विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों ने दिया ग्रीन दीवाली मनाने का संदेश

Posted by: | Posted on: November 8, 2018

फरीदाबाद( विनोद वैष्णव )। विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल, सेक्टर-2 में दीपावली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मु य अतिथि  राजेश कुमार, एसडीएम बल्लभगढ़, स्कूल के चेयरमैन धर्मपाल यादव एवं डॉयरेक्टर सुनीता यादव ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए  कुमार ने बच्चों को दीपावली पर ग्रीन पटाखे चलाने और प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने का संदेश दिया। पटाखों का उपयोग हमारी पर परा का अंग है। चूँकि हमारी पर परा पर्यावरण की पोषक रही है इसलिये हमें पर्यावरण हितैषी और सुरक्षित दीपावली मनाना चाहिए। यह काम प्रत्येक नागरिक अपने स्तर पर खुद कर सकता है। कुमार ने बच्चों को समझाया कि पटाखे चलाने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, ऐसे में ग्रीन पटाखे ही चलाएं और न्यायालयों के आदेश की पालना करते हुए सिर्फ 8 बजे से 10 बजे के बीच ही पटाखे चलाएं।  कुमार ने बच्चों का प्रेरणा दी कि पर्यावरण को बचाना हम सभी की जि मेदारी है। दीपावली दियों का त्योहार है खुशियों का त्योहार है इसे मिलजुल मनाना चाहिए और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। इस अवसर पर बच्चों ने अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कक्षा 5 के छात्रों ने अष्ट लक्ष्मी स्रोतम की प्रस्तुति दी वहीं कक्षा 1 के छात्रों ने आई दीवाली गीत प्रस्तुत किया। कक्षा 4 एवं 5 के बच्चों ने वेलकम गीत भी सुनाया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्कूल के चेयरमैन धर्मपाल यादव ने कहा कि महानगरों में वाहनों के ईंधन से निकले धुएँ के कारण सामान्यत: प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक होता है। पटाखे उसे कुछ दिनों के लिये बढ़ा देते हैं। उसके कारण अनेक जानलेवा बीमारियों यथा हृदय रोग, फेफड़े, गालब्लेडर, गुर्दे, यकृत एवं कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए पटाखे नहीं चलाने चाहिए। स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव ने कहा कि हर साल दीपावली पर करोड़ों रुपयों के पटाखों का उपयोग होता है। यह सिलसिला कई दिन तक चलता है। कुछ लोग इसे फिजूलखर्ची मानते हैं तो कुछ उसे पर परा से जोड़कर देखते हैं। पटाखों से बसाहटों, व्यावसायिक, औद्योगिक और ग्रामीण इलाकों की हवा में तांबा, कैलशियम, गंधक, एल्युमीनियम और बेरियम प्रदूषण फैलाते हैं। उल्लेखित धातुओं के अंश कोहरे के साथ मिलकर अनेक दिनों तक हवा में बने रहते हैं। उनके हवा में मौजूद रहने के कारण प्रदूषण का स्तर कुछ समय के लिये काफी बढ़ जाता है। इसलिए हमें पटाखे नहीं चलाने चाहिए, और चलाते भी हैं तो ग्रीन पटाखे चलाने चाहिए। सुनीता यादव ने कहा कि पटाखों से मकानों में आग लगने तथा लोगों खासकर बच्चों के जलने की स भावना होती है इसलिये सभी को कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए- पटाखों को सुरक्षित जगह पर रखें। उन्हें ज्वलनशील पदार्थों से दूर ले जाकर ही जलाएँ। वाहनों के आसपास पटाखे नहीं जलाएँ। पटाखे जलाते समय सूती कपड़े पहनें। सिन्थेटिक कपडे ज्वलनशील होते हैं। उनसे बचें। पटाखे जलाते समय घर की खिड़की और दरवाजे बन्द रखें। इससे आग लगने का खतरा घटेगा। हाथ में रखकर फटाके नहीं जलाएँ। बच्चों को वयस्कों/बुजुर्गों की देखरेख में पटाखे जलाने दें। कार्यक्रम को स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति चौधरी ने भी संबोधित करते हुए कहा कि दीपावली वास्तव में दीपों का त्यौहार है लेकिन इस दिन लोगों में पटाखों को लेकर प्रतिस्पर्धा का जो दौर चलता है उससे वायु, ध्वनि प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। पटाखे पर्यावरण के लिए खतरनाक है लेकिन किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं है। पटाखों के कारण कई प्रकार की गैस वायु मंडल में घुल जाती हैं। इससे कई प्रकार की बीमारियां अपने पैर पसार लेती हैं वहीं लोगों का सांस लेना भी दुभर हो जाता है। जानकारों की माने तो दीपावली के समय करीब चालीस फीसदी प्रदूषण बढ़ जाता है। बावजूद कोई भी इस दिशा में गंभीर नहीं हैं। इसलिए सभी को मिलजुलकर इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए।





Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *