कल है गुरु नानक जयंती , जानिए क्या है कार्त‍िक पूर्ण‍िमा पर मनाए जाने वाले गुरु पूरब का महत्‍व

Posted by: | Posted on: November 18, 2021

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले धर्म गुरु गुरुनानक देव जी की जयंती 19 नवंबर को मनाई जाएगी। गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। इस पवित्र दिन को सिख धर्म के अनुयायी गुरु प्रकाश पर्व/गुरुपरब के रूप में बनाते हैं। गुरु नानक जयंती को सिख धर्म में सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है।

गुरुद्वारों में आस्था की धूम :-

गुरुपरब के मौके पर गुरुद्वारों व आसपास के इलाकों की साफ-सफाई करने के बाद गुरद्वारों को सजाया जाता है। इसके बाद गुरु पूर्णिमा/प्रकाश पर्व/गुरुपरब के दिन सुबह से नगर कीर्तन के साथ प्रभातफेरी निकाली जाती है। नगर कीर्तन की अगुवाई गुरु पंच प्यारे करते हैं। प्रभातफेरी गुरुद्वारे से शुरू होती है और नगर में फिरने के बाद गुरुद्वारे तक वापस आती है। इसके बाद विशाल लंगर का आयोजन किया जाता है। बताया जाता है कि गुरुनानक जयंती के दो दिन पहले गुरुद्वारों पर गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है। गुरुपरब पर दो दिन तक होने वाले महोत्सव पर लोग जगह-जगह कीर्तन और लंगर का आयोजन करते हैं।

सिखों के लिए गुरु नानक जयंती बहुत बड़ा त्यौहार होता है। यह दीपावली की तरह ही धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व, प्रकाश पर्व या गुरु पूरब के नाम से भी बुलाया जाता हैं। इस साल यह 19 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। जानकारों के मुताबिक इसी दिन सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। यह हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। आपको बता दें, गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। इस दिन सिख धर्म के लोग प्रभात फेरी लगाकर गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं।

गुरु नानक जयंती का महत्व :-

सिखों का विशेष पर्व कार्त‍िक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था और इसी कारण इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 को राय भोई की तलवंडी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब में पड़ता है। इस जगह का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर पड़ा है।

गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन के साथ भक्तों के लिए लंगर लगता है। इस दिन गुरुद्वारे में रुमाला चढ़ाने का रिवाज होता है। इस दिन भक्त अपनी श्रद्धा से गुरुद्वारे में कोई न कोई सेवा जरूर देते हैं। यहां सेवा का अवसर पाना बहुत पुण्य माना जाता है। साथ ही इस दिन गुरबाणी का पाठ करते हैं।

नोट : सभी जानकारिया सोशल मीडिया द्वारा एकत्रित की गयी है।





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