एमवीएन विश्वविद्यालय पलवल के कृषि संकाय में हरी खाद से मृदा स्वास्थ्य में सुधार एवं उपज वृद्धि पर किसानों व छात्र-छात्राओं हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

पलवल(विनोद वैष्णव )| एमवीएन विश्वविद्यालय पलवल के कृषि संकाय में हरी खाद से मृदा स्वास्थ्य में सुधार एवं उपज वृद्धि पर किसानों व छात्र-छात्राओं हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन | एम वी एन विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो जे.वी देसाई एवं कुलसचिव डॉ राजीव रतन के दिशा निर्देशन में कृषि संकाय में “हरी खाद से मृदा स्वास्थ्य में सुधार एवं उपज वृद्धि” पर पलवल क्षेत्र के पांच गांवों के संभ्रांत किसानों के लिए किसान कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश पूजन व मां सरस्वती वंदना के साथ डॉ एस सी मनचंदा, डॉ नन्द राम एवं किसान भाइयों जगबीर (मीतरोल), मोतीराम (औरंगाबाद), कृष्ण (मानपुर), विजयपाल (वनचारी), रामपाल (तुमसरा) द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। कार्यशाला की संचालिका डॉ खुशबू सिंह ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए बताया कि मृदा-पादप-पशु-मानव श्रंखला में अगर जीवनदायिनी मृदा (मिट्टी) अस्वस्थ होगी तो उसका सीधा प्रभाव संपूर्ण श्रंखला पर पड़ता है।इस अवसर पर कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ नन्द राम ने किसान भाइयों का स्वागत करते हुए बताया कि मृदा जिसे अंग्रेजी में सॉइल कहते हैं जो सोल ऑफ इंफिनिट लाइफ (अनंत जीवों की आत्मा) है। किसी भी प्रदेश के प्रक्षेत्र की मृदा की उर्वरा शक्ति का सीधा प्रभाव क्षेत्र में रहने वाले जीव, जंतु एवं पौधों पर पड़ता है। उन्होंने पावर पॉइंट प्रस्तुतीकरण द्वारा बताया कि आजकल किसानों द्वारा रासायनिक खादों के अनुचित व असंतुलित प्रयोगों से मृदा की उत्पादकता कम हो रही हैं, जिससे मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि कार्बनिक खादों जैसे गोबर की खाद, कंपोस्ट एवं हरी खाद का उपयोग कर प्राकृतिक सामंजस्य को स्थापित किया जा सकता है। हरी खाद, कार्बनिक खाद के रूप में सर्वोत्तम मानी गई है। साथ ही हरी खाद वाली फसलों की सूची, बीज दर, बुबाई समय, नाइट्रोजन की सुलभता एवं उपज वृद्धि पर भी प्रकाश डाला।इस अवसर पर डॉ एस सी मंनचंदा, डॉ पवन शर्मा, डॉ तरूण विरमानी व किसान भाइयों ने अपने अपने विचारों व समस्याओं की ओर सभी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। कार्यशाला के द्वितीय चरण में कृषि विभाग के पुष्पेंद्र शर्मा ने विश्वविद्यालय फार्म में छः सप्ताह की हरी खाद के रूप में उगाई गई ढेंचा की फसल को ट्रैक्टर के द्वारा मिट्टी में पलटते हुए दिखाया कि कैसे किसान भाइयों को हरी खाद बनानी है। साथ ही साथ अलौकिक खाद बनाने की विधि भी सिखायी और एमवीएन फार्म में रसायन रहित सब्जी उत्पादन को भी किसानों को दिखाया।कार्यक्रम के अंत में डॉ राहुल वार्ष्णेय ने धन्यवाद प्रस्ताव देकर सभी संकायाध्यक्षौ, विभागाध्यक्षों, छात्र/छात्राओं व किसान भाइयों का हृदय से आभार व्यक्त कर रसायन रहित कृषि का संकल्प करवाया और किसानों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। इस अवसर पर डॉ विनीत सिन्हा, डॉ मुकेश सैनी, डॉ सतीश चंद्र, अन्वेषा डे, अजय कुमार, योगेश शर्मा, आशीष पालीवाल, सुंदर आदि लोगों ने सभी छात्र व छात्राओं के साथ कार्यक्रम में सहयोग किया।

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