रातों की नींद उड़ा रही बदलती लाइफस्टाइल

वर्ल्ड स्लीप डे

बदलती जीवनशैली के कारण नींद पूरी न होने से लोगों को मानसिक तनाव भी हो रहा है। जिनकी नींद पूरी नहीं होती है और इस वजह से मानसिक तनाव और घबराहट महसूस होती है।

मेट्रो अस्पताल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुषमा शर्मा ने बताया कि तनाव, चिंता, डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां इंसोम्निया का कारण बन सकता है। अक्सर जब व्यक्ति मेंटली फिट नहीं रहता है या फिर किसी तरह का तनाव महसूस करता है तो सबसे पहले उसकी नींद पर असर पड़ता है। लोगों के लाइफस्टाइल में होने वाले बदलाव भी नींद न आने का कारन बन सकता है। जैसे देर रात तक फोन या टीवी देखना, रात को देर से सोना, कैफीन का सेनव करने जैसी आदतें भी इंसोम्निया का कारण बन सकता है। जब हम हेल्दी लाइफस्टाइल हैबिट्स की बात करते हैं तो उसमें अच्छा खाना, एक्सरसाइज के साथ साथ अर्ली टू बेड अर्ली टू राइज यानी समय पर सोना समय पर जागने की बात शामिल हैं। जो हमारे मेन्टल, फिजिकल और इमोशनल हेल्थ के लिए नींद आवश्यक है। हेल्थ का ध्यान रखने के लिए अच्छे खान पान और एक्सरसाइज के अलावा अच्छी नींद भी जरूरी है। जो लोग रोज अच्छी और पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं उनमे कई बीमारियों जैसे हार्ट डिजीज, स्ट्रोक ओबेसिटी और डिमेंशिया और विचारों का खतरा बढ़ जाता है। इन दिनों लोग देर रात तक मोबाइल फोन या टीवी देखते हैं या फिर अपने काम में व्यस्त रहते है और अपनी नींद को पूरा नहीं करते है। ऐसा करना सेहत के लिए नुकसान दायक है। अच्छी नींद न सिर्फ हमें एक्टिव और एनर्जेटिक रखती है बल्कि हमारे मेंटल और फिजिकल हेल्थ का भी ध्यान रखती है। जो लोग सोने से कम से कम एक घंटा पहले रिलैक्स करते हैं और समय पर सोते और समय पर जागते हैं वे दूसरों के मुकाबले हैल्थी लाइफ जीते हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया ऐसी बीमारी होती है जिनका वजन ज्यादा हो, जो रात में बहुत खर्रााटे लेते हो और रात में नींद के झोखे आते हो। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया लकवे के अटैक का रिस्क फैक्टर है। लक्षण दिखने पर जांच कराए। वहीं रेस्पिरेट्री एक्सपर्ट डॉ लवलीन मंगला बताते हैं कि मार्च के तीसरे फ्राइडे को वर्ल्ड स्लीप डे यानी कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। नींद हमारे जीवन की महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक है। हर दिन एक व्यक्ति को कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। अच्छी नींद स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। यह दिन अवेयरनेस के लिए सेलिब्रेट होता है वर्ल्ड स्लीप डे हर साल विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच प्रचलित नींद संबंधी बीमारियों पर एक्शन लेने व अवेयरनेस फैलाने के लिए मनाया जाता है। दुनियाभर में 10 करोड़ से ज्यादा लोग नींद की समस्याओं से घिरे हैं। नींद न आने के कई कारण होते हैं। इससे हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत प्रभावित हो सकती है। शारीरिक समस्याओं में थायरॉएड डिसऑर्डर, हाई ब्लड प्रेशर या फिर क्रोनिक पेन के कारण कुछ लोगों को नींद नहीं आती है। यूरिन की समस्या होने पर पुरुषों को नींद नहीं आती है। ऐसे में उन्हें अपना प्रोस्टेट का चेकअप कराना चाहिए। महिलाओं में यूरिन इंफेक्शन, बार-बार पेशाब करने जाना होता है, इससे भी नींद टूटती है। इसके अलावा सांस में दिक्कत होना, सीने में दर्द होना, बहुत ज्यादा रेस्टलेस लेग होना भी कारण होते हैं। अगर दिन में अधिक नींद आती है, दिन में फ्रेश नहीं महसूस करता है, रात में बार-बार नींद टूटती है, खर्राटे लेने की समस्या है, शारीरिक एक्टिविटी कम है, वजन अधिक है, अचानक रात में स्नोरिंग के दौरान सांस लेने के लिए उठना पड़ता है, ये सभी लक्षण ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के हो सकते हैं। इसका इलाज बेहद जरूरी है। कुछ मेडिकल कंडीशन जैसे कमर का दर्द, अस्थमा, स्लीप एपनिया, नींद में बाधा डाल सकती है।

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