पलवल (विनोद वैष्णव )एमवीएन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ लॉ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० (डॉ ) जे वी देसाई, उपकुलपति डॉ एन पी सिंह, कुलसचिव डॉ राजीव रतन और डीन एकेडमिक्स डॉ सचिन गुप्ता के दिशा निर्देशन में एक विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता जिला अस्पताल पलवल के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ ब्रह्मदीप ने कहा कि ड्रग्स का सेवन एवं लत एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्या है जो न केवल पूरे विश्व के युवाओं को प्रभावित करती है बल्कि विभिन्न आयु के लोगों को भी प्रभावित करती है। ड्रग एडिक्ट्स विभिन्न स्वास्थ्य जोखिमों को भी जन्म देता है। ऐसे ड्रग्स की लत के कारण भूख और वजन, कब्ज, चिंता का बढ़ना, चिड़चिड़ापन, नींद नहीं आना और कामकाज की हानि का गंभीर नुकसान होता है। कोकीन, हेरोइन और अन्य अवैध दवाओं की लत वाली दवाएं मनुष्य के मस्तिष्क को डोपामाइन से भर देती हैं। डोपामाइन एक दवा है जो आनंद की तीव्र भावना को ट्रिगर करती है। आनंद की यह भावना अन्य आवश्यक चीजों को कम आनंददायक बना देती है, जिसमें भोजन, मित्रों और परिवार के साथ रहना शामिल है।
वक्ता डॉ मधु डागर ने कहा कि आज के समय में मादक पदार्थों के सेवन के दुष्प्रभाव से सिर्फ भारत ही नहीं पूरा विश्व जूझ रहा है। युवा पीढ़ी इसका शिकार होकर अपने भविष्य को नष्ट कर रही है और स्त्रियां उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और क्राइम कार्यालय (यूएनओडीसी) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो अवैध मादक पदार्थों के दुरुपयोग और उसके उत्पादन के खिलाफ लड़ रहा है।
विधि संकायाध्यक्ष डॉ राहुल वार्ष्णेय ने बताया कि हर साल 26 जून को विश्व स्तर पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को नशे से मुक्त कराना और उन्हें जागरुक करना है कयोंकि नशा अपने साथ अंधकार, विनाश और तबाही लेकर आता है। इस साल का थीम “स्वास्थ्य और मानवीय संकटों में नशीली दवाओं की चुनौतियों का समाधान” है। नशीले पदार्थों की तस्करी एक अंतर्राष्ट्रीय अवैध व्यापार है जिसमें मूलभूत कानूनों के अनुसार निषिद्ध पदार्थ, उत्पादन, खेती, प्रसार और बिक्री शामिल है। भारत में एनडीपीएस कानून में व्यक्ति को किसी भी मादक दवा या मनोदैहिक पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग करने पर सजा का प्रावधान है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, डॉ दया शंकर प्रसाद, डॉ कुलदीप तंवर, डॉ मुकेश सैनी, बबीता यादव, देवेश भटनागर, प्रशांत कुमार, डॉ गिताली चौधरी, डॉ रामवीर सिंह, अजय कुमार, अनिल पुंज, सचिन शर्मा, राहुल मोंगिया, योगेश कुमार, सुभाष कुमार, जिला अस्पताल पलवल के मेडिकल स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही।