रियूजेबल और धोने योग्य सैनिटरी पैड, डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन की तुलना में बेहतर विकल्प हैं – :अमृता हॉस्पिटल

Posted by: | Posted on: 11 months ago

फरीदाबाद(विनोद वैष्णव ) | भारत में स्थायी रूप से मासिक धर्म स्वच्छता को बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका रियूजेबल सैनिटरी पैड का उपयोग करना है, विशेष रूप से युवा स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए। डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं क्योंकि वे 90% प्लास्टिक हैं और जहरीले रसायनों से भरे हुए हैं।

हमारे देश में महिला खिलाड़ी लाखों युवा लड़कियों के लिए रोल मॉडल हैं। राष्ट्र में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए, सौख्यम सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला खिलाड़ियों को जीवन भर के लिए मुफ्त में रियूजेबल पैड मुहैया कराने की पेशकश कर रहा है। यह बात माता अमृतानंदमयी मठ के सौख्यम रियूजेबल पैड परियोजना की प्रबंध निदेशक अंजू बिष्ट ने कही। बिष्ट ने मासिक धर्म स्वच्छता दिवस से पहले फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में आयोजित एक समारोह में स्पीच दी।

उन्होंने आगे कहा, “हम इस संबंध में विभिन्न खेल संघों से भी संपर्क कर रहे हैं। हमारी योजना मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देने में रियूजेबल पैड के लाभों के बारे में खिलाड़ियों को जागरूक बनाने के लिए विभिन्न खेल संस्थानों और अकादमियों में देश भर में कार्यशाला आयोजित करने की है।”

भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान पद्मश्री रानी रामपाल इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। इस मौके पर अमृता अस्पताल के एडमिनिस्ट्रेटिव डायरेक्टर स्वामी निजामृतानंद पुरी, अमृता अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संजीव के सिंह, सिक्किम ऊर्जा लिमिटेड की सीएसआर प्रमुख मिस पल्लवी मित्तल और सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. वंदना गोयल भी उपस्थित थीं।

इस अवसर पर समारोह में पद्मश्री रानी रामपाल ने बोलते हुए कहा, “महिलाओं और किशोरियों की भलाई और सशक्तिकरण के लिए मासिक धर्म स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है। दुर्भाग्य से, भारत में लाखों महिलाएं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, पानी, स्वच्छता और साफ़-सफाई जैसी सुविधाओं और किफायती मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक पहुंच की कमी के कारण खराब मासिक धर्म स्वच्छता के साथ रहने को मजबूर हैं। भारत सस्ते, पर्यावरण के अनुकूल, बनाने में आसान है और कई महीनों तक धोकर दोबारा उपयोग किए जाने वाले सैनिटरी पैड के माध्यम से मासिक धर्म स्वच्छता में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है। ग्रामीण महिलाओं के बीच टिकाऊ तरीके से मासिक धर्म स्वच्छता की शुरुआत करने का यही एकमात्र तरीका है।”

सिक्किम उर्जा लिमिटेड की सीएसआर प्रमुख मिस पल्लवी मित्तल ने कहा, “डिस्पोजेबल पैड, जो वर्तमान में बाजार में काफी पॉपुलर हैं, न केवल ज्यादातर महिलाओं के लिए महंगे हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा हैं। हम वर्तमान में सिक्किम को भारत का पहला सैनिटरी नैपकिन मुक्त राज्य बनाने के लिए सौख्यम के साथ काम कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे सिक्किम देश का पहला जैविक राज्य बना था। हमने आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया है, जो अब जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं और पूरे सिक्किम में दूरस्थ, ग्रामीण क्षेत्रों में सब्सिडी वाले सौख्यम पैड लाने में मदद कर रहे हैं। हम इस काम को भारत के पूरे उत्तर पूर्व में भी फैलाएंगे।”

उन्होंने आगे कहा, “आधुनिक डिस्पोजेबल पैड के बजाय, हम राज्य सरकारों के साथ काम करने की योजना बना रहे हैं ताकि वे भविष्य में स्कूलों में रियूजेबल पैड को फ्री में बांट सकें। इससे फाइनेंशियल बर्डन काम होगा और साथ ही रियूजेबल पैड की लागत डिस्पोजेबल पैड का केवल दसवां हिस्सा होगी, क्योंकि कोई आवर्ती लागत नहीं है।”

सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. वंदना गोयल ने कहा, “सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. वंदना गोयल ने कहा, हमें ऐसे प्रोडक्ट चुनने चाहिए, जो हमारे स्वास्थ के लिए अच्छा हो और साथ ही आरामदायक भी हो। एक स्थायी विशेषता के लिए पर्यावरण के अनुकूल उपभोक्ता व्यवहार विकसित करें। वास्तविकता को साबित करने के लिए हमें अधिक साक्ष्य-आधारित अध्ययन और रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल (आरसीटी) की आवश्यकता है। डिस्पोजेबल सैनिटरी पैड उपयोगकर्ताओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं और पर्यावरण के लिए खराब होते हैं, क्योंकि उनमें डाइऑक्सिन जैसे खतरनाक केमिकल होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। खराब मासिक धर्म स्वच्छता कई तरह के इन्फेक्शन का कारण बन सकती है, जिसमें प्रजनन और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन जैसे इन्फेक्शन शामिल है। रियूजेबल पैड गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों से महिलाओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। सौख्यम पैड हल्के, पहनने में आसान, रैश-फ्री, नॉन-एलर्जिक और हानिकारक रसायनों से मुक्त होते हैं।

सौख्यम दुनिया का पहला ऐसा रियूजेबल पैड का ब्रांड है, जिसमें केले के रेशे को अवशोषक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अधिकांश डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन में अवशोषक सेलूलोज़ फाइबर होता है और यह पेड़ों को काटने से प्राप्त होता है, जिससे वनों की कटाई होती है। भारत में हर महीने 9,000 टन से अधिक मासिक धर्म का कचरा उत्पन्न होता है, जो नालियों को बंद कर देता है। यदि भारत की प्रत्येक महिला डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती है, तो इसका परिणाम निश्चित रूप से एक पर्यावरणीय आपदा होगी। कपड़े और केले के रेशे से बने रियूजेबल और धोने योग्य पैड में इनमें से कोई भी नुकसान नहीं है। शायद इसीलिए नीति आयोग ने उन्हें “कल के भारत के लिए मजबूत जड़” के रूप में नामित किया है।

नीति आयोग द्वारा अंजू बिष्ट को भी पिछले साल 75 “वीमेन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया” में से एक के रूप में सम्मानित किया था।

भारत की पैडवूमन के नाम से जानी जाने वाली मिस अंजू बिष्ट ने कहा, “पहले 1 से 3 महीने महत्वपूर्ण होते हैं, जब उपयोगकर्ता डिस्पोजल से रियूजेबल पैड पर शिफ्ट कर रहे होते हैं। एक बार जब वे इस बदलाव को सफलतापूर्वक कर लेते हैं, तो उनका अनुभव डिस्पोजल से कहीं बेहतर होता है। रियूजेबल पैड, रैश-फ्री और दर्द में आराम मिलने का अनुभव करने के बाद अधिकांश महिलाएं डिस्पोजल पर नहीं लौटती हैं।

रियूजेबल पैड की स्वच्छता के बारे में गलत धारणाओं को संबोधित करते हुए, बिष्ट ने कहा कि जब तक इनकी ठीक से देखभाल की जाती है, जैसे कि हर उपयोग के बाद धोना और स्टोर करने से पहले पूरी तरह से सुखाना तब तक रियूजेबल पैड उपयोग करने के लिए पूरी तरह से स्वच्छ हैं। उन्होंने कहा, “रियूजेबल पैड हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले अंडरगारमेंट्स से ज्यादा अलग नहीं हैं। हमने नए और दोबारा इस्तेमाल किए गए पैड, दोनों पर माइक्रोबियल लोड का परीक्षण किया और उनके बीच कोई ज्यादा अंतर नहीं पाया गया।”

सिक्किम के अलावा, सौख्यम टीम इस साल ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ऑयल इंडिया, कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड और फेडरल बैंक के साथ मिलकर इन राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में लास्ट माइल डिलीवरी नेटवर्क विकसित करने के लिए काम कर रही है।

यह परियोजना माता अमृतानंदमयी मठ की एक पहल है। श्री माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) इस वर्ष सी20 के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रही हैं। सी20 सभी नागरिक समाज संगठनों के लिए जी20 के तहत कार्य समूह है।





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