नवी मुंबई (रूबी ) | गुरू का हम सभी के जीवन में बहुत महत्व है। गुरू पूर्णिमा का पर्व आषाढ शुक्ल की पूर्णिमा को श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।यह पर्व गुरू के महत्व का दर्शाता है।भारतवर्ष में कई विदवान हुए।उनमें से महर्षि वेदव्यास का नाम हम सभी जानते हैं।इन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी।माना जाता है कि आषाढ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।उनके सम्मान में ही हम इस दिन को गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाते है।जयपुरियर विद्यालय में यह पर्व बडें हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस अवसर पर बच्चों ने अपने गुरू को फूल देकर उनके चरण स्पर्श करके सम्मानित किया।इस अवसर पर भारत विकास परिषद से सौरभ सिन्हा एवं कांतिलाल ठक्कर तथा चिन्मया मिशन से टंगमनी वैद्यनाथन मुख्य अतिथि के रूप में पधारे। इन सभी लोगों ने छात्रों को सम्बोधित किया एवं उन्हें गुरू के महत्व से परिचित करवाया।इस अवसर पर जयपुरियर विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ0 रश्मि रेखा साहा ने भी छात्रों को सम्बोधित किया और कहा कि हर वह व्यक्ति जो आपको कुछ सिखाता है वह आपका गुरू है।
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