ऐ मित्र,तुझे मेरी मित्रता की कसम

Posted by: | Posted on: September 8, 2018
ऐ मित्र,,तुझे मेरी मित्रता की कसम,,
ले चल मुझे तेरी अमरीली छांव में,,
फिर सुना एक सुरीली सी धुन,,
बसी है जो पनघट के दांव में।।
तू ही तो मेरी कविता है ,,
तू ही मेरी पायल की छूनछुन,
तेरी ही धुन में मैं
बरबस बावली सी नाचूँ,,
अब बस मेरी एक अरज ले सुन।।
किसी पे अब न भरोसा मेरा,,
किसी से नही सरोकार,,
तेरी मेरी दोस्ती बस निर्विकार,
करे हर पल ,हर सपने को साकार।।
तेरे अस्तित्व को न पहचान पाया कोई ,
पर तुझ तक पहुचे बिना भी न रह पाया कोई,
जीवन के इस परम् सत्य को समझ के भी
अपने दम्भ को अपने हित मे लुभाये कोई।।
अब बस भर ले तू मुझे अपने आगोश में,,
विहर लू तुझे अपने स्वप्निल नयनो से,,
है अंतिम निवेदन तुझसे मौत,,
हा मौत,,तुझे मेरी मित्रता की कसम
ले चल —-/////———
मुझे मेरे सबके अंतिम पड़ाव में।।।
मेरी बावली कलम से।।
लेखिका-प्रियंका शर्मा




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