फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) | ST. BML SR SEC SCHOOL ANANGPUR मे आपदा से निपटने के गुर सिखाये गए |
ईस कार्यशाला मे 1500 बच्चे एवं 80 शीक्षको ने बड़े उत्साह से भाग लिया । आपदा प्रबंधक नकुलतरूण ने बताया कि
जरुरत है हमें ऐसा माहौल बनाने की जहाँ (1) प्रत्येक बच्चा असुरक्षा और शारीरिक खतरे के माहौल से आजाद होकर एक स्तरीय शिक्षा पाए.
(2) बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम कानून बनाये जाएँ.
(3) ये सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बच्चों के लिए सुरक्षा के पैमाने दुनिया के सर्वोच्च सुरक्षा पैमानों की बराबरी के हों.
(4) और साथ ही यह भी कि हम सिर्फ नियम बनाकर ही न रुक जाएँ, बल्कि उन सुरक्षा नियमों की कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए.
नकुल ने संबोधन करते। हूए कहा बच्चों के माता पिताओं और इनके असोसिएशन से आग्रह करूँगा कि वे अपने बच्चों के स्कूलों में मौजूद सुरक्षा व्यवस्थाओं की गंभीरता से जांच करें और ये सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि स्कूल में डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान हो और स्कूल साल में कम से कम 4 बार evacuation drill आयोजित करे, ताकि शिक्षक और बच्चे किसी भी इमरजेंसी से निपटने के लिए सक्षम रहें. आखिरकार यह हमारे बच्चों के जीवन का सवाल है और हम इस मामले में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं कर कर सकते.
भूकंपीय खतरे के मानचित्र के अनुसार, फरीदाबाद की पहचान भूकंपीय क्षेत्र IV में की गई है, जिसका अर्थ है कि यह क्षेत्र “हाई डैमेज रिस्क ज़ोन” के अंतर्गत आता है, जहाँ तीव्रता VIII का भूकंप आ सकता है। यदि कोई आपदा, मुख्य रूप से भूकंप और आग दिन के समय में आती है, तो यह देखा गया है कि मरने वाले बच्चों का प्रतिशत असुरक्षित वातावरण और बिना मान्यता वाले स्कूलों के कारण कहीं अधिक है। हाल के दिनों में, सरकार ने स्कूल में आपदा जोखिम में कमी के पहलुओं को गंभीरता से लिया है। इसलिए, क्षेत्र की सुरक्षा और जोखिम को ध्यान में रखते हूए स्कूल प्रशासन ने अमूल्य बच्चों के जीवन को बचाने के लिए भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुरूप स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम को लागू करने का निर्णय लिया। स्कूल ने दिल्ली की एक विशेष एजेंसी Zone4 solution को काम पर रखा है; स्कूल आपदा प्रबंधन योजना (एस.डी.एम.पी) को विकसित करने और इसे स्कूल में लागू करने मे एक्सपर्ट है।
प्रधानाध्यापक डा० वसीस्ठ के अनुसार,स्कूल का एस. डी. म.पी अब तैयार हैं और डी.ई.ओ कार्यालय में जमा कराया जायेगा । प्रधानाचार्य ने बताया , टीमें और कार्य बल किसी भी आपदा के मामले में अपनी जिम्मेदारियों को निष्पादित करने के लिए प्रशिक्षित हैं। आज मॉक एक्सरसाइज कम अवेयरनेस प्रोग्राम को संयुक्त रूप से स्कूल के प्रशिक्षित स्कूल डिजास्टर मैनेजमेंट टीम (आपदा प्रबंधन विभाग) और जोन 4 सॉल्यूशंस के प्रतिनिधियों ने तैयारियों की जांच के लिए एक अभ्यास कार्यशाला आयोजित किया था। कुल 1500संख्या में छात्रों और 80 कर्मचारियों के स्कूल स्टाफ ने सफल ड्रिल में भाग लिया। छात्रों और शिक्षको को भी प्रशिक्षित किया गया, कि आग लगने की स्थिति में अलग-अलग अग्निशामक यंत्रों का उपयोग कैसे किया जाए।
ड्रिल के बाद, डीएम एक्सपर्ट नकुल तरुण ने कहा कि एनडीएमए के दिशानिर्देशों के अनुसार, हर स्कूल के छोटे या बड़े का अपना एसडीएमपी होना चाहिए और एक साल में कम से कम 4 मॉक ड्रिल का आयोजन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि डी .एम अधिनियम 2005 के अधिनियमन के बाद अब स्कूलों की जवाबदेही तय की जा रही है। आखिरकार, यह बच्चों की सुरक्षा से संबंधित है।