विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल, तिगांव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया

फरीदाबाद (विनोद वैष्णव )। विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल, तिगांव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि भगतराम बिश्नोई, एसीपी तिगांव एवं स्कूल के चेयरमैन धर्मपाल यादव ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। कार्यक्रम को संबोधित करते बिश्नोई ने कहा कि मानव जीवन अनेक विविधताओं से भरा हुआ है। अपने जीवनकाल में उसे अनेक प्रकार के कर्तव्यों व दायित्वों का निर्वाह करना पड़ता है। इनमें वह प्राय: इतना अधिक व्यस्त हो जाता है कि अपनी व्यस्त जिंदगी से स्वयं के मनोरंजन आदि के लिए समय निकालना भी कठिन हो जाता है । इन परिस्थितियों में त्योहार उसके जीवन में सुखद परिवर्तन लाते हैं तथा उसमें हर्षोंल्लास व नवीनता का संचार करते हैं । श्री बिश्नोई ने कहा कि प्रत्येक त्योहार में अपनी विधि व परंपरा के साथ समाज, देश व राष्ट्र के लिए कोई न कोई विशेष संदेश निहित होता है। भारत में जिस प्रकार रक्षाबंधन का पावन पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम और भाई का बहन की आजीवन रक्षा करने के संकल्प को याद कराता है उसी प्रकार रंगों का त्योहार होली हमें संदेश देता है कि हम आपसी कटुता व वैमनस्य को भुलाकर अपने शत्रुओं से भी प्रेम करें। आज हम जन्माष्टमी का पर्व मना रहे हैं जोकि श्रीकृष्ण का जन्मदिवस है। श्री कृष्ण का जीवन संदेश देता है कि आपका नियम, व्रत और सिद्धांत अच्छा है लेकिन जब ‘बहुजनहिताय, बहुजनसुखाय समाजरूपी देवता की सेवा करने की बात आती है और अंतरात्मा की तरफ आगे बढऩे की बात आती है तो फिर आपकी, कुटुम्ब की, पड़ोस की जो छोटी-मोटी अकड़-पकड़ है, उसको भूल जाना चाहिए । कुटुम्ब का भला होता हो तो व्यक्तिगत भलाई की बात को गौण कर देना चाहिए और पूरे पड़ोस का भला होता हो तो कुटुम्ब की भलाई का मोह छोड़ देना चाहिए। गाँव का भला होता हो तो पड़ोस का और राज्य का भला होता हो तो गाँव का मोह छोड़ देना चाहिए। राष्ट्र का भला होता हो तो राज्य का और मानव-जाति का भला होता हो तो राष्ट्र का भी ज्यादा मोह न रखें।
इस अवसर पर धर्मपाल यादव ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि यूं तो भगवान श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन ही लोकशिक्षाओं से भरा है। उनकी अनेक लीलाएं मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती हैं। चाहे कालियदमन लीला हो या गोवर्धन लीला, गोचारण हो या फिर माखन लीला, इनमें कहीं प्रकृति के संरक्षण का संदेश है तो कहीं पशुधन सुरक्षा और पौष्टिक खान-पान का संदेश है। भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से ही लीलाओं का दौर चल निकला था। उनकी सर्वाधिक प्रमुख लीला कालियनाग दमन लीला है, इसमें भगवान श्रीकृष्ण यमुना में छिपे बैठे कालियनाग का संहार करते हैं और ब्रज के लोगों को निर्भय करते हैं। इस लीला में कालियनाग को यमुना में व्याप्त प्रदूषण का पर्याय माना गया है, जिसे मारकर यमुना प्रदूषण मुक्ति का भगवान श्रीकृष्ण ने संदेश दिया। इसी तरह भगवान गोवर्धन लीला भी बहुत प्रसिद्ध है। इस लीला में भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर प्राकृतिक सम्पदा के संरक्षण का संदेश दिया।
चेयरमैन धर्मपाल यादव की बात को आगे बढ़ाते हुए स्कूल के एकेडमिक डॉयरेक्टर सीएल गोयल ने कहा कि श्रीकृष्ण ने गोवर्धन लीला में भगवान ने किसी कार्य के सामूहिक प्रयासों की महत्ता भी रेखांकित की, जब उन्होंने स्वयं कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन धारण करने के बाद भी गोप-ग्वालों से डंडों से पर्वत को उठाए रखने में सहयोग के लिए कहा। गोचारण लीला में पशुधन सुरक्षा का भगवान ने संदेश दिया। भगवान ने ऐसे कई राक्षसों का वध किया, जो उनके पशुधन को नुकसान पहुंचाने आए थे। यह पशुधन उस समय स्थानीय स्वरोजगार का पर्याय था। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण की एक और लीला है, जिसे माखन लीला के नाम से पुकारा जाता है। दधि-माखन के मटके तोडफ़ोड़ कर माखन खाते श्रीकृष्ण का चित्र सभी के मन मष्तिष्क में होगा। माखन खाने के पीछे स्वाद न होकर भगवान का ध्येय पौष्टिक आहार और स्वदेशी उत्पाद के लिए लोगों में उत्सुकता बनाना था। इसके अलावा भी भगवान श्रीकृष्ण की अनेक लीलाएं हैं जो मानव जीवन को कोई न कोई शिक्षा देती ही हैं। भगवान की यह शिक्षाएं वर्तमान में भी मानव जीवन के लिए उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी पहले थीं। स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सभी त्योहारों के पीछे समाजोत्थान का कोई न कोई महान उद्‌देश्य अवश्य ही निहित होता है । लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं जिससे आपसी वैमनस्य घटता है। त्योहारों के अवसर पर दान देने, सत्कर्म करने की जो परंपरा है, उससे सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने में मदद मिलती है । ये त्योहार मनुष्य के जीवन को हर्षोल्लास से भर देते हैं । इन त्योहारों से उसके जीवन की नीरसता समाप्त होती है तथा उसमें एक नवीनता व सरसता का संचार होता है । इस अवसर पर बच्चों ने अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। नन्हें बच्चों ने राधा और कृष्ण के परिधानों में सज कर सुंदर झांकियों प्रस्तुत कीं और उपस्थितजनों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि एसीपी एवं एसएचओ तिगांव ने स्कूल के प्रांगण में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस सुंदर कार्यक्रम में मुख्य रूप से एसएचओ कुलदीप सिंह, वीणा रंधावा, रणवीर अधाना, बिजेन्द्र सेंगर, स्कूल के डॉयरेक्टर शम्मी यादव, स्कूल की प्रिंसिपल कुलविंदर कौर व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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