चैत्र मास में सूर्यदेव की पूजा विवस्वान के नाम से करनी चाहिए : धर्मबीर भड़ाना


फरीदाबाद (विनोद वैष्णव ) |चैत्र मास की छठ पूजा कोचैती छठ के नाम से भी जाना जाता है। भविष्य पुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास की और चैत्र मास की छठ (चैत छठ) का विशेष महत्व है। चैत्र मास में नवरात्र के दौरान ही हर सालषष्ठी तिथि को चैत छठ पर्व मनाया जाता है। पुराण में बताया गया है कि चैत्र मास में सूर्यदेव की पूजा विवस्वान के नाम से करनी चाहिए। उक्त वक्तव्य धर्मबीर भड़ाना ने पूर्वी सेवा समिति द्वारा राजा चौक स्थित छठ घाट पर चैत्र मास की छठ पूजा के समापन समारोह के दौरान कहे। उन्होंने छठ पर्व का महत्व बताते हुए कहा कि इन दिनों पुराणों के अनुसार वैवस्वत मनवंतर चल रहा है। इस मन्वंतर में सूर्यदेव ने देवमाता अदिति के गर्भ से जन्म लिया था और विवस्वान एवं मार्तण्ड कहलाए। इन्हीं की संतान वैवस्वत मनु हुए जिनसे सृष्टि का विकास हुआ है। शनि महाराज, यमराज, यमुना, एवं कर्ण भी इन्हीं की संतान हैं। इससे पूर्व पूर्वी सेवा समिति ने उनका फूल-मालाओं से स्वागत किया गया। उन्होंने पूर्वी समाज की आस्था और उनके द्वारा किए जाने वाले आयोजनों को आस्था का प्रतीक बताया और कहा कि पूर्वी समाज हमेशा बढ़-चढक़र धार्मिक आयोजन करता रहा है। फरीदाबाद में पूर्वी समाज एक अलग स्थान रखता है। इस अवसर पर उनके साथ पूर्वी सेवा समिति के प्रधान सुनील कुमार, माधव झा, मिथलेश, गौतम जैसवाल, धर्मराज, अच्छे लाल, डॉ. देव, डॉ. ए के गोस्वामी, संजय कुमार, सुरेन्द्र, नरेश समेत काफी
संख्या में लोग उपस्थित थे।

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