सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में जेल प्रशासन के स्टॉल नंबर 820 में प्रदर्शित कैदियों द्वारा निर्मित ककई उपयोगी और घरेलू चीजें देखने पर मिलती है
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सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में जेल प्रशासन के स्टॉल नंबर 820 में प्रदर्शित कैदियों द्वारा निर्मित ककई उपयोगी और घरेलू चीजें देखने पर मिलती है
vinod vaishnav |विभिन्न अपराधों में कारागार में बंद कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से जेल प्रशासन उन्हें हुनरमंद भी बना रहा है। इसकी झलक सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में जेल प्रशासन के स्टॉल नंबर 820 में प्रदर्शित कैदियों द्वारा निर्मित ककई उपयोगी और घरेलू चीजें देखने पर मिलती है।इस स्टाल पर फरीदाबाद की जिला जेल नीमका के अलावा गुरुग्राम की जेल भोंडसी, अन्य जिलों कुरुक्षेत्र, रोहतक, अंबाला, सोनीपत, भिवानी, नारनौल, हिसार जेल के कैदियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां, पें¨टग्स, घरेलू व कार्यालय में जरूरत के सामान जैसी कई आइटम हैं।प्रदेश के नोडल अधिकारी व नीमका जिला जेल के अधीक्षक अनिल कुमार ने बताया कि जेल में चल रहे प्रशिक्षण केंद्र में महिला व पुरुष कैदी रोजाना 5 से 6 घंटे कुछ न कुछ सीखते हैं और उपयोगी चीजें बनाते हैं। ये कैदी यहां ज्वैलरी, झूमर, वुडन आइटम के अलावा कई सजावटी आइटम बनाते हैं। इस तरह समय के सदुपयोग से कैदियों में भविष्य में घर-परिवार व समाज के लिए बेहतर करने की सोच विकसित करना है। उनका मन न भटके और भविष्य में अपना कोई भी कारोबार शुरू कर सकें।अनिल कुमार कहते हैं कि अपराध मुक्त समाज के निर्माण के लिए बुराई को अच्छाई से ही जीता जा सकता है। तीन वर्षों से सूरजकुंड मेले में जेल का स्टाल लग रहा है। कैदियों में सकरात्मक सोच विकसित करने के प्रयास किए जाते हैं। उन्हें रोजगार के लिहाज से भी कई तरह से प्रशिक्षण दिया जाता है। करीब सात वर्ष पहले जेल की फैक्ट्री में ऐसी उपयोगी सामग्री बनाने की पहल की गई थी। इसका मकसद यह है कि सजा भुगतने के बाद जब व्यक्ति समाज में जाता है, तो उसे आमतौर पर नौकरी मिलने में दिक्कतें आती है। जेल में वुडन आइटम, ज्वैलरी, फ्लावर पॉट, बैग, बेल्ट तथा कुर्ती बनाना सिखाया जाता है। स्टॉल संचालक श्याम सुंदर बताते हैं कि उनके स्टॉल पर सभी चीजें फरीदाबाद जेल के कैदियों ने ही बनाई हैं। इन चीजों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है।