चण्डीगढ़, 8 मार्च- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य के राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा कि वे सतलुज-यमुना लिंक कैनाल (एसवाईएल) के मुददे को सत्ता की सीढ़ी न बनाए, क्योंकि आज जो कोई भी दल इस मामले पर राजनीति करेगा, तो जनता समझदार है। इसलिए राजनीतिक दलों को इस मामले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम एसवाईएल के पानी की एक-एक बंूद को नहीं छोडेंंगे और यह हमारा संकल्प हैं। मुख्यमंत्री आज यहां हरियाणा विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर अपना उत्तर दे रहे थे।
उन्होंने विपक्ष पर प्रहार करते हुए कहा कि विपक्ष के लिए एसवाईएल का मतलब व मंत्र ‘सत्ता यूं लूगा’ है और विपक्ष के लिए एसवाईएल एक बोतल के जिन्न की तरह है, जब विपक्ष के लोग सत्ता में होते हैं तो यह जिन्न बोतल में बंद हो जाता है और जब ये लोग विपक्ष में होते हंै तो यह जिन्न बोतल से बाहर आ जाता है। मुख्यमंत्री ने सदन में सभी सदस्यों के समक्ष सुझाव देते हुए कहा कि उनका कहना है कि एसवाईएल के मामले पर राज्य के सभी दलों की एक बैठक हो और इस पर कार्यवाही करने के लिए एक दिशा निर्धारित होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल के संबंध में जमीन हमारे नाम हो चुकी हैं और इसका कब्जा लेना बाकी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का कोई भी नागरिक, दल, किसान यह नहीं कह सकता कि एसवाईएल का पानी उसे नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि एसवाईएल के मामले पर जब जब भी केन्द्र के मंत्रियों के साथ मिलना होता था तो हम उनसे मिलें और एसवाईएल के पानी को लेने के लिए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एसवाईएल की लडाई बडी ही संजीदगी के साथ लड रही है और इस बारे में राज्य के सभी दल देश के राष्ट्रपति से भी मिलें हैं और इसी प्रकार जब प्रधानमंत्री से मिलने की बात आई तो उन्होंने इस मामले पर देश के गृह मंत्री से मिलने की बात की तो राज्य का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री से भी मिला और अपनी बात रखी। उन्होंने सदन में सदस्यों से सवाल करते हुए कहा कि आज तक एसवाईएल का निर्णय क्यों नहीं हुआ, क्योंकि सभी दलों ने इस मामले पर अपना-अपना स्टेंड लिए हुए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 मे एसवाईएल पर निर्णय हुआ परंतु इस निर्णय को वर्ष 2004 में क्रियान्वित करवाने पर कार्यवाही की गई और उस दौरान पंजाब सरकार ने एसवाईएल पर असंवैधानिक एक्ट पास कर दिया और यह मामला प्रैजीडेंशियल रैफरेंस के लिए लटक ता रहा। उन्होंने विपक्ष से सवाल करते हुए कहा कि वर्ष 2002 से 2004 तक दो साल में एसवाईएल क्यों नहीं बनाईं। इसी प्रकार,उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सदस्यों से सवाल करते हुए कहा कि 2004 से 2014 तक क्रियान्वयन पर भी इनकी सरकार ने कोई प्रयत्न नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब तक एसवाईएल के निर्णय पर क्रियान्वयन के आदेश नहीं लिए जाते हैं तब तक उस पर कार्यवाही नहीं होती। जब क्रियान्वयन आदेश ही नहीं होगा तो एसवाईएल कैसे बन पाएगी। ये पिछली सरकारों की विफलता के कारण आज एसवाईएल नहीं बन पाई है। मुख्यमंत्री ने आगरा कैनाल के संबंध में सदन में बताया कि आगरा कैनाल उत्तर प्रदेश सरकार की योजना से बनी है और ये उनके अधिकार में आती है, लेकिन इस कैनाल का 100 किलोमीटर का भाग हरियाणा में पडता है और इस कैनाल के माइनरों के माध्यम से हरियाणा के कुछ क्षेत्रों को पानी की आपूर्ति होती है। उन्होंने कहा कि आगरा कैनाल की सफाई के लिए हरियाणा सरकार को उत्तर प्रदेश सरकार से एनओसी लेनी होती है तब जाकर कैनाल की सफाई की जा सकती है और अभी भी इस कैनाल की सफाई के लिए यूपी सरकार से एनओसी हेतू आवेदन किया गया है लेकिन अभी तक एनओसी नहीं मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के बरसाना में होली उत्सव पर गए थे, जहां पर अंतर्राज्जीय मामलेों पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ उनकी चर्चा हुई है जिसमें परिवहन, कानून व्यवस्था के साथ-साथ सिंचाई की बात भी हुई है। उन्होंने कहा कि अगले माह हरियाणा सरकार के अधिकारी यूपी सरकार के अधिकारियों के साथ सिंचाई व पानी के संबंध में एक बैठक करेंगें जिसमें पानी की समस्याओं को लेकर बात की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारे किसानों को पानी मिलना चाहिए और वे चाहते हैं कि नूंह, पलवल, फरीदाबाद जिलों को आगरा कैनाल का पानी मिलें। इसी प्रकार, दिल्ली सरकार से भी यमुना नदी के पानी की सफाई की बात चल रही है। उन्होंने कहा कि देश की नदियों में साफ पानी बहें, इसके लिए हमें कार्यं करना होगा। इसी प्रकार, घग्घर के लिए भी भी कई परियोजनाओं को चालू किया गया है।
उन्होंने दादूपुर नलवी पर कहा कि उनका आज भी वहीं स्टेंड है जो पहले था। उन्होंने कहा कि जिस किसी भी किसान को जमीन चाहिए उसे जमीन दे दी जाएगी और जिसने जमीन का मुआवजा ले लिया है उस जमीन का उपयोग सिंचाई विभाग द्वारा किया जाएगा।