवंबर2018 तक द थीम होटल, जयपुर में किया गया है। इस परियोजना में राजस्थान की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) को वाटर बॉडीज के रखरखाव, जल संरक्षण और वाटरहारवेस्टिंग (संचयन) की व्यवस्था का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ कौशल विकास किया जा रहा है ताकि सरकार को जेंडर बजटिंग केलिए प्रभावित किया जा सके और जल प्रबंध के सरकारी ठेके लिए जा सकें। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की डायरेक्टर डॉ. रंजना कुमारी कहती हैं, “ग्रामीण भारत में जल प्रबंध का काम जेंडर से जुड़ा मुद्दा है औरबड़े पैमाने पर महिलाओं को इस काम से जोड़ा जाना चाहिए। हमारी परियोजना से पता चल रहा है कि ग्रामीण महिलाएं और उनकापरिवार जब व्यवस्थित और संगठित तरीके से वाटर बॉडीज का प्रबंध करना सीख जाता है तो भारी लाभ में रहता है।” कार्यशाला में भाग लेने वालों को यह मौका मिलेगा कि वे जेंडर, जल, पंचायती राज व्यवस्था और पीआरआई लीडरशिप के बारे मेंजानें। भाग लेने वालों को भिन्न अनुभवों से जल संरक्षण और प्रबंध के सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों के बारे में भी पता चलेगा जो केरल,गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली के साथ राजस्थान के भी हैं।
डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में 19 अप्रैल को ठोस कचरा प्रबंधन पर होगा अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन
फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में 19 अप्रैल को ‘ठोस कचरा प्रबंधन : टिकाऊ पर्यावरण के लिए विकासात्मक…
के एल मेहता शिक्षण संस्थान की तरफ से 15 अगस्त,रक्षाबंधन , कृष्ण जन्मास्टमी की हार्दिक सुभकामनाये
के एल मेहता शिक्षण संस्थान की तरफ से 15 अगस्त,रक्षाबंधन , कृष्ण जन्मास्टमी की हार्दिक सुभकामनाये