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Posted by: | Posted on: May 16, 2018

पत्रकार उत्पीडऩ के विरोध में फरीदाबाद के पत्रकारों का धरना

फरीदाबाद( विनोद वैष्णव ) । तीन पत्रकारों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे के विरोध में बुधवार को फरीदाबाद के सैंकड़ों पत्रकारों ने बी.के.चौक पर धरना दिया। पत्रकारों ने रोष प्रदर्शन करते हुए  राज्यपाल कप्तान सिंह सौंलकी के नाम ज्ञापन दिया। पत्रकारों ने राज्य सरकार से मांग की कि पत्रकारों के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर डीएसपी रैंक से ऊपर के अधिकारी से जांच करवाए बिना कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि  मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर को यथाशीघ्र इस संबंध में राज्य पुलिस को दिशा निर्देश जारी करने चाहिएं। धरने की अध्यक्षता करते हुए हरियाणा पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री के.बी. पंडित ने कहा कि पत्रकारों से संबंधित मांगों को लेकर राज्य पत्रकारों का एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल शीघ्र ही उनसे चंडीगढ़ में मुलाकात करेगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैन को जानकारी दे दी गई है।
श्री पंडित ने फरीदाबाद के तीन पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे को तुरंत वापिस लेने की मांग करते हुए कहा कि पत्रकारों पर यह मामला राजनैतिक रंजिश और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शह पर  दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि पत्रकारों के खिलाफ दर्ज जमानती धाराएं लगाई गई थीं, पंरतु बाद में किसकी शह पर गैर जमानती धाराएं क्यों जोड़ी गई। इसका उद्देश्य पत्रकारों को जेल में बंद रखना था। उन्होंने चेतावनी दी कि इस मामले को यदि वापिस नहीं लिया गया तो चंडीगढ में भी पत्रकार धरना देंगे।
इस अवसर पर श्री पंडित ने कहा कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद पत्रकारों को गिरफ्तार क्यों किया गया और गैरजमानती धाराएं लगाकर उनका पुलिस रिमांड मांगा गया, इसकी निष्पक्ष व उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए। धरने के बाद सभी पत्रकार जिला सचिवालय गए और एसडीएम के  माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन पर सैंकड़ों पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए। ज्ञापन में हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख तौर पर working journalist of India के अध्यक्ष अनूप चौधरी , सिटी प्रेस क्लब फरीदाबाद के अध्यक्ष बिजेंद्र बंसल, वरिष्ठ पत्रकार अमरनाथ बागी, पंजाब केसरी के ब्यूरो चीफ सूरजमल, दैनिक भास्कर के ब्यूरो चीफ धीरेंद्र राजपूत, दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ सुशील भाटिया, एनबीटी के ब्यूरो प्रमुख पवन जाखड़, अमर उजाला के ब्यूरो चीफ संजय सिसोदिया, फरीदाबाद प्रेस क्लब के प्रधान अनिल जैन, दैनिक ट्रिब्यून के ब्यूरो चीफ राजेश शर्मा, , पंजाब केसरी दिल्ली के प्रभारी राकेश कुमार, एनबीटी गुरूग्राम के ब्यूरो चीफ अजयदीप लाठर, राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो प्रमुख महेंद्र चौधरी, पंजाब केसरी के प्रभारी महावीर गोयल, एनडीटीवी के संवाददाता अजीत सिन्हा, एबीपी न्यूज के संवाददाता दीपक गौतम, पायनियर के ब्यूरो चीफ  राकेश चौरसिया,पत्रकार के.एल.गेरा, आज समाज के प्रभारी शकुन रघुवंशी,  सिटी प्रेस क्लब के सरंक्षक उत्तमराज, इंडिया न्यूज हरियाणा के ब्यूरो चीफ सुधीर शर्मा, फरीदाबाद प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद गोयल, सहारा समय के प्रभारी प्रितपाल माटा , गुरूग्राम फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप गठवाल एवं वर्किंग जनलिस्ट ऑफ इंडिया, हरियाणा के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी शामिल थे।
यहां बता दें कि बीती 16 अपै्रल को फरीदाबाद के वरिष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा, संजय कपूर एवं नवीन गुप्ता के खिलाफ एक खबर छापने पर पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके विरोध में ही बुधवार को शहर के पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था।
समस्त पत्रकार फरीदाबाद द्वारा आयोजित प्रदर्शन में सिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष बिजेंद्र बंसल ने आहवान किया कि पत्रकारों के खिलाफ अपराधिक षडयंत्र रचने वाले विधायक व भाजपा नेताओं का पूर्ण बहिष्कार किया जाए और कोई भी पत्रकार उनकी खबर ना छापे। मजदूर मोर्चा केे संपादक सतीश कुमार सहित सभी पत्रकारों ने श्री बंसल के इस आहवान का पुरजोर समर्थन किया। पलवल पत्रकार मंच के चेयरमैन देशपाल सौरोत ने पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले नेता व अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। धरने को फरीदाबाद प्रेस क्लब के सरंक्षक सुभाष शर्मा,  फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष शर्मा, बल्लभगढ़ प्रेस क्लब के अध्यक्ष विनोद मित्तल, जेबी शर्मा,विनोद वैष्णव, बिजेंद्र शर्मा, रूपेश बंसल, अनिल अरोड़ा, गुलाब सिंह, अशोक जैन, देवेंद्र कौशिक, राजेश दास, दयाराम वशिष्ठ, नरेंद्र शर्मा, पंकज सिंह, कुलजिंद्र रजनीकर, खेमचंद गर्ग, एतेशाम,जयशंकर सुमन,राजेश नागर, दुष्यंत त्यागी, शिव कुमार, हरेंद्र नागर,   दीपक मुखी,  संदीप पाराशर, ओमप्रकाश पांचाल, राजेश पुंजानी, दीपक पांडे,केशव भारद्वाज, सुधीर बैसला, यशपाल सिंह, राजेंद्र दहिया, धर्मेंद्र चौधरी, सुधीर वर्मा, सरूप सिंह, मनोज तौमर, हरीप्रसाद पंडित, पुष्पेंद्र सिंह राजपूत,ओमदेव शर्मा,  जोगिंद्र रावत, विकास कालिया, बिजेंद्र फौजदार, हरिंद्र मंडल, अमित भाटिया,  गजेंद्र राजपूत, तिलकराज शर्मा, मनोज भारद्वाज, अनिल बेताब, सूरजभान, सुशील सिंह, धमेंद्र प्रताप सिंह, राजा पटेल, विकास भारद्वाज, रामरतन नरवत, रघुवीर सिंह,महेश गुप्ता, दीपक शर्मा सहित महिला पत्रकारों सरोज अग्रवाल, शिखा राघव, यशवी गोयल,राधिका बहल, पूजा भारद्वाज व जसप्रीत कौर ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया।

Posted by: | Posted on: May 11, 2018

पटाया से गोल्ड मैडल जीतकर लौटे कृष्ण उपमन्यु का जोरदार स्वागत

फरीदाबाद( विनोद वैष्णव ) : 1 से 2 मई को पटाया, बैंकाक में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियनशिप के पुरुष सिंगल कैटेगरी में गोल्ड मैडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले कृष्ण उपमन्यु का फरीदाबाद लौटने पर अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा ने जोरदार स्वागत किया। ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेन्द्र शर्मा बबली ने फरसा भेंटकर उपमन्यु का सम्मान बढ़ाया और कहा कि कृष्ण ने न केवल फरीदाबाद का बल्कि देश का नाम रोशन किया है और हमें ऐसे खिलाडिय़ों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि कृष्ण उपमन्यु ने समस्त ब्राह्मण समाज को गौरवान्वित किया है। ब्राह्मणों के बच्चे बिना किसी सरकारी अनुदान के अपने मेहनत और काबिलियत के दम पर विभिन्न क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार से ऐसे खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने की मांग की। इस अवसर पर उनके साथ पं. एल आर शर्मा मैनेजर, कृष्णकांत, ललित, मोहित, तेजपाल, ओ पी शास्त्री, सुभाष, कृष्ण, हरीश एवं त्रिलोक आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

Posted by: | Posted on: May 7, 2018

हरियाणा, इज़राइल की भांति राज्य में एम्बुलेंस से सुसज्जित दोपहिया सेवा शुरू करने पर विचार कर रहा है

नई दिल्ली ( विनोद वैष्णव )|  हरियाणा, इज़राइल की भांति राज्य में एम्बुलेंस से सुसज्जित दोपहिया सेवा शुरू करने पर विचार कर रहा है।यह संभावना मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में इज़राइल गए एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के जेरूसलेम में यूनाइटेड हट्ज़लाह से भेंट के बाद उभर कर सामने आई,   जहां उन्होंने अधिकारियों के साथ दुपहिया वाहनों पर समुदाय आधारित एम्बुलेंस सेवाओं की अवधारणा के बारे में पता लगाने के लिए बातचीत की। यह सेवा किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए इज़राइल के भीड़-भाड़ वाले शहरों में शुरू की गई है। अमूल्य समय और जान बचाने वाली इस सेवा में मुख्यमंत्री द्वारा गहरी रुचि दिखाए जाने पर इज़राइल का यूनाइटेड हट्ज़लाह इस क्षेत्र में समझौते की संभावनाओं का पता लगाने के लिए हरियाणा में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए सहमत हो गया है। एम्बूसाइकल्स के नाम से विख्यात इन दोपहिया वाहनों में सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरण रखने के लिए डिज़ाइन किया गया फस्र्ट-एड केस लगा होता है। एम्बूसाइकल्स के आकार के कारण यातायात जाम या संकीर्ण गलियां कारों और एम्बुलेंस की भांति इनकी यात्रा में बाधा नहीं डालती। एम्बूसाइकल्स का उपयोग समस्त इजऱाइल में यूनाइटेड हट्ज़लाह के स्वयंसेवकों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि किसी भी दुर्घटना के पहले कुछ मिनटों में लोगों को आपातकालीन उपचार मिल जाए।मुख्यमंत्री के नेतृत्व में गए उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण कुमार शामिल हैं। इजऱाइल का यूनाइटेड हट्ज़लाह सबसे बड़ा स्वतंत्र, गैर-लाभकारी, स्वैच्छिक आपातकालीन चिकित्सा सेवा संगठन है जो पूरे इजऱाइल में सबसे तेज एवं नि:शुल्क आपातकालीन चिकित्सा सेवा प्रदान करता है। यूनाइटेड हट्ज़लाह की सेवा लोगों की जाति, धर्म, या राष्ट्रीय मूल पर ध्यान दिए बिना सभी के लिए उपलब्ध है। देश भर में इसके 4,000 से अधिक स्वयंसेवक हैं, जो दिन में चौबीस घंटे, सप्ताह में सात दिन और साल में 365 दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं। अनूठी जीपीएस तकनीक और प्रतिष्ठित एम्बुलेंस की मदद से, औसत प्रतिक्रिया समय देश भर में तीन मिनट से भी कम और मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में 90 सेकंड है।
Posted by: | Posted on: May 4, 2018

एनटीपीसी ने वर्ष 2018-19 के लिए 268 बिलियन युनिट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य तय किया

नई दिल्ली( विनोद वैष्णव )| भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन कंपनी एनटीपीसी ने विद्युत मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षरित किया। एमओयू के अनुसार वर्ष 2018-19 के दौरान 268 बिलियन युनिट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है।
3 मई 2018 को एनटीपीसी एवं भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के बीच वर्ष 2018-19 के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
एनटीपीसी ने वर्ष 2018-19 के लिए 268 बिलियन युनिट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। वहीं प्रचालन से राजस्व हेतू 85,500 करोड़ रु का लक्ष्य तय किया गया है। 2018-19 के लिए हुए समझौता ज्ञापन में वित्तीय कार्यप्रदर्शन, प्रचालन दक्षता में सुधार, कैपेक्स, परियोजना निगरानी, टेकनोलाॅजी अपग्रेडेशन और एचआर प्रबन्धन भी शामिल हैं।

Posted by: | Posted on: May 2, 2018

पेटीएम मॉल ने खुदरा स्टोरों के लिए पीओएस समाधान पेश करते हुए; ASUS इंडिया के साथ रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की

पेटीएम मॉल ने खुदरा स्टोरों के लिए पीओएस समाधान पेश करते हुएASUS इंडिया के साथ रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की

  • मंच पर और असुस के साझेदार खुदरा स्टोर पर ASUS विवोबुक X507 नोटबुक रेंज का विशेष लॉन्च
  • दुकानदारों को असुस ऑफ़लाइन स्टोर पर अपने कनेक्टेड पीओएस समाधान के माध्यम से इसे अन्य ब्रांडों में विस्तारित करने के लिएऑफलाइन (वॉक-इन) और ऑनलाइन ग्राहकों का प्रबंधन करने में सक्षम बनाता है
  • ASUS स्टोर में नए लॉन्च ‘डिजिटल एक्सपीरियंस जोन’ के माध्यम से फिजिकल इन्वेंटरी पर निर्भरता में कमी
  • पेटीएम मॉल अपने पीओएस समाधान को अन्य साझेदार ब्रांडों और खुदरा स्टोरों में ले जाने के लिए तैयार किया है

 

नई दिल्ली, 2 मई, 2018: पेटीएम मॉलजिसका स्वामित्व पेटीएम ईकॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड के पास है ने दुकानदारों को अपने ऑफलाइन (वाक-इन) और ऑनलाइन ग्राहकों को प्रबंधित करने में सशक्त बनाने के लिए खुदरा स्टोर के लिए अपने जुड़े पीओएस समाधान के शुरुआत की घोषणा की है। कंपनी नेASUS खुदरा स्टोर में इस जुड़े पीओएस समाधान को लागू करने; बाद में अन्य ब्रांडों और खुदरा दुकानों में इस पेशकश का विस्तार करने के लिए, असुस इंडिया के साथ रणनीतिक साझेदारी स्थापित की है। इसने अपने प्लेटफार्म पर विवोबुक X507 के एक्सक्लूसिव ऑनलाइन लॉन्च का अनावरण किया औरASUS ऑफलाइन खुदरा स्टोर के माध्यम से भी उपलब्ध है। इसके अलावा, पेटीएम मॉल ASUS ऑफ़लाइन स्टोर को अपने अभिनव “डिजिटल एक्सपीरियंस जोन” और पेटीएम मॉल क्यूआर से सक्षम करेगा, जिससे ग्राहकों को दुकान के भीतर से ASUS उत्पादों को ऑर्डर करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।

ई-कॉमर्स प्रमुख पेटीएम मॉल और तकनीकी में विशाल ASUS इंडिया के बीच साझेदारी के विस्तृत तत्व निम्नलिखित हैं।

पेटीएम मॉल पीओएस समाधान:

80% से अधिक खुदरा स्टोरों में तत्काल रूप से इन्वेंटरी डेटा बेस के साथ-साथ बिक्री की ट्रैकिंग को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसे स्टोरों के लिए,ASUS और उसके साझेदार खुदरा स्टोर में लांच होने जा रहा पेटीएम मॉल का पीओएस समाधान, एक एकीकृत समाधान प्रदान करता है जो ब्रांडों को अपने उत्पादों को ऑफ़लाइन और साथ ही ऑनलाइन बेचने में सक्षम बनाता है। वे अब अपने उपलब्ध / आवश्यक स्टॉक पर पूर्ण दृश्यता, उनकी बिक्री देखने,लंबित आदेशों को प्रबंधित करने, तत्काल ग्राहक बिलिंग / भुगतान, ऑफ़र बनाने / निष्पादित करने और विशेष प्रचार करने के साथ क्लाउड पर अपनी स्टोर सूची प्रबंधित करने में सक्षम होंगे।

Posted by: | Posted on: April 30, 2018

420 का एक और नया तरीका, इस बार निशाना बने हवाई यात्री

( विनोद वैष्णव ) |थाना कोतवाली एन.आई.टी. फरीदाबाद बाद में पिछले दिनों याचिका लेके पोहंचे प्लैनेट हॉलिडे ट्रैवेल एजेंसी के प्रोपराइटर सौरभ कुमार निवासी एन.आई.टी. फरीदाबाद जिन्होंने पिछले दिनों ट्रिप-ओ-ट्रैसर नाम की एक कंपनी से विदेश हवाई यात्रा की टिकटें खरीद कर अपने क्लाइंट्स को बेची और पता चला की लाखों रुपये की टिकटे हैं फ़र्ज़ी। शहर की नामी जामी ट्रेवल एजेंसी – प्लैनेट हॉलिडे पिछले करीब 4 साल से शहर में अपना वर्चस्व बनाये हुए है। हाल ही में प्रकाश झा नाम के एक शख्स ने प्लेनेट हॉलिडे को मार्किट रेट से सस्ते दामो पर टिकट देने का दावा किया, परखने के लिए प्लेनेट हॉलिडे के मालिक सौरभ कुमार ने इस कम्पनी को कुछ बुकिंग्स दी जो कि सफल रही। पहले तो कुछ बुकिंग्स सस्ते दामो में देकर इस फ़र्ज़ी कम्पनी ने  भरोसा जीता और फिर 15 लाख रुपये से ऊपर की टिकटें दी फ़र्ज़ी। न सिर्फ प्लैनेट हॉलिडे बल्कि दिल्ली एन. सी. आर की करीब 20 से ज़्यादा ट्रैवेल एजेंसियों को करीब 2 करोड़ रुपये की फ़र्ज़ी टिकटें देकर प्रकाश झा फरार हो गया। दरभंगा, बिहार का रहने वाला ये व्यक्ति मास्टर माइंड है। ये ट्रैवेल एजेंट्स से पूरी रकम लेकर बुकिंग उठाता था और यात्रा ऑनलाइन, एटलस, ईस माई ट्रिप जैसी बड़ी कंपनियों को मात्र कैंसेलेशन चार्ज देकर टिकट बुक करवा लेता था, फिर उन टिकटों को ट्रैवेल एजेंट को सौंप देता था,  ट्रैवेल ऐजेंट उसे क्लाइंट को दे देते। इंटरनेट पर व एयरलाइन में वो टिकट वैलिड रहती थी पर यात्रा की तारीख से एक दिन पहले पूरा पैसा जमा न होने की वजह से एयरलाइन उसे रद्द कर देती व यात्री ट्रैवेल न कर पाता था। ऐसे में इन ट्रेवेल एजेंट्स को अपने क्लाइंट्स को तत्काल रेट पर टिकट उठा कर देनी पड़ी जिस से लाखों रुपये का नुकसान भुगतना पड़ा। सौरभ का कहना है कि वह 25 लाख रुपये से ज़्यादा का नुकसान भुगत चुकें हैं पर शहर में अपनी ट्रेवल एजेंसी का नाम बनाये रखने के लिए एक भी बुकिंग कैंसिल नहीं होने दी। केस की जांच के लिए याचिका सी.पी. ऑफिस में लगाई गई जहां से ये केस ई.ओ.डब्ल्यू. डिपार्टमेंट को सौंपा गया। पता चला है कि यह प्रकाश झा पहले पंजाब के कई शहर चंडीगड़, लुधियाना, जलन्धर में हज़ारों लोगों को चूना लगा चुका है। इस फ्रॉड व्यक्ति के 9 चालू बैंक एकाउंट सामने आए जिनसे बिना टैक्स के रोज़ का लाखों का लेन देन होता था। प्रकाश पिछले 15 दिनों से फरार है। इसके घर व ऑफिस जो कि किराये के थे, दोनों पर ही ताला लगा है। इसके 4 फोन नम्बर हैं और सब ही बंद हैं। ऐसे फ्रॉड टिकट विक्रेताओं से ग्राहक को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

Posted by: | Posted on: April 25, 2018

कैसे बढ़े शिक्षा की गुणवत्‍ता : एक शिक्षक का दृष्टिकोण

शिक्षक समाज की सर्वाधिक संवदेनशील इकाई है। शिक्षक अपना काम ठीक तरह से नहीं करते- यह आरोप तो सर्वत्र लगाया जाता है। लेकिन यह विचार कोई नहीं करता कि उसे पढ़ाने क्यों नहीं दिया जाता ? आए दिन गैर-शैक्षिक कार्यों में इस्तेमाल करता प्रशासन, शिक्षकों की शैक्षिक सोच को, शैक्षिक कार्यक्रमों को पूरी तरह ध्वस्त कर देता है। बच्चों को पढ़ाना-सिखाना सरल नहीं होता और न ही बच्चे फाईल होते हैं। प्रशासनिक कार्यालय और अधिकारीगण शिक्षा और शिक्षकों की लगातार उपेक्षा करते हैं। उन्हें काम भी नहीं करने देते। इसी कारण स्कूली शिक्षा में अपेक्षित सुधार सम्भव नहीं हो पा रहा है।

सुधार के लिए क्या करें
स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए हमें स्कूलों के बारे में अपनी परम्परागत राय को बदलना होगा। अभी स्कूलों को कार्यालय समझकर, शिक्षकों को प्रतिदिन अनेक प्रकार की डाक बनाने और आँकड़े देने के लिए मजबूर किया जाता है। इससे बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान होता रहता है। बच्चे अपने शिक्षकों से सतत् जुड़े रहना चाहते हैं, विशेषकर प्राथमिक स्तर पर। अत: स्कूलों को कार्यालयीन कामकाज से वास्तव में मुक्त कर प्रभावी शिक्षण संस्थान बनाया जाना चाहिए।

विद्यालय बनाम सामुदायिक शिक्षण केन्द्र
हमारे शासकीय विद्यालय बाल शिक्षण (6-14 आयु वर्ग के बच्चों) के लिए कार्य कर रहे हैं। शिशु शिक्षण के लिए संचालित आँगनवाड़ी और प्रौढ़ शिक्षा के लिए कार्यरत सतत् शिक्षा केन्द्रों का सम्बंध विद्यालय से कहने भर को है। वास्तव में इन सभी के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है। यदि इन तीनों एजेंसियों को एकीकृत कर दिया जाए तो 3 से 50 वर्ष तक के लिए शिक्षण की बेहतर व्यवस्था सम्भव है|

यह भी जरूरी है कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक और सतत शिक्षा केन्द्रों के प्रेरक को एक साथ मिल-बैठकर कार्य करने के लिए तैयार किया जाए। यदि तीनों एजेन्सी एकीकृत स्वरूप में कार्य करने लगे तो सम्भव है स्कूल की कार्यावधि 12 से 14 घण्टे प्रतिदिन तक हो जाए। साथ ही समुदाय के सभी वर्गों के लिए स्कूल में प्रवेश और सीखने के अवसर बढ़ सकते हैं।

अभी अधिकांश स्कूल अन्य सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर  10 से 5 की अवधि में ही खुलते हैं। इस कारण से रोजगार में जुटे परिवारों के बच्चों के लिए वे अनुपयोगी सिध्द हो रहे हैं। स्कूल की समयावधि सरकारी नियंत्रण में होने के कारण बच्चों की उपस्थिति और सीखने का समय कमतर होता जा रहा है। स्कूली उम्र पार कर चुके किशोरों, युवाओं, महिलाओं और कामकाजी लोगों के लिए स्कूल के दरवाजे एक तरह से बन्द ही हैं। विद्यालय समाज की लघुतम इकाई के रूप में ”सामाजिक शिक्षण केन्द्र” के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस परिकल्पना को साकार करने की दिशा में पहल किए जाने का दायित्व स्थानीय ”पालक शिक्षक संघ” पूरा कर सकते हैं। अगर समाज की जरूरत के चलते चिकित्सालय और थाने दिन-रात खुले रह सकते हैं, तो यह भी उतना ही आवश्यक है कि विद्यालय कम-से-कम 12-16 घण्टे जरूर खुलें।

 

शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक हो

शैक्षणिक सुधार में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। पाठयपुस्तकों और पाठयक्रम के अनुरूप प्रभावी शिक्षण, शिक्षकों की योग्यता, सक्रियता और पढ़ाने के कौशल पर निर्भर है। एक शिक्षक, एक साथ कितनी कक्षाओं के कितने बच्चों को भली-भाँति पढ़ा सकेगा, इस बारे में गम्भीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है।

आदर्श रूप में एक शिक्षक अधिकतम 20 बच्चों को ही ठीक प्रकार पढ़ा सकता है। वह भी तब, जब वे भी एक समान स्तर के हों। अभी व्यवस्था यह है कि एक शिक्षक 40 बच्चों को (और वे भी अलग-अलग स्तरों के हैं) पढ़ाएगा। अनेक स्कूलों में तो 70-80 से भी अधिक बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। ऐसे में शिक्षक मात्र बच्चों को घेरकर ही रख पाते हैं पढ़ाई तो सम्भव ही नहीं। शिक्षक बच्चों को पढ़ा भी पाएँ, इस हेतु शिक्षक-छात्र अनुपात को व्यवहारिक बनाना होगा।

 

प्रशिक्षणशिक्षण और परीक्षण

स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षण विधियों, प्रशिक्षण और परीक्षण की विधियों में भी सुधार करने की जरूरत है। अभी शिक्षण की विधियाँ राज्य स्तर से तय की जाती हैं। कक्षागत शिक्षण कौशलों को या तो नकार दिया जाता है या उन्हें परिस्थितिजन्य मान लिया जाता है।

अच्छे प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण का दायित्व कर्तव्यनिष्ठ, योग्य और क्षमतावान प्रशिक्षकों को सौंपा जाना चाहिए। शिक्षकों के प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने, शिक्षण में नवाचारी पध्दतियाँ विकसित करने सहित परीक्षण (मूल्यांकन) की व्यापक प्रविधियाँ तय कर उन्हें व्यवहारिक स्वरूप में लागू करने की दिशा में कारगर कदम उठाने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि हर प्रदेश में एक ”शैक्षिक संदर्भ एवं स्त्रोत केन्द्र” विकसित किया जाए।

 

शिक्षास्वास्थ्य और रोजगार मूलक परियोजनाएँ

शिक्षा के क्षेत्र में अनेक संस्थाएँ कार्यरत हैं। रोजगार और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी शासकीय स्तर पर परियोजनाएँ और कार्यक्रम लागू किए गए हैं। मानव विकास के बुनियादी सूचकांक होते हुए भी इनमें तालमेल न होने के कारण इनकी गति अपेक्षित नहीं है। धन की गरीबी से ज्ञान की गरीबी का विशेष सम्बंध है। ग्रामीण दूरस्थ अँचलों में ज्ञान की गरीबी पसरी हुई है। जानकारी के अभाव में वे संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाते। अनेक परियोजनाओं के बावजूद उनकी प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक चिकित्सा और बुनियादी रोजगार की प्रक्रियाएँ बाधित होती हैं। अब समय आ गया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए लागू परियोजनाओं को समेकित ढ़ंग से किसी सुनिश्चित क्षेत्र में लागू कर परिणामों की समीक्षा की जाए। अच्छे परिणाम आने पर उन्हें पूरे देश भर में लागू किया जाए। इस प्रकार हम अपने संसाधनों और मानवीय क्षमताओं का बेहतर उपयोग कर सकेंगे जिससे शिक्षा के गुणात्मक विकास की संभावनाएँ बढ़ेंगीं।

 

पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें

अभी वास्तव में यह ठीक प्रकार तय ही नहीं है कि किस आयु वर्ग के बच्चों को कितना सिखाया जा सकता है और सिखाने के लिए न्यूनतम कितने साधनों और सुविधाओं की आवश्यकता होगी। नई शिक्षा नीति 1986 लागू होने के बाद न्यूनतम अधिगम स्तरों को आधार मानकर पाठ्यपुस्तकें और पाठ्यक्रम तो लगातार बदले गए हैं, लेकिन उनके अनुरूप सुविधाओं और साधनों की पूर्ति ठीक से नहीं की गई है। यह सोच भी बेहद खतरनाक है कि पाठ्यपुस्तकों के जरिए हम भाषायी एवं गणितीय कौशलों और पर्यावरणीय ज्ञान को ठीक प्रकार विकसित कर सकते हैं। यथार्थ में पाठ्यपुस्तकें पढ़ाई का एक छोटा साधन मात्र होती हैं साध्य नहीं। कक्षाओं पर केन्द्रित पाठयपुस्तकों और पाठ्यक्रम को श्रेणीबध्द रूप में निर्धारित करना भी खतरनाक है। बच्चों की सीखने की क्षमता पर उनके पारिवारिक और सामाजिक वातावरण का भी विशेष प्रभाव पड़ता है, अत: सभी क्षेत्रों में एक समान पाठ्यक्रम और एक जैसी पाठ्यपुस्तकें लागू करना बच्चों के साथ नाइन्साफी है।

 

शैक्षिक उद्देश्य

स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए  हमें वर्तमान शैक्षिक उद्देश्यों को भी पुनरीक्षित करना होगा। शिक्षा, महज परीक्षा पास करने या नौकरी/रोजगार पाने का साधन नहीं है। शिक्षा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास, अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास करने और स्वथ्य जीवन निर्माण के लिए भी जरूरी है। शिक्षा प्रत्येक बच्चे को श्रेष्ठ इंसान बनने की ओर प्रवृत्त करे, तभी वह सार्थक सिध्द हो सकती है। कहा भी गया है ”सा विद्या या विमुक्तये”। अभी पढ़े-लिखे और गैर पढ़े-लिखे व्यक्ति के आचरण और चरित्र में कोई खास अन्तर दिखाई नहीं देता। उल्टे पढ़-लिख लेने के बाद तो व्यक्ति श्रम से जी चुराने लगता है और अनेक प्रकार के दुराचरणों में लिप्त हो जाता है। यह स्थिति एक तरह से हमारी वर्तमान शैक्षिक पध्दति की असफलता सिध्द करती है। अतः यह जरूरी है कि शिक्षा के उद्देश्यों को सामयिक रूप से परिभाषित कर पुनरीक्षित किया जाए।

 

शिक्षकों को शिक्षक” के रूप में अवसर मिले

समान कार्य के लिए समान कार्य परिस्थितियाँ और समान वेतन की अनुशंसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में और मानव अधिकार घोषणा पत्र के अनुच्छेद 21, 22, और 23 में वर्णित होते हुए भी नाना नामधारी शिक्षक मौजूद हैं। एक ही विद्यालय में अनेक प्रकार के शिक्षकों के पदस्थ रहते सभी के मन में घोषित-अघोषित तनावों के कारण पढ़ाई में व्यवधान हो रहा है। इस परिस्थिति को गम्भीरता से समझे बगैर और परिस्थितियों में सुधार किए बगैर भला शिक्षण में सुधार कैसे होगा? शासन को सभी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक समान कार्यनीति, समान पदनाम, समान वेतनमान देने की नीति तय कर एक निश्चित कार्यावधि के बाद पदोन्नति देने का भी ऐलान करना चाहिए।

 

श्रेष्ठतम शैक्षिक कार्यकर्ता

शैक्षिक परिवर्तन के लिए शिक्षकों का मनोबल बनाए रखने और उत्साहपूर्वक कार्य करने की इच्छाशक्ति पैदा करने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे। अभी शिक्षा व्यवस्था में बालकों और पालकों की भागीदारी न्यूनतम है, इसलिए सभी शैक्षिक कार्यक्रम सफल नहीं हो पाते हैं। स्कूलों में भी जिस प्रकार समर्पित स्वयंसेवकों की आवश्यकता है, वे नहीं हैं। अत: यह आवश्यक है कि श्रेष्ठतम शैक्षिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की जानी चाहिए।

 

शिक्षकों का मनोबल बढ़ाया जाए

समूची दुनिया के सभी विकसित और विकासशील देशों में प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और प्रशासनिक दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही ऐसी शिक्षा नीति बनाई जाती है जिसमें उनका मनोबल सदैव ऊँचा बना रहे। जब तक अनुभव जन्य ज्ञान, और कौशलों को महत्व नहीं दिया जाएगा तब तक ”बालकेन्द्रित शिक्षण” की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। बाल केन्द्रित शिक्षण के लिए कार्यरत शिक्षकों की दक्षता और मनोबल बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।

यह आवश्यक है कि शिक्षकों को उनके व्यक्तित्व विकास की प्रक्रियाओं सहित ऐसे प्रशिक्षण संस्थानों में भेजा जाए जहाँ उन्हें अपने अन्दर झाँकने ,कुछ बेहतर कर गुजरने की प्रेरणा मिल सके। इस प्रशिक्षण उपरान्त उन्हें कार्यरत स्थलों पर ”ऑन द जॉब सपोर्ट” के रूप में ऐसे सहयोगी दिए जाएँ जो उनकी वास्तविक मदद करें। किसी ऐसी संस्था को इस दिशा में काम करने की जरूरत है जो सामाजिक बदलाव के लिए व्यापक दूरदृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम करने के लिए सहमत हो और उसके पास स्वयं के संसाधन भी उपलब्ध हों।

आज जरूरत इस बात की है कि किसी प्रकार पढ़ने-लिखने की प्रक्रिया में परिवर्तन लाने के लिए विद्यालय प्रशासन, शिक्षकों और शैक्षिक कार्यक्रमों में तालमेल बनाया जाए। समुदाय की शैक्षिक आवश्यकताओं को पहचान कर उनकी जरूरतों के अनुरूप निर्णय लेते हुए ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिसमें व्यवसायिक योग्यता में वृध्दि सुनिश्चित हो। शिक्षा के प्रशासन एवं प्रबन्धन में उत्तरदायी भूमिका निभाने वाले संस्था प्रधानों की नियुक्ति और प्रशिक्षण हेतु शिक्षा विभाग एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे अन्य संगठनों को शीघ्र कारगर कदम उठाना चाहिए। संस्था प्रधानों की भूमिका को सशक्त बनाए बगैर शिक्षा में सुधार की सम्भावनाएँ अत्यन्त क्षीण रहेंगी।

 

प्रशासनिक एवं प्रबन्धकीय व्यवस्थागत सुधार

शिक्षा प्रशासन की यह नियति बन गई है कि इसमें उच्च शिक्षा स्तर पर भी स्थायित्व नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 और कार्ययोजना 1992 में स्वीकृत अखिल भारतीय शिक्षा सेवा की स्थापना आज तक नहीं हो पाई है। लगभग हर स्तर पर निर्णायक पदों पर नियुक्त प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शिक्षा क्षेत्र में आ रही गिरावट और असफलता के लिए उत्तरदायी नहीं माने जाते। हाँ, किसी छोटी-सी सफलता का श्रेय अवश्य हासिल करते नजर आते हैं। शिक्षा में सुधार के लिए कार्यरत शिक्षकों को समर्थन देने की दृष्टि से यह अत्यंत आवश्यक है कि शिक्षा के प्रबन्धन और प्रशासन को सुधारा जाए। म.प्र. शासन द्वारा वर्ष 2003 में गठित ”स्पेशल टास्क फोर्स” की अनुशंसाओं को लागू किए जाने की भी आज महती आवश्यकता है जो एक दस्तावेज में सिमट कर रह गई हैं। म.प्र. देशभर में सर्वप्रथम जन शिक्षा अधिनियम तैयार कर लागू करने वाले प्रदेश के रूप में है। क्रियान्वयन के स्तर पर जरूर अनेक कार्य अभी शेष हैं जिसमें प्रमुख कार्य सभी स्तरों पर कार्यरत शिक्षा केन्द्रों के संचालन हेतु मैनुअल (संचालन मार्गदर्शिकाओं) का सृजन और उन्हें लागू करना है, ताकि कार्यरत स्टाफ बेहतर प्रदर्शन कर सके। प्रदेश के सभी जनशिक्षा केन्द्रों को प्रबन्धन और प्रशासन के प्रति उत्तरदायी भूमिका सौंपते हुए जनशिक्षा केन्द्र प्रभारी को आहरण वितरण अधिकार दिए जाने चाहिए। यह अत्यंत आवश्यक है कि समग्रत: शिक्षा व्यवस्था को नियंत्रित किए जाने हेतु राज्य की शिक्षा नीति तैयार की जानी चाहिए। कार्यरत शिक्षकों की दक्षता का सम्मान और उनकी कार्यदक्षता का उपयोग किए जाने की दृष्टि से विभागीय दक्षता परीक्षा का आयोजन कर सभी को प्रन्नोत किया जाना चाहिए। अंतत: शैक्षिक सुधार के लिए अब हमें विचार करने की बजाय कर्तव्य की ओर बढ़ना होगा।

आज शिक्षा के क्षेत्र में वास्तविक सुधार की दृष्टि से शीघ्र सार्थक कदम उठाते हुए हमें ऐसी शिक्षण पध्दति और कार्यक्रम विकसित करने होंगे जो बच्चों के मन में श्रम के प्रति निष्ठा पैदा करें। समग्रत: एक ऐसा प्रभावी शैक्षिक कार्यक्रम बनाना होगा जिसमें –

  1. पाठ्यक्रम लचीला और गतिविधि आधारित हो, साथ ही बच्चों की ग्रहण क्षमता के अनुरूप भी।
  2. कक्षागत पाठ्य योजनाएँ, स्वयं शिक्षकों द्वारा तैयार की जाएँ और उन्हें पूरा किया जाए।
  3. राज्य की शिक्षा नीति निर्धारण में शिक्षाविदों और कार्यरत शिक्षकों को वास्तव में सहभागी बना कर सभी के विचारों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाए।
  4. जन भागीदारी समितियाँ (पालक शिक्षक संघ) प्रबन्धन का दायित्व स्वीकारें – शैक्षिक प्रशासन तंत्र भी शालाओं में अनावश्यक हस्तक्षेप न करें। शिक्षण का अधिकार शिक्षकों को वास्तव में सौंपा जाए।
  5. शिक्षण विधियों में परिवर्तन करने का अधिकार शिक्षकों को हो, प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं।
  6. कक्षाओं में शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक किया जाए, साथ ही पर्याप्त मात्रा में शैक्षिक सामग्री की पूर्ति और शिक्षकों की भर्ती की जाए।
  7. पाठ्यपुस्तकों की रचना स्थापित रचनाकारों की बजाय शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों के माध्यम से की जानी चाहिए, जो शैक्षिक दृष्टि से उपयुक्त हो।
  8. शैक्षिक सुधारों को लागू करने में संस्था प्रधानों और शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाए।
  9. शिक्षकों के सहयोग हेतु ”राज्य शिक्षक सन्दर्भ और स्त्रोत केन्द्र” स्थापित किए जाएँ।
  10.  विद्यालयों को सामुदायिक शिक्षण के लिए उत्तरदायी बनाया जाए।

By दामोदर जैन | जुलाई 27, 2012

Posted by: | Posted on: April 25, 2018

‘संजू’ की कहानी सबसे रोमांचक : राजकुमार हिरानी

( विनोद वैष्णव )| ऐसा कहा जाता है कि बुरा विकल्प, अच्छी कहानियाँ बनाने में मददगार होता है। और यह एक ऐसा ही क्लासिक मामला है | बॉलीवुड के जानेमाने निर्देशक राजकुमारी हिरानी इस बार संजय दत्त की बायोपिक के साथ दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार है। यह इस साल की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म है और देश की जनता पलके बिछा कर फ़िल्म का बेसब्री से इंतेज़ार कर रही है।संजय दत्त पर आधारित इस बायोपिक में रणबीर कपूर संजू बाबा की भूमिका में नज़र आएंगे। रणबीर ने अपनी इस भूमिका के लिए कड़ी मेहनत की है और संजय दत्त के जीवन के हर पहलू को पूरी शिद्दत से निभाने की कोशिश की है।फ़िल्म में रणबीर कपूर के हेयरस्टाइल से लेकर, उनका हावभाव और चलने का स्टाइल, सब कुछ रणबीर ने हूबहू संजय दत्त के रंग में ढालने की कोशिश की है जिसे देखकर एक पल के आपकी आंखें भी धोखा खा जाएंगी। फ़िल्म संजू के बारे में बात करते हुए राजकुमार हिरानी ने कहा, “25 दिनों से अधिक के लिए अभिजात जोशी और मैं एक लंबे समय के लिए बैठे और संजू ने जो कुछ भी कहा, उसे रिकॉर्ड किया। हम नहीं जानते थे कि कोई फिल्म थी या नहीं, क्योंकि ज्यादातर उन्होंने वास्तविक बातें सुनाई थीं। मुझे नहीं पता था कि उन्हें एक साथ कैसे जोड़ना है। लेकिन हमने जो महसूस किया वह यह था कि एक ऐसा व्यक्ति जिसने हर तरीके से पागलपन भरा जीवन व्यतीत किया है| “राजकुमार हिरानी विशेष रूप से अपनी मनोरंजक लेकिन पेचीदा कहानी के लिए जाने जाते है। वही इस फ़िल्म में यह देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म निर्माता किस तरह से संजय दत्त के विवादास्पद जीवन  को बड़े पर्दे पर प्रस्तुत करते है।रणबीर कपूर, मनीषा कोइराला, परेश रावल, अनुष्का शर्मा, दीया मिर्जा, विक्की कौशल और सोनम कपूर जैसे कलाकारों से लैस यह फ़िल्म यकीनन साल की बहुप्रतीक्षित फ़िल्मो में से एक है।
फॉक्स स्टार द्वारा प्रस्तुत, यह फिल्म राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित है। वही विधु विनोद चोपड़ा और राजकुमार हिरानी द्वारा निर्मित यह फ़िल्म 29 जून 2018 को रिलीज होगी।
Posted by: | Posted on: April 14, 2018

फरीदाबाद के गौरव सोलंकी ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में 52 किलोग्राम वर्ग स्पर्धा में मुक्केबाजी का स्वर्ण पदक जीता

फरीदाबाद के गौरव सोलंकी ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में 52 किलोग्राम वर्ग स्पर्धा में मुक्केबाजी का स्वर्ण पदक जीता। बल्लभगढ़ की राजीव कॉलोनी के निवासी हैं गौरव सोलंकी आज पूरे परिवार में खुशी का माहौल है गौरव सोलंकी के पिता को गुलदस्ता देकर मुबारकबाद दी इस मौके पर पूर्व मंत्री शिवचरण लाल शर्मा मनोज गोयल इनेलो जिला महासचिव मुकेश डागर पार्षद और गणमान्य लोग मौजूद थे

Posted by: | Posted on: April 9, 2018

दिल्ली की उर्वशी सालारिया चावला कलर्स चैनल एवं ‘ब्रैंडवॉक’ द्वारा आयोजित ‘मिसेज इंडिया यूके 2018’ की फाइनल में

(विनोद वैष्णव )| लंदन में कलर्स टीवी और बैंड वर्क द्वारा आयोजित ‘मिसेज इंडिया यूके 2018’ स्पर्धा के फाइनल राउंड में उर्वशी सालारिया चावला ने अपनी जगह बनाई है। इसका ग्रैंड फिनाले 15 अप्रैल को लंदन के हिल्टन टॉवर ब्रिज होटल में आयोजित किया जाएगा। बता दें कि ब्रिटिश भारतीयों और यूनाइटेड किंगडम में रहने वाली एशियाई विवाहित महिलाओं के लिए ‘मिसेज इंडिया यूके’ यूनाइटेड किंगडम का एक अनूठी सौंदर्य प्रतियोगिता है।
   उर्वशी सालारिया चावला मेकअप इंडस्ट्री की एक सफल उद्यमी हैं और भारत में एक ब्यूटी स्टूडियो का मालिक है और लंदन में एशियाई दुल्हनों के मेकअप की एक सम्मानित कलाकार हैं। पत्रकारिता में स्नातक, विमानन उद्योग में काम कर चुकी एवं एक सौंदर्य ब्लॉगर उर्वशी सालारिया चावला फिलहाल ब्रिटेन में रहने वाली शादीशुदा एशियाई महिलाओं का बड़े प्लेटफार्म पर प्रतिनिधित्व करती हैं। शादी करने के बाद से उर्वशी सालारिया चावला चार वर्षों से लंदन में रह रही हैं। इतना ही नहीं, उर्वशी सालारिया चावला एक पर्यावरणविद् भी हैं, जो जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाने में विश्वास रखती हैं। वह कई पौधरोपण अभियान का संचालन कर चुकी हैं और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ अर्थ आॅवर अभियान जैसे पर्यावरण संबंधी गतिविधियों से भी स्वयंसेवी के तौर पर जुड़ी हुई हैं। उर्वशी ‘एक उद्देश्य के लिए सौंदर्य’ की अवधारणा में विश्वास करती हैं। वह ‘मिसेज इंडिया यूके 2018’ स्पर्धा में 30 अन्य मल्टीटैलेंटेड फाइनलिस्ट के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगी।
   उल्लेखनीय है कि ‘मिसेज इंडिया यूके’ प्रतियोगिता का मकसद एशियाई विवाहित महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें सामथ्र्य के हिसाब से किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उचित अवसर प्रदान कराना है। यह प्रतियोगिता अपने मेंटर्स की मदद से विदेशों में भारतीयों की विविध संस्कृतियों के बीच संबंधों को सीखने, आत्मविकास, आत्मविश्वास और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रेरित करता है। उर्वशी और ‘मिसेज इंडिया यूके’ प्रतियोगिता की अन्य सभी प्रतियोगी फिलहाल विभिन्न सलाहकारों के साथ गहन प्रशिक्षण के दौर से गुजर रही हैं। इस प्रशिक्षण के दौरान इन प्रतिभागियों के लिए फिटनेस, कैटवॉक, एक्टिंग, फोटोशूट जैसे कई सेशंस हैं। उर्वशी बताती है, ‘हमारे मेंटर्स ने हमारी इस प्रशिक्षण यात्रा के दौरान हर किसी की व्यक्ति सहायता करने के साथ ही खुद पर ध्यान केंद्रित करने के टिप्स बताने के साथ हरसंभव सहयोग कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वे ऑनलाइन सेशंस के माध्यम से भी हमें सलाह उपलब्ध करा रहे हैं।’ उल्लेखनीय है कि ‘सुंदरता शारीरिक नहीं, मानसिक और दिल से होना चाहिए’ के सिद्धांत पर यकीन करने वाली उर्वशी ने हाल ही में ‘मिसेज इंडिया यूके’ की उपटाइटल ‘मिसेज इंडिया ग्लैमरस’ खिताब जीता है।