डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में ठोस कचरा प्रबंधन की टिकाऊ पर्यावरण विकासात्मक रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा के साथ संपन्न हुआ एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन

फरीदाबाद (पिंकी जोशी) : डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में उच्च शिक्षा निदेशालय से स्वीकृत ‘ठोस कचरा प्रबंधन : टिकाऊ पर्यावरण के लिए विकासात्मक रणनीतियां’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया गया | सम्मलेन को दस तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया जिसमे छः ऑनलाइन व चार ऑफलाइन माध्यम द्वारा आयोजित किये गए | कनाडा, फ्रांस, तुर्किए और दुबई से विशेषज्ञ व शोधार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े | इस सम्मलेन में दो सौ तीस से ज्यादा शोधपत्रों का प्रस्तुतिकरण किया गया | महाविद्यालय के शोध पत्रिका परियंथ के सातवें संस्करण का विमोचन भी इस सम्मलेन में किया गया |

महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्या व सम्मलेन संरक्षिका डॉ. विजय वंती ने मुख्य अतिथि, देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े वक्ताओं, शोधार्थियों व विद्यार्थियों का इस सम्मलेन में शामिल होने पर स्वागत किया | उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डी.ए.वी. महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उच्च शिक्षा निदेशक, रिटायर्ड आई.ए.एस. शिव रमन गौड़ ने दुबई में हालिया हुई विनाशक पर्यावरणीय त्राशदियों का जिक्र करते हुए कि भविष्य की पीढ़ियों के स्वस्थ जीवन के लिए सतत विकास मानकों के अनुपालन पर जोर दिया | उन्होंने कहा कि ये अभी अलार्मिंग परिस्थिति है अगर अभी सही कदम नहीं उठाये गए तो परिणाम और अधिक भयावह होंगे | हमें सौर ऊर्जा व आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है |

प्रिंस सत्तम अब्दुलअज़ीज़ यूनिवर्सिटी दुबई से जुड़ीं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. काकुल हुसैन ने विभिन्न प्रकार के होने वाले प्रदूषणों का जिक्र करते हुए प्लास्टिक के बेहतर इस्तेमाल पर जोर दिया | उन्होंने प्लास्टिक पुनर्चक्रण प्रक्रिया से ईंधन, रोड, ईंटों, साबुन, कपडे इत्यादि के निर्माण को बताया जिससे ठोस अपशिस्टों को पर्यावरण से सही तरीके से हटाया जा सके | ठोस अपशिष्टों के कारण ना केवल मनुष्य बल्कि जलीय जीवों पर भी घातक प्रभाव दिखाई दे रहे हैं जिसके कारण मनुष्य की स्वास्थय संबंधी परेशानियों में तीव्र इजाफा हुआ है | यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो, कनाडा से ऑनलाइन माध्यम से जुडी सेशनल लेक्चरर डॉ. कनिका वर्मा ने ठोस अपशिष्टों के उचित प्रबंधन के लिए डिस्कोर्स कम्युनिटी के निर्माण की वकालत की जो एक क्षेत्र विशेष में अपशिष्टों प्रबंधन के संयुक्त लक्ष्यों को हासिल करने पर ध्यान दे | ये संयुक्त लक्ष्य अपशिष्टों के कम उत्पादन व उचित निस्तारण से जुड़े होने चाहियें |

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की सीनियर प्रोफेसर डॉ. मैरी ताहिर ने बताया कि पहले घरों में डस्टबिन की आवश्यकता नहीं होती थी जिसका मुख्य कारण ज्यादातर खाद्य पदार्थों का घरेलू निर्माण था | समय के साथ लोगों ने पैक्ड खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल को घर, ऑफिस, स्कूल, मनोरंजन स्थल आदि पर बढ़ाया जिसके कारण डस्टबिन कल्चर अस्तित्व में आया और हम ज्यादा अपशिष्ट उत्पादित करने लगे हैं | हमें अपनी जरूरत और सुविधा के मध्य अंतर को स्पष्ट रूप से समझना जरूरी है तभी हम अपशिष्टों के उत्पादन को रोक पायेंगे | जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. हसीना हासिया ने अपशिष्ट उत्पादन के लिए आधुनिक के पीछे भागते भारत की जिम्मेवार बताया | उन्होंने कहा कि हम जितना कम अपने संसाधनों का इस्तेमाल दैनिक उपयोग के लिए करेंगे उतना ही कम अपशिष्ट का उत्पादन हम कर पाएंगे |

श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ. ज्योति राणा ने हमारी बदलती जीवन शैली में अपशिष्टों की व्यापकता के लिए हमारे उपभोग व्यवहार को जिम्मेदार ठहराया | इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को दैनिक जीवन में अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर खुद की जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है |
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन पहले व्यक्तिगत स्तर से शुरू होना चाहिए फिर इसको जनजागरण का रूप देने की आवश्यकता है | सी.एस.आर.डी., जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण पाठक कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन एक बेहद ही पेचीदा पहलू है और इसके उचित निस्तारण के लिए हमें बहुआयामी सोच व सहक्रियता के साथ आगे बढ़ना होगा |

समापन सत्र के मुख्य अतिथि जे.सी. बोस यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, फरीदाबाद के कुलपति डॉ. एस.के. तोमर ने छोटे प्रयासों को भी सराहनीय बताया जिसको उद्धृत करने के लिए उन्होंने रामसेतु निर्माण में एक नन्ही गिलहरी के योगदान का वर्णन किया | बाला जी शिक्षण संस्थान के निदेशक व पर्यावरणविद जगदीश चौधरी ने बताया कि वेस्ट कुछ भी नहीं होता| हमारी अज्ञानता, स्वार्थ व जरुरत से ज्यादा संचय की प्रवृति ही वेस्ट की उत्पत्ति का मुख्य कारण है | दीवान सिंह जी ने कहा की कुदरत ने कुछ भी वेस्ट नहीं बनाया,मनुष्य की विकाशात्मक सोच, शहरीकरण आज वेस्ट पैदा कर रहे हैं | क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर प्रकाश जी ने बताया की प्रकृति के सभी जीव मनुष्य के अस्तित्व को बचाने में सहायक हैं परन्तु मनुष्य के विलुप्त होने से किसी भी जीव पर कोई संकट नहीं आ सकता |

कार्यकारी प्राचार्या डॉ. विजय वंती ने कहा कि एक स्वस्थ व सतत पर्यावरण के लिए मौलिक विकासात्मक रणनीतियों के निर्माण की आवश्यकता है जो पूरी पृथ्वी को अपशिष्टों से होने वाले नुकसान को ना केवल रोके बल्कि अपशिष्टों के पुनः प्रयोग की विभिन्न विधियों के लिए मार्ग प्रसस्त करे | सम्मलेन संयोजिका डॉ. अर्चना भाटिया ने सम्मलेन की रूपरेखा रखी व धन्यवाद ज्ञापन दिया | डॉ. जीतेन्द्र ढुल सह-संयोजक और डॉ. सुमन तनेजा, रजनी टुटेजा ,डॉ. इमराना खान व रेखा सम्मलेन की संयोजक सचिव रहीं | शोधार्थियों के अलावा लगभग दो सौ विद्यार्थियों ने भी इस सम्मलेन में भाग लिया |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *