पापाचार बढ़ने और नैतिक पतन होने पर ही प्रभु अवतार लेते हैं : आचार्य दिनकर 

बल्लभगढ़,Vinod vaishnav । श्री श्याम मंदिर (आदर्श नगर-मलेरना रोड) के प्रांगण में चल रहे श्रीमद भागवत के पांचवे दिन आज श्आचार्य श्री दिनकर ने कृष्ण जमोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जिसमें आदर्श कॉलोनी के भक्तगणों एवं माता बहनों ने नबढ़चढ कर भाग लिया। मांगलिक भजनों के साथ सबने एक दूसरे को कृष्ण जन्म की बधाई दी। कथा व्यास डॉ. ठाकुरदास दिनकर ने पूतनावध,त्रिणावर्त, शकटासुर, अघासुर, धेनुकासुर और प्रलम्बासुर आदि दैत्यों के वध की कथाओं के माध्यम से बताया।  श्री व्यास ने बताया कि यह सभी पात्र मानव जीवन के दोषो के प्रतीक हैं।  पूतना  अपवित्रता का, अघासुर पाप का, धेनुकासुर अज्ञान का, कालिया नाग वासना और प्रदूषण का प्रतीक हैं जिन्हें अपने शरीर के अंदर हमें मारना चाहिए। द्धापर युग में पापाचार व नैतिक पतन होने पर धर्म की स्थापना के लिए कृष्णावतार हुआ।

कथा व्यास श्री दिनकर ने भगवान की मनमोहिनी बाललीलाओं का बड़ी ही रसमयी वाणी में चित्रण किया। आचार जी ने कहा की जैसे मां यशोदा और गोपियों ने भगवान की बाल लीलाओं में रीझ-खीझ व नटखट क्रीड़ाओं में आनंद व सुखानुभूति पायी थी। वैसे ही हमें किसी का भी बच्चा है उसमें बालरूप प्रभु की बांकी झांकी देखनी चाहिए। चीर-हरण प्रसंग की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए बताया कि श्री कृष्ण ब्रह्मा हैं, गोपी जीवात्मा हैं अपरा और परा प्रकृति गोपी जीव के दो वस्त्र हैं।  माया की निवृति ही चीर हरण है। उक्त कथा ज्ञान यज्ञ में गोवर्धन महोत्सव भी बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। गिरिराज गोवर्धन के माहात्म्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान गिरिराज साक्षात गोवर्धन नाथ श्री कृष्ण ही हैं।

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