फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | शांति निकेतन स्कूल में ‘अर्थ डे मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों ने विभिन्न स्लोगनों और कार्यक्रमों के माध्यम से धरती के संरक्षण और उसे बचाने का संदेश दिया। स्कूल चेयरमैन डा. राधा नरुला ने बच्चों के साथ मिलकर पौधे लगाए और पृथ्वी को बचाने का संदेश देते हुए कहा कि पृथ्वी दिवस पूरी दुनिया में बडे स्तर पर मनाया जाता है। इस महान अभियान में हम सभी को अपना योगदान देना चाहिए, बस इसके लिए जरूरत है एक छोटी सी शुरूआत करने की। उन्होंने बच्चों के माध्यम से समाज को संदेश देते हुए कहा कि आज पृथ्वी के हालात काफी खराब हो चुके हैं, जिसके चलते प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप, बाढ़ एवं सुनामी जैसी घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। उन्होंने बच्चों को एक पेड़ लगाने, अपनी खुद की पानी की बोतल और अपना खुद का किराने का थैला साथ लेकर मार्किट जानें, शाकाहारी बनने, स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली सब्जियों को बढ़ावा देने, पैदल और साइकल का इस्तेमाल अधिक करने की सलाह दी। इस अवसर पर स्कूल प्रिंसीपल रंजना शरण ने कहा कि हमको प्रत्येक वर्ष पृथ्वी दिवस मनाने की जरूरत है। बहुत से लोग पर्यावरणीय चेतना से जुड़े पृथ्वी दिवस को अमरीका की देन मानते हैं। लेकिन उनके प्रयासों के बहुत साल पहले महात्मा गाँधी ने भारतवासियों से आधुनिक तकनीकों का अन्धानुकरण करने के विरुद्ध सचेत किया था। गाँधीजी मानते थे कि पृथ्वी, वायु, जल तथा भूमि हमारे पूर्वजों से मिली सम्पत्ति नहीं है। वे हमारे बच्चों तथा आगामी पीढयि़ों की धरोहरें हैं। हम उनके ट्रस्टी भर हैं। हमें वे जैसी मिली हैं उन्हें उसी रूप में भावी पीढ़ी को सौंपना होगा। गाँधी जी का उक्त कथन पृथ्वी दिवस पर न केवल भारत अपितु पूरी दुनिया को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वह विकास की मौजूदा परिभाषा को संस्कारित कर लालच, अपराध, शोषण जैसी अनेक बुराईओं से मुक्त कर संसाधनों के असीमित दोहन और अन्तहीन लालच पर रोक लगाने की सीख देता है। वह पूरी दुनिया तथा पृथ्वी दिवस मनाने वालों के लिये लाइट हाउस की तरह है। पृथ्वी दिवस की कल्पना में हम उस दुनिया का ख्वाब साकार होना देखते हैं जिसमें दुनिया भर का हवा का पानी प्रदूषण मुक्त होगा। समाज स्वस्थ और खुशहाल होगा। नदियाँ अस्मिता बहाली के लिये मोहताज नहीं होगी। धरती रहने के काबिल होगी। मिट्टी, बीमारियाँ नहीं वरन सोना उगलेगी। सारी दुनिया के समाज के लिये पृथ्वी दिवस रस्म अदायगी का नहीं अपितु उपलब्धियों का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने तथा आने वाली पीढिय़ों के लिये सुजलाम सुफलाम शस्य श्यामलाम धरती सौंपने का दस्तावेज़ होना चाहिए। इस अवसर पर बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर पृथ्वी संरक्षण के संदेश दिया। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षिकाओं के साथ बच्चों ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।
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