फरीदाबाद(विनोद वैष्णव )इस्कॉन संस्थापकाचार्य श्रील ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद जी ने अपने एक अनुयाई को अगस्त 1973 में एक पत्र में लिखा था कि, “मंदिर केवल खाने और सोने का स्थान नहीं अपितु ये तो माया के विरुद्ध युद्ध के लिए सैनिक तैयार करने का स्थान है”। यह भाव आज भी दुनिया भर के इस्कॉन मंदिरों में प्रचलित और दृश्यमान है, जिसे जीवंत कीर्तन और नृत्य के लिए “हरे कृष्ण” के नाम से जाना जाता है। इस्कॉन के भक्त पवित्र श्रीमद् भगवद्गीता को वितरित करने के लिए भी जाने जाते हैं जोकि 70 से अधिक अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवादित किया जा चूका है। इस्कॉन भक्तों को गर्व है कि दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शहर हो जहां भगवद्गीता यथारुप को अपने पाठक न मिले हो, इन सब अकल्पनीय प्रयासों के लिए वे श्रील प्रभुपाद जी को धन्यवाद देते नहीं थकते हैं Iइस्कॉन दिल्ली मंदिर के अध्यक्ष श्री मोहन रूपा प्रभुजी कहते हैं,”हमारा लक्ष्य है श्रीमद भगवद्गीता को पुस्तक रूप में हर घर में पहुँचाना व लोगों को प्रेरित करना कि वे इसे पड़ें व इसके सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करें I” इस्कॉन फरीदाबाद ने इस दिशा में एक बड़ा प्रयास किया है। उन्होंने स्कूल के विद्यार्थियों के लिए एक अद्वितीय ‘वैदिक ओलंपियाड’ तैयार किया है और पिछले एक महीने में इस प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के लिए 35000 से अधिक विद्यार्थियों ने पंजीकरण किया है।मोहन रूप जी ने आगे कहा, “इस प्रतियोगिता को इस प्रकार रचा गया है जिससे कि पीढ़ियों से चली आ रही भारतीय संस्कृति के बीज को पुनर्जीवित किया जा सके जोकि भारत की संस्कृति में निहित है, और यही मकसद हमारे अभियान की सफलता में किसी तरह से छुपा हुआ है।”इस्कॉन फरीदाबाद स्कूल प्रचार टीम ने सम्मोहिनी रूपा देवी दासी जी के नेतृत्व में भगवद्गीता से कुछ नैतिक और मूल्य आधारित श्लोकों का चयन किया है और इस प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता की रचना की है। अधिकतम विद्यार्थियों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं। उदाहरण के लिए पंजीकृत विद्यार्थियों को एक-एक भगवद्गीता (अनेक sponsors के द्वारा प्रायोजित), प्रश्न बैंक, ‘मैंगो सिप’ (‘मन पसंद’ द्वारा प्रायोजित) और लैपटॉप, टैब, साइकिल और 200 से अधिक अन्य आकर्षक पुरस्कार। भाग लेने वाले विद्यार्थियों के लिए इसे सरल बनाने के लिए एक प्रश्न बैंक तैयार किया गया है और प्रतियोगिता के लिए पंजीकृत प्रत्येक विद्यार्थी को दिया गया है I सुश्री सम्मोहिनी रूपा देवी दासी ने कई स्कूलों के साथ अपना अनुभव साझा किया। “हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और 60 से अधिक स्कूलों ने क्विज़ में भागीदारी की है। स्कूल के अधिकारियों ने इस्कॉन के प्रयास की सराहना की है और हमसे अपने विद्यार्थियों व स्टाफ के लिए नियमित संगोष्ठियों को व्यवस्थित करने का अनुरोध कर रहे हैं। हमें उनकी प्रतिक्रिया ने बहुत प्रोत्साहित किया और हम नियमित रूप से इस शिक्षा अभियान को जारी रखने की व्यवस्था कर रहे हैं।”
फरीदाबाद मंदिर के अध्यक्ष गोपीश्वर दास ने कहा, “पूरा विचार यह है कि हम चाहते हैं कि विद्यार्थी युवावस्था में ही भगवद्गीता के साथ संबंध विकसित करें। श्रीमद भगवद्गीता में ही स्वयं पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण ने इस ज्ञान को ‘राज विद्या’ अर्थात ज्ञान का राजा व ‘पवित्रं’ कहा है I जो भी गीता पढ़ने के लिए एक छोटा सा प्रयास करता है वह शुद्ध हो जाता है। इसलिए युवा जैसे ही गीता को अपने जीवन में जोड़ते हैं वे स्वच्छ व शुद्ध हृदय की ओर बढ़ते हैं और यही स्वच्छ ह्रदय वास्तव में समाज को सभी बुराइयों से छुटकारा दिला सकता है। हमारे साथ जुड़े हुए अनेक sponsors व कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करते हुए मैं फरीदाबाद के सभी जिम्मेदार लोगों से आगे आने और इस्कॉन को अपना समर्थन देने की अपील करता हूँ ताकि हमारी संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को बढ़ाने के प्रयास कई गुणा आगे बड़ सके I”