एमवीएन विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के विद्यार्थियों का क्षेत्रीय वनस्पति संगरोध केन्द्र, नई दिल्ली भ्रमण

पलवल (विनोद वैष्णव ) |एम वी एन विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के विद्यार्थियों ने क्षेत्रीय वनस्पति संगरोध केन्द्र, नई दिल्ली भ्रमण किया और वहां पर कार्यरत वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों को बताया कि किस प्रकार से यह सेंटर देश में काम करते हैं तथा इनकी क्या भूमिका हैI वैज्ञानिकों ने बताया की जो फल, साग, सब्जी, बीज आदि का जो निर्यात-आयात किया जाता है उन फसली पौधे के साथ उसके रोग-बीमारी, कीट और खरपतवार एक देश से दूसरे देश में प्रवेश कर जाते हैं और ये रोग, कीट और खरपतवार जो कि विशेष बाधा का कारण बनते हैं तथा इन रोग, बीमारी कीट और खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए यह क्षेत्रीय वनस्पति संगरोध केन्द्र विशेष भूमिका निभाते हैंI यहां पर जांच-पड़ताल होने के बाद ही किसी फसल या बीज फल सब्जी को एक देश से दूसरे देश में निर्यात-आयात किया जाता हैI इसके बाद विद्यार्थियों ने यहां पर पादप रोग विज्ञान प्रयोगशाला, कीट नियंत्रण प्रयोगशाला और खरपतवार नियंत्रण प्रयोगशाला को देखा और यहां पर रखे उपकरण जैसे बीओडी, इनक्यूबेटर, लैमिनार एयर फ्लो आदि उपकरणों के द्वारा किस प्रकार से फसलों के रोग, कीट अथवा खरपतवार आदि का पता लगाकर नियंत्रण किया जाता हैIअंत में वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों को बताया कि आजकल पेस्टिसाइड रेसिड्यूज भी एक गंभीर समस्या हैI अंधाधुंध खरपतवारनासी, कवकनाशी, फफूंद नासी और कीटनाशक दवाओं के कारण रासायनिक रेसिड्यू की मात्रा दिन प्रतिदिन हमारी फसलों के बीज, फल सब्जी आदि में बढ़ रही है जिसके कारण हमारी फसल जैसे धान, गेहूं फल, सब्जी आदि के सैंपल फेल हो जाते हैं जब वह निर्यात किए जाते हैं अतः इस बाधा से निजात पाने के लिए हमें कम से कम खरपतवार नासी, कवकनाशी, फफूंद नासी आदि रसायनों का प्रयोग करना चाहिए ताकि हमारी फसलों का उचित दाम हमें विदेश में मिल सकेIइस सफल भ्रमण का श्रेय विभागाध्यक्ष डॉ0 सतीश चन्द ने विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय डॉ0 जे.बी. देसाई और कुलसचिव डॉ0 राजीव रतन को दिया I

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